28 February 2016

Reservation burning India…

A fact about the Reservation System in India that “The Reservation is of the leader, It is for the leader and that is by the leader”.  Similarly, The current reservation system failed to implemented adequate facilities and ensure equal opportunity to whom, which has no any way to rise in the social condition, occupation and social status.  There is nothing exist.  Unfortunately, Reservation is the one of the most profitable issue to enjoy political benefits by leaders.  No one has real anxiousity about how to improve people from poverty, helplessness, bad social status.  No, all of the politician enjoy luxurious life in free government houses, vehicles, free manpower and other benefits using tax paid by these poors.
                                                             
                                                A Research conducted by an orgnisation revealed that 90% of family’s lives in village doesn’t earn 5,000 rupees in one month.  However country’s approximately 40% population lives below the poverty level means, those can’t have more than 29 rupees a day.  Who are these people?  Who is the responsible for their plight?  In 67 years old Republic Nation can’t legislate any profitable plan for these family which don’t have shed, don’t have eat foods and don’t have cloth to get into.  Who is responsible, people or government?
                                                                                    
Image result for reservation agitation image                                                All the law makers except exception often loud voice on behalf of Reservation.  But, Why do they hesitate to clarify and show any data about reservation facility used by which type of family, Were they really eligible for reservation?  I know very well that the reservation criteria is fully politicalized.  It is heaven for buttery family, which is totally able.  However, they gazing to catch every opportunity in the name of caste.  Why not they take it?  Our government is seems to be on back foot in the front of opposition uproar over every trifling issues.
                  
                                                          No doubt that the political lethargy surely create many agitation like Jaat, Bhumihar and probably create many in future.  Altogether, anything happen related to reservation, our political system promised that they have not consider every point of reservation scheme until their personal political benefit revealed.


Writer:-  Ashwani kumar, patna (who ever want to become an
independent remarker…)

24 February 2016

भारत माँ की औलाद हूँ

हे भारत माँ, मैं शर्मिंदा हूँ की मैंने अबतक की जिन्दगी में आपकी सुरक्षा, आत्मसम्मान की रक्षा के लिए कुछ नहीं किया| पढाई-लिखाई से फुर्सत मिल जाने पर ब्लॉग लेखन के माध्यम से अपने स्वयंस्फूर्त विचारों को लोगों तक पहुंचता हूँ| आपकी इस पावन धरती पर कई अंग्रेजों के औलादों ने अपने स्वार्थ के लिए इसे अपनों में लड़ाकर मलिन किया है, और आज भी कई काले अंग्रेजों की औलादें अपने कुकर्म से इसे मलिन करना चाहता है, इसे खंडित करना चाहता है| भारतवर्ष की सोंधी मिट्टी को खून से भिगों देना चाहता है| पर माँ, हम सभी आपको विश्वास दिलाते हैं की इसे तोड़ने की मंशा पालने वालों को अब हमसे सामना करना होगा| आपकी संतान अब काफी समझदार हो गयी है, हाईटेक हो गयी है, उसमें अपनी भारत माँ की प्रतिष्ठा समाहित हो गयी है| सारे गद्दार छुपने के लिए संविधान का सहारा लेते हैं, कानून को मोहरा बनाते हैं तो कभी साम्प्रदायिकता के बुरके में छिपने की नाकाम कोशिश करते हैं| पता है की उन्हें छिपने के जगह क्यूँ नहीं मिल रही?

Image result for deshbhaktiImage result for deshbhaktiक्योंकि मेरे जैसे करोड़ों युवा अखंड भारत का सपना लिए आगे बढ़ रहे हैं| इस भीड़ का नेतृत्व कोई साधू-संत नहीं कर रहा बल्कि, युवा हिन्दू मुखर नौजवान कर रहा है| जो हर किसी से आँखें मिलाकर बात करना चाहता है तो पाकिस्तान से खून का बदला खून में चाहता है, तो वहीँ मुसलमानों को गले भी लगाना चाहता है| बदले में मिले सारे खंजरों के इतिहासों को भुलाना चाहता है, फिर भी कोई ऐसा है जो ये होने नहीं दे रहा| हाँ, आपकी एक ख़ास संतान ‘मोदी’ जिन्हें आपने किस मकसद से भेजा है समूचा संसार जानता है, फिर भी चुप इसलिए बैठा है ताकि आपकी आँचल भारतवर्ष के सपूतों से रक्तरंजित न हो जाए| हम युवा देशभक्ति सिद्ध करने के लिए न तो सड़क पर उतारकर एक दुसरे से लड़ते हैं और न ही किसी को हानि पहुँचाने में विश्वास रखते हैं| हमें जितना भगवा रंग से मोहब्बत है उससे कहीं ज्यादा हरे रंग से प्यार है...  यहाँ तक की बिना घरवालों को भी बताये हमारे जैसा युवा सोशल मीडिया के सहारे भारत मां के तमाम गुनाहगारों की ऐसी हालत करता है की वो जिन्दगी भर रोये तो भी पश्ताप न हो| फिर भी कुछ लोग हैं जिनका खानदान आपकी इस धरती पर स्वार्थों के सहारे राज करता आया है और कुछ ऐसे भी हैं जो राज करने की मंशा पाले बैठे हैं| और हम कुछ नहीं कर पाते...

हे भारत माँ, भारतवर्ष के इस धरती पर देश का नमक खाकर दूसरों का गुणगान करने वालों को सद्बुद्धि दो| मैं अपनी इस 19 वर्ष की जिंदगी में हज़ारों जवानों को शहीद होते देखा है| फिर भी फक्र है मुझे उन हजारों शहीद माँ भारती के वीर सैनिक पर|  लेकिन मैं टूट जाता हूँ जब किसी शहीद जवान बेटे को तिरंगे में लिपटा देखकर उसका वृद्ध बाप उसे सोलूट करता है| उसकी विधवा बीबी रोने की जगह नाज़ करती है अपने पति की शहादत पर, और उसकी बूढी माँ ममता के कोमल हृदय को भी कठोर बना लेती है... फिर भी रोती है...    ओ राजनेताओं, शिमला-मनाली में छुट्टियाँ बिताने वाले रईसों, जाओ कभी किसी शहीद के घर और देखो उनका समर्पण! देखो उनका राष्ट्रप्रेम, देखो उनकी कठोरता और देखो उनके परिवारों का साहस...
 किसी ने कहा है...
                “जमाने भर में मिलते हैं आशिक कई,
               मगर वतन से खुबसूरत कोई सनम नहीं होता,
             नोटों में भी लिपट कर सोनों में सिमटकर मरें हैं कई,
               मगर तिरंगे से खुबसूरत कोई कफ़न नहीं होता”

मन करता है की हर उस व्यक्ति को गोली मारूं जो शहीदों की वीरता का मजाक बनाता है, एक पल में शहीदों को श्रद्धांजली देता है तो अगले ही पल देशद्रोहियों के लिए धरने पर बैठ जाता है| संवेदनहीनता और प्रपंच के इस पाखण्ड को नेताओं और अफसरों से ज्यादा कोई नहीं बुझ सकता| लेकिन भारत मां, आपकी कई संतान मुर्खता में आपका उपहास उड़ाते है, मजाक बनाते हैं| जिस धरती पर खेलकर वे बड़े हुए उसे ही दगा दे जाते हैं क्यूँ? पता है आपको की वे ऐसा कैसे कर पाते है? क्योंकि आपकी लगभग आधी औलादें आलसी हो गयी है| उसमें नेताओं वाली मौकापरस्ती के गुण आ गए हैं और जानने के लिए खुद को मीडिया के ऊपर छोड़ रखा है| फिर भी हम जितने हैं उतने ही देश के गद्दारों के लिए काफी हैं|

हमें किसी दल का समर्थक मानने वाले ये जान जाएँ की मैं किसी पार्टी या नेता का समर्थक रहूँ न रहूँ लेकिन भारत मां का समर्थक बेशक रहूँगा और आखिरी साँस तक रहूँगा| और हाँ इस ब्लॉग को महज एक लेख समझने वाले जान लें की मालदा, जेएनयू जैसी घटनाओं पर ऐसी-ऐसी लेखों के बाद ही सरकार को कारवाई के लिए मजबूर होना पड़ा...
और चलते-चलते ये भी बता दूँ की हम युवाओं को फिल्मों से देशप्रेम और राष्ट्रभक्ति सिखने की जरूरत बिलकुल नहीं| हमारे खून में भारत माँ का DNA बहता है... गद्दारों के लिए इतना जानना ही काफी है...
किसी कवि ने क्या खूब कहा है,
           
           || “जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमें रसधार नहीं,
            वो हृदय नहीं वो पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं” ||


Image result for deshbhaktiलेखक:- अश्वनी कुमार, पटना (जिसके पास राष्ट्रप्रेम का सबूत देने को जूनून के अलावा कुछ नहीं है... मेरा ब्लॉग समर्पित है देश के लिए...)