28 January 2022

नाराज युवा

छात्रों की सरकार से नाराजगी के पीछे गहरी पृष्ठभूमि है, जिसे हर किसी को समझना चाहिए की मुद्दा इतना ज्वलंत कैसे बना ! बिहार में पढ़ने वाले अधिकांश छात्र प्रतियोगिता परीक्षा के अलावे हर क्षेत्र में लगभग फिसड्डी होते हैं, ये बातें सभी को पता है ! बिहार के आर्थिक निर्धनता की रूपरेखा दशकों मेहनत के बाद नेताओं ने जातिवाद के रास्ते खींच दी !

वक्त बिता राजनीति और ज्यादा हावी हुई तो बिहार बंट गया, सारे प्राकृतिक संसाधन झारखंड को दे दिए गए !
फिर बिहार अबतक राजनीतिक कुंठा का इतना शिकार हुआ है कि यहाँ रहने वाले लोगों में अब अपने बच्चों के भविष्य की चिंता खाये जा रही !
कोई अमीर है धनाढय है तो बच्चों को दूसरे राज्य भेजकर इंजीनियरिंग-मेडिकल करा दे रहा.. UPSC के सपने वही लोग तो सच करते हैं आखिर !
UPSC या PCS किसी गुदड़ी के लाल से निकल पाना असंभव है.. लाख उदाहरण पिट लो कि फलाना सब्जीवाले, रिक्शेवाले का बेटा IAS बन गया लेकिन वो खबर सैकड़ों करोड़पतियों के लाडले के यूँ ही यूपीएससी में निकल जाना ढंक लेगा !

बिहार एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ अधिकांश आबादी गाँव में आज भी रहती है.. शहरीकरण के नाम पर अब सड़क और बिजली पहुंची है जिस पर दसों टैक्स लादकर वसूली सिस्टम का नया रास्ता तैयार किया गया है !
यहाँ आज भी खुले में शौच करने से रोकने को सरकार टीम सुबह सुबह छापेमारी करती फिरती है !
यहां हर घर में एक छुटभैये नेता पनप उठता है.. आबादी इतनी बेहिसाब बढ़ी है कि जमीन के टुकड़े टुकड़े हो चुके हैं और अधिकांश लोगों के पास बंटवारे के बाद खेती योग्य जमीन नहीं बची !
फिर भी एक जनरेशन पहले वाले लोग किसी तरह अपना पेट भर लिया करते थे, मगर अगली पीढ़ी क्या करेगी उनकी ?
मोबाइल और टेक्नोलॉजी के युग में जरूरत इतनी बढ़ गयी है कि हर क्षेत्र लगभग बाजार के नियम से चलने लगा है !
रोजगार धंधे का विकास तब ही होगा जब आदमी के पास पैसे हो और बाजार में निकलकर वो खर्चे.. एक दूसरे पर निर्भर यही चैनल परस्पर बढ़ती हुई जीडीपी और रोजगार क्रिएशन का रूप ले लेती है !
यहां सब चौपट है, बिहार प्रति व्यक्ति आय में सबसे निम्नतम है ! नेतागिरी के अलावे हर चीज में फिसड्डी..
सच है कि भारत का दूसरा सबसे आबादी वाला यह राज्य अंदर ही अंदर बहुत पीड़ा से गुजर रहा है !
रोजगार की तलाश में युवा तड़प रहे हैं.. अगर उसमें योग्यता नहीं है तो इस बात की जिम्मेदारी किसकी है ? 4 से 5 लाख शिक्षकों के ऊपर इतने गरीब राज्य का धन पानी की तरह बहाया जा रहा, इसका जबाबदेह कौन है ?
राज्य में इंजीनियरिंग, मेडिकल और तकनीक आधारित निवेश के लिये माहौल बनाने से किसने रोका ?
सरकार का काम न सिर्फ शासन चलाने या नीतियां बनाने भर से है बल्कि वो एक Job Creator और सर्विस प्रोवाइडर भी है ! अपने नागरिकों को रोजगार देना, उन्हें गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार देना भी उसका कर्तव्य है !
ये सही है कि देश को अमेरिका चीन के पूँजीवाद से टक्कर लेना है इसलिए निजीकरण को बढ़ावा देना चाहिए.. लेकिन बिना कोई वैकल्पिक व्यवस्था बनाये सबकुछ थोप देना भी अराजकता है !
कोई पुल तक तोड़कर बनाना है तो टेम्पररी व्यवस्था होती है ताकि लोगों को आवागमन बना रहे !
बिहार और यूपी की तुलना देश के अन्य राज्यों से नहीं हो सकती ! यहां विकल्प का सदा अभाव रहा है..
प्रतियोगिता परीक्षा द्वारा कठिन मेहनत के बलबूते एक सरकारी नौकरी पा लेना यहां वैतरणी पार होने के बराबर है !
इस दो राज्यों के करोड़ों युवाओं के बारे में बिना सोचे कुछ भी नीति थोप देना जनविद्रोह को आमंत्रण देना है !
ये रेलवे, एसएससी के विरुद्ध सिर्फ विद्रोह नहीं है !
इसे पहचानें और समय रहते रोकने की कोशिश करें..
सिस्टम के आवरण हैं ये युवा.. इनसे से अपना सिस्टम अभेघ बना हुआ है जिसके अंदर बैठकर कुछ अधिकारी अहम ब्रह्मा की स्थिति में है..
यही युवा इन्हीं राजनीतिक पार्टियों के झंडे लगाते भी हैं ढोते भी हैं.. इन्हें अपने भविष्य की तलाश है जो मिड डे मील के खिचड़ियों में नहीं मिला ! अपनी गलत नीतियों से हमने बहुत बड़े अयोग्य और बेरोजगार आबादी को तैयार कर लिया है !
ये इतिहास की बड़ी भूल साबित होगी अगर समय रहते तत्काल कोई सटीक रास्ता न निकाला जाए !!!
पेट भूखा रहा तो दिमाग अपराधी बना ही देगा.. एक अपराधी न सिर्फ राज्य और सिस्टम बल्कि समस्त समाज के लिए खतरा बन जायेगा.. झलक दिख रही है छात्र आंदोलन में इसकी..


26 January 2022

● छात्र आंदोलन ●

छात्रों को नजरअंदाज करना सरकार को भारी पड़ रहा है ! बिहार-यूपी जैसे पिछड़े राज्यों में बेरोजगारी का आलम इतना विभत्स है कि ये रेल रोको जैसा प्रतिकार भी काफी कम है !

लाख बातें होगी इकोनॉमी की, सबको आप नौकरी नहीं बांट सकते लेकिन जितनी बाँट सकते उतनी तो सही तरीके से दे दो.. छात्र आंदोलन का लंबा इतिहास रहा है.. सरकार की चूलें हिला देंगे ये लोग ! किसान आंदोलन की सफलता ने वैसे भी हर तबके को लगभग मोटीवेट कर ही दिया है..

उसके ऊपर रेलवे के पास भर्ती प्रक्रिया का न कोई तय मानक है न कोई फॉर्मूला ! एसएससी और रेलवे दोनों बिना किसी पारदर्शी प्रक्रिया के नॉर्मलाइजेशन के बेसिस पर कुछ भी रिजल्ट दे देने को उतारू हैं.. सरकार बार बार 80 लाख छात्रों के ट्वीट को भी नजरदांज करती रही है ! ये बहुत भारी पड़ सकते हैं.. बिहार टैलेंट का वो खदान है जहां से तराशे हुए हीरे निकल कर आपकी ब्यूरोक्रेसी के अंदर बैठते हैं !

नौकरी के नाम पर विदेशी कंपनियों को बुला लेना और हजारों फैक्टरी अलग अलग राज्यों में खुलवा कर बिहार को अधमरा करके छोड़ देना भी वजह है इनके आंदोलन का.. कब तक लेबर एक्सपोर्ट करता रहेगा बिहार !

शराबबंदी ने इस कदर बिहार को खोखला बना दिया है ये आने वाले 4-5 सालों में ही दिखने लगेगा.. अगले 2 दशक तक बिहार को हर मामले में अंतिम पायदान पर बनाये रखने का मास्टर प्लान है !

Bssc 8 वर्ष में एक बहाली तक पूरी नहीं कर पाई है !

हजारों निक्कमे और संविदाकर्मियों से पूरी बिहार की ब्यूरोक्रेसी को ठूंस डाला गया है ! पुलिस में हजारों बहालियाँ हो रही है, मगर क्राइम कंट्रोल माइनस में जा रहा है ! जब सरकार उसका सही इस्तेमाल नहीं कर पा रही है तो ये ड्रेन ऑफ वेल्थ क्यों किया जा रहा ! रोजगार का कोई अता पता तक नहीं है ! 

शहर के जिस चौराहे पर जाओ, सैंकड़ों भीड़ हाथ में मिस्त्री औजार लिए दिखेंगे.. पेट नहीं भरेगा तो किस बात का लोकतंत्र और कानून मानने को कोई बाध्य होगा !

छात्र जो कर रहे हैं वो उनका अधिकार है ! वे राष्ट्रीय सम्पति को बिना नुकसान पहुंचाए जैसे चाहें सरकार से भिड़ जाएं... 

ये आंदोलन या गुस्सा स्वयंस्फूर्त है, कोई राजनीतिक प्रयोजन नहीं मानी जा सकती है !

आप उनकी आवाज अनसुना करेंगें तो उनका खून खौल उठेगा.. युवा हैं आखिर उबाल मारेगा ही, कोई राजनीतिक बुड्ढे की फौज थोड़ी है...



11 January 2022

● योगी पार्ट- 2 ●

यूपी चुनाव में अगर मतदाताओं ने समझदारी दिखाई तो भारतीय राजनीति में नए मानक स्थापित हो जाएंगे ! वो मानक होगा सुशासन, क्राइम कंट्रोल, नागरिक सुरक्षा जैसे बेसिक स्तर के मसले ! एक नागरिक के तौर सभ्य समाज में रहने लायक जितनी व्यवस्थायें होनी चाहिए अगर वह मिल जाये तो वह सबसे श्रेष्ठ समाज होगा !

यूपी का चुनाव आगे की राजनीति का भविष्य है यह तय मानिए ! मोदी के शासन में आने के बाद और योगी की शानदार कौशल क्षमता ने जनता के अंदर अंदर एक चाहत तो पनपा ही दी है कि सिंहासन पर बैठने को एक अविवाहित से बढ़कर कोई योग्य नहीं है ! ये चाहत हर राज्यों की जनता में बढ़ रही है अंदर अंदर ! जनता आंख मूंदकर ऐसे व्यक्ति पर भरोसा करना चाहती है जिसके आगे पीछे कोई न हो.. विपक्ष लाख राफेल राफेल चिल्ला के रह गयी, पब्लिक टस से मस ना हुई !

योगी ने डंके की चोट पर गाड़ियां पलटी, सरेआम एनकाउंटर्स किये.. एक भी फालतू के आरोप लगाने की कुव्वत नहीं हुई किसी की ! वरना हवाई फायरिंग के मामले में 50 तरह के आयोग इसी भारत के अंदर बनाये जाते थे और अफसरों को तंग किया जाता था ! क्राइम कंट्रोल का एकमात्र उपाय है जैसे को तैसा.. लेकिन वह तैसा वाली बात सामाजिक न्याय स्थापित करने के पवित्र उद्देश्य से होना चाहिए, जो यूपी ने कर दिखाया है !

योगी की जनस्वीकार्यता दंडनायक के रूप में है ! गुड गवर्नेंस की राह में भ्रष्टाचारियों को पीतल भरी गयी है.. नतीजा यूपी निवेशकों की पहली पसंद बन गया क्योंकि लेबर सस्ते और आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं ! योगी के तौर पर धार्मिक सेंटीमेंट बाद में है, जनता पहले एक कठोर शासक का चेहरा उनमें ढूंढ रही है... यूपी और बिहार जातिवाद का गढ़ है इसलिए धार्मिक सेंटिमेंट से ही इस जातिवाद में सेंधमारी की जा सकती है यह बीजेपी को पता है ! बेहद नाप तौल कर हर मुद्दे को भुनाना है, जातिवाद टूट गया तो बीजेपी को यूपी में कोई रोक नहीं सकता !योगी का मुकाबला करने लायक कोई चेहरा न इधर है न उधर है ! विपक्ष में तो अब सारे घाघ नेता बूढ़े हो चुके हैं और उनके लौंडे अपेक्षा से कहीं बढ़कर बड़बोलेपन का प्रदर्शन कर रहे हैं..

बीजेपी का स्ट्रेंथ सोशल मीडिया में तलवार लेकर खड़े रहने वाले फ्री के लाखों वालंटियर हैं.. हर नैरेटिव का एनकाउंटर इधर भी चल रहा है !

बीजेपी यह समझने की भूले कतई न करे की ये पार्टी का स्ट्रेंथ है या उनके IT सेल का मास्टर स्ट्रोक है ! ये सब स्वयंस्फूर्त है, सरकार के राष्ट्रहित के कदमों और धर्म की रक्षा के आपके दृढ़संकल्पों के कारण मजबूती से खड़े मिलते हैं.. यूपी में नया आयाम स्थापित करने को सभी पलक बिछा के बैठे हैं.. योगी 2.0 से प्रधानमंत्री योगी के सपने को पालने का चुनाव है, हर हाल में जीतना होगा...

#जय_हिंद 🇮🇳



● No Option ●

मोदी सरकार का एक गलत निर्णय समूचे देश को हाशिए पर ढकेल सकता है ! मोदी वो गलती कर चुके हैं... कृषि कानून वापस से लेने का मसला इतना गंभीर बन चुका है कि आने वाले दिनों में या तो सरकार चुपचाप अगले 3 साल निकाल ले वरना कोई बड़े सुधार करने की कोशिश की तो ये ताकतें पूरी शक्ति से देश में अराजकता फैला कर रख देगा... या पूरी ताकत से इस बार हम कुचल डालें उन्हें...

अराजकता को बढ़ावा केंद्र सरकार ने ही दिया है ! शाहीन बाग को पनपाया तो दंगे हुए निर्दोष मारे गए, नतीजा आजतक CAA के रूल्स नहीं बने.. एक बेहतरीन कृषि सुधार पर सरकार ने पूरे तंत्र को भीड़तंत्र के हवाले कर झुक गए, नतीजा आज हमारे सबसे सशक्त प्रधानमंत्री को घेर लिया गया ! और भी गुस्सा तब आया जब बीजेपी शासित राज्यों में इनके कार्यकर्ता पंजाब CM के पुतले जला रहे थे.. ये कौन सा चुतियापा है आखिर, इन सारे लोगों को पानी की बौछार के साथ लाठी मारनी चाहिए.. भेड़तंत्र पाले हुए हो आप पार्टी के नाम पर ! देश में है किसका शासन ? कौन निपटेगा इन दुराचारियों से.. ये कोई मामूली या मजाक वाली बात नहीं है की आप पुतले जला लो, नारे लगा लो और चुनाव में निकल पड़ो..

अपने देश का सम्मान दांव पर लगा दिया है उनलोगों ने ! बंगाल से लेकर राजस्थान और अब पंजाब में आपकी नाकामी और चुप्पी की कितनी घातक सजा निर्दोष लोगों को मिली इसका अंदाजा क्या नहीं है ? भीड़तंत्र को बढ़ावा देना, सड़क बाधित करवाये रखना और हिंसा से निपटने के बजाए उनके आगे झुक जाना भी लोकतंत्र की असफलता है ! इस देश की सरकार सिर्फ पंजाब और हरियाणा से नहीं चल रही थी कि आप बाकी किसानों को अगले कई दशकों तक फिर से अधर में लटका कर छोड़ दिया..

अब एकमात्र रास्ता है कठिन निर्णय लेने का ! अन्य कोई विकल्प नहीं बचा है ! राष्ट्रपति शासन टेम्पररी समाधान है.. बाकी रास्ते हमारी सरकार को बेहतर पता है !

इस बार सम्मान लगा है दांव पर.. ऐसे कमजोर और पिलपिले विपक्ष का सामना तक नहीं कर पा रहे तो क्या इज्जत रह जायेगी.. 

Wait and watch...