18 April 2022

श्रीलंका संकट

श्रीलंका का हाल कैसा है आपने सुना है ?

अपने नागरिकों का पेट भरने लायक़ भी न तो उसके पास पैसे हैं न कोई अन्य स्त्रोत जिससे वह इस संकट से खुद को बाहर निकाल लाए ।
फॉरेक्स रिज़र्व ख़त्म हो चुका है, पर्यटन से उनकी कमाई थी जो कोरोना ने ख़त्म कर दी । जो भी सरकार आयी क़र्ज़ लेते गयी, समस्या को आने वाली सरकारों पर टालते गयी.. चीन के हाथों हम्बँटोटा गिरवी रखा.. बोरे भर भर के विदेशों से क़र्ज़ लेकर चुनावी मुफ़्तख़ोरी कराई और जनता की वाहवाही लूटते गये… कोई विज़न या अतिरिक्त प्लान तक कभी नहीं सोचा !
नतीजा आज वह दिवालिया हो चुका है..

पैसे बचाने के लिए शहर शहर बिजली गुल की गयी है, पेट्रोलियम आयल सिर्फ़ सरकारी कामकाज तक सीमित करके रखा हुआ है ! जनता राष्ट्रपति के घर घेर रही…
हालत कितने भयावह हैं इससे समझिए की 1 कप चाय भी 100 रुपए पर पहुंच गई है। ब्रेड के एक पैकेट के लिए 150 श्रीलंकाई रुपए देने पड़ रहे हैं।
देश में एक किली मिर्च की कीमत 287 फीसदी बढ़कर 710 रुपए हो गई है. यहीं नहीं आलू के लिए आम जनता को 200 रुपए से ज्यादा चुकाने पड़ रहे हैं. यहां एक लीटर पेट्रोल की कीमत 254 रुपए है, जबकि एक लीटर दूध 263 रुपए बिक रहा है.
देश के राष्ट्रपति प्रधानमंत्री समेत सारा तंत्र किसी तरह अन्य देशों से सहायता की गुहार लगा रहा !
आईएमएफ़ लोन देने की शर्तों पर इनका पूरा इकॉनमी सिस्टम गिरवी पर रखेगा । चीन अपने लोन का ब्याज वसूलने को किसी हद तक जाने को तैयार बैठा है ।

भारत दुनिया की किसी भी अर्थव्यव्स्था के मुक़ाबले एक शानदार मिश्रित व्यवस्था वाला देश है ।
मुफ़्तख़ोरी कितनी भारी पड़ सकती है ये इन वेबक़ूफ़ों को सीखना चाहिए जो वामपन्थ से ब्रैनवाश होकर सरकार को हर चीजें फ़्री करने को कोसते रहते हैं ..
जितने भ्रष्टाचारी और लुच्चे होंगे उनका स्वर इस मामले में काफ़ी तीखा रहेगा.. गरीबों के संसाधनों पर डकैती करने वाले लोग अक्सर यह प्रदर्शित करने की कोशिश में रहते हैं कि सारी समस्या सरकार की देन है !
खुद कमाकर सारे पैसे से ऐश करेंगें, जायदाद बनाएंगे, टैक्स चोरी करेंगें और भरे उनके लिए सारी जनता !!
श्रीलंका की सरकार अपने ऐसे ही बुद्धिजीवियों के प्रभाव में आकर दिवालिया हो चुका है । 10 रुपए तेल की क़ीमत बढ़ने पर चिल्लाने वाले अक़्लमंदों को श्रीलंका की कहानी बताइए..
महंगाई बढ़ने से सबसे अधिक तकलीफ़ ग़रीबों को होती है , उससे कहीं अधिक मध्यवर्ग परेशान होता है.. मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए टैक्स चुकाने के बावजूद किसी योजना का लाभ तक बमुश्किल मिलता है !
फिर भी 135 करोड़ आबादी को रुस यूक्रेन संकट और थर्ड वर्ल्ड वॉर की स्थिति से सुरक्षित रखने के लिए ये सरकार
बधाई
की पात्र है ! नेगोशीएशन की कला में हमारे प्रधानमंत्री निपुण हैं, अमेरिका सहित यूरोपियन देशों को इस तरह बांध कर रख लेना असाधारण उपलब्धि है अन्यथा 10 रुपए के लिए चिचियाने वाली जनता के भरोसे रहे तो घुटने के बल बैठ के अपनी सम्प्रभुता का गला घोंट देते !
श्रीलंका जो भुगत रहा वह नेपाल आज बो रहा है । चीन अपने खुद के नागरिकों का नहीं है तो किसी का क्या होगा !
एक एक करके सभी उसके बुने हुए जाल में फँसेंगे.. नेहरू जी भी फँसे थे, भाईचारे में नाक कटवा ली थी.. आज तक कलंक लगा
है !

सरकार किसी की भी हो, पूर्ण बहुमत में सत्ता दीजिए । क्षमता रखिए कि उसे राष्ट्र सर्वप्रथम सर्वोपरि की भावना से लबरेज़ रखें..
आज एस जयशंकर ब्रिटिश और अमेरिकन डेलीगेट्स को सामने बिठाकर खरी खरी सुना रहे क्योंकि ये सरकार राष्ट्र के हितों के लिए समर्पित है ।
जहां विरोध करना चाहिए वहाँ सरकार की अच्छे से क्लास लगाइए, लेकिन बेहतरीन कामों की प्रशंसा करना भी हमारा कर्तव्य होना चाहिए…


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