28 May 2020

बिहार बोर्ड का गिरता स्तर

बिहार बोर्ड मैट्रिक का रिजल्ट आया ! फिर एक गुदड़ी के लाल ने शिखर पर झंडा लहरा दिया !
बात पढ़ाई की हो और उसमें बिहार का नाम होना ही अपने आप में एक भौकाल है !
आज भले ही बिहार बोर्ड में सफलता का प्रतिशत बहुत अधिक जबरदस्ती कर दिया गया है ! लगभग सारे बच्चे पास कर दिए जाते हैं ! पहले कराए जाते थे और अब कर दिए जाते हैं ये अंतर पिछले 10-12 सालों में आया है !


पहले ढ़िबरी और लालटेन में पढ़कर बिहारी लौंडे कभी आईएएस और आईपीएस की फैक्ट्री इसी बिहार को बना देश में महफ़िल लूट ले जाते थे, जो आज प्रवासी मजदूरों की फैक्ट्री बन गई है !
बात दिमाग की हो बात बुद्धिमानी की हो तो अव्वलता हमेशा बिहार के दर्जे में ही आएगी ! 100% यूनिवर्सल ट्रुथ है की अगर अंग्रेजी लटके झटके, यो यो हनी लुक से इतर सिर्फ प्रखरता, बुद्धिमानी को पैमाना माना जाए तो कोई आसपास नही टिकता !
लगभग अधिकांश प्रतिष्ठित जॉब भोजपुरी एक्सेंट मिक्स अंग्रेजी बोलने वाले लौंडे ले उड़ेंगे ! यूँ गद्देदार घूमने वाले कुर्सियों पर बैठे, गले में गमछा डाले हम बिहारी मुखातिब हो जाएंगे !
बिहारियों के अंदर प्रतिभा का ह्वास इधर 10-12 सालों से बहुत अधिक होने लगी है ! मतलब सोचिये कि जिस राज्य को ना बिजली नसीब हो, सड़क, टेलीविजन, रेडियो,अच्छी किताबें, अच्छे स्कूल इन सबों से दूर-दूर तक कोई वास्ता ना हो उसके बावजूद भी यह हमारा स्वर्णिम बिहार यूपीएससी का झंडाबरदार हुआ करता था ! 


बिहार बोर्ड का अपना जलवा था भाई ! 20 से 30 फीसदी सक्सेस रेट होता था मैट्रिक में पहले ! थर्ड पास होने वाला सीना तान कर 10 गांव में जा सकता था !
परंतु बदलते परीक्षाओं के पैटर्न ने बच्चों के अंदर पढ़ाई की जगह सिर्फ अंक आधारित बना कर रख दिया ! हम CBSE के नक्शेकदम पर क्यों चलने का प्रयास कर रहे हैं ? घोड़े की तरह इनका नाल क्यों ठुकवा रहे ?
आज क्या हम अधिकांश बच्चों को जबरन पास नही करा रहे ! 
उसमें भी इतनी बेहद निम्न स्तर की परीक्षा प्रणाली जिसमें सिर्फ बिना बौद्धिक ज्ञान को समझे-परखे सिर्फ ऑब्जेक्टिव प्रश्नों के सहारे उसे जबरदस्ती पास कर दिया जा रहा ! क्या यह हमारी जड़ों को खोखला नहीं कर रहा ?


किस आधार पर हम 15.5 लाख में कुल 80.59% छात्रों को धकेलकर आगे बढ़ा रहे हैं ? स्कूलों की बदहाली और शिक्षकों की अयोग्यता को ढकने का ये प्रयास गंभीर चुनौती खड़ी करेगा !
मतलब साफ है कि हम अपने भविष्य को पढ़ने को प्रेरित करने, बौद्धिक समझ विकसित करने की जगह उसे बेरोजगारी के इस दुष्चक्र में फंसाने का तानाबाना बुन रहे !


बिहार के पास है ही क्या खोने को, बचा जो झारखण्ड को दान कर दिया, कुछ भैंसिया चारा खा गई और बाकी तमंचे के दम पर नाम बुरा डाला ! अब प्रवासी बनकर इधर उधर लतियाये जा रहे ! एक ही तगमा था प्रतिभा का, दिमाग का, बुद्धि का वो भी खत्म करने के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया गया है...

22 May 2020

बिहार बेकार है क्या ?

#Industryinbihar 
हमारा अनमोल बिहार बेकार है क्या ? इस लॉक डॉन में बिहार के प्रवासी मजदूरों कि जो हकीकत मीडिया के माध्यम से हम तक पहुंची उसने हमारे रोंगटे खड़े कर दिए !
वाकई देश को राजनीति का पाठ पढ़ाने वाला बिहार क्या राजनीतिविहीन हो चुका है ? क्या रोजगार और मजदूरों के मसले पर हमारा प्रदेश बिल्कुल असक्षम हो चुका है ? 
15 साल हमने एक पिछड़े के नाम पर बागडोर सौंपी लेकिन उसने दगा दिया तो हम बिहारियों ने पलटवार करते हुए एक साफ-सुथरी छवि वाले जमीनी नेता को बिहार के सिर पर विराजा !
मगर इन 15 सालों में राजनीति, वाहवाही के अलावा रोजगार और उद्योग धंधों के मसले पर कोई खासी प्रगति दिखाई नहीं दी !

लोग यूं ही ट्रेनों में शौचालय तक में भर भर कर दिल्ली मुंबई सूरत कमाने जाते रहे! बिहार की श्रम शक्ति दूसरे राज्यों की तरक्की में अपना खून पसीना सींचती रही ! लेकिन शायद केंद्र और राज्य सरकार को इसकी कोई भनक तक नही थी ! 
अपना पेट भरा हो न साहेब तो दूसरे की भूख की आह सुनाई नही देती !
मान लिया हमने कि आपकी पिछली सरकार जिन्होंने 15 साल बिहार में राज्य किया उसने लूट खंसोट कर उद्योग धंधों समेत लगभग तमाम रोजगार की संभावनाओं को खत्म कर दिया ! 
मगर आपने इन 15 सालों में उसे जीवंत करने की कोशिश क्यों नहीं की ? 
झारखंड का बंटवारा हुआ, सारे प्राकृतिक खनिज संसाधन झारखंड के हिस्से चले गए और बिहार को ठेंगा मिला !

चूंकि बिहार एक लैंडलॉक्ड स्टेट है सो कोई व्यापारिक कंपनियों के यहां उद्योग धंधे बसाने की कोई संभावना है दूर-दूर तक तो दिखती नहीं है !
टैक्स में कोई छूट देते नही हो आप ! दारूबाजी की तिकड़म में राज्य का खजाना खाली कर चुके हो ! नौकरियों में स्थानीय आरक्षण लागू करने की जगह गैर बिहारियों को खैरात बाँट रहे हो !
नौकरी दी भी कितनी है शायद नौकरियां बिहार में खरीदी जाती है !
100 तरह की योजनाएं बना डाली ! 
नाली गली पेयजल, ये निश्चय वे निश्चय, मगर लांग टर्म रोजगार कहाँ दी ये बताइये ! मनरेगा में मजदूर काम कर रहा लेकिन 2 महीने में सड़क बन गयी, नहरें तालाब खुद गयी फिर.... बेरोजगार बना दोगे ! ये मजदूरों के पलायन की मुख्य वजह यही है !
उद्योग-धंधे को बढ़ावा नही मिल रहा ! 
आदमी कहाँ जाए... ? 
प्रति व्यक्ति आय न्यूनतम है महाशय यहां की ! केंद्र क्यों सोचेगा आपको स्पेशल स्टेटस के लिए ? माइग्रेंट्स वर्कर्स यहाँ की ताकत है ! अब यूज़ कीजिये, ये कोरोना शायद बिहार के लिए गेम चेंजर साबित हो ! नही तो बिहार पिछला था, है और आगे रहेगा इसकी भी संभावनाएं प्रबल है !

मजबूर कीजिये उद्योगपतियों को !
एक बेहतर रणनीति तैयार करनी होगी बिहार के किसी हिस्से में एक बड़ा सा स्पेशल इकोनामिक जोन बनाना होगा, केंद्र सरकार को इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है !
इसलिए कड़े नीतिगत फैसले लेने की जरूरत है राज्य के स्तर पर ! मगर बिना केंद्र के तो संभव नहीं दिखाई देता है !
राज्य का राजस्व बहुत ही खराब और दयनीय स्थिति में है !शराबबंदी से कुछ हासिल नहीं कर पाए सिवाए वाहवाही के मगर अब सोचना होगा !
बैंकों से जबरदस्ती कर्ज दिलवाइये उद्योगों को ! यहाँ के लोगों के जमा पैसे से अन्य राज्यों के उद्योगपतियों को लोन देकर NPA करवा ले रहा ! यहां की जमा राशि की तुलना में पैसे देने के लिए बाध्य कीजिये ! सारी लाईसेंस व्यवस्था ऑनलाइन करिये !

सड़कों पर पैदल चलती हमारी श्रम शक्ति और इस देश की आन बान और शान नारी शक्ति जो अपने बच्चे को बैग पर लादकर नंगे पांव सड़कों पर चलती दिखी क्या यही हमारे हिंदुस्तान में बिहारियों का अस्तित्व है ??? 
#Indusryinbihar

01 May 2020

बिहार अभी जिंदा है...


बिहारी जो अपनी मेहनत से सींचता है हमारी अर्थव्यवस्था को, तराशता है अमीरों के हर शौक को ! मगर वो बेबस ही क्यों होता है ??
मजबूरी उसे अशिक्षित पैदा करती है और जीवनपर्यंत अशिक्षित ही छोड़ देती है ! गरीबी उसमे भूख पैदा करती है और हमारा सिस्टम जब उसे भूखा ही छोड़ देता है तब यही मजदूर शब्द खलनायक बनकर मानवता को जलील करता है !


ये जो आजकल अपने सिर पर बोरे लादे, कंधे पर बैग टाँगकर दिल्ली से बिहार की तरफ कूच कर रहे हैं न, यही हमारे राष्ट्र के कर्ताधर्ता हैं !
हमारे बच्चों के खिलौने, आइसक्रीम के शौक यही तो पूरे करते हैं ! हमारे घर बनाने के अरमानों को यही तो तराशते हैं !

जिस जीडीपी के नगाड़े हम दुनिया भर में बजाते हैं न, ये उसके सिरमौर हैं !
माथे पर रखी इनकी गठड़ी, उनके अंदर भूख से हाँफ रहा हुनर और आंसू बनकर छलक रहा खौफ देखकर पत्थर भी पिघल गए...
शब्दविहीन कर दिया इस दृश्य ने !


अमीरों के ईमान को तार तार कर दिया, जो इन मेहनतकश को दो रोटी खिला रख नहीं पाए ! किस बात का मेट्रोसिटी.. किस चीज की आधुनिकता ? उस शिक्षा का क्या फायदा जो आपने कान्वेंट से लाखों खर्च कर ली ? जो दो वक्त की रोटी की गारंटी नही दे पाए !


ये अशिक्षित हैं मगर मूर्ख नहीं ! इनके बाप दादाओं ने आपके जैसे संपत्ति छोड़ नही गए थे ! खैरात पर नहीं पले ! मजदूरी कर बीबी बच्चों का पेट पाला !
ये आपके जैसे विदेश घूम कर बीमारियां नही लाते ! ये इसी मिट्टी पर आपकी फ़ैक्टरियों में मेहनत करते और बस जिंदा रहते हैं !

इनकी वजह से आपका चकाचौंध है.. ओला, उबेर, रेस्त्रां है.. आपकी मंडी है.. आपके बच्चे का स्कूल बस है.. आपकी सोसाइटी की सुरक्षा है.. आपके बन रहे फ्लैट्स हैं.. और इनके दम पर आपकी फैक्ट्री चल रही..
मगर आप कायर निकले !


ये मजबूर हैं, पता हैं क्यों ? क्योंकि ये राजनीतिक महत्वकांक्षा के शिकार हुए लोग हैं.. राजनीति ने इनके बिहार को लहूलुहान कर रखा है ! इनके अधिकारों का गला घोंट दिया गया है..
ये बुद्ध की धरती से हैं, नालंदा विश्विद्यालय के प्रकाश से प्रस्फुटित अतीत के वंशज हैं ये !


आकर देख लो बिहार की सड़कों पर.. मानवता की सेवा कैसे की जाती है !! दया, करुणा हर बिहारी में जिंदा है.. अभी बिहारी नौजवान जिंदा है...

---30/03/2020---

India's Coronavirus Lockdown Leaves Vast Numbers Stranded and ...