10 July 2019

क्रिकेट का जुनून @2005-2011


Image may contain: 1 person, sunglasses and beardभारतीय क्रिकेट का सिरमौर महेंद्र सिंह धोनी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई !
बॉल को मिडिल बैट से शॉट खेल दे और कवर्स वाले फील्डर्स छूने की हिम्मत न कर पाए तो समझ जाते थे कि बैटिंग या तो सहवाग कर रहा या माही ! वो भी क्या जमाना था जब रेडियो पर कॉमेंटेटर की आवाज से महसूस कर लेते थे कि शॉट कितना लाजबाब होगा ! दशक पहले अखबार पढ़ने का एकमात्र मकसद अगर खेल पेज देखना हुआ करता था तो समझ लीजिए आप 100 फीसदी प्योर क्रिकेट प्रेमी रह चुके हैं ! 

माही को उसके बालों से पहचानते थे और हर बॉल पर छक्के की उम्मीद करना हमारी आदत बन चुकी थी ! बचपन में हरभजन की बॉलिंग एक्शन की नकल किया करते थे ! स्लो खेलने पर सचिन तक को गरियाने से नही चूकते थे !
टीवी देख रहे होते तमाम लोग दर्शक कम कोच की भूमिका में ज्यादा नजर आते थे ! मैच की अंग्रेजी कभी समझ न आई, सोचते थे कोई माई का लाल ऐसा पैदा हो जो हिंदी बके ! बाद में 5 ओवर हिंदी और 5 ओवर अंग्रेजी कमेंट्री की व्यवस्था हुई तब भी अंग्रेजी वाले के आते ही मन में बौझार कर देते थे !

सचिन, द्रविड़, गांगुली और लक्ष्मण को खेलते अगर आपने देखा है तो समझिए क्रिकेट का सबसे सुनहरे पल को जी चुके हैं ! क्योंकि वो नशा, जुनून और जद्दोजहद अब देखने को नही मिलती ! इंडिया एवरेज टीम थी ! पूरे 11 खिलाड़ी जज्बे से ऑस्ट्रियाई/इंग्लैंड/दक्षिण अफ्रीका जैसी टीमों के खिलाफ लड़ा करते थे ! भले ही वो हमें हरा दें मगर हमारे बैट्समैन उनके आग उगलती बॉलर्स के आगे निडरता से सामना करते थे ! वो क्या जुनून होता था जब गलियाँ सुनी पड़ जाने का मतलब मैच हो रहा होना होता था !

बहुत खिलाड़ी आये और गये ! गांगुली, द्रविड़ और सचिन ने भी संन्यास लिया मगर दर्शक की दिलों पर राज करने वाला तो अपना सहवाग ही रहा ! इंडिया की बैटिंग शुरू होते ही सड़क तक सुनसान पड़ जाना सहवाग की बैटिंग के बदौलत था !
गेंदबाज का लाइन, लेंथ और पिलर सब उखाड़ देने वाला विरले कोई होता होगा जो सहवाग के नाम से जाना जाता है !
ग्लेन मेग्रा, फिलनटॉफ, ब्रेट ली, डेल स्टेन, मलिंगा जैसे बॉलर्स सहवाग से खौफ खाया करते थे ! 10 ओवर तक सहवाग का टिकना मात्र ही संकेत होता थी कि इंडिया का स्कोर 80 से 100 होगा ! 

हमलोग ऐसे वैसे दीवाने नही थे हुज़ूर ! अखबारों में छपी एक्शन में सहवाग, सचिन, धोनी और अन्य खिलाड़ियों की फ़ोटो को कलाकारी से काटकर कॉपीयों में चिपकाया करते थे ! खुद ही सेलेक्टर बनकर कॉपी में इंडिया की टीम और बैटिंग आर्डर चुना करते थे ! खुद को क्रिकेट का विद्वान मानते थे ! लगभग विश्व के हर देशों की बैटिंग लाइनअप जुबान पर होता था !

अपना भी एक दशक पढ़ाई के साथ क्रिकेट का रहा ! उतना खेला नही मगर ओरल नॉलेज में खुद को एक्सपर्ट से कम नही समझता था !
आज का क्रिकेट वैसा नही है ! वो रोमांच पैदा ही नही हो सकता ! वो जुनून खिलाड़ियों के अंदर नही दिखता बस रन बनाने की सनक दिखती ! सारे नियम बैट्समैन के हक में दिखते हैं !
क्रिकेट से जुड़ी भूली बिसरी यादें आज भी मुख पर मुस्कान बिखेर देती है ! सट्टेबाजी, मौकापरस्ती से कही दूर वो खेल भावना भारत देश की 100 करोड़ लोगों का प्रतिनिधित्व करती थी ! मुरलीधरन की गुगली और शेन वार्न के टर्न की सचिन से टक्कर कौन भुला होगा ! 

आज भी उस लम्हे उस दौर ही यादें ताजा हो जाती है जब कोई रेडियो वाला कमेंटेटर दनदनाती आवाज में "धोनी के सीधे बल्ले से शानदार ड्राइव और कवर के बगल से गेंद सीधा बाउंडरी लाइन के बाहर, चार रन"... बधाई !!!
#खेल_प्रेमी