28 June 2018

अंग्रेजियत में उलझती शिक्षा प्रणाली


अभी कुछ दिन पहले सीबीएसई बोर्ड की दसवीं एवं बारहवी का रिजल्ट आया| सीबीएसई बोर्ड में पढ़ने वाले इलीट क्लास अभिभावक बच्चे का 96% अंक लाने के बावजूद खुश नही होते क्योंकि किसी मिश्रा जी या तिवारी जी के बेटे/बेटी का उससे ज्यादा आ गया या तो उसका एडमिशन दिल्ली यूनिवर्सिटी, जेएनयू जैसे कॉलेजों में नही होगा! अंग्रेजियत व्यवस्था में पनपती स्कूलों की मनमानी एवं सीबीएसई की अंक आधारित परीक्षा व्यवस्था देश की शिक्षा प्रणाली की जड़ें खोद रही है| भले ही सरकार और आधुनिकता के चक्कर में अभिभावक, बच्चों के मन-मष्तिष्क में अंग्रेजियत घुसेड़कर अंग्रेजी शिक्षा मुहैया कराने को उतारू है मगर ये भारतीय भाषा एवं भारतीय संस्कारों का एक दिन नैतिक पतन अवश्य करेगा|

अंक आधारित शिक्षा व्यवस्था जिस तरह से देश में फैलती चली जा रही है वहां बौद्धिक प्रतिस्पर्धा की जगह जाहिलियत और नाकारापन ले लेगी इसमें कोई शक नहीं! बच्चों के बीच श्रेष्ठता का पैमाना बौद्धिकता के बजाए अंक बन चूका है| अभिभावकों को लुटने की होड़ में हमारे स्कूल भविष्य का एक ऐसा बड़ा फ़ौज तैयार कर रही है जो बेरोजगारी के आंकड़ें में या तो उलझकर रह जायेगा या किसी पार्टी के झंडे ढोने लायक बचेगा!
सोचकर डर लगता है की एक तरफ बच्चे 96 फीसदी अंक लाने के बावजूद खुश नहीं होते तो सोचिये उन पर क्या गुजरती होगी जिन्हें 45 फीसदी अंक भी नसीब नहीं! उसे दिल्ली यूनिवर्सिटी या जेएनयू तो क्या उसे शहर का औसत कॉलेज में भी दाखिला नहीं मिलेगा!

संगठित तौर पर शिक्षा प्रणाली के प्रति सरकार की उदासीनता भविष्य के बड़े खतरे को आमंत्रण है! 
एक बड़ी होती ऐसी आबादी जिसका भारतीय समाज, भारतीय संस्कार एवं संस्कृति से कान्वेंट स्कूलों ने पूर्णतः डोर काट दी है तो सोचिये ये आबादी भविष्य में भारत की सांस्कृतिक एवं सामाजिक तानेबाने को कैसे नष्ट करके रख देगी!
ये इस दृष्टिकोण से भी लगता है की जिस बच्चे के माता-पिता ही नाईट डांस क्लब, किट्टी पार्टी या ड्रिंक्स पार्टी में थिरकने जाए वो अपने भविष्य (बच्चे) को संस्कार एवं समाज का मूल्य क्या समझायेंगे? 
कान्वेंट स्कूलों को क्या दोष देना जिनका मकसद ही चैरिटी के नाम पर धर्म-विस्तार है! वो अपनी संस्कृति, अपनी भाषा हम पर क्यूँ न थोपे जब हमलोग ही आधुनिकता की भेड़चाल चलने को उतावले हैं!

स्कूलों की मनमानी संगठित भ्रष्टाचार की ऐशागाह है! राजनेताओं की चुप्पी इस डकैती पर मौन स्वीकृति है!
स्कूल कहती है, जूते एडीडास या फलाने कंपनी का पहनना होगा! अभिभावक खुलकर विरोध क्यूँ नही करता! 
उसका बच्चा एडीडास का जूता पहनने से उसैन बोल्ट तो नही ही बनेगा या स्कूल से खरीदी किताब/कॉपी से पढ़कर न्यूटन-आइन्स्टीन भी तो पक्का नहीं पैदा होगा!

बैग में 20 किताब टांगकर, टिफिन में मैगी लेकर स्टार बस से बच्चे को स्कूल भेजने वाला इलीट क्लास या मिडिल क्लास ये न समझे की उसका बेटा कोई बड़ा नैतिक मूल्यों वाला इंसान बनकर उसकी सेवा करेगा! 
वो एक ऐसे प्रदूषित वातावरण एवं रहन-सहन में रचा-बसा है जहाँ उसे दुःख तकलीफ या आर्थिक बदहाली से सामना नहीं हो रहा, बल्कि चारों और टीवी-फिल्मों के ग्लैमर के चकाचौंध में मतलबी इंसान बन रहा!

अपने बच्चे को मॉडर्न बनाने के चक्कर में भारतीयता से परिचय कराना पिछड़ापन लगता है उन्हीं अभिभावकों को संस्कारों का मोल तब समझ आता जब बच्चे वृद्धाआश्रम का पता इन्टरनेट पर ढूंढने लगते हैं!
इसलिए इस शिक्षा प्रणाली में बच्चों का सब कुछ लुटेरे स्कूलों पर छोड़ने के बजाए संस्कार, संस्कृति तथा मातृभाषा से परिचय कराते रहिये, नहीं तो ये सिस्टम, ये स्कूल अंग्रेजी बकने वाला गदहा बनाकर रख देगा...

© अश्वनी
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20 June 2018

महबूबा से आशिकी


जम्मू कश्मीर में बीजेपी-पीडीपी गठबंधन की सरकार बनी| दोनों ओर के नेताओं ने उछल-उछल कर कश्मीरियत-जम्हूरियत का मुजरा देश के सामने पेश किया| घोर राष्ट्रवादी पार्टी माने जानी वाली भाजपा ने एक ऐसी पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाई जिसका आस्तित्व, जिसका वजूद पाकिस्तानपरस्ती पर टिका है| अलगाववाद और आतंक के पोषक के रूप में घाटी में बैठकर लाशों की राजनीति का डंका बजाने वाली पीडीपी का समर्थन मात्र भाजपा के चरित्र पर काला धब्बा लगा गया है| गठबंधन की सरकारें नुकीली किल पर टिकी होती है| मगर भाजपा ने जिस तरह साढ़े तीन साल तक राष्ट्र की सुरक्षा एवं मर्यादा से समझौते कर सरकार चलायी वो जमीर को गिरवी रखने जैसा है|

देशद्रोही से मिलकर देश चलाना देशद्रोह से कम नहीं है| फिर भी राष्ट्र की सुरक्षा से खिलवाड़ है| सब को पता है की कश्मीर से पाकपरस्तों को सत्ता से उखाड़ना आसानी से सम्भव नहीं!
केंद्र में आप बैठे हो! सेना आपके नियंत्रण में है!
अफ्स्पा लागु है!
जवानों के चौड़े साइन पर भारत माता की बुलंदी है! देश का समर्थन है!
फिर भी वहाँ सरकार बनाकर सेना को दबाव में क्यों लाया?
गठबंधन के नाम पर सेना की राह में रोड़े क्यों बने?
सरकार में बने रहने का लालच क्या सेना के जवानों की हौंसले नही तोड़ी?
महबूबा की आशिकी में फँसकर आपने घाटी और देश का कौन सा विकास कर डाला?

चले थे जाहिलों को लैपटॉप थमाने!
उनकी बन्दुक और पत्थरों की भाषा अब क्यूँ समझ आई?
आप उन्हें लैपटॉप दोगे, वो उन्ही लैपटॉप से बम बनाने की तकनीक सीखकर आपको उड़ायेंगे!
आप उन्हें पैसे दोगे वो आप के ऊपर गजवा ए हिन्द का सपने देखने वालों के ऊपर इन्वेस्ट करेंगे!

भाजपा होगी अति राष्ट्रवादी मगर कश्मीर में आपका राष्ट्रवाद हार गया!
सेना के फौलादी जोश को सत्ता के लिए कुंद किया! गोली खाने को मजबूर किया! शस्त्र चलाने तक मनाही की! न जाने देश के कितने सपूतों को शहीद करा दिया!

किसके कहने पर पैलेट गन बंद किया?
हज़ार किलोमीटर दूर बैठकर एसी कमरों में पैलेट गन बंद करने का आदेश आपने कैसे मान लिया?
राष्ट्र प्रथम है या मानवाधिकार! अगर मानवाधिकार प्रथम है तो पूछिये उन काले अंग्रेजों से की सेना इन्सान है या जानवर!

कश्मीरी पंडितों का क्या किया आपने?
देश में लोगों की मेहनत का अरबों-खरबों कश्मीर में भारत मां को गरियाने वालों पर किससे पूछकर फूंका?
कितने कश्मीरियों से भारत का उद्घोष करवाया?

सत्ता के नशे में मदहोशी प्राणघातक होगी!
विकास होता आया है, हो रहा है और होता रहेगा! आप के सत्ता में रहने न रहने से कोई ज्यादा प्रभाव न पड़ेगा!
मगर ये समझने की कोशिश करिये की सत्ता के केंद्र में राष्ट्रवादियों का शासन यूँ नही आता!
बनना पड़ता है, तपना पड़ता है किसी मोदी को, सींचना पड़ता है उसे राष्ट्रवाद से तभी दिल्ली का सिंहासन उसे 60 सालों बाद स्वीकारता है!

यूँ जाया न कीजिये इसे, खून पसीने से सिंचित राष्ट्रभक्तों का जूनून लगा है इस दिल्ली की सिहासन में!
60 साल बनाम 5 साल की इस लड़ाई में मत उलझिए!
जनता की भावनाओं का सम्मान कीजिये!
घाटी को फिर से जिन्दा बनाईये!
बंजर कश्मीर में हरियाली लाइए!
महबूबा से आशिकी के चक्कर में जो बदनामी हुयी उसकी पूर्ति कीजिये!
सेना का मास मूवमेंट शुरू कीजिये!
राष्ट्रपति शासन के माध्यम से खुलेआम सेना को कण्ट्रोल दीजिये!
संविधान कानून आड़े आये संशोधन कर डालिए!

विश्व महाशक्ति को आप साधिये, सेना पाकिस्तान और कश्मीर को ठिकाने लगा देगी!
चौतरफा हमला कीजिये, आजादी गैंग अपने आप ठिकाने लग जायेगा! 
सेना जबरदस्ती आजादी देगी बिना मांगे! 
सभी राष्ट्रविरोधी गतिविधों पर एकाएक हमले कीजिये! तोड़कर रख दीजिये!

2019 की मंजिल कश्मीर से होकर जा सकता है! भाजपा घाटी के बदौलत 2019 फतह कर सकती है!
जनता आप के साथ है!
विरोधियों की पाकपरस्ती कुचलने का शानदार मौका है!
पॉलिटिक्स बाद में हो लेगा, जनता का सपोर्ट है तो कुचल डालिए!
देश के लिए संविधान की अवहेलना जायज है!
बस एक बार राष्ट्रवाद का जलवा बिखेर कर रख दीजिये...
देश के इतिहास में मोदी नाम का सितारा चमक उठेगा...

© अश्वनी

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