27 November 2018

#मुक्केबाजी_की_मैरीकॉम

नारी प्रतिभा को ललाट पर रखकर भारत को फिर से गर्वित करने वाली मैरीकॉम को बधाई!
आसान नहीं होता किसी भारत के छोटे से भूभाग से निकलकर खेलों में परचम लहराना और मैरीकॉम बन जाना! छः बार विश्व मुक्केबाजी की चैंपियन भी बन जाना आसान नहीं था इस मणिपुरी किसान की बेटी के लिए! हौंसले और जज्बे से फतह किये जाते हैं दुर्गम रास्ते, मगर जब कोई हौसले और जज्बे को ही फतह कर डाले तो वही मैरीकॉम बन जाने की परिभाषा है!
मणिपुर के चुराचांदपुर में जन्मी इस वीरांगना की प्रतिभा और लगन ने ही मर्दों का खेल कही जाने वाली मुक्केबाजी के बदौलत ही उन्हें 'मैग्निफिसेंट मैरी' बनाया! महिला खिलाडियों का करियर आमतौर पर उनकी शादी तक ही माना जाता है! लेकिन वर्ष 2007 में शादी के बाद भी उन्होंने खेलना जारी रखा तथा वर्ष 2008 में चौथी बार विश्व चैंपियन का ख़िताबी भी जीता!
मुक्केबाजी की दांव-पेंच व विरोधियों के मुक्के ने उन्हें इतना मजबूत बना दिया की वे आज करोड़ों भारतीय महिलाओं की प्रेरणास्रोत हैं!
नारी सशक्तिकरण के मूल में तथा इस देश के लिए नारी स्वाभिमान का झंडाबरदार अब मैरीकॉम को माना जाए! उतर-पूर्व की नाजुक सी दिखने वाली मैरीकॉम ने ताकत के इस खेल में डंका बजा कर रख दिया! नहीं तो कौन मात्र 17 साल के उम्र में पुरे मणिपुर में सोना जीतकर इतिहास रच देती वो भी बस मुक्के के दम पर!
अपनी हौसलों की उडान के बदौलत 2003 में अर्जुन पुरस्कार, 2006 में पद्मश्री, 2009 में खेलों का सर्वोच्य पुरस्कार राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार तथा वर्ष 2013 में पद्मभूषण तक को अपने गले लगा ली!
मैरीकॉम प्रेरणा हैं उन करोड़ों भारतीय नारियों के लिए जो रोज अंदर-अंदर टूट कर बिखरती हैं! उन लड़कियों के लिए जिनकी स्वछंद उडान समाज की बेड़ियों ने जकड़ राखी है! उन महिलाओं के लिए भी जिनकी हिम्मत को तोड़कर रख दिया जाता है, हीनता की भावना पैदा की जाती है या जो हिंसा की शिकार होती है!
उठो और देखो! तुम्हारे से भी कमसिन और नाजुक दिखने वाली एक लड़की कैसे समाज की विकृत सोच पर प्रहार कर रही है! सीखो उससे की कैसे नारी स्वाभिमान का डंका, वे मुक्कों की चोट से दुनिया को सुना रही है!
महसूस करो उस क्षण को की कोई 35 साल की महिला और 3 बच्चों की माँ अब भी राष्ट्रगान की धुन पर भारतीय तिरंगा को सबसे ऊपर लहराते हुए देखना और गले में देश गौरव 'गोल्ड मेडल' पहनकर उन्हें कैसा लगता होगा!
एक ऐसी महिला जिनपर फिल्में बन रही, रोज सम्पादकीय लिखी जा रही, दर्जनों बायोग्राफी की पोस्टर वीमेन बनी बैठी हैं वो! किसने बनाया उन्हें मैरीकॉम बनने लायक! सिर्फ अपने जूनून की वजह से वे मैरीकॉम बनी बैठी है!
Image may contain: 1 person, smilingआप लाख पढ़ लो, टॉप कर जाओ, अभिनय कर लो या हीरो/हेरोइन बन जाओ मगर राष्ट्रगान के बीच छलकी आँखों से लहराता हुआ अपने तिरंगे को देखने का जो गौरव की अनुभूति होती है वही उसे सौ फीसदी प्योर भारतवर्ष का अभिनेता/अभिनेत्री बन जाने का शंखनाद होता है!
अगर उनके सम्मान में कहूँ तो...
"
सदियों में एक महान नारी का जन्म होता है जो मैरीकॉम कही जाती है..."


#अयोध्या_स्पेशल


भारतवर्ष की पावन भूमि पर विराजमान अयोध्याजी को दंडवत प्रणाम! दशरथनंदन भगवान श्रीराम जी की नगरी में बहती सरयू की कलकल धारा सूर्य की लालिमा में चमक उठी है! श्रीराम के आदर्शों का चिंतन मनन में साधुओं की टोली चहक रही है! राम नाम की धुन से ये अयोध्या भक्ति से सराबोर है! संत इस भक्ति में रमे हैं... की राम नाम का रसपान कर इस भवसागर को बस पार कर जाने की इच्छा है!
हारमोनियम की बोल पर तबले की थाप त्रेतायुग को इस कलयुग में चरितार्थ करने की कोशिश में लगी है! भक्त झूमे जा रहे हैं... रामायण की वास्तविकता को प्रत्यक्ष करने की हरसंभव कोशिश की जा रही है...
भारत की राजनीति के केंद्र में 90 के दशक के बाद प्रभु श्रीराम की छत्रछाया रही है! अयोध्याजी का प्रभाव न केवल समूचे देश पर पड़ा बल्कि देश की राजनीति की बागडोर इसी जगह से संचालित हुई! कई भक्त राम नाम की बैतरणी पार कर राजनीतिक रूप से अमर हो गए तो कई शहीद भी हुए! राजनीतिक नाटक नौटंकी को रामलीला की तरह पेश करके भावनाओं को हड़पा गया!
कारसेवा हुई मगर राजनीति का शिकार हुए रामभक्त! बेवजह मारे गए, उनकी आस्था की नीवें हिला दी गयी! काले अंग्रेजों की लड़ाई में हमारी सनातन परम्परा कमजोर हुई!
इस रघुवंश की नगरी में जहाँ मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के चरण पड़े, कौशल्या जैसी प्रभु को जन्म देने वाली अलौकिक माता का ये अयोध्या, जहाँ भरत जैसा भाई हुआ, लक्ष्मण जैसा त्यागी हुआ और जहाँ स्वयं जनकनंदिनी माता सीता का ससुराल हो वहां आज हम इस कलयुग में रामलला के छत से तिरपाल हटाने के लिए लड़ रहे हैं!
हिंदू हैं, गर्व है इसका! रामलला रहेंगे जरूर रहेंगे... मंदिर बने न बने मगर नेताओं के आलीशान बंगले बनते रहेंगे! उसे न कोई हिन्दू रोकेगा न मुसलमान!
कायरता जब किसी कौम में पनप जाती है तो यूँ ही वो 100 करोड़ होते हुए भी अयोध्या में लाउडस्पीकर लेकर हल्ला करते मिल जाएंगे! सबकुछ है अपने पास! मगर ये जो गुलामी की मानसिकता है न हमारे अंदर यही कुछ करने नही देगी!
ऐसे ही बाबर की खानदाने हज़ार साल हम पर राज करके नही गए! मंदिरों को लूटा, हमारी सनातन संस्कृति को नष्ट किया, धर्मांतरण कराया! आसान नही होता जब तक हमारी नीवें खोखली न होती!
Image may contain: flower and natureराम मंदिर बनेगा... रामलला विराजमान होंगे... धर्म का चक्र फिर से चलेगा...
दुनिया हिंदुत्व का परचम देखने को तैयार हो जाये...
हिन्दू बहुत बदला है! सनक बढ़ी है आस्थावान बनने की! जोश की तीव्रता चुनौती है गुलाम इतिहास की!
बदलेगा... बदलाव होगा... श्रीराम का अयोध्या फिर से अयोध्याजी बनेगा...
बस राज्याभिषेक का इंतजार रहेगा...
अश्वनी

स्टैचू ऑफ यूनिटी

सरदार पटेल की अडिगता को मूर्तरूप देकर उनके विचारों को पुरुषार्थ सिद्ध करने वाले मोदी जी का सादर अभिनंदन!
विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति कहे जाने का गौरव सरदार पटेल का नहीं बल्कि उन तमाम भारतवर्ष के सपूतों का है जो अब भी भारत की एकता को बनाये रखने का समर्थन करते हैं! भारत की एकता और अखंडता को सुनिश्चित करने का सामर्थ्य ही हमे भारतीय होने का गौरव प्रदान करता है!
राजनीति फैशन शो की तरह है! नेता जितना एक्सपोज़ करेंगे, डिमांड उतनी बढ़ेगी! राजनीति होती रही है और होती रहेगी भी चाहे वो सरदार पटेल जैसी शख्सियत हों या गांधी जैसे महापुरुष! सरकार मूर्ति बनाये, पार्क बनाये या फुलझड़ी बनाकर रख दे मगर नेता को गहराई दिखती! उसकी हालत पार्कों में मजनूओं की रोमांटिक सीन को दिनदहाड़े देखते अधेड़ की तरह होती! होगा नही मगर देखेगा जरूर...
करोड़ो की मूर्ति बन गयी! पैसा विकास में लगना चाहिए! गरीबों को रोटी, कपड़ा, मकान बांटों!
ये बोलने वाले अक्ल के अंधे को जरा पूछों की राष्ट्र की एकता को प्रदर्शित करने वाली सरदार पटेल की स्टैचू के पैसे से अगर विकास हो जाता तो हर चौक चौराहे पर तुमने इतने सालों में अरबों-खरबों की मूर्तियां क्यों बनवाई! आज भारत की अपनी हैसियत है तो उसने अपने लौहपुरुष की प्रतिमा बनाई वो भी ताल ठोककर अपने दम पर! अमेरिका चाइना से कहीं बड़ा और भव्य! जब देश में भुखमरी और गरीबी चरम पर थी तब ये हर चौराहे पर स्तम्भ खड़े कर देने की औकात किसने दी थी!
आज भारत आत्मनिर्भर है! उसकी अवकात इतनी है कि दुनिया की महाशक्तियाँ समान बेचने के लिए जी हुजूरी करती फिर रही है! एक टाइम खाना खाकर रहने वाले गरीब मजदूर के टैक्स वाले पैसे को किसी कोठे (स्विस बैंक) पर गिरवी नही रखी जा रही! भारत माता का सर गर्व से ऊंचा होता है जब उसके प्रधानमंत्री की आगवानी में राष्ट्राध्यक्ष घण्टों इंतजार करता है!
सरदार पटेल के माध्यम से ये देश दुनिया को ये संदेश देता है कि हमारी एकता और अखंडता हिमालय की भांति अडिग है! इसे तोड़ने की साजिश करने वाले याद रखें कि ये पंडित जी का जमाना नहीं रहा! सरदार पटेल के रास्तों पर चलने वाले एक सच्चे भारतीय की हाथों में इस देश की कमान है! जिस देश में अपने महापुरुष की दुनिया में सबसे भव्य प्रतिमा बना देने का कुव्वत हो उसे हल्के में लेने की गलती मत करना!
चुनावी बयानबाजी घोषनाबाजी होती रहेगी! देश के मसले पर साथ आइये, गद्दारी को ठिकाने लगाइये! निडरता को अडिगता के साथ रखकर चलिए! पटेल को आदर्श मानिये या मत मानिये बस देश के लिए सही सोचिये! यही अपेक्षायें हमें भारतवर्ष की प्रति निष्ठावान और सतत ईमानदार पीढियां पैदा करेगी! गर्व कीजिये कि आप उस देश में हैं जहाँ की महापुरुषों की मूर्ति की ऊंचाई सबसे श्रेष्ठ है जिनके विचारों की तुलना उनकी शख्शियत के सामने बौनी है...
हम सभी से श्रेष्ठ हैं... सभ्यता से, संस्कृति से और भाषाई समृद्धता से... जश्न मनाइये... 

 अश्वनी ©