18 April 2022

पत्थरबाजी @ शोभायात्रा

अब वो सामने से भिड़ने आ रहे हैं.. खुल्लमखुल्ला चैलेंज कर रहे हैं तुम्हें और तुम्हारे सिस्टम को !

हमारे त्योहारों पर अभी तो सिर्फ़ पत्थर चले हैं, आगे बम गोले सब दागे जाएँगे ! तिलक लगाकर मंदिर जाते भी हमला हो सकता है..

हर राज्य, हर इलाक़े का सेम पैटर्न.. बुलडोज़र चलाने से क्या हो जाएगा ? आज आपकी सरकार है कल महंगाई का नारा लगाकर तुम ही उसकी सरकार बनवा दोगे ! बन जाएगा फिर से बिल्डिंग आपके वसूले टैक्स से, आख़िर अल्पसंख्यक जो हैं…
यक़ीन मानिए की आप अब चुभ रहे हैं उन्हें.. आपकी शोभायात्रा और जुलूस से उनके कलेजे पर साँप लोट जाती है ! उनके हिंदुस्तान को फ़तह करने के सपने को तोड़ रहे हो.. पत्थर तो चलेंगे ही !
सरकार अल्पसंख्यक अधिकार के लिए अरबों रुपए उनकी मज़हबी शिक्षा, वज़ीफ़ा के नाम पर आप ही का पैसा फुंकती है.. जबकि दुनिया में सबसे अधिक आबादी उनकी भारत में है ! करोड़ों बांग्लादेशी घुसपैठिए देश के हर हिस्से में फ़ंगस की तरह पैर पसार चुके हैं ! किसी को समस्या की जड़ नहीं दिखता.. बस ऐसा हो रहा उसने पत्थर चला दिया, फिर लल्लू जैसा चिल्लाओगे की सरकार उसकी चमड़ी उधेर ले !
आप रहिए मस्त अपने बाबू का केक काट बर्थडे मनाने में.. कॉन्वेंट मिशनरी स्कूलों से पॉकेट कटवाने में ! आपका लाड़ला हाइब्रिड मुर्ग़े मुर्गी से कम नहीं होगा.. किसी भी प्रयोजन में सबसे पहले शिकार होने वाला बनेगा !

इनका मोड्स ओप्रेंडी सबको पता है, बस हम शतुर्मुर्ग बने बैठे हैं.. आपको बचाने कोई संविधान, क़ानून या पुलिस नहीं आ रही ! बिना शस्त्र शोभायात्रा निकाल रहे और चिल्ला पुलिस पर रहे ये भी न्याय नहीं है..
सरकारें क्यों नहीं तुम्हारी डर और समस्या का कोई परमानेंट उपाय निकाल रही ! अगर निकाला भी तो उनके प्रतिकार को रोकने की क्या तैयारी है तुम्हारे पास !!

अब स्थितियाँ नियंत्रण में नहीं है, उनकी विदेशी फ़ंडिंग इस सरकार ने बंद कर रखी है.. देश में एक भी ब्लास्ट या अराजकता नहीं फैला पा रहे, ऊपर से ट्रिपल तलाक़, कश्मीर, धारा 370 और CAA के कारण अंदर अंदर बिलबिला रहे !
उन्हें पूरा अंदाज़ा है की अल्पसंख्यक दर्जे के साथ छेड़छाड़ होनी निश्चित है…
प्रतिरोध के जबाब में ज़बरदस्त अटैकिंग क्षमता विकसित करो क्योंकि हमले की फ़्रीक्वन्सी अभी आने वाले दिनों में और बढ़ेगी..



कूटनीति @ BRICS 🇮🇳

भारत पश्चिमी देशों के लिए एक समस्या बनकर उभर रहा है ! अबतक भारत की पहचान एक बड़े बाज़ार भर की थी, लेकिन रुस-यूक्रेन युद्ध और भारत का रुस को खुला समर्थन ने पूरा मामला ही पलट कर रख दिया है ।

पिछले कुछ दिनों से अमेरिकन और तमाम यूरोपीयन देशों के delegates ताबड़तोड़ दिल्ली पहुँच रहे हैं ।
भारत के रक्षा और विदेश मंत्री का स्वागत करते खुद अमेरिकन राष्ट्रपति को दुनिया ने देखा । इतनी आवभगत क्यों ?
जबकि एस जयशंकर सरेआम अमेरिका में ही जाकर अमेरिका के मानवाधिकार उल्लंघन पर खरी खोटी सुना रहे । जर्मन delegates को पिछले दिनों ही दिल्ली में बिठाकर उसके मुँह पर रुस से तेल ख़रीदने के मामले में आइना दिखाया ।
अचानक हो रहे इस अभूतपूर्व घटनाक्रम का एकमात्र कारण है भारत का रुस को खुला समर्थन !!
रुस के पीछे दुनिया का मैन्युफ़ैक्चरिंग ग्राउंड चीन खड़ा है तथा बग़ल में खड़ा है विश्व का सबसे बड़ा हथियारों का आयातक और 135 करोड़ नागरिकों का अकेला बाज़ार भारत….


भारत का राजनीतिक नेतृत्व किल ठोककर बिना प्रतिबंधों की परवाह किए रुस से ताबड़तोड़ तेल गैस की आयात बढ़ा रहा है !
जबकि पड़ोस में एक प्रधानमंत्री की कुर्सी सिर्फ़ इस बात पर चली गयी की वो पुतिन से युद्ध बीच मिलने चला गया !
अब अमेरिका इस बात की लॉबी में लगा था की भारत को G 7 बैठक में न बुलाया जाए तथा तमाम तरह के सैंक्शन भारत पर थोपा जाए !! लेकिन अब पूरा गेम पलटता हुआ दिख रहा है..
BRICS की बैठक चीन में होनी है और चीन चाह रहा की किसी तरह मोदी आ जाएँ !
इसका महत्व इस बात से समझिए की BRICS देशों का दुनिया की कुल आबादी का 40% योगदान है, जबकि संसार के कुल GDP का 43% अकेले इन एशियाई देशों के पास है ! मतलब आधी दुनिया को ख़रीदने लायक़ औक़ात…
अब रुस की मंशा है की इस बार अमेरिका का सारा खेल ही ख़त्म हो जाए ! चीन की भारत से मित्रता कराने पर तुला है..

पूरी सम्भावना है की BRICS देशों की अलग मुद्रा बनेगी जो दुनिया के कुल 50% ट्रैन्सैक्शंस आपस में ही कर लेंगें ! लोन बाँटने के लिए WTO/IMF की जगह अपनी संस्था विकसित करेंगे और रेटिंग एजेन्सी भी अपनी होगी !
भारत की साख अभी इतनी अच्छी है की BRICS के अंदर इसके उपस्थिति मात्र से बहुत देशों में इस मुद्रा को अपनाने और सम्मिलित होने की होड़ सी मच जाएगी !
इसलिए रुस किसी तरह मोदी को मनाने के लिए चीन के साथ लगा हुआ है ! भारत इसमें मुख्य भूमिका में है अतः सारे पश्चिमी देश एकदम सहमा हुआ है की कहीं भारत चीन के क़रीब न आ जाए !
रुस पहले से ही वैश्विक राजनीति का एक माहिर खिलाड़ी है, चीन की महाशक्ति बनने के सपने किसी से छुपे नहीं हैं.. चीन को रोकने के लिए अमेरिका भारत को अपना प्यादा बनाना चाहता है ये भी सबको पता है.. दक्षिण चीन सागर में भारत के ख़ौफ़ के चलते आजतक चीन की हिम्मत नहीं होती क़ब्ज़े की !
रुस भारत की रक्षा ज़रूरतों और टेक्नॉलजी हस्तांतरण में हर वक्त मदद करता है !!
ऐसे में रुस-यूक्रेन वार में भारत की शानदार कूटनीति की हमें प्रशंसा करनी चाहिए !
भारत की जनता भी
बधाई
की पात्र है जिसने सत्ता में ऐसे नेतृत्व को खूँटाठोंक कर बिठाया है जो दुनिया में भारत का जलवा बिखेर रहा, वह भी उस स्थिति में जब कोरोना और यूक्रेन वार से कई देश दिवालिया हो रहे हैं …

अगर BRICS के मामले में रुस अपनी मंशा में सफल होता है और अपनी मुद्रा लाता है तो यक़ीन मानिए दुनिया फिर एशिया से चलेगी… डॉलर के बल पर कितने ही देशों की राजनीतिक आर्थिक आज़ादी नष्ट करनेवाला अमेरिका डूबेगा !
उसका आर्थिक पतन हम अपनी आँखों से देखेंगे..
Electric Vehicle तमाम तेल एक्स्पॉर्टर अरब देशों को बर्बाद करेगा..
दुनिया बहुत बदलने वाली है, सम्भवतः रुस-यूक्रेन युद्ध भारत के लिए सुअवसर है.. भारत अभी अमेरिका की ब्लैकमेलिंग कर सकने की स्थिति में है !
बाईडेन दहशत में है और सारा विश्व भारत की तरफ़ देख रहा !
यह क्षण गौरवशाली है और एक भारतीय होने के नाते यह पल गर्व से अभिभूत करता है… सम्भवतः अमेरिका का अंत नज़दीक है.. भारत का पताका लहराने वाला है…
🇮🇳



श्रीलंका संकट

श्रीलंका का हाल कैसा है आपने सुना है ?

अपने नागरिकों का पेट भरने लायक़ भी न तो उसके पास पैसे हैं न कोई अन्य स्त्रोत जिससे वह इस संकट से खुद को बाहर निकाल लाए ।
फॉरेक्स रिज़र्व ख़त्म हो चुका है, पर्यटन से उनकी कमाई थी जो कोरोना ने ख़त्म कर दी । जो भी सरकार आयी क़र्ज़ लेते गयी, समस्या को आने वाली सरकारों पर टालते गयी.. चीन के हाथों हम्बँटोटा गिरवी रखा.. बोरे भर भर के विदेशों से क़र्ज़ लेकर चुनावी मुफ़्तख़ोरी कराई और जनता की वाहवाही लूटते गये… कोई विज़न या अतिरिक्त प्लान तक कभी नहीं सोचा !
नतीजा आज वह दिवालिया हो चुका है..

पैसे बचाने के लिए शहर शहर बिजली गुल की गयी है, पेट्रोलियम आयल सिर्फ़ सरकारी कामकाज तक सीमित करके रखा हुआ है ! जनता राष्ट्रपति के घर घेर रही…
हालत कितने भयावह हैं इससे समझिए की 1 कप चाय भी 100 रुपए पर पहुंच गई है। ब्रेड के एक पैकेट के लिए 150 श्रीलंकाई रुपए देने पड़ रहे हैं।
देश में एक किली मिर्च की कीमत 287 फीसदी बढ़कर 710 रुपए हो गई है. यहीं नहीं आलू के लिए आम जनता को 200 रुपए से ज्यादा चुकाने पड़ रहे हैं. यहां एक लीटर पेट्रोल की कीमत 254 रुपए है, जबकि एक लीटर दूध 263 रुपए बिक रहा है.
देश के राष्ट्रपति प्रधानमंत्री समेत सारा तंत्र किसी तरह अन्य देशों से सहायता की गुहार लगा रहा !
आईएमएफ़ लोन देने की शर्तों पर इनका पूरा इकॉनमी सिस्टम गिरवी पर रखेगा । चीन अपने लोन का ब्याज वसूलने को किसी हद तक जाने को तैयार बैठा है ।

भारत दुनिया की किसी भी अर्थव्यव्स्था के मुक़ाबले एक शानदार मिश्रित व्यवस्था वाला देश है ।
मुफ़्तख़ोरी कितनी भारी पड़ सकती है ये इन वेबक़ूफ़ों को सीखना चाहिए जो वामपन्थ से ब्रैनवाश होकर सरकार को हर चीजें फ़्री करने को कोसते रहते हैं ..
जितने भ्रष्टाचारी और लुच्चे होंगे उनका स्वर इस मामले में काफ़ी तीखा रहेगा.. गरीबों के संसाधनों पर डकैती करने वाले लोग अक्सर यह प्रदर्शित करने की कोशिश में रहते हैं कि सारी समस्या सरकार की देन है !
खुद कमाकर सारे पैसे से ऐश करेंगें, जायदाद बनाएंगे, टैक्स चोरी करेंगें और भरे उनके लिए सारी जनता !!
श्रीलंका की सरकार अपने ऐसे ही बुद्धिजीवियों के प्रभाव में आकर दिवालिया हो चुका है । 10 रुपए तेल की क़ीमत बढ़ने पर चिल्लाने वाले अक़्लमंदों को श्रीलंका की कहानी बताइए..
महंगाई बढ़ने से सबसे अधिक तकलीफ़ ग़रीबों को होती है , उससे कहीं अधिक मध्यवर्ग परेशान होता है.. मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए टैक्स चुकाने के बावजूद किसी योजना का लाभ तक बमुश्किल मिलता है !
फिर भी 135 करोड़ आबादी को रुस यूक्रेन संकट और थर्ड वर्ल्ड वॉर की स्थिति से सुरक्षित रखने के लिए ये सरकार
बधाई
की पात्र है ! नेगोशीएशन की कला में हमारे प्रधानमंत्री निपुण हैं, अमेरिका सहित यूरोपियन देशों को इस तरह बांध कर रख लेना असाधारण उपलब्धि है अन्यथा 10 रुपए के लिए चिचियाने वाली जनता के भरोसे रहे तो घुटने के बल बैठ के अपनी सम्प्रभुता का गला घोंट देते !
श्रीलंका जो भुगत रहा वह नेपाल आज बो रहा है । चीन अपने खुद के नागरिकों का नहीं है तो किसी का क्या होगा !
एक एक करके सभी उसके बुने हुए जाल में फँसेंगे.. नेहरू जी भी फँसे थे, भाईचारे में नाक कटवा ली थी.. आज तक कलंक लगा
है !

सरकार किसी की भी हो, पूर्ण बहुमत में सत्ता दीजिए । क्षमता रखिए कि उसे राष्ट्र सर्वप्रथम सर्वोपरि की भावना से लबरेज़ रखें..
आज एस जयशंकर ब्रिटिश और अमेरिकन डेलीगेट्स को सामने बिठाकर खरी खरी सुना रहे क्योंकि ये सरकार राष्ट्र के हितों के लिए समर्पित है ।
जहां विरोध करना चाहिए वहाँ सरकार की अच्छे से क्लास लगाइए, लेकिन बेहतरीन कामों की प्रशंसा करना भी हमारा कर्तव्य होना चाहिए…