20 February 2021

● ई-मोबिलिटी ●


पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों पर आम आदमी की चिंता जायज है ! सरकार की आय का बड़ा स्रोत इस पर लगने वाला टैक्स ही है ! इसी टैक्स के पैसे से सरकार चलती है, सड़कें बनाती है, पुल का निर्माण होता है और राफेल-अपाचे खरीदे जाते ! सेना की गोली, पुलिस की लाठी तक तो इसी से आती है !
नेताओं अफसरों के वेतन भत्ते का जुगाड़ इसी से होता ! आम आदमी हर चीज खरीदने पर टैक्स सरकार को देता.. 
जो अमीर है वो लैविश चीजें खरीद कुछ ज्यादा ही खजाना भरने में अपना योगदान देते !

दुनिया की अर्थव्यवस्था में तेल का खेल महत्वपूर्ण है.. रेगिस्तानी अरब देश आज इसी तेल के बदौलत शेखी बघार रहे ! अमेरिका के पास अपने इस्तेमाल को प्रचुर तेल है इसलिए वह कहीं भी कभी भी हमले करने की मुद्रा में सदैव खड़ा मिलता !
रूस के पास अथाह भंडार है अतः उसे भी दुनिया से कोई मतलब नहीं.. 
दुनिया की अर्थव्यवस्था का गणित तेल और सोने पर ही निर्भर है !
डॉलर को जबरदस्ती दुनिया पर लादे रखने में अमेरिका कैसे सफल रहा ये उसकी युद्धनीति से समझा जा सकता !

मगर अब ये चीजें बहुत जल्दी अव्यवहारिक हो जाएंगी ! नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों पर दुनिया काफी तेजी से रिसर्च कर रही है ! सौर और लिथियम का बेजा उपयोग दुनिया की अर्थनीति को बदल कर रख देगी !
तमाम महाशक्तियों का अंत निश्चित है.. तेल आधारित geo-politics का कोई भविष्य नहीं दिखता और ये सारी चीजें बीते दिनों की बात हो जाएगी..

जिस तरह से भारत नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों पर कार्य कर रहा वो किसी अकल्पनीय दूरदर्शिता से कम नहीं है ! लिथियम उत्सर्जन के लिए सरकार ने हाल में बेहतरीन नीति बनाई हैं जिसपर शायद ही किसी ने ध्यान दिया !
सारे सरकारी कार्यालयों में सौर उपकरणों से ऊर्जा की आपूर्ति की व्यवस्था की जा रही ! ई-vehichle विनिर्माण क्षेत्र के विशेष छूट का प्रावधान और लिथियम आपूर्ति के विभिन्न देशों के साथ करार के फलस्वरूप हम बहुत गौण रूप से इन पेट्रोल डीजल इरा से दूर जा रहे..

आज तेल की बेहताशा कीमतों से हम भले ही परेशान हैं मगर जैसे ही ई-ट्रांसपोर्टेशन में क्रांति आयी मतलब तेल से निर्भरता हटी यानी हम आत्मनिर्भर हुए वैसे ही एक नई टैक्स क्रांति के लिए तैयार रहना होगा !
सरकार का राजस्व रुकेगा वो नई नई व्यवस्थाएं थोपने को मजबूर होगी.. हमें टैक्स के द्वारा ही सरकार की घाटे की पूर्ति करनी होगी..

दुनिया बहुत फ़ास्ट होने वाली है ! क्रिप्टो करेंसी द्वारा डॉलर की बादशाहत खत्म होगी.. परमाणु ऊर्जा से कोयले की और ई-वाहन से तेल के बादशाहों की !
संभव है कि भारत इसी के बदौलत महाशक्ति बनने की काबिलियत रखता है और अगले एक दशक में हम निश्चित महाशक्ति बनकर वैश्विक पटल पर उभर रहे होंगे.. 
#जय_हिन्द 🇮🇳

05 February 2021

● व्यापारी किसान ●


हमने इतिहास के किताबों में बहुत सारे किसान आंदोलनों पढ़े की कैसे अंग्रेज, जमींदारों के माध्यम से कृषकों का खून चूसते थे ! उनसे व्यापारिक फसलों की जबरन खेती कराई जाती और फसल का आधा तक हिस्सा रख लिया करते थे ! खेत बंजर हो जाती थी, ऊपर से कर्ज का जाल बिछा भूमिहीन बना दिया जाता था !

आज 21वीं शताब्दी में भी आधुनिक किसान आंदोलन शुरू की गई है ! मगर इसका लक्ष्य, संघर्ष और आंदोलन की जीवटता देख आने वाली पीढियां कांप जाएंगी !
की कैसे मंडियों को बचाने के लिए लाल किले तक चढ़ाई की गई ! दलाली प्रथा बचाये रखने को दिल्ली की सड़कों पर ट्रैक्टर से लंगई की गई !
कृषि का अस्तित्व बचाये रखने के लिए मिया खलीफा जैसे महाशक्तियों को आंदोलन में आना पड़ा ! सच बोला जाए तो सभ्य लोग गुस्सा हो जाएंगे.. रेहाना जैसी कृषि विशेषज्ञों को मैदान में उतरना पड़ा ! अलग बात है कि रेहाना जैसे शक्ल की लड़कियों को यहां के ठेले लगाने वाले स्वाभिमानी लौंडे तक रिजेक्ट कर देते ! 
ग्रेटा बेबी को भारत की चिंता हो रही, अलग बात है की भक्तों ने डेटा चुरा ली !

मगर देश में अंतराष्ट्रीय स्तर के आंदोलन होने के बाबजूद भी सरकार की भूमिका मौनी बाबा की हो गयी है ! कोइ मतलब नहीं है, तोड़ रहे हो तोड़ने दो, भौक रहे हो भौंकने दो !
ऐसे नही करना चाहिए ! बिल्कुल गलत हो रहा इनलोगों के साथ...
इस स्थिति में हम राष्ट्रवादी सरकार का समर्थन नही कर सकते ! 

इन्हें देश की सरजमीं पर बैठ उसमें छेद करना है !  कॉर्पोरेट को देश से भागना है मगर उनके ट्रैक्टर पर बैठ सड़कों पर नंगई करनी है, पब्लिक प्रॉपर्टी तोड़नी है ! 
टैक्स एक पैसे का नही देना मगर हमारी टैक्स से MSP लेनी है !
हर चीज में छूट लेनी है, आह हम अन्नदाता...

किस बात का अन्नदाता बे ? तुमलोग व्यापारी हो अन्न जैसी पवित्र चीज का ! सैकड़ों एकड़ जमीन पुरखो से खैरात में मिली जो उसने किसी गरीब असहाय से कभी छीनी ही होगी, उसपर तुम कितने घण्टे खेती करते हो ? कभी मेहनत किये हो खेतों में, कभी पानी तक भी नही पटाये होंगे ! 
UP बिहार से हमारे असली किसान मजदूर बनकर तुम्हारे खेतों में खेती करने जाते ! अपने पसीने से इस भारतवर्ष की मिट्टी को सिंचते.. तब तुम कितनी आसानी से फोन घुमा माल बेच करोड़ो कमा लेते !
न तो टैक्स भरने की लत है न ही मेहनत करने की ! दूसरों से छीनी गयी जमीन पर दूसरों से मजदूरी कराकर घर बैठे घी खा तोंद पाल किस हक से खुद को किसान कह रहे हो ! 
तुमने दिल्ली की सड़कों पर नंगई की क्योंकि तुम्हारे पास ट्रैक्टर है ! उस ट्रैक्टर पर सरकार अन्नदाता के नाम पर टैक्स में भारी छूट देती ! इधर कभी उत्तर भारत में आकर देख लो असली किसान को ! खुद का पेट भरने को खेती होती है थोड़ी सी कट्ठे की जमीन पर या पट्टे पर लेकर ! 
आवास योजना से अब तो सरकार घर भी बनवा देती, नहीं तो फुस की झोपड़ी में कोठी ही दिखती थी ! जिसमें हमारा असली अन्नदाता अपनी पूंजी रखता था ! कर्ज लेकर ट्यूबवेल खुदवाये जाते यहां, बीज-तेल खरीदने तक को पैसे उधार में लेने पड़ते हैं !

मगर यहाँ का किसान तो कोई विरोध नहीं कर रहा ! क्यों सरकार तुम्हारे मोटे अनाजों को खरीद PDS सिस्टम द्वारा 2 रु किलों बेचने को मजबूर होती रहेगी ! PDS सिस्टम जिस दिन देश से हटा 50% करप्शन फिनिश ! सबसे बड़ी लूट का अड्डा यही है और उसी अड्डे को बरकरार रखने को गला फाड़ रहे... 

सरकार ने इस आंदोलन को बढ़ावा दिया ! अतिसहनशीलता घातक हो रही, सरकार की समझ और दूरदर्शिता समझ से परे हो रही है ! संभवतः लंबे प्रोजेक्ट पर काम चल रहा..
लेकिन किसान का नाम तो बदनाम कर दिया इन लोगों ने ! अन्नदाता के नाम पर लोग 'चल हट्ट बे' करने की स्थिति में आने लगे हैं... बाकी देखते जाओ... 
#जय_हिंद 🇮🇳