03 September 2020

● बेरोजगार की आवाज ●


युवावस्था में बड़ी आबादी की बेरोजगारी किसी देश के अर्थव्यवस्था के लिए संकट के समान है ! ये दर्शाती है कि देश और तंत्र की नीतियां भटक चुकी है... आपने बेरोजगारों की ये जो बड़ी फौज तैयार कर ली है इसका हल दूसरे को थोड़े ढूंढना होगा ! कॉस्ट कटिंग के नाम पर नौकरियों पर रोक लगा देना किसी भी परिस्थिति में दूरदर्शिता नहीं कहा जा सकता !
सभी लोगों को नौकरियां नही दी जा सकती, मैंने मान लिया.. 
परंतु सभी व्यापार तो नहीं कर सकते, पकौड़े भी तो नहीं तल सकते ! सबकी अपनी अपनी क्षमताएं होती है ! अब हाथी पेड़ पर नहीं चढ़ सकता.. चींटी को गधे नहीं बना सकते.. 
एकसमान ढर्रे पर हम जनता को ले जाने की कोशिश भी नहीं कर सकते ! आप नीतियों के सहारे उसे बस व्यवस्थित करने की कोशिश कीजिये ! भारत जैसे लोकतांत्रिक देश पूंजीवादी तौर तरीके से नहीं चल सकते..

युवा को नजरअंदाज करना क्रांति को बुलावा देने के समान है ! वो भविष्य है इस भारतभूमि का.. मान लिया हमने की पूर्ववर्ती सरकारों ने कुछ नहीं किया मगर आपको तो लाया की शायद आप इस तकलीफ को समझेंगे.. यहां स्थिति एकदम उलट हो गयी है, 59 तरह के आयोग और कमीशन बना देने से व्यवस्थाएं नहीं बदलती ! जनता को, युवा को भरोसा में रखना सीखिए.. उनके लिए नीतियां बनाइये..
क्या फायदा एसएससी और RRB जैसे बोर्डों का जो एक एग्जाम तक नहीं करा पा रहे..

बेरोजगारों के लिए क्या उपाय किये ? 
बैंकों से लोन लो और बिज़नेस करो, ये ध्येय था इस लोकतांत्रिक भारत का ? लोकतंत्र में चुप्पी बेहद घातक होती है.. जनता के प्रति जबावदेही ही इसकी सार्थकता सिद्ध करती है !
लोगों की क्रय शक्ति घट रही, कई सेक्टर ऑटोमेशन पर जा रहे, लॉकडाउन के कारण कई इंडस्ट्री बर्बाद हो गयी है फिर भी लोन बाँट कर वाहवाही लूटने की कोशिश निरर्थक प्रयास है ! खाने को पैसे नहीं वो क्या लोन और ब्याज चुकाएगा..

युवाओं की समस्या के प्रति सरकार को गंभीर हो जाना होगा ! ये मुद्दा राष्ट्रहित से अलग है सो सभी राष्ट्रवादी निश्चित ही युवा के साथ खड़े मिलेंगे ! परीक्षा प्रणाली में CET मात्र के सहारे नहीं सुधारा जा सकता.. UPSC में जिस तरह से धनाढ्य और अंग्रेजी मानसिकता वाले लोगों का चयन हो रहा है, ये आने वाले सालों में बिना जमीनी समझ के देश के नीति निर्माता बनेंगे.. भगवान मालिक होगा ऐसे अधिकारियों का.. 
#जय_हिंद
#SpeakUpForSSCRailwayStudents

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