31 October 2020

● अयोग्य नौकरशाह ●


बिहार के मुंगेर में बीते दिनों हिन्दू श्रद्धालुओं पर पुलिसिया दमन की घटनाएं और प्रतिउत्तर के रूप में भीड़ का सरकारी तंत्र पर हमला नेचुरल जस्टिस के ही अनुरूप माना जा सकता है !
दुनिया का ही इतिहास देखें तो रूस, जर्मनी, थाईलैंड और कई अफ्रीकी देशों के तानाशाहों/राजाओं से जनता ने मुक्ति कैसे पाई ? सरकार में बैठ या सरकारी तंत्र का हिस्सा होकर आप आम जनता को अपना गुलाम नही समझ सकते तथा किसी भी स्तर पर आपका तंत्र उनका मुकाबला नहीं कर सकता ! और भारत जैसे लोकतांत्रिक देश जहां के नागरिक अपने मूल अधिकारों से हमेशा लैस होते हैं... उनपर तो कोई तंत्र सुप्रीम कोर्ट के रहते तो बाल भी बाँका नहीं कर सकता !

मगर माता के विसर्जन के दौरान ये सशस्त्र दमन यूँ नहीं हुआ !
UPSC ने पिछले 10-12 सालों के दौरान IAS-IPS जैसे उच्च अधिकारियों की नियुक्ति में निराशाजनक प्रदर्शन किया है ! व्यवहारिक ज्ञान वाले मध्यम वर्ग के कैंडिडेट की जगह पब्लिक स्कूलों में पढ़ने वाले और बाप के मर्सिडीज से स्कूल जाने वाले तोते को तरजीह दी है ! बाप या माँ अगर नौकरशाह हैं तो गारंटी टाइप हो गयी है कि बाल बच्चा तो यूपीएससी पास करेगा ही.. हाई रैंक न मिला तो IT कमिश्नर तो बनेगा ही...

नतीजा सबके सामने है.. DM साहेब और कई साहिबायें सड़क पर उतरकर सरेआम ऑन कैमरा आम जनता को थप्पड़ लगा दे रहे.. जरा सी बात पर गोलियां चलवा दे रहे, जनभावना से कोई वास्ता नहीं.. रईसों से या नेताओं के बेटियों से शादी कर आराम दे जिंदगी सेटल कर लेते हैं.. फिर न तो उनका नेता कुछ करवा पा रहे और जनता की पूछता ही कौन है !

मतलब देश के सबसे कठिन एग्जाम पास करने वाले इन नौकरशाहों में दमन की मानसिकता पनपती कैसे है ! जाहिर सी बात है कि कोई यूँ ही UPSC तो पास नही कर सकता, बल्कि भारतीय संविधान, समाज सहित देश दुनिया की तमाम जानकारियां बहुत गहरी तौर पर रखनी पड़ती है ! उस पर अपनी समझ, बुद्धिमता और तार्किक ज्ञान के बदौलत ही नौकरशाह बनते हैं ! 

तो आखिर किस आधार पर निहत्थी भीड़ पर लाठियां चलाई गई ? विसर्जन में शामिल नाबालिग युवा को सरेआम गोली मार दी गयी ?
फिर भीड़ ने जो प्रतिक्रिया अगले दिन किया वो स्वाभाविक है .. 
आपने कानून का पालन नही करने को इन निरीह जनता को प्रेरित किया ! 
सरकार अपने तंत्र के बदौलत चलती है, लोकशान्ति स्थापित करने हेतु पुलिस को असीमित शक्तियां दी गयी है मगर इसका मतलब ये कतई नही हो सकता कि आप संविधान की सीमा लांघकर दमन कर दें !
गोली चलाना पुलिस का अंतिम विकल्प है वो भी देश-राज्य के लिए खतरा बने भीड़ etc पर ! मगर यहां पहले विकल्प में ही गोली चला डाली गई वो भी निहत्थी श्रद्धालुओं पर सामने से ! मतलब आंसू गैस या अन्य प्रशासनिक उपायों की कोई आवश्यकता ही नहीं रह गयी है.. सरकार ने जनता के पैसों से गोली खरीद कर दी और जनता को वही गोली खिला दी गयी.. 

प्रकृति का नियम ही है प्रतिउत्तर ! किसी किट पतंग या निरीह जानवरों को परेशान करोगे तो उसे जितनी क्षमता होगी पंजों-दांतों से वो कोशिश जरूर करेगा सबक सिखाने !

सरकार को अपनी बहाली प्रक्रिया और नियुक्ति के बाद प्रशिक्षण की गुणवत्ता पर विचार किये जाने की जरूरत है ! भीड़ प्रबंधन और आम नागरिकों के प्रति अधिकारियों की जबाबदेही सुनिश्चित की जा सके ! अयोग्य नेताओं से ये जनता तो पहले से ही परेशान है, अब कम से कम अयोग्य अधिकारियों को तो इनके सिर मत लादिये ! 
आम जनता के बीच से अपनी बुद्धिमता और कौशल के बदौलत पले बढ़े गुदड़ी के लालों को नौकरशाह बनाने पर जोर दीजिये..
देखिए आपका यही UP-बिहार के लौंडे फिर से देश को कैसे रफ्तार देते हैं...

#जय_हिंद

07 October 2020

● बिहार चुनाव 2020 ●


बिहार में चुनावी मंच सज गया है ! 
जनता फिर से मूकदर्शक की भूमिका में बैठ इन नेताओं की घटिया प्रस्तुति देखेगी ! आखिर बिहार की जनता इस बार मूक क्यों है ? देश की राजनीति में दहाड़ने वाले बिहारी बदलाव चाहते हैं या फिर से उसी सिहांसन को लादे रखना चाहते हैं ये परिणाम स्पष्ट करेगा !

महान बिहार के बारे में किसी को परिचय की जरूरत नहीं ! राजनीतिक बुद्धिमता वाले राज्य का ऐसा हश्र किसने किया ? 15 साल बनाम 15 साल की लड़ाई मिट चुकी है ! बिहारियों ने सबको देखा, दोस्त को दुश्मन और दुश्मन को दोस्त बनते देखा ! सत्ता के लिए लोकतंत्र  के पीठ में खंजर खोपे गए ! बिना जनता से पूछे हर वो काम किया गया जो शायद किसी न किसी को इस चुनाव में मिट्टी में मिलाएगी ही !
15 साल के जंगलराज को मिटाने की कसमें खाने वाले भी 15 साल राज कर गए !
बिहारी मतदाता खुद को राजनीति का चाणक्य होने का दम्भ भरता है, मगर किस आधार पर ? 
किस बात की पॉलिटिक्स जो खुद के अधिकारों के लिए अपने राज्य शहर गांव तक में लतियाये जा रहे ! 
बाहरियों के लिए श्रमिक राज्य बनकर रहे गए ! 
रोजगार, इंडस्ट्री, सुरक्षा शब्द से दूर दूर तक कोई सरोकार नहीं ! शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति या सच्चाई देखनी हो तो भाई साहब ग्राउंड पर उतरने से पहले नवरत्न तेल मलना होगा ! 

बिहार में आखिर बदला क्या ? खासकर कई क्षेत्रों में व्यापक बदलाव देखने को मिली, विकास की परिभाषा शुरुआती 10 वर्षों में समझ आयी !
● गांव गांव सड़कों का जाल बिछा डाला गया ! भले ही मरम्मत न हो या कमीशन खोरी कर के आधा पैसा डकार लिया गया मगर मिट्टी की फिसलन की जगह गिट्टी की सड़क तो बनी !
● दूर दराज के गाँव तक बिजली की सुविधा पहुंचाई गई ! ढिबरी एरा से जनता को उबारा गया !
● सबसे बेहतरीन योजना अगर कोई रही तो लड़कियों को साईकल और पोशाक देने की ! गाँव की गरीब परिवार की लड़कियाँ साईकल से उड़ने लगी और आश्चर्यजनक तौर पर इन दोनों योजनाओं का फायदा हुआ कि जो लड़कियों को लोग स्कूल भेजने लगे, वो शिक्षित होने लगी ! ये योजना बिहार के इतिहास में मेरे हिसाब से मिल का पत्थर साबित हुआ है ! इसी भरोसे के बलबूते आज स्कूटी से फर्राटे भर रही !
● अन्य कई छात्रवृत्ति की योजनाएं, शासन की जवाबदेही etc में भी व्यापक सुधार देखने को मिली !

परंतु बिहार के विकास की जिम्मेदारी 4-5 क्षेत्रों के बदौलत नहीं है ! निम्न सवालों का जबाब सरकार या विपक्ष घोषणा पत्र तक में नही दे पा रहे जिसका 10% तो कभी पूरा ही नही करते !

~एक भी बड़ी इंडस्ट्री बिहार में क्यों नही आई ? उन्हें सुरक्षा की गारंटी क्यों नहीं दे पाए ? या कैसे दे पाएंगे इसका कोई विज़न ?
~80 से 85 % अयोग्य लोगों को बिहार की शिक्षा की जिम्मेदारी किस आधार पर दी ? अयोग्यों की बड़ी फौज लगभग हर सेक्टर में तैनात कर रखी है ! 
~सरकारी कार्यालयों में संविदाकर्मियों को रखकर प्रतिभावान छात्रों का भविष्य बर्बाद करने का अधिकार किसने दिया ?
~ऑनलाइन गवर्नेंस में अन्य राज्यों की तुलना में फिस्सडी क्यों है बिहार ? अफसरशाही और भ्रष्टाचार को बढ़ाने के लिए !
~शराबबंदी से बिहार को कितना नुकसान हुआ इसका आंकलन कौन करेगा ! जनता से पूछे बिना फैसले किस आधार पर किये ? उसका नुकसान आम जनता पेट्रोल, स्टाम्प और बिजली पर लादे गए अनावश्यक टैक्स क्यों झेले ? 
~बिहार का अगले 20 या 50 सालों का कोई मास्टर प्लान तक क्यों नही है ! 2 दिन बैठकें करके पुल, हाईवे नहीं बना दिये जाते बल्कि प्रॉपर प्लानिंग की जरूरत होती है ! नहीं तो पटना नाले की पानी में डूबती रहेगी !
~जब देश के 9 शहरों में मेट्रो फर्राटे भर रही है तब 2nd सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य को मेट्रो की चिंता आयी है !
~रोजगार की संभावनाओं में बिहार नेगेटिव में ही पड़ा है ! बिहार के लेबर स्टेट बने रहने में किसका फायदा है आखिर !

बिहार अब बदलेगा ! अब मतदाता पहले जैसा नहीं है बल्कि हर 5 वर्ष पर सत्ता में परिवर्तन चाहता है ! मगर जनता के पास विकल्प है ही नही या कभी दिया ही नहीं गया, न दिया जाएगा ! 
वोटरों के बीच जातिवादी मानसिकता कहीं न कहीं उभर कर सामने आ ही रही है ! मगर लोकसभा के चुनाव में ये अलग दिखती है और विधानसभा में अलग !

ये नया बिहार है, अब नेताओं को जनता के सवालों से एनकाउंटर टाइप हो जा रहा है ! चाणक्य-चंद्रगुप्त की धरती के मतदाता इतनी आसानी से लोकतंत्र को तो धराशायी नहीं होने देंगे !

मतदाता निष्पक्षता से अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के प्रयोग से ऐसी सरकार का निर्माण करे जो उनके सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार के प्रति गंभीर हो ! जनभावना की कद्र करे, शासन को टाइट रखे, अफसरशाही को ऑनलाइन गवर्नेंस से सुधारे-जवाबदेह बनाये और रोजगार के व्यापक अवसर प्रदान करे ! निवेशकों को बिहार आने के लिए टैक्स आदि में छूट देकर रिझाए और न माने तो केंद्र को मजबूर कीजिये यहां इंडस्ट्रियल हब बनाने को ! 

IAS, IPS सहित अन्य सरकारी नौकरी की फैक्ट्री यूँ नही है हमारा बिहार ! नेतृत्व में अगर दम हो तो विकास के शिखर पर चढ़कर हम बिहारी झंडा गाड़ देंगे... 
#जय_हिंद 🇮🇳

24 September 2020

● श्रमेव जयते ●

इस देश की संसद ने श्रम कानूनों को सरल बनाते हुए ऐतिहासिक श्रम सुधार किया है !

कोड ऑन वेजेज, ऑक्यूपेशनल सेफ्टी हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन कोड, सोशल सिक्योरिटी कोड एवं इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड कानूनों के द्वारा भारत के मजदूरों, व्यापारियों के बीच सामंजस्य का रास्ता प्रशस्त किया है !

कानून के कुछ मुख्य पहलुओं को देखें तो भारत में पहले 44 तरह के विभिन्न श्रम कानूनों के द्वारा मजदूरों के अधिकारों और उनके हितों की संरक्षण करने की कोशिश की जा रही थी, ये कानून 70 साल - 80 साल पुराने हो चुके थे और आज की वर्तमान परिस्थिति में हमारे श्रमिक वर्ग और हमारे व्यापारी दोनों ही इन कानूनों से परेशान हो रहे थे !
100 तरह के अलग अलग रजिस्टरों को मेंटेन करना तथा विभिन्न श्रम कानूनों के तहत अलग-अलग अनुपालन, श्रमिक - मजदूरी जैसे शब्दों की सही व्याख्या ना होना यह हमारे देश की अर्थव्यवस्था को तो बाधित कर ही रहा था साथ ही श्रमिकों के अधिकारों को भी दुविधा में रख रहा था !

चूंकि मजदूरों के अधिकारों को लेकर हमारी संविधान सभा ने व्यापक विचार-विमर्श किए थे, मगर उन्होंने अंग्रेजों के द्वारा बनाए गए कानून को ही आगे बढ़ाने का फैसला किया था ! क्योंकि काफी संघर्ष, आंदोलन के बाद मजदूरों के शोषण को रोकने के लिए मजदूरी , बोनस, सामाजिक सुरक्षा जैसे विषय श्रमिकों के लिए लाए गए थे !
आज देश की संसद ने ऐतिहासिक श्रम कानूनों में व्यापक परिवर्तन करते हुए सभी श्रम कानूनों को चार कोड के अंदर समाहित कर दिया है ! 
यह कानून विभिन्न श्रमिक संगठनों उद्योगपतियों और अन्य हित धारकों से व्यापक विचार-विमर्श कर बनाया गया है ! श्रम कानून को बनाने की प्रक्रिया काफी जटिल भी होती है !

इस कोड के कुछ मुख्य पहलुओं को देखें तो -
● ईएसआई ईपीएफ के द्वारा करीब 40 करोड श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा योजना का लाभ देने की संकल्पना की गई है !

● ईएसआई के द्वारा आश्रित हितलाभ, चिकित्सा हितलाभ, मातृत्व हितलाभ, बेरोजगारी भत्ता, बीमारी हितलाभ एवं पेंशन जैसे मूलभूत एवं बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति हमारी सरकार अब unorganised sector के लिए भी करेगी !

● ग्रेच्युटी के नियम को काफी सरल बनाया गया है ! Minimum 5 साल कार्य करने की बाध्यता खत्म कर दी गयी है ! अवधि के अनुपात में रकम देनी होगी !

● महिलाओं को रात में भी काम करने की स्वतंत्रता प्रदान की गई है !
● धर्म जाति लिंग के आधार पर वेतन या अन्य सुविधाओं में कोई भेदभाव नहीं कर सकेगा !

● सभी संस्थानों को अपने कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र देना अनिवार्य होगा !

● 20 से ज्यादा श्रमिक वाले संस्थानों को ऑनलाइन पोर्टल पर नियुक्तियों की संख्या सरकार को बतानी होगी, जिससे लोग रोजगार के सही आंकड़े और अवसर से अवगत होते रहेंगे !

●पहली बार माइग्रेंट वर्कर्स के लिए प्रावधान लाये गए हैं ! 18000 तक आमदनी वाले प्रवासी मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा देना साथ ही वर्ष में एक बार घर जाने का किराया भी देना अनिवार्य होगा !

● खतरनाक श्रेणी के संस्थानों में ESI अनिवार्य होगा चाहे उस संस्थान में एक ही कर्मचारी क्यों न कार्यरत हो ! 
इसके साथ पहली बार बागान मजदूरों के लिए भी ESI का प्रावधान किया गया है !

● गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए पहली बार सरकार ने सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का प्रावधान किया है ! मतलब जोमैटो, ओला, फ्लिपकार्ट जैसे ऑनलाइन सेक्टर के वर्कर पर भी ये सारे प्रावधान लागू होंगे !

● Unorganised सेक्टर के मजदूरों के लिए एक बोर्ड बनाया जाएगा जो उनकी सामाजिक सुरक्षा से संबंधित कामकाज की देखरेख करेगी !

● मजदूरों का वर्ष में एक बार हेल्थ चेकअप करना होगा !

● वेतन को डिजिटल फॉर्म में यानी खाते में देना होगा ! इससे निम्न वेतन संबंधित शिकायतों का पूरा लेखा जोखा रखा जा सकेगा !

दूसरी तरफ भारत को दुनिया के अन्य देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी है, इसके लिए इज ऑफ़ डूइंग बिज़नेस में भारत को सुधार करने की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी !
जिन श्रम कानूनों की वजह से विदेशी कंपनियां विदेशी इंडस्ट्रीज भारत नहीं आना चाहती थी, उन पहलुओं को भी सरकार ने ध्यान में रखा है और यह प्रावधान किया है कि 300 से कम कर्मचारी वाले संस्थान अब बिना सरकार की अनुमति के अपने कर्मचारियों को बहाल कर और हटा सकते हैं !
हड़ताल के प्रावधान में मजदूर संगठनों को 14 दिन पहले नोटिस देना अनिवार्य किया है ताकि उन 14 दिनों के दौरान सुलह की संभावना बन सके !

ई- इंस्पेक्शन की बात कही गयी है जो पूरी तरह फेसलेस और वेब बेस्ड होगी ! अभी खासकर केंद्रीय श्रम कानूनों में तो इंस्पेक्टर राज पर पूरी तरह से पाबंदी है लेकिन राज्य सरकारों में तैनात श्रम विभाग के अफसरों द्वारा व्यापारियों को प्रताड़ित किया जाता था उन पर भी लगाम लगाई गई है और वे बिना अनुमति के संस्थानों में नहीं जा सकेंगे !

तो कुल मिलाकर सरकार ने देश के 90 करोड़ श्रमिक वर्ग के लिए तथा विदेशी निवेश में बढ़ावे को ध्यान में रखते हुए इन 4 लेबर कोड के द्वारा नए भारत को गढ़ने की कोशिश की है ! आने वाले भविष्य में इन कानूनों की सार्थकता को कैसे साबित किया जाता है यह पूरी तरह सरकार पर निर्भर करेगा ! इन कानूनों का उधोगपति कितना अनुपालन कर पाते हैं और सरकार उनसे कितना अनुपालन करा पाती है इसी पर सारा खेल निर्भर रहेगा !
श्रमिक हमेशा से निरीह रहा है, उसे अधिकार दिलाना सरकार की जिम्मेदारी है और आशा है कि राष्ट्र इनके अधिकारों के बलबूते श्रमेव जयते का उद्धोष करेगा...
#जय_हिन्द 🇮🇳

~ Ashwani Kumar


10 September 2020

● मुम्बई की लक्ष्मीबाई ●


उद्धव महाराष्ट्र का दब्बू मुख्यमंत्री तो कहा जा सकता मगर ठाकरे परिवार का वारिस नहीं लगता ! क्या इज्जत रह गयी इस शिवसेना की ? इनके डर से भारत पाकिस्तान मैच तक रद्द हो जाय करते थे..
आज 5 फुट की एक लड़की नाक काट के रख दी !
असीमित शक्तियों के दम पर आप अच्छा शासक बिल्कुल नहीं बन सकते ये इतिहास गवाह है ! 
शक्तियों का दुरुपयोग कर घर उजाड़ दिया वो भी इस कोरोना काल में ! बड़े बुजुर्ग बिना मतलब पंछी तक के घोंसले को छूने मात्र से मना करते हैं, और यहां बोलने मात्र से बिल्डिंग ढहा दी जाती है !

बधाई हो महाराष्ट्र को और वहाँ के सत्ताधारी नेताओं को ! आपने एक ऐसी वीरांगना को जन्म दिया है जो आगे चलकर आपकी ही परेशानियों का सबब बनेगी !
कल की कैबिनेट मंत्री या मराठा साम्राज्य की मुख्यमंत्री की छवि हमें कंगना में दिख रही है !

राजनीतिक बड़बोलेपन में किसी का मकान आप गिरा दोगे ! अगले पक्ष को बिना मौके दिए फैसला कर लेना कहाँ का प्राकृतिक न्याय है ?
न्यायपालिका को फौरन इस मामले पर कार्रवाई करनी चाहिए ! उसे रिट की शक्तियों का प्रयोग कर तत्काल दोषी BMC अधिकारियों पर मुकदमा चलाने का आदेश दिया जाए और सारी क्षतिपूर्ति वसूला जाए ! न्यायपालिका को बेशक अपनी उपयोगिता दिखानी होनी ! कानून का राज कायम होना चाहिए, राजनीतिक दल्लों का नहीं !

कंगना ने बहुत बड़े बड़े लेवल के लोगों से पंगा लिया है ! बॉलीवुड के नंगे अस्तित्व को सामने लाने का प्रयास किया है ! CBI, NCB, ED इन गैंगों के पीछे लगी पड़ी है ! 
कंगना ने जो हिम्मत दिखाई है, वह वास्तव में उनका अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार है ! JNU, जंतर मंतर या मुम्बई में जिस तरह आप देश को गाली बकने को अपना अभिव्यक्ति की आजादी समझते हो, उसी तरह का अधिकार कंगना को भी है !

यूँ कंगना को 2 कमांडो सहित 11 CRPF के जवान घेरे रानी लक्ष्मीबाई का सीन क्रिएट कर दे रहे हैं !
सबको बोलने का अधिकार है, सबको अवार्ड वापसी का अधिकार है, सबको डर लगने का अधिकार है ! ये अधिकार ही आपको लोकतांत्रिक बनाता है ! डर बेहद जरूरी है !

सत्ता के लिए देश विरोधी कुकृत्य कभी सहनीय नहीं हो सकती ! बाला साहेब की इज्जत लोग इसलिए करते थे कि उनके फैसलों में राष्ट्रवाद की सुगंध होती थी ! आपके मराठी अस्मिता का ढोल एक साधारण सी नायिका ने फोड़ डाला है... एक छोटा सा मकान तोड़ा और पूरा देश लक्ष्मीबाई की छवि देख रहा.. उसके चारों तरफ 11 सेना के जवान कदमताल कर रहे.. यही तो है राष्ट्रवाद का गौरव...

#जय_हिन्द 🇮🇳

03 September 2020

● बेरोजगार की आवाज ●


युवावस्था में बड़ी आबादी की बेरोजगारी किसी देश के अर्थव्यवस्था के लिए संकट के समान है ! ये दर्शाती है कि देश और तंत्र की नीतियां भटक चुकी है... आपने बेरोजगारों की ये जो बड़ी फौज तैयार कर ली है इसका हल दूसरे को थोड़े ढूंढना होगा ! कॉस्ट कटिंग के नाम पर नौकरियों पर रोक लगा देना किसी भी परिस्थिति में दूरदर्शिता नहीं कहा जा सकता !
सभी लोगों को नौकरियां नही दी जा सकती, मैंने मान लिया.. 
परंतु सभी व्यापार तो नहीं कर सकते, पकौड़े भी तो नहीं तल सकते ! सबकी अपनी अपनी क्षमताएं होती है ! अब हाथी पेड़ पर नहीं चढ़ सकता.. चींटी को गधे नहीं बना सकते.. 
एकसमान ढर्रे पर हम जनता को ले जाने की कोशिश भी नहीं कर सकते ! आप नीतियों के सहारे उसे बस व्यवस्थित करने की कोशिश कीजिये ! भारत जैसे लोकतांत्रिक देश पूंजीवादी तौर तरीके से नहीं चल सकते..

युवा को नजरअंदाज करना क्रांति को बुलावा देने के समान है ! वो भविष्य है इस भारतभूमि का.. मान लिया हमने की पूर्ववर्ती सरकारों ने कुछ नहीं किया मगर आपको तो लाया की शायद आप इस तकलीफ को समझेंगे.. यहां स्थिति एकदम उलट हो गयी है, 59 तरह के आयोग और कमीशन बना देने से व्यवस्थाएं नहीं बदलती ! जनता को, युवा को भरोसा में रखना सीखिए.. उनके लिए नीतियां बनाइये..
क्या फायदा एसएससी और RRB जैसे बोर्डों का जो एक एग्जाम तक नहीं करा पा रहे..

बेरोजगारों के लिए क्या उपाय किये ? 
बैंकों से लोन लो और बिज़नेस करो, ये ध्येय था इस लोकतांत्रिक भारत का ? लोकतंत्र में चुप्पी बेहद घातक होती है.. जनता के प्रति जबावदेही ही इसकी सार्थकता सिद्ध करती है !
लोगों की क्रय शक्ति घट रही, कई सेक्टर ऑटोमेशन पर जा रहे, लॉकडाउन के कारण कई इंडस्ट्री बर्बाद हो गयी है फिर भी लोन बाँट कर वाहवाही लूटने की कोशिश निरर्थक प्रयास है ! खाने को पैसे नहीं वो क्या लोन और ब्याज चुकाएगा..

युवाओं की समस्या के प्रति सरकार को गंभीर हो जाना होगा ! ये मुद्दा राष्ट्रहित से अलग है सो सभी राष्ट्रवादी निश्चित ही युवा के साथ खड़े मिलेंगे ! परीक्षा प्रणाली में CET मात्र के सहारे नहीं सुधारा जा सकता.. UPSC में जिस तरह से धनाढ्य और अंग्रेजी मानसिकता वाले लोगों का चयन हो रहा है, ये आने वाले सालों में बिना जमीनी समझ के देश के नीति निर्माता बनेंगे.. भगवान मालिक होगा ऐसे अधिकारियों का.. 
#जय_हिंद
#SpeakUpForSSCRailwayStudents

22 August 2020

● नचनिया गैंग ●


सुशांत मैटर पर देश के अधिकांश लोग नचनिया गैंग के विरोध में उबाल मार रहे है ! 
साजिशें बॉलीवुड की फितरत में है, नग्नता उसकी संस्कृति है और निर्लज्जता ही स्टारडम होता है !
भारतीय सिनेमा जगत पर भारतीय समाज को संवारने, उसे सही दिशा दिखाने की जिम्मेवारी रही है, क्योंकि बच्चों से लेकर बूढ़े तक फिल्मी अंदाज एवं उसके हावभाव की नकल करने लगते हैं ! अधिकांश लोग खासकर हम 90s वाले तो पर्दे को ही असली दुनिया मानते थे ! प्यार, मोहब्बत या इश्क जैसी भावनाओं में नंगापन लाकर भारतीय समाज की जड़ इसी बॉलीवुड ने खोदा है !
पर्दे के नकली स्टारों को जबरदस्ती हमने सिर पर बिठाया, अब वो अपने कचरे को लादने का प्रयास कर रहे तो गलत क्या है !
लोगों की चुप्पी ही मौन स्वीकृति है, नहीं तो हज़ारों सुशांत को नचनिया गैंग ने निपटा डाला है !
आखिर इन गिरोहों में हिम्मत कहाँ से आती है ! कौन लोग हैं इनके पीछे ? ये रक्तरंजित बॉलीवुड किस आधार पर भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है ?

भारत जैसे शालीन, विविधतापूर्ण संस्कृति एवं सभ्यताओं से सुसज्जित महान देश की इस बॉलीवुड ने क्या स्थिति कर दी है !
सरकार फिल्मों को सर्टिफिकेशन किस आधार पर करती है ये शायद से किसी को पता ! 
सुशांत मैटर ही सिर्फ CBI जांच का ही हिस्सा नहीं होनी चाहिए ! CBI के पास अपनी विश्वसनीयता साबित करने का सुनहरा अवसर है.. उसे इस अंधी दुनिया की जड़ें खुरेदनी चाहिए.. भारतीय संस्कृति की अस्मिता बचाने का ये अवसर है.. उसे पर्दे के पीछे के सारे काले रहस्यों को उघाड़ कर रख देना होगा ! 

बॉलीवुड ने देश के अंदर अबतक जो भी भसड़ मचाई है उसमें राजनेताओं का अहम रोल है ! खुलकर नही बोल सकता मगर अब जब सब सुधर रहा तो यह क्षेत्र क्यूं अछूता रहे -

● सरकार अभिनय क्षेत्र में आने से पहले राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिभाओं का चयन हेतु नियम बनाये !
● उनका अलग अलग कई लेवल की चयन प्रक्रियाएं की जाए जिसमे सेटिंग की कोई गुंजाइश न रहे (आयकर सुधार की तरह) !
फिर उन प्रतिभाओं का वर्गीकरण हो, उसी आधार पर फिल्मों में रोल मिले !
● डायरेक्टर, प्रोड्यूसर की मची गंध तत्काल हटे ! स्वच्छंद कहानीकारों को मौका दीजिये, संगीतकार-गायकों को भी पर्याप्त अवसर दीजिये ! किसी फिल्म के लिए देशभर से ऑनलाइन पोर्टल द्वारा गीत-संगीत हेतु इनामी राशि के साथ मौके ऑफर कीजिये ! 
● फिल्मों के लिए निविदा हो, फूहड़पन फैलाने वाले फौरन ब्लैकलिस्ट हो ! बाकायदा SOP जारी हो, सारी प्रक्रियाएं पब्लिक डोमेन में हो !
● सरकार को इस गैंग में सुधार के लिए आयोग या किसी निष्पक्ष समिति को वॉचमैन की भूमिका में बिठा देनी चाहिए ! जनता की शिकायत पर फूहड़पन, धार्मिक भावनाओं जैसे मसलों पर तत्काल जांच हो और दोषी लोगों के अभिनय और निर्देशन पर प्रतिबंध लगे !

इन सारी चीजों का दोषी हम और आप है ! कैसे इतने सालों पर अपने कचड़े को ये लोग हमारे सर पर डालते रहे और हम थिएटर के अंदर 200 का पॉपकॉर्न लेकर आह-वाह करते रहे !
ये बाहरी को देखना नहीं चाहते ! देश की सूटिंग लोकेशन्स इन्हें फालतू लगती है, मगर फिल्मों से पैसा इसी देश से चाहिए !
जनता की भावनाओं की इन्हें कोई कद्र नहीं, देशी संगीत से इन्हें नफरत है, नृत्य शब्द इन्हें सुहाता नहीं, कचरे में सुगन्धित पुष्प को मरवा देने से भी नहीं हिचकते ! 

कंगना जैसी वीरांगना की इस देश को जरूरत है ! सच को बाहर निकलकर लाने वाले ऐसी नारियों को हौंसला दीजिये !
मीडिया की मानसिकता भी बदलनी होगी ! दिनभर इन नचनियों के कचरे की डाइपर वाली खबरों पर बिजी इस मीडिया में भी जबाबदेही तय होनी चाहिए ! 
देश के प्रति भी कोई संवेदनशीलता होनी चाहिए यार ! हमारी संस्कृति की गौरवगाथा है हमारा भारतवर्ष ! शास्त्रीय संगीत-नृत्य और नृत्य कला हमारी विरासत है, इसी की बलबूते सारे संसार का आज मनोरंजन है और हम इसके जन्मदाता होते हुए भी ऑस्कर के लिए उन चोरों का मुंह ताकते हैं... 

#जय_हिंद 🇮🇳

12 August 2020

कृष्ण अवतार 🚩🚩🚩

श्रीकृष्ण लीलाओं में सर्वोत्तम हैं !
बाल कृष्ण की मनमोहक लीलायें गोपियों के सहृदय है !
माखनचोर गोपाल की अठखेलियां आज भी काफी मनमोहक लगती है ! वृद्ध से बच्चे तक बाल कृष्ण को दुलार की दृष्टि से ही देखते हैं ! माताएं बच्चों के समान समझ पूजती..
कृष्ण देवकीनंदन भले ही हों मगर यशोदा का नंदलाल उन्हें मोरपंख जैसा सुशोभित करता है ! बांसुरी की धुन से मथुरा को नाचने वाले एवं शेषनाग के फन पर खुद नाचने वाले कृष्ण की लीलायें अपार हैं !

श्रीकृष्ण का नारायण अवतार होना कुरुक्षेत्र में सिद्ध होता है ! विराट स्वरूप वाले श्रीमन नारायण का साक्षात दर्शन अपने आप में सम्पूर्ण ब्रह्मांड का दर्शन है !
ततपश्चात नारायण के गीता का उपदेश युगों युगांतर तक प्रकाशपुंज बना है ! धर्म एवं सत्य के मार्ग को दिशा दिखाने वाले द्वारिकाधीश हमेशा मानव कल्याण के अग्रदूत रहे हैं !
श्रीकृष्ण ने धर्म के मार्ग पर चलकर सत्य की जीत हेतु कूटनीति का सहारा लिया ! कूटनीति का द्वापर से ही है, श्रीकृष्ण ने तो केवल इसका प्रयोग धर्म की रक्षा के लिए किया !
गीता हमारे धर्म का पुंज है, हम न केवल श्रीकृष्ण की बांसुरी बजाते अवतार में प्रेम दर्शन को पूजते बल्कि इसी नारायण के सुदर्शन चक्र और गदा के आगे नतमस्तक हो जाते हैं !

धर्म से संसार है, सनातन का अहम हिस्सा श्रीकृष्ण से है ! आस्था अपने कर्म से होती है... कर्म को आस्था से सुपोषित करें..
कुटिलता का प्रयोग सत्य के लिए हो.. प्रेम में मर्यादाओं का ध्यान रहे.. शस्त्र का प्रयोग स्वयं एवं धर्म की रक्षा के लिए हो..
श्रीकृष्ण का अवतार नारायण का केवल नर अवतार मात्र नहीं था, ये समस्त संस्कृतियों एवं सभ्यताओं की जननी बनी ! नीति, मर्यादाओं एवं सहनशीलता के अलावा शक्ति प्रदर्शन का ध्येय भी सिखाती है !
इसलिए श्री कृष्ण समस्त अवतारों में सर्वोत्तम माने जाते है..
#जय_श्री_कृष्ण 🚩🚩🚩


05 August 2020

"धर्मो यतो धर्मस्ततो जयः🚩🚩


श्री राम चन्द्र की चरणों में वंदन करते हुए क्षमाप्रार्थी हैं ! प्रभु आपके अयोध्याजी को 492 सालों तक हम भक्तों ने वनवास में छोड़ दिया ! इस महान अयोध्या जी की पावन भूमि पर अपने रामलला के दर्शन को हमारी पीढियां तरसती रही ! 

मगर हम लड़ें हैं बड़े शौर्य से इन निशाचरों से ! 
खून की नदियां बहायी है हिंदुओं ने धर्म की रक्षा को ! मगर हमने रामलला को तो कभी जन्मस्थल से हटने नही दिया ! 
प्रभु की राह में हिंदुओं ने शबरी की तरह पलक पाँवडें बिछा दिए ! 
हमें भरत की तरह अपने प्रभु श्री राम के अयोध्या वापस लौटने का विश्वास था ! राम के रामत्व पर भरोसा था और हमने उसे पा ही लिया...

आइये प्रभु आज भाद्रपद शुक्ल द्वितीय की पावन बेला में पुनः अपने स्थान पर विराजिए ! जगमगाते दीपक से ये देश इस मंगल बेला पर आपकी स्तुति कर रही है ! 
हे आराध्य प्रभु, सनातन परंपरा को इसी तरह प्रफुल्लित करिये, भक्तों में हर्ष बना रहे, शौर्य प्रचंड हो... 
धर्म का यश उज्ज्वल रहे, श्री राम की मर्यादा पथप्रदर्शक बने...

दसों दिशाएं आपकी जय जयकार कर रही है ! पशु-पक्षी कल्लवित हो रहे, पेड़-पहाड़, नदियाँ सब आपका स्वागत कर रही है... 
प्रकृति में रामत्व घुल सा गया है... 
रोंगटे आपकी अनुभूति मात्र से खड़े हो जा रहे...
कोटि कोटि वन्दन मेरे आराध्य प्रभु श्रीराम... 🙏🚩🚩🚩

29 July 2020

●नई शिक्षा नीति 2020●

28 सालों बाद भारत में नई शिक्षा नीति लाई गई है !अब शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से बदलने वाली है ! 10+2 की व्यवस्था को खत्म कर 5+3+3+4 की व्यवस्था लाई गई है !यानी प्रथम 5 वर्ष कक्षा तीन तक जो अभी KG, 1 & 2 में पढ़ते हैं, उसके बाद के 3 साल कक्षा 3 से 5 एवं उसके बाद के 3 साल कक्षा 6 से 8 एवं उसके बाद के 4 साल कक्षा 9 से 12 में बांटा गया है !


● प्रथम 5 वर्ष बच्चों के मूलभूत ज्ञान पर आधारित है जिस का सिलेबस NCERT तय करेगी ! ये सिलेबस प्राथमिक और तौर पर बस्ते ढोने की परंपरा से इतर होगी ! खेल कूद, नैतिकता आदि एक्स्ट्रा करिकुलर के माध्यम से बच्चे की रुचि के अनुसार बेसिक ज्ञान प्रदान किया जाएगा !●कक्षा 6 से 8 तक क्षेत्रीय भाषाओं के ज्ञान पर अत्यधिक जोर दिया गया है ! कम से कम दो भाषाओं का ज्ञान अनिवार्य होगा ! Coding, logics आदि की शिक्षा इसी स्तर से बच्चों को दी जाएगी ताकि बुद्धिमता का विकास इसी उम्र से हो !●साथ ही सरकार ने व्यवस्था की है कि कक्षा 6 से ही बच्चों को उनके स्किल्स का इंटर्नशिप प्रदान करें ! बच्चे स्कूल या घर के पास रुचि के अनुसार किसी भी कारखाने, फैक्ट्री, शिल्प उधोग वगैरह में जाकर कामकाज को नजदीक से देखेंगे उसे समझेंगे ! ये सब पढ़ाई का हिस्सा होगा !
●कक्षा 9 से 12 के बीच सब कुछ बदल चुका है ! आर्ट्स, कॉमर्स और साइंस स्ट्रीम जैसी कोई बात नहीं रह जाएगी !बच्चे कोई भी विषय अपने हिसाब से चुन सकते हैं वह अगर इतिहास पढ़ना चाहता है तो साथ में एकाउंट्स, केमिस्ट्री कुछ भी पढ़ सकता है !


●बोर्ड एग्जाम्स पर भी बहुत सारी बदलाव के बाद सरकार द्वारा कही गई है ! ऑब्जेक्टिव एवं सब्जेक्टिव दो टेस्ट का कांसेप्ट आएगा ! जबाब रटने के बजाए रोजमर्रा की जिंदगी से जोड़कर सवाल दिया जाएगा ताकि बच्चे की आंतरिक समझ को आंका जा सके !●एक व्यापक बदलाव बच्चों की रिपोर्ट कार्ड में देखने को मिलेगा ! पहले रिपोर्ट कार्ड स्कूल के टीचर प्रिंसिपल द्वारा तैयार करके अभिभावक को दिए जाते थे ! मगर अब बच्चा उस रिपोर्ट कार्ड में खुद का असेसमेंट करेगा, उसके बाद उसके सहपाठी उसका एसेसमेंट करेंगे, तब जाकर स्कूल के टीचर्स परफॉर्मेंस, स्किल्स के आधार पर उनका रिपोर्ट कार्ड बनाएंगे !●साथ ही कक्षा 6 से ही उनके एक्स्ट्रा स्किल, जैसे किसी को डांसिंग आता है, किसी को सिंगिंग आता है, किसी को गिटार बजाने आता है, किसी को लेखन में रुचि है, किसी को खिलौने बनाने आता है, किसी को पेंटिंग आती है ! मतलब किसी भी तरह की स्किल्स बच्चे में है तो उसे रिपोर्ट में सम्मिलित किया जाएगा ! यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के रूप में सहेजा जाएगा ! 12वीं के बाद बच्चे को आसानी से सारी बातें एक डाटा के रूप में उसके सामने उपलब्ध होगी की उसने क्या-क्या सीखा है, वह किस क्षेत्र में कुशलता हासिल कर सकता ! इस आधार पर वह अपने भविष्य को बेहतर ढंग से तय कर सकता है ! 
●UGC को AICTE के साथ मिलकर नई बॉडी बनाई जाएगी ! कॉलेजों के लिए भी नई सुधार किए जाएंगे ! अध्यापकों के नॉलेज के हिसाब से केटेगरी बनाने की भी बात है ! बहुत सारे प्रावधान सरकार इस नई शिक्षा नीति में लाई है !


मुझे सरकार की ये नीति वास्तविक तौर पर जमीनी और दूरदर्शी लगी ! अमीर vs गरीब के बीच शिक्षा की दीवार को अनिवार्य तौर पर गिराना चाहिए ! रोजगारपरक शिक्षा की जरूरत देश में पहले से महसूस की जा रही थी ! बेरोजगारी का भयंकर दुष्चक्र इसी का परिणाम है कि शिक्षा व्यवस्था उसे अपने मन/स्किल का कोई काम नही करने देती ! बांधे रखती थी !
प्राइवेट स्कूलों की मनमानी रोकने का प्रावधान स्पष्ट दिखाई नही देता है ! संभवतः जब सरकार नियम बनाएगी तो उसमें अन्य ऐसे प्रावधान भी आएंगे जो भारत के नन्हे भविष्य के लिए एक सार्थक रूपरेखा बनाकर देगी जहां बच्चे खुद के सजाये मंच पर देश की आर्थिकी को झूमा कर रख देगा !!! ❤️❤️❤️



27 July 2020

स्वागत नहीं करोगे हमारा

सेना का पराक्रम आ रहा है ! माँ भारती की रक्षा हेतु आसमान का सैन्य परिंदा आ रहा ! राफेल नामक चलता फिरता आसमानी दैत्य शान बनेगा !
बेहद एडवांस टेक्नोलॉजी से लैस इस लड़ाकू विमान की खरीददार को नमन रहेगा ! सत्याग्रह से मसले हल नही होते साहब ! 
पूजा शस्त्र की की जाती है चरखे की नहीं ! 
पड़ोसी नालायक निकल जाए तो हेकड़ी निकालनी पड़ती है !
बिना अस्त्र शस्त्र ऐसे जाहिलों से नहीं निपट सकते ! 


नित्य नए नए हथियार लाइये ! गाजे बाजे के साथ शस्त्रों की पूजा करें ! बीच बीच में चलाकर टेस्टिंग कीजिये, देखिए जाहिलों पर कैसा मनोवैज्ञानिक असर होता है !
ठीक वैसा ही देश के साथ है ! युद्ध हो न हो मगर शक्ति प्रदर्शन बना रहना चाहिए ! पड़ोसी कितना भी ताकतवर क्यों न हो उसे दिखाइए की विषम परिस्थितियों में हम भी चोट पहुंचा सकते हैं !
युद्धाभ्यास उसी स्ट्रेटेजी का हिस्सा होती है ! भले ही सैन्य बजट का बड़ा हिस्सा उस अभ्यास में खर्च होता है मगर अंतराष्ट्रीय स्तर पर एक दवाब भी बना रहता है ! ऐसे अमेरिका रूस आगे पीछे नहीं करते !


जितने भीषण साजोसामान आपके पास होंगे गांव जेवार में लोग इज्जत करेंगे ! पंचायत में रुतबा होता और लगभग अधिकांश अमीर आपकी आवभगत करते मिलेंगे ! 
ये वास्तविक तौर पर डिफेंस स्ट्रेटेजी है, आपकी क्षमता सेना से ही आंकी जाएगी ! 
सऊदी अरब बहुत अमीर है, बहुत पैसा है मगर आर्मी लेवल की नहीं है ! कौन पूछता है तेल लेने के अलावा उसे !
ईरान जुझारू है, तो वही अमेरिका डायरेक्ट कार्रवाई न करके पैंतरे से डरा रहा ! जबकि उत्तरी कोरिया पागल है, कट्टे से जोंग लौंडे ने तोप बनाने की तकनीक हासिल की, दो रोटी खुद से खाने की हैसियत नही मगर देखिए यही शहंशाह अमेरिका चरण पखार रहा !
सनातन धर्म में अस्त्र शास्त्रों की अनादि काल से प्रावधान है ! 


शस्त्र की देवी माँ दुर्गा हमारी आराध्य हैं ! शक्ति हमारी संस्कृति की मूल में रही है ! हमारे देवता शस्त्रों से सुसज्जित होते हैं ! स्वयं की रक्षा के लिए ताकत का इस्तेमाल जरूरी है !
बुद्धि में तो चिंपैंजी अव्वल है मगर जंगल का राजा शेर क्यों है ?
जंगल में जो बलवान होता, जिसकी दातें तीक्ष्ण और पंजे घातक होते वो लंबा सर्वाइव करता ! नहीं तो हिरण बनोगे तो कोई दबोच के भूख मिटा लेगा... इसलिए घातक होता आवश्यक है ! 
हथियार के बदौलत ही हमारी सेना है ! जितने पैसे हम सेना के लिए खर्चेंगे हमारा राष्ट्र दुनिया में उतना भौकाल कायम रखेगा !


आज राफेल है तो कल स्पेस वार वाले युद्धक विमान आएंगे ! मगर ये हथियार रहेगा तभी अस्तित्व बचेगा ! 
राफेल भाई, वेलकम टू इंडिया... 🇮🇳🇮🇳🇮🇳

21 July 2020

जिंदादिली@सोनू सूद

मनुष्य होना और इंसान होना दोनों दो चीजें हैं !
उसी तरह #सोनू_सूद होना और सिर्फ नचनिया-बजनिया होना अलग अलग है !
जब सरकार को कुछ नही सूझ रहा था तब एक इंसान अकेले मजदूरों के लिए पहिया बन गया ! घर जाने के लिए तड़प रहे लाखों मजदूरों को उनके गांव तक पहुंचाया !
देखिए सोनू सूद एक अभिनेता जो फिल्मों में विलेन का रोल करता है जाहिर सी बात है कि उन्हें नकली स्टारों से बहुत ही कम मेहनताना मिलता होगा !
फिर भी उनके जज्बे उनकी हैसियत के आगे देश के अच्छे-अच्छे दिखावटी अमीर फीके पड़ गए !


आपकी करोड़ों अरबों की संपत्ति का क्या फायदा जो किसी की काम न आये ! आप अमीर हो सकतें है मगर जिंदादिल होने की गारंटी नही है !
यही मुम्बई में बैठे तमाम स्टार्स जो 2 मिनट विज्ञापन के करोड़ों वसूलते हैं, 1 रन के लाखों रुपये की वैल्यू बना बैठे हैं... क्या फायदा देश को आपसे जब जरूरत पर मुँह छुपा ले !
टैक्सपेयर हम भी हैं और आप भी ! हमसे तुम हो !
क्यों पब्लिक लुटाये तुम पर मेहनत की कमाई !


सोनू सूद इंसान है मनुष्य नहीं ! संवेदनाएं हैं इस मर्द में !
जितना पैसा है उतने में ही उसने वो कर दिखाया है जो नकली स्टार फिल्मों में ड्रामा दिखाता !
भाई ने अब किर्गिस्तान में फंसे बिहार झारखंड के छात्रों को लाने के लिए चार्टर प्लेन का इंतज़ाम किया है ! क्या फायदा हुआ अमीरों से इस देश को !
नेताओं की बात कर ही नहीं सकता, वो सर्टिफाइड वाले वो हैं !!!
मगर हम देश के लिए काम न आने वाले मनुष्यों से सवाल तो कर ही सकते हैं !
कोरोना निपट जाने दो ! सब याद रखा जाएगा...
जरूरत के वक्त काम आने वाले को सर पर बैठा लेंगे...
ताज पहना देंगे उसे...


क्योंकि घर में 1 बोरी अनाज रखने वाला अगर 2 पहर किसी को खिलाने की हिम्मत रखता है तो हमें हज़ार बोरियों वाले धनसेठ को दुतत्कारने की हिम्मत अपने आप आ जाती है !
दिल से #धन्यवाद सोनू सूद सर !


14 July 2020

नादान नेपाल

नेपाल और भारत एक दूसरे के अभिन्न अंग है !
हां इनमें वैचारिक मतभेद हो सकते हैं, राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं मगर सामाजिक और धार्मिक मतभेद का प्रश्न ही नहीं उठता !
किसी देश की सरकार पड़ोसी देश के साथ सामाजिक-धार्मिक ताने-बाने को अगर राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए तोड़ने की कोशिश कर रही है तो एक अलग तरीके का सनकीपन माना जा सकता है !
भारत और नेपाल सदियों से ना केवल मित्र राष्ट्र रहे हैं बल्कि हर परिस्थिति में एक दूसरे के पूरक होने का गौरवान्वित इतिहास रहा है !
नेपाल की राजनीतिक परिस्थितियां आज अलग है वहां एक ऐसी सरकार काबिज है जो ना केवल इतिहास को किनारे रखकर चलने का प्रयास कर रही है बल्कि चीन के मोहरे बनकर भारत के खिलाफ बयानबाजी कर रही है और एक के बाद एक गलत कदम भी उठा रही है !
फिर भी भारत की सरकार ने किसी भी बड़े स्तर पर अब तक नेपाल के विरोध में कोई भी बयां ने आपत्ति दर्ज नहीं कराई है ! ऐसा इसलिए भी क्योंकि भारत और नेपाल के बीच प्रगाढ़ संबंधों का बेहद गहरा नाता रहा है !
भले ही हमारे खुद के लिए जरूरी आवश्यक संसाधनों की कमी हो परंतु हमने नेपाल, बांग्लादेश, भूटान जैसे पड़ोसियों को सदियों से हमेशा जरूरी सहायता प्रदान की है ! मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करने का हर संभव प्रयास किया है ! 
कूटनीतिक परिपेक्ष में अगर देखा जाए तो नेपाल को भारत बिजली, खाद्यान्न, तकनीक समेत उनके अधिकारियों को प्रशिक्षण भी हमारे संस्थानों में दिया जाता रहा है !
मगर मुफ्तखोरी एक ऐसी चीज है जो मनोदशा को विकृत करती ही है साथ ही लालच को जन्म देती है और लालच अपराध को ! 
भगवान राम की जन्म स्थान से संबंधित की गयी टिप्पणी इस बात को दर्शाता है कि नेपाल के प्रधानमंत्री किस कदर चीन के आगे नतमस्तक हो चुके हैं उन्हें भारत विरोध के अलावा कुछ नहीं सोच रहा है !
मगर फिर भी हम भारतवासी इन बचकाना बयानों के बावजूद भी नेपाल और नेपाल के नागरिकों के लिए तनिक भी विद्वेष की भावना नहीं रखते ! 
जाओ भाई राम नेपाल में जन्म लिए, सरयू नेपाल में ही है ! रामसेतु नेपाल और लंका की बीच बना ! हमने मान लिया ! 
बनाओ भव्य राम मंदिर नेपाल में हमलोग दर्शन के लिए जरूर आएंगे ! चंदा में देंगे अरे छोड़ो सारा पैसा इंडिया के लोग दे देंगे !
माँ जानकी का जनकपुर तो विकसित भी कर नही पा रहे और बातें   आसमान में पुल बना देने की...
नेपाल खुद को गिरवी रखने की दिशा में बड़ा चला जा रहा है अगर बुद्धि भ्रष्ट होती है तो दिमाग काम करना बंद कर देता है ! बिल्कुल इसी अंदाज में नेपाल का राजनीतिक नेतृत्व खुद को चीन के हाथों समर्पित कर रहा है !

कालापानी और लिपुलेख पर उसका दावा है ! तुम्हारे नक्शा बना लेने से भारत की जनता को उतना ही फर्क पड़ता है जितना पाक के शांति संदेशों से !!! मतलब घंटा भी फर्क नहीं पड़ता !
अपने बच्चों जैसे बयानों से नेपाल भारत का उतना ही कुछ कर लेगा जितना शेर की मांड में रहने वाले चूहे उसका बिगाड़ लेते !   
फिर भी नेपाल हमारा पड़ोसी ही नहीं हमारे एक परिवार का हिस्सा है ! परिवार में कुछ लोग गलत संगति के असर में आ जाते हैं पर देर सबेर जब ठोकर लगती है तो वापस लौट आते हैं !
अतः नेपाल की लापरवाही ऊपर हमें हंसी भी आती है और दया भी की सनातन संस्कृति वाले देश में इस तरह की विचारधारा का पनपना नेपाल के लिए तो एक अच्छा संकेत नहीं है !
वहां की जनता सोचे विचारे और एक अच्छे प्रबुद्ध दूरदर्शी राजनेता को अपने देश का नेतृत्व दे...
इसी में नेपाल और समूचे दक्षेस देशों की भलाई है !!!
#जय_हिंद 🇮🇳

01 July 2020

● बाबा रामदेव बनना आसान नहीं ●

क्या हम कभी ये कल्पना कर सकते थे की कोई भगवा चोला पहने बाबा खुद ही कंपनी का डायरेक्टर, प्रोड्यूसर हीरो बनकर हिंदुस्तान यूनिलीवर जैसी तमाम दिग्गज कंपनी को ठिकाने लगा देगा ? 
स्वामी रामदेव योग के बदौलत दुनिया में स्टारडम हासिल कर चुके हैं, वो योग जिसे कभी मूर्ख भारतीय ही मज़ाक समझा करते थे ! यूँ दाढ़ी बढ़ाकर, एक आंख छोटा करके स्वदेशी होने का हुँकार भरते बाबा इस देश के रियल आइकॉन हैं ! 


हमें ऐसे लोगों का बेशक अनुसरण करना चाहिए, जो सादगी-शिष्टता से राष्ट्र का संरक्षण कर रहा हो ! आसान नही है कि राजनीतिक प्रतिद्वंदिता झेलकर या सरकार से लड़कर एक सामान्य व्यापार भी आप चला लें, मगर बाबा ने यहां स्वदेशी साम्राज्य खड़ा कर डाला !
स्वामी रामदेव अब अम्बानी, अडानी जैसे उधोगपतियों की सूची में खड़े हो चुके हैं ! ये सच भी है कि आज आयुर्वेद की स्वीकारिता लोगों के बीच होने की वजह बाबा रामदेव हैं ! 
जिन्होंने लोगों में अपनी योग और आयुर्वेद के बदौलत विश्वास कायम की !


कोरोना काल में हमें बाबा रामदेव से ऐसे ही किसी चमत्कार की उम्मीद थी ! कोरोनिल पर मेडिकल माफियाओं ने जितना भी उछल कूद मचाया हो, लेकिन बाजार में पतंजलि स्टोर की अपनी विश्वसनीयता है ! लोग इसे हाथों हाथ लपक लेंगे... 
स्वामी रामदेव की यह विश्वसनीयता उनके अथक परिश्रम का परिणाम है... 


हमें तो गर्व करना चाहिए कि भारतवर्ष में ऐसे ऐसे योद्धा फिर से पैदा होने लगे हैं जिनके सनातन ज्ञान-विज्ञान के आगे दुनिया नतमस्तक होने को मजबूर हो रही है...

18 June 2020

● माटी के लाल हैं ये ●

जहाँ देखे फौरन जय हिंद के उद्द्घोष के साथ सैल्यूट करें ! ये मनोबल ही उनके रक्त में उबाल रखेगा...
किसी भी आर्मी के परिवार को कोई दिक्कत हो फौरन हमें मदद करना है ! बस, ट्रेन, एयरपोर्ट कही भी कोई जवान दिखे पूरे सम्मान के साथ सीट पर बिठायें ! 
आसान नही है मित्र सैनिक होना... 


5 से 6 डिग्री में लूज़ मोशन हो जाता यहां, जबकि -40°C में बंदूक के साथ 40 kg वजन लेकर कोई महामानव ही खड़ा रह सकता !
इन्होंने 17000 ft की ऊंचाई पर लड़ाई लड़ी है ! जहां आप आसानी से सांस नही ले सकते वहाँ हमारे वीरों ने स्वाभिमान बचाया है ! युद्ध में गिनती गिनना कायरता मानी जाती है, बस परिणाम देखा जाता है ! सिकंदर के विशाल फौज के साथ पोरस का युद्ध हुआ था, पोरस की बहादुरी से डरकर विश्वेजेता की सेना ने आगे ही बढ़ने से मना कर दिया !


चीन की अवकात ही क्या है ? दुनिया का एक मैनुफैक्चरिंग हब बस ! 
कितनी युद्ध लड़ी है चीन ने 1962 के अतिरिक्त ? वो भी भारत की थल सेना से जिसका राजनीतिक नेतृत्व फट्टू और कमजोर लोगों के हाथों में था ! मार्शल आर्ट और कुंग फू के सिनेमैटिक एक्शन से युद्ध नही जीते जाते 4 फुटिये ! जिगरा चाहिए जिगरा !
तो सुन, ये वो भारत है जिसकी प्रतिदिन कश्मीर में युद्ध चलती है ! हमारी फौज हर दिन युद्ध करते करते पारंगत हो चुकी है ! 


यूँ नही हमारे 20 तुम्हारे 40 पर भारी पड़े ! 
हमें युद्ध का तनिक भी भय नहीं, वीर जन्मती है यहाँ की माताएं ! तिरंगे में लिपटे लाल को सलामी देती है... पिता पोते को भेजने की कसमें खाता है ! उस वीर की वीरांगना वर्दी पहने फिर लड़ने आ जायेगी... तब क्या करोगे तुम !
साम्यवादी मंसूबों को चीन तक रखो तो बेहतर है ! 
तिब्बत, अक्साई चीन की कसक हर हिंदुस्तानी के दिल में है ये याद रखना !
और हमरे भोले बाबा को कैलाश... अरे पैदल चल देंगे बाबा के दर्शन को... तांडव हो जाएगा पगले !!!
#जय_हिन्द 🇮🇳🇮🇳🇮🇳

28 May 2020

बिहार बोर्ड का गिरता स्तर

बिहार बोर्ड मैट्रिक का रिजल्ट आया ! फिर एक गुदड़ी के लाल ने शिखर पर झंडा लहरा दिया !
बात पढ़ाई की हो और उसमें बिहार का नाम होना ही अपने आप में एक भौकाल है !
आज भले ही बिहार बोर्ड में सफलता का प्रतिशत बहुत अधिक जबरदस्ती कर दिया गया है ! लगभग सारे बच्चे पास कर दिए जाते हैं ! पहले कराए जाते थे और अब कर दिए जाते हैं ये अंतर पिछले 10-12 सालों में आया है !


पहले ढ़िबरी और लालटेन में पढ़कर बिहारी लौंडे कभी आईएएस और आईपीएस की फैक्ट्री इसी बिहार को बना देश में महफ़िल लूट ले जाते थे, जो आज प्रवासी मजदूरों की फैक्ट्री बन गई है !
बात दिमाग की हो बात बुद्धिमानी की हो तो अव्वलता हमेशा बिहार के दर्जे में ही आएगी ! 100% यूनिवर्सल ट्रुथ है की अगर अंग्रेजी लटके झटके, यो यो हनी लुक से इतर सिर्फ प्रखरता, बुद्धिमानी को पैमाना माना जाए तो कोई आसपास नही टिकता !
लगभग अधिकांश प्रतिष्ठित जॉब भोजपुरी एक्सेंट मिक्स अंग्रेजी बोलने वाले लौंडे ले उड़ेंगे ! यूँ गद्देदार घूमने वाले कुर्सियों पर बैठे, गले में गमछा डाले हम बिहारी मुखातिब हो जाएंगे !
बिहारियों के अंदर प्रतिभा का ह्वास इधर 10-12 सालों से बहुत अधिक होने लगी है ! मतलब सोचिये कि जिस राज्य को ना बिजली नसीब हो, सड़क, टेलीविजन, रेडियो,अच्छी किताबें, अच्छे स्कूल इन सबों से दूर-दूर तक कोई वास्ता ना हो उसके बावजूद भी यह हमारा स्वर्णिम बिहार यूपीएससी का झंडाबरदार हुआ करता था ! 


बिहार बोर्ड का अपना जलवा था भाई ! 20 से 30 फीसदी सक्सेस रेट होता था मैट्रिक में पहले ! थर्ड पास होने वाला सीना तान कर 10 गांव में जा सकता था !
परंतु बदलते परीक्षाओं के पैटर्न ने बच्चों के अंदर पढ़ाई की जगह सिर्फ अंक आधारित बना कर रख दिया ! हम CBSE के नक्शेकदम पर क्यों चलने का प्रयास कर रहे हैं ? घोड़े की तरह इनका नाल क्यों ठुकवा रहे ?
आज क्या हम अधिकांश बच्चों को जबरन पास नही करा रहे ! 
उसमें भी इतनी बेहद निम्न स्तर की परीक्षा प्रणाली जिसमें सिर्फ बिना बौद्धिक ज्ञान को समझे-परखे सिर्फ ऑब्जेक्टिव प्रश्नों के सहारे उसे जबरदस्ती पास कर दिया जा रहा ! क्या यह हमारी जड़ों को खोखला नहीं कर रहा ?


किस आधार पर हम 15.5 लाख में कुल 80.59% छात्रों को धकेलकर आगे बढ़ा रहे हैं ? स्कूलों की बदहाली और शिक्षकों की अयोग्यता को ढकने का ये प्रयास गंभीर चुनौती खड़ी करेगा !
मतलब साफ है कि हम अपने भविष्य को पढ़ने को प्रेरित करने, बौद्धिक समझ विकसित करने की जगह उसे बेरोजगारी के इस दुष्चक्र में फंसाने का तानाबाना बुन रहे !


बिहार के पास है ही क्या खोने को, बचा जो झारखण्ड को दान कर दिया, कुछ भैंसिया चारा खा गई और बाकी तमंचे के दम पर नाम बुरा डाला ! अब प्रवासी बनकर इधर उधर लतियाये जा रहे ! एक ही तगमा था प्रतिभा का, दिमाग का, बुद्धि का वो भी खत्म करने के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया गया है...

22 May 2020

बिहार बेकार है क्या ?

#Industryinbihar 
हमारा अनमोल बिहार बेकार है क्या ? इस लॉक डॉन में बिहार के प्रवासी मजदूरों कि जो हकीकत मीडिया के माध्यम से हम तक पहुंची उसने हमारे रोंगटे खड़े कर दिए !
वाकई देश को राजनीति का पाठ पढ़ाने वाला बिहार क्या राजनीतिविहीन हो चुका है ? क्या रोजगार और मजदूरों के मसले पर हमारा प्रदेश बिल्कुल असक्षम हो चुका है ? 
15 साल हमने एक पिछड़े के नाम पर बागडोर सौंपी लेकिन उसने दगा दिया तो हम बिहारियों ने पलटवार करते हुए एक साफ-सुथरी छवि वाले जमीनी नेता को बिहार के सिर पर विराजा !
मगर इन 15 सालों में राजनीति, वाहवाही के अलावा रोजगार और उद्योग धंधों के मसले पर कोई खासी प्रगति दिखाई नहीं दी !

लोग यूं ही ट्रेनों में शौचालय तक में भर भर कर दिल्ली मुंबई सूरत कमाने जाते रहे! बिहार की श्रम शक्ति दूसरे राज्यों की तरक्की में अपना खून पसीना सींचती रही ! लेकिन शायद केंद्र और राज्य सरकार को इसकी कोई भनक तक नही थी ! 
अपना पेट भरा हो न साहेब तो दूसरे की भूख की आह सुनाई नही देती !
मान लिया हमने कि आपकी पिछली सरकार जिन्होंने 15 साल बिहार में राज्य किया उसने लूट खंसोट कर उद्योग धंधों समेत लगभग तमाम रोजगार की संभावनाओं को खत्म कर दिया ! 
मगर आपने इन 15 सालों में उसे जीवंत करने की कोशिश क्यों नहीं की ? 
झारखंड का बंटवारा हुआ, सारे प्राकृतिक खनिज संसाधन झारखंड के हिस्से चले गए और बिहार को ठेंगा मिला !

चूंकि बिहार एक लैंडलॉक्ड स्टेट है सो कोई व्यापारिक कंपनियों के यहां उद्योग धंधे बसाने की कोई संभावना है दूर-दूर तक तो दिखती नहीं है !
टैक्स में कोई छूट देते नही हो आप ! दारूबाजी की तिकड़म में राज्य का खजाना खाली कर चुके हो ! नौकरियों में स्थानीय आरक्षण लागू करने की जगह गैर बिहारियों को खैरात बाँट रहे हो !
नौकरी दी भी कितनी है शायद नौकरियां बिहार में खरीदी जाती है !
100 तरह की योजनाएं बना डाली ! 
नाली गली पेयजल, ये निश्चय वे निश्चय, मगर लांग टर्म रोजगार कहाँ दी ये बताइये ! मनरेगा में मजदूर काम कर रहा लेकिन 2 महीने में सड़क बन गयी, नहरें तालाब खुद गयी फिर.... बेरोजगार बना दोगे ! ये मजदूरों के पलायन की मुख्य वजह यही है !
उद्योग-धंधे को बढ़ावा नही मिल रहा ! 
आदमी कहाँ जाए... ? 
प्रति व्यक्ति आय न्यूनतम है महाशय यहां की ! केंद्र क्यों सोचेगा आपको स्पेशल स्टेटस के लिए ? माइग्रेंट्स वर्कर्स यहाँ की ताकत है ! अब यूज़ कीजिये, ये कोरोना शायद बिहार के लिए गेम चेंजर साबित हो ! नही तो बिहार पिछला था, है और आगे रहेगा इसकी भी संभावनाएं प्रबल है !

मजबूर कीजिये उद्योगपतियों को !
एक बेहतर रणनीति तैयार करनी होगी बिहार के किसी हिस्से में एक बड़ा सा स्पेशल इकोनामिक जोन बनाना होगा, केंद्र सरकार को इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है !
इसलिए कड़े नीतिगत फैसले लेने की जरूरत है राज्य के स्तर पर ! मगर बिना केंद्र के तो संभव नहीं दिखाई देता है !
राज्य का राजस्व बहुत ही खराब और दयनीय स्थिति में है !शराबबंदी से कुछ हासिल नहीं कर पाए सिवाए वाहवाही के मगर अब सोचना होगा !
बैंकों से जबरदस्ती कर्ज दिलवाइये उद्योगों को ! यहाँ के लोगों के जमा पैसे से अन्य राज्यों के उद्योगपतियों को लोन देकर NPA करवा ले रहा ! यहां की जमा राशि की तुलना में पैसे देने के लिए बाध्य कीजिये ! सारी लाईसेंस व्यवस्था ऑनलाइन करिये !

सड़कों पर पैदल चलती हमारी श्रम शक्ति और इस देश की आन बान और शान नारी शक्ति जो अपने बच्चे को बैग पर लादकर नंगे पांव सड़कों पर चलती दिखी क्या यही हमारे हिंदुस्तान में बिहारियों का अस्तित्व है ??? 
#Indusryinbihar

01 May 2020

बिहार अभी जिंदा है...


बिहारी जो अपनी मेहनत से सींचता है हमारी अर्थव्यवस्था को, तराशता है अमीरों के हर शौक को ! मगर वो बेबस ही क्यों होता है ??
मजबूरी उसे अशिक्षित पैदा करती है और जीवनपर्यंत अशिक्षित ही छोड़ देती है ! गरीबी उसमे भूख पैदा करती है और हमारा सिस्टम जब उसे भूखा ही छोड़ देता है तब यही मजदूर शब्द खलनायक बनकर मानवता को जलील करता है !


ये जो आजकल अपने सिर पर बोरे लादे, कंधे पर बैग टाँगकर दिल्ली से बिहार की तरफ कूच कर रहे हैं न, यही हमारे राष्ट्र के कर्ताधर्ता हैं !
हमारे बच्चों के खिलौने, आइसक्रीम के शौक यही तो पूरे करते हैं ! हमारे घर बनाने के अरमानों को यही तो तराशते हैं !

जिस जीडीपी के नगाड़े हम दुनिया भर में बजाते हैं न, ये उसके सिरमौर हैं !
माथे पर रखी इनकी गठड़ी, उनके अंदर भूख से हाँफ रहा हुनर और आंसू बनकर छलक रहा खौफ देखकर पत्थर भी पिघल गए...
शब्दविहीन कर दिया इस दृश्य ने !


अमीरों के ईमान को तार तार कर दिया, जो इन मेहनतकश को दो रोटी खिला रख नहीं पाए ! किस बात का मेट्रोसिटी.. किस चीज की आधुनिकता ? उस शिक्षा का क्या फायदा जो आपने कान्वेंट से लाखों खर्च कर ली ? जो दो वक्त की रोटी की गारंटी नही दे पाए !


ये अशिक्षित हैं मगर मूर्ख नहीं ! इनके बाप दादाओं ने आपके जैसे संपत्ति छोड़ नही गए थे ! खैरात पर नहीं पले ! मजदूरी कर बीबी बच्चों का पेट पाला !
ये आपके जैसे विदेश घूम कर बीमारियां नही लाते ! ये इसी मिट्टी पर आपकी फ़ैक्टरियों में मेहनत करते और बस जिंदा रहते हैं !

इनकी वजह से आपका चकाचौंध है.. ओला, उबेर, रेस्त्रां है.. आपकी मंडी है.. आपके बच्चे का स्कूल बस है.. आपकी सोसाइटी की सुरक्षा है.. आपके बन रहे फ्लैट्स हैं.. और इनके दम पर आपकी फैक्ट्री चल रही..
मगर आप कायर निकले !


ये मजबूर हैं, पता हैं क्यों ? क्योंकि ये राजनीतिक महत्वकांक्षा के शिकार हुए लोग हैं.. राजनीति ने इनके बिहार को लहूलुहान कर रखा है ! इनके अधिकारों का गला घोंट दिया गया है..
ये बुद्ध की धरती से हैं, नालंदा विश्विद्यालय के प्रकाश से प्रस्फुटित अतीत के वंशज हैं ये !


आकर देख लो बिहार की सड़कों पर.. मानवता की सेवा कैसे की जाती है !! दया, करुणा हर बिहारी में जिंदा है.. अभी बिहारी नौजवान जिंदा है...

---30/03/2020---

India's Coronavirus Lockdown Leaves Vast Numbers Stranded and ...

22 March 2020

बिहार दिवस

आज बिहार दिवस है ! 
देश की मिट्टी को पसीने से सींचने वाले राज्य का दिवस है ! मेहनत के उजाले में भारत की आर्थिकी को गति देने वाले बिहारियों का गौरवगान है ! 

अपनी मेहनत, बुद्धिमता और लगनशीलता से दुनिया में परचम लहराने वाले कि धरती है मेरा बिहार !
बिहार का वह गौरवशाली अतीत जहाँ से ज्ञान का प्रकाश प्रस्फुटित हुआ ! 

बुद्ध और महावीर की धरती... सम्राट अशोक की नींव पर खड़ा... और बापू के आह्वाहन की कर्मभूमि... ओह यह मेरा बिहार है...

शानदार... जबरदस्त... जिंदाबाद...

अपने बलबूते राजनीति के शिखर पर शंखनाद करता है यह बिहार...
देश की आर्थिकी की डोली को अपने कंधों पर ढोता कहार है बिहार... 

जाहिलों से खतरा

पहली बार इन विशिष्ट क्लास लोगों पर खतरा मंडराया है ! 
घूमो विदेश, करो अय्याशी, लुटाओ हराम से कमाए पैसे... रोका किसने है ? मगर तुम जाहिलों की बड़ी फौज से इस देश को खतरा है ! 
कचरे वाली गाड़ी देखकर मुंह रुमाल से ढक लेते हो ! सफाईकर्मी बगल से गुजर जाए तो टेढ़े लँगड़े होकर 2 फूट का डिस्टेंस मेन्टेन करते हो ! होटलों रेस्टुरेंट में बेचारे निरीह वेटरों को डाँटते हो ! किसी भी लाइन में लगना तुम्हे पसन्द नहीं ! टैक्स की डकैती करते हो ! 
अंग्रेजी की बदबूदार गंध मचाते फिरते हो !

किस बात का इलीट क्लास बे ! थोड़ी भी लज्जा बची है क्या तुममे ! थोड़ा भी सेंस लेकर पैदा नही हुए क्या ? देश का प्रधानमंत्री हाथ जोड़ रहा है, घरों में रहने की विनती कर रहा है ! मगर तुम ठहरे असली गंवार ! अंग्रेजी स्कूलों वाले हो न इसलिए मास्टर का सोंटा नही पड़ा कभी, माँ बाप का झापड़ नही खाये हो ! संस्कारहीन हो एकदम इसलिए अक्ल से पैदल तो रहोगे ही !

ये अंग्रेजियत की बदबूदार बास हम लोगों के सामने मत निकलना कभी ! सारा नाबाबशाही निकल जायेगा... 
जिम्मेदार बनो... नही तो बेमौत मारे जाओगे...
तुमसे कोई सहानभूति नही मगर तुम्हारे कारण इस देश की मासूम जनता संकट में है... इसलिए बता रहा... सुधर जाओ... 
अकड़गिरी नही चलेगी ! कुत्ते की मौत मारे जाओगे... 
#जयहिंद 

16 March 2020

डंडे की ताकत


Image may contain: 2 people, people standing, people walking and outdoorअनुशासन का मूल सख्ती है ! भय इंसान को अनुशासित करने का प्रयत्न करती है ! अनुशासन के बल पर उद्दंडता की समाप्ति की जा सकती है ! दुनिया के तमाम देशों की बेहतरीन सेनाएं अनुशासन के बदौलत ही समस्याओं को आसानी से फतह कर डालती है !

सशस्त्र सेनाओं की ट्रेनिंग के दौरान ट्रेनर के डंडे का बेहद अहम रोल होता है ! यह डंडा तराशता है हमारी फौज को और उन्हें वीरता निडरता से सिंचित करती हैं !
सशस्त्र बलों का तगड़ा अनुशासन और ट्रेनिंग का परचम बॉर्डर पर बिखरता मिलता है ! इन्हें चट्टानों से फौलाद बनाया जाता है !
वीरता की अग्नि में तपकर रियल हीरो की माफिक बैटल्स ग्राउंड में जलवा दिखाते हैं !
सरकार हम पर शासन कैसे करती है ?
सीधी एवं सरल शब्दों में कहें तो पुलिस के माध्यम से !
लोग पुलिस से क्यों डरते हैं ?
लोग पुलिस ने नहीं बल्कि उसके डंडे से डरते हैं, कानून के प्रावधानों से डरते हैं !अराजकता को दूर करने का सबसे साधारण उपाय है सख्ती बरतने का ! कानून एवं उसके प्रावधान, सरकारें डंडे के बल पर नागरिकों पर लागू करती है ! अन्यथा अव्यवस्था का वातावरण कुव्यवस्था को जन्म देगी निश्चित तौर पर हिंसा पर ही समाप्त होती है !

जैसे हम कुत्ते जैसे जानवरों को अगर ट्रेंड कर 'स्निफर डॉग' बना सकते, घोड़े को नियंत्रित कर सशस्त्र दस्ते में शामिल कर सकते, तो मनुष्य जैसे समझदार प्राणी को व्यवस्था के साथ चलने को बेशक बाध्य कर सकते हैं ! मगर बिना भय के प्रीति नहीं होती !
सामान्य तौर पर हम देखें तो अगर बच्चे को डांट-मार ना पड़े तो वे बेशक अनियंत्रित होकर असामान्य व्यवहार करेगा ! आजकल के युवाओं में पनप रही इस गतिविधियों के जिम्मेदार उनके लालन-पालन करने वाले हैं !
चूंकि चाणक्य कहते हैं कि पहले 5 वर्ष बच्चे को खूब दुलारना चाहिए, 5 से 13 वर्ष तक कठोर अनुशासन में सभी संस्कार सिखा दो और फिर मित्रवत व्यवहार करना चाहिए !
जो लोग बच्चे में अनुशासन पैदा करने के प्रयत्न को हिंसा का नाम देते हैं वे निश्चित तौर पर ही किसी पाश्चात्य विकृति का शिकार है ! नहीं तो भारत जैसे विकासशील देश कुल बजट का 20% रक्षा पर क्यों ख़र्चता है ?
दुनिया के तमाम देशों के बीच हथियारों की खरीदी की होड़ क्यों लगी रहती है ?
मतलब शासन का मूल ही अनुशासन है !

प्राचीन राजाओं और आज तक की सरकारें डंडे के बल पर ही शासन करते आएं हैं ! विदेशी आक्रमणकारियों की आततायी बर्बरता ने ही भारतवर्ष जैसे गौरवशाली अतीत को कलंकित किया है !
मगर शासन करने का मूल उद्देश्य मात्र व्यवस्था स्थापित करने से नहीं है बल्कि नागरिकों की जरूरत की पूर्ति हेतु राजस्व संग्रह से भी है !
जिस देश की पुलिस मजबूती से देश के अंदर शांति स्थापित रखती है वह राष्ट्र उतनी ही तेज प्रगति कर सकता है !

भारत के परिपेक्ष में यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जहां एक पुलिसकर्मी पर लगभग 663 नागरिकों का दायित्व है !
कुल 130 करोड़ की विशाल आबादी एवं सुदूर भौगोलिक विविधताओं के बावजूद भी हम प्रगति कर रहे हैं तो स्पष्ट है कि हम सभ्य नागरिक होने का दायित्व बखूबी निभा रहे हैं चाहे डंडे के डर से निभा रहे हैं या इंसान होने के नाते मगर निभा जरूर रहे हैं...
धन्यवाद !!!