सुशांत मैटर पर देश के अधिकांश लोग नचनिया गैंग के विरोध में उबाल मार रहे है !
साजिशें बॉलीवुड की फितरत में है, नग्नता उसकी संस्कृति है और निर्लज्जता ही स्टारडम होता है !
भारतीय सिनेमा जगत पर भारतीय समाज को संवारने, उसे सही दिशा दिखाने की जिम्मेवारी रही है, क्योंकि बच्चों से लेकर बूढ़े तक फिल्मी अंदाज एवं उसके हावभाव की नकल करने लगते हैं ! अधिकांश लोग खासकर हम 90s वाले तो पर्दे को ही असली दुनिया मानते थे ! प्यार, मोहब्बत या इश्क जैसी भावनाओं में नंगापन लाकर भारतीय समाज की जड़ इसी बॉलीवुड ने खोदा है !
पर्दे के नकली स्टारों को जबरदस्ती हमने सिर पर बिठाया, अब वो अपने कचरे को लादने का प्रयास कर रहे तो गलत क्या है !
लोगों की चुप्पी ही मौन स्वीकृति है, नहीं तो हज़ारों सुशांत को नचनिया गैंग ने निपटा डाला है !
आखिर इन गिरोहों में हिम्मत कहाँ से आती है ! कौन लोग हैं इनके पीछे ? ये रक्तरंजित बॉलीवुड किस आधार पर भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है ?
भारत जैसे शालीन, विविधतापूर्ण संस्कृति एवं सभ्यताओं से सुसज्जित महान देश की इस बॉलीवुड ने क्या स्थिति कर दी है !
सरकार फिल्मों को सर्टिफिकेशन किस आधार पर करती है ये शायद से किसी को पता !
सुशांत मैटर ही सिर्फ CBI जांच का ही हिस्सा नहीं होनी चाहिए ! CBI के पास अपनी विश्वसनीयता साबित करने का सुनहरा अवसर है.. उसे इस अंधी दुनिया की जड़ें खुरेदनी चाहिए.. भारतीय संस्कृति की अस्मिता बचाने का ये अवसर है.. उसे पर्दे के पीछे के सारे काले रहस्यों को उघाड़ कर रख देना होगा !
बॉलीवुड ने देश के अंदर अबतक जो भी भसड़ मचाई है उसमें राजनेताओं का अहम रोल है ! खुलकर नही बोल सकता मगर अब जब सब सुधर रहा तो यह क्षेत्र क्यूं अछूता रहे -
● सरकार अभिनय क्षेत्र में आने से पहले राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिभाओं का चयन हेतु नियम बनाये !
● उनका अलग अलग कई लेवल की चयन प्रक्रियाएं की जाए जिसमे सेटिंग की कोई गुंजाइश न रहे (आयकर सुधार की तरह) !
फिर उन प्रतिभाओं का वर्गीकरण हो, उसी आधार पर फिल्मों में रोल मिले !
● डायरेक्टर, प्रोड्यूसर की मची गंध तत्काल हटे ! स्वच्छंद कहानीकारों को मौका दीजिये, संगीतकार-गायकों को भी पर्याप्त अवसर दीजिये ! किसी फिल्म के लिए देशभर से ऑनलाइन पोर्टल द्वारा गीत-संगीत हेतु इनामी राशि के साथ मौके ऑफर कीजिये !
● फिल्मों के लिए निविदा हो, फूहड़पन फैलाने वाले फौरन ब्लैकलिस्ट हो ! बाकायदा SOP जारी हो, सारी प्रक्रियाएं पब्लिक डोमेन में हो !
● सरकार को इस गैंग में सुधार के लिए आयोग या किसी निष्पक्ष समिति को वॉचमैन की भूमिका में बिठा देनी चाहिए ! जनता की शिकायत पर फूहड़पन, धार्मिक भावनाओं जैसे मसलों पर तत्काल जांच हो और दोषी लोगों के अभिनय और निर्देशन पर प्रतिबंध लगे !
इन सारी चीजों का दोषी हम और आप है ! कैसे इतने सालों पर अपने कचड़े को ये लोग हमारे सर पर डालते रहे और हम थिएटर के अंदर 200 का पॉपकॉर्न लेकर आह-वाह करते रहे !
ये बाहरी को देखना नहीं चाहते ! देश की सूटिंग लोकेशन्स इन्हें फालतू लगती है, मगर फिल्मों से पैसा इसी देश से चाहिए !
जनता की भावनाओं की इन्हें कोई कद्र नहीं, देशी संगीत से इन्हें नफरत है, नृत्य शब्द इन्हें सुहाता नहीं, कचरे में सुगन्धित पुष्प को मरवा देने से भी नहीं हिचकते !
कंगना जैसी वीरांगना की इस देश को जरूरत है ! सच को बाहर निकलकर लाने वाले ऐसी नारियों को हौंसला दीजिये !
मीडिया की मानसिकता भी बदलनी होगी ! दिनभर इन नचनियों के कचरे की डाइपर वाली खबरों पर बिजी इस मीडिया में भी जबाबदेही तय होनी चाहिए !
देश के प्रति भी कोई संवेदनशीलता होनी चाहिए यार ! हमारी संस्कृति की गौरवगाथा है हमारा भारतवर्ष ! शास्त्रीय संगीत-नृत्य और नृत्य कला हमारी विरासत है, इसी की बलबूते सारे संसार का आज मनोरंजन है और हम इसके जन्मदाता होते हुए भी ऑस्कर के लिए उन चोरों का मुंह ताकते हैं...
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