03 November 2015

हिन्दू अब बोलने लगा.…

Image result for hindutva imageदिल्ली का सिंहासन हज़ारों सालों तक इस्लाम का गुलाम रहा है। उसने महमूद गजनवी से लेकर बाबर, हुमायूँ, अकबर, जहांगीर तथा जिन्दा पीर औरंगजेब तक का शासन झेला है। इस दौरान अगर कोई चीज कॉमन थी तो वो हिन्दू का गुलाम बना रहना है। चुपचाप कोड़े खाकर इस्लाम स्वीकार कर लेने वाला हिन्दू अब बोलने लगा है। ज्ञात इतिहास की हकीकत है की हिन्दू गुलाम अधिक रहा है। मुसलमान, अंग्रेज सबका वह दास रहा है और डर-डर कर जिया है।  हैरानी यह है की हज़ार सालों तक इस्लामी राज्य में गुलाम हिन्दू कभी अपने धर्म के प्रति इतने सजग नहीं हुए, जितने की अब हो रहे है।  नेहरू और अंबेडकर की बसाई सेक्युलर भारत में बहुत सारे सेक्युलरिस्ट इस्लाम के इतिहास से डरते हैं।  उनकी अवधारणा सच्ची हो या झूठी, उनका मानना है की भारत तभी तक शांत रह सकता है, जबतक की इस्लाम की तलवार उसकी म्यान में हो। उसके बन्दे उग्र न हो जाएँ, इसलिए उनकी हर ज्यादती को इतिहास से डरकर भुला दें। लेकिन भारत की वास्तविक राजनीति की आड़ में धर्म का सहारा लिया जा रहा है।
असहिष्णुता के मसले पर लेखक सम्मान लौटाने लगे हैं, कुछ सेक्युलर पत्रकारों ने तो हिन्दू की मंशा पर ही सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं।  इनसब में से सोशल मीडिया हिन्दुओं का बड़ा भोपूं का काम कर रहा है। युवा इन सारे लोगों से सवाल करने लगी है की जब कर्नाटक में गौ-रक्षक की हत्या हुई तब इस्लाम की मंशा पर सवाल क्यों नहीं उठाये गएयूपी में गौ-तस्करों ने एक दारोगा की हत्या कर दी तब क्यूँ नहीं अख़लाक़ की तरह उसे भी 40 लाख का चेक दिया गयाडॉ सुब्रह्मण्यम स्वामी पर अंडे फेंके गए तब मीडिआ ने वैसा हल्ला क्यों नहीं किया जैसा कुलकर्णी को लेकर हुआसंयुक्त राष्ट्र की 2010 की रपट है की बंगाल में 28 हज़ार हिन्दू औरतों का अपहरण, धर्मांतरण हुआ तो उस पर लेखक, साहित्यकार, मीडिया सब मौन क्यों रहेक्या भारत में सारे मानवीय अधिकार सिर्फ मुसलमानों के ही हैं? तब क्या इनलोगों की असहिष्णुता की वकालत खेत चरने गयी थी?

इसलिए सारे सेक्युलर घबराये हुए से प्रतीत हो रहे हैं क्योकि शताब्दियों से दास रह हिन्दू सर उठा कर चलने लगा है।  युवा फख्र से कहने लगे हैं 'गर्व से कहो हम हिन्दू हैं'।  हिन्दू आज गोमांस पर प्रतिबन्ध चाहता है।  पाकिस्तान से खून का बदला खून में चाहता है और मुसलमानों से आँख से आँख मिलकर व्यव्हार करने लगा है। ऐसे में उनलोगों की नींद उड़ जाना स्वाभाविक है, जो अभी भी अपने को इस्लाम की गुलमियत वाली मानसिकता से नहीं निकाल पाये है, जिनका परिवेश, सोच सब अबतक गुलाम है।  कौन हैं ये लोग? आप जानते हैं.....
Image result for hindutva imageये सब संभव कैसे हुआक्योकि हिन्दू-स्वाभिमान की तलवार लेकर आगे बढ़ रहा संघ परिवार देश की सत्ता पर काबिज है। उनके कट्टर स्वंयसेवक देश के प्रधानमंत्री हैं।  'गर्व से कहो हम हिन्दू हैं' जैसा सोशल मीडिआ का प्रयोजन साधू-संतोँ का नहीं है, बल्कि युवा हिन्दू नौजवानों का है।  जो मुखर हैं, सेकुलरों को ईटों का जवाब पत्थर से देने लगे हैं।  इंसानियत की वकालत करने वाले सेक्युलर लोगों के लिए दोनों धर्म समान हो।  यदि 15 प्रतिशत मुसलमानों के लिए उनके शरीयत, विचार व आस्था का पालन हो तो 80 फीसदी हिन्दुओं की आस्था का भी पालन हो, उनकी आस्था का कानून बने। यह नहीं होता की कश्मीर के मुसलमानों को सर-आँखों पर बिठाया जाए और कश्मीरी पंडितों को वहां बसाने तक न सोची जाए ।

अमेरिका हमें सहिष्णुता सिखाता है, जिसके धर्मनिरपेक्ष मुखौटे के पीछे ईसाइयत कूट-कूट कर भरी है।  हिन्दू को न तो ईसाई जैसा जबरदस्ती प्रचलित बनाना है और न ही इस्लाम जैसा खून की नदियां बहाकर साम्राज्य विस्तार करना है, क्योकि हिन्दू धर्म वेटिकन से नहीं चलता, खलीफाओं से नहीं चलाया जाता, किसी एक किताब के सहारे पर भी नहीं टिका है.…  मेरे यहाँ किसी को सूली पर नहीं लटकाया जाता, किसी को पत्थर मारकर दुनिया से नहीं उठाया जाता।  हम सेक्युलर हैं, आधुनिक हैं, लिबरल भी हैं और चरखे से शिकार करने वाले भी नहीं हैं.……

लेखक:- अश्वनी कुमार ,( बहुत सारे लोग मेरे विचारों से असहमत भी हो सकते हैंक्योकि चेहरा डरावना होने का पता तभी चलता है जब सामने वाला आईना दिखाए।  गुस्सा तो आएगा …  क्योंकि अब हिन्दू बोलने लगा है, सर उठाकर चलने लगा है...)

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