31 July 2021

● ओलंपिक प्रदर्शन ●

देश के हर एक खिलाड़ी जिसने भारत का प्रतिनिधित्व ओलम्पिक में किया, चाहे हार चुके हों या जीते हों, उन सबका हमारी नजरों में सम्मान बराबर है !

अगर हारे तो उनकी क्या गलती है ! जैसे कोई विद्यार्थी जीवन में कभी असफल नहीं होना चाहता उससे कई गुना ज्यादा एक खिलाड़ी अपने खेल में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन हेतु सबकुछ झोंक देना चाहता है ! खेल या खिलाड़ी के संबंध में बाहर बैठकर आलोचना करना या तालियाँ पीटना काफी आसान है, लेकिन उनके मेहनत और कठिन परिश्रम का पदक न जीत पाने के कारण मज़ाक बना देना कहाँ का न्याय है ?

टोक्यो ओलंपिक में भारत जैसे विशाल आबादी वाले देश का इतना बुरा हश्र कोई एक दिन में नहीं हुआ है... इतिहास है कि ओलम्पिक के अंदर भारत का प्रदर्शन कभी बेहतरीन नहीं रहा !इसका ये कतई मतलब नहीं है कि हमारे खिलाड़ी अयोग्य हैं और पदक न लाने का ठीकरा उनके ऊपर फोड़ डालें !

देश में खेल को नियंत्रित करने उसके विकास के लिए SAI जैसे कई प्राधिकरण बनें हुए हैं जिसपर सरकार का हमेशा पूर्ण नियंत्रण रहा है ! मगर इतने सालों तक ये संस्थाएं मात्र नेताओं के भ्रष्टाचार का सुरक्षित अड्डा बनकर रह गया ! इनकी कार्यप्रणाली में इतने ओलंपिक के खराब प्रदर्शन के बावजूद कोई सुधार नहीं हुआ ! जबकि उन संस्थाओं में खर्च होने वाली राशि टैक्सपेयर्स की होती है ! 

इन संस्थाओं में नेताओं की काली सच्चाई है कि ये लोग अपने चेहते को या कार्यकर्ताओं को सीधे लाकर कोच, सपोर्टिंग स्टाफ आदि पदों पर नियुक्त कर देते हैं ! चाहे खेल का ख भी उस गेंडे जैसे आदमी को पता हो या न हो.. मगर अब वह फोकट का वेतन लेगा, ओलम्पिक से क्या मतलब ! खिलाड़ी बेचारा संसाधनों, स्किल्स के अभाव में उछल कूद कर प्रैक्टिस बस करता रहता ! विदेशी कोच भी शायद सेटिंग वाले ही सेलेक्ट हो पाते हैं ! प्रदर्शन की शायद ही ऑडिट होती होगी !

और जब ओलम्पिक में विश्व के शानदार व्यवस्था वाले देशों के खिलाड़ियों से भिड़ंत होती है तो क्या हश्र होता है ये सबके सामने है ! वो हमसे आगे हैं क्योंकि वहाँ खेल में लालफीताशाही नहीं है.. नेता उद्घाटन करने नहीं जाया करते हैं ! 

जुनून से या 130 करोड़ तालियाँ पीटने से खिलाड़ी नहीं जीतते ! बल्कि उनका प्रदर्शन उसी पर आधारित होगा जिसमें उन्होंने अभ्यास किया है ! 

कोच की नियुक्ति प्रक्रिया पारदर्शी क्यों नहीं है ? खेल के अंदर नेताओं की नेतागिरी रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया ! खेल को देश के सभी राज्यों में बढ़ावा देने की जगह 2 या 3 राज्य पर फोकस क्यों रखते ? खेलरत्न और अर्जुन अवार्ड वितरण हमेशा विवादों में क्यों रहता है ? चयन का मानक किसी को पता ही नहीं चलता !

अगर निजीकरण करना है तो इस क्षेत्र में क्यों नहीं करते ?

क्यों नहीं हम अपने खिलाड़ियों को विश्वस्तरीय खेल लायक बनाने का ठेका किसी कंपनियों को दे देते हैं ?

तीखे सवाल पूछे जाएंगे क्योंकि यहां हर एक जनता टैक्सपेयर्स है और उसके पैसे वहीं खर्च होने चाहिए जिससे देश का मान सम्मान बढ़ें.. न कि शर्म से सिर झुकाकर हमारे योग्य खिलाड़ी लूज़र की लाइन में खड़ें रहे...

वे भारत का प्रतिनिधित्व करते जाते हैं इसलिए सरकार की जिम्मेदारी है कि वे अपने तंत्र सुधारे नहीं तो सारी जिम्मेदारी लेने को तैयार रहे... 

#जय_हिन्द 🇮🇳



03 July 2021

● डर का माहौल ●

देश के अंदर डर के माहौल में कांपने वाले आमिर और किरण राव आखिरकार अलग हो गए !

ये वही आमिर है न जो कभी सत्यमेव जयते कार्यक्रम लाया करता था ! समाज सुधार की बात करने वाले इस व्यक्ति ने दूसरी बार तलाक देकर समाज के सामने ये कैसा उदाहरण स्थापित है ?

चलो तुम तो अमीर हो, करोड़ों रुपये देकर आराम से तलाक कर ले रहे हो लेकिन कभी सोचा है कि तेरे इस कृत्य से कितने गरीब परिवार बिखर जाने को प्रेरित हो रहे होंगे !

पर्सनल लॉ के हिसाब से तुम आराम से चार शादियां कर सकते, अदालत से तलाक की डिक्री लेने का भी कोई झंझट नहीं ! काजी के पास आम सहमति से मेहर की राशि देकर निकल लोगे तीसरी छोरी के साथ... 

आखिर समाज में किस तरह की adultry फैला रखी है ! औरतों का भी कोई मानवीय जीवन है या नहीं ! किसी गरीब या साधारण परिवार की महिला पूरी जिंदगी इसी डर में जीती है कि कब पति का सर घूमेगा और उठा लाएगा किसी को !

तुम तो आमिर पढ़े लिखे थे न ! समाज तुम्हे सेलेब्रिटी बनाकर सर आंखों पर रखा ताकि तुम उसके मोटिवेशन बन सको..

मगर तुमने देश में डर का माहौल दिखाकर सच में डर पैदा कर दिया उन लाखों महिलाओं के दिल में...

तुम्हे तो अपने लोगों को समझाना था.. औरतें उपभोग की वस्तु नहीं है.. वो देवी की तरह पूजी जानी चाहिए ! उसकी मर्यादा को अपनी प्रतिष्ठा बनाना था तुम्हें... 

तुम किस हक से इंसान कहे जाने लायक हो ? तुम्हे अब भी अगर 1500 साल पुराने सिस्टम में जीना है तो ये देश सच में तेरे लायक नहीं था...

#जय_हिन्द #UniformCivilCode 🇮🇳



01 July 2021

● धरती के भगवान ●


आज डॉक्टर दिवस है ! कोविड महामारी से उबर रहा संसार आज समस्त डॉक्टरों को नमन कर रहा है ! 

आप इस धरती के भगवान कहे जाते हो ! मतलब इंसान को निरोग रखने की पूरी जबाबदेही सिर्फ आपके कंधों पर है !

संकटों से घिरा मानव अपने जीवन की तलाश में सिर्फ आपके ऊपर निर्भर हो जाता है !

एलोपैथ, आयुर्वेद और होमियोपैथ के सभी डॉक्टर मानव जीवन के प्रति अपनी सेवा के लिए बधाई के पात्र हैं !

हाँ, मगर एलोपैथ के विकास के ऊपर दुनिया ने सबसे अधिक पैसे खर्चे हैं इसलिए जिम्मेदारी का ज्यादा बोझ उन्हें ही उठाना है !

इस देश की सरकार अपने नागरिकों की गाढ़ी कमाई से वसूल किये गए टैक्स से आपको सरकारी अस्पतालों में बहाल करती है ! 

ताकि आप उनके नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा करें...

डॉक्टर बनकर पैसे कमाने का उद्देश्य रखने वाले लोगों को यह ध्यान रहे कि आपके अलावा भी कोई ईश्वर है ! 

पैसे कमाना हो तो 50 साधन है, मगर इतने परोपकारी क्षेत्र को यूँ बदनाम करना अन्याय है !


मरीजों के साथ बेशक मानवीय व्यवहार करें... वह बेचारा दुखी रोगी, कम पढ़ा लिखा व्यक्ति कितने आशा के साथ आपके पास आता है मगर आपकी एक बदजुबानी उन्हें अंदर तक काफी चोट पहुंचा देती है !

आप अपने पैसों के सनक और फार्मा इंडस्ट्री के दिए गए लालच पर काफी महंगी दवाएं लिख तो देते हैं मगर आपकी इन दवाओं का उस परिवार की आर्थिक स्थिति और देश की अर्थव्यवस्था पर कितना नकारात्मक प्रभाव पड़ता है शायद इसका आपको अंदाजा नहीं होगा !

वो  मरीज किसी से कर्ज लेकर या गहने रखकर आपके पास कितने आशा से आया हुआ होता है लेकिन कितनी आसानी से उसे अपनी सेटिंग वाली लैब में भेज कर कमीशन कमाने की लालसा रखते हो ! ज्यादा परसेंटेज देने वाली कंपनियों की दवा लिख तो देते हो लेकिन कभी सोचा है कि आपके इस कृत्य से कोई परिवार गरीबी के दुष्चक्र से कभी निकल ही नहीं पायेगा...


अगर किसी व्यक्ति में मानवता की सेवा करने का उद्देश्य है तभी वह डॉक्टर प्रोफेशन में आएं अन्यथा लूट खसोंट करना हो तो लुटेरे बनने में भी क्या दिक्कत है..

आपके ऊपर समाज की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है ! समाज को स्वस्थ रखने की जबाबदेही है तभी देश स्वस्थ रहेगा, हमारी अर्थव्यवस्था स्वस्थ होगी ! हमारा विकास तीव्र गति से होगा...

परंतु आपकी लालच और पैसे के अंधेपन में समाज में कितनी गहरी जड़े खुद रही है इसका कभी अंदाजा लगाना मौका मिले तो लगा लेना... 

कम से कम किसी गरीब के आंखों में चमक रही उम्मीद का ही मोल रख लेना...

इंसानियत बची होगी तो उंगलियां जेनेरिक दवाईयां ही लिखेंगी...

वरना इस जंगल में भेड़ियों की कोई कमी थोड़ी है... 

#जय_हिन्द 🇮🇳