प्रखर राष्ट्रवाद एवं हिन्दुत्व की विचारधारा से ओतप्रोत लेखन करना अपनी आदत है ! भगवान महाकाल का छोटा सा भक्त हूँ ! विद्या की आराधना प्राथमिकता है ! किताब, कलम और इंटरनेट साथी है मेरे ज्ञान की ! थोड़ा सा आलसी हूँ मगर जिम्मेदारियों से कभी पीछे नही हटता ! थोड़ा घमंड है पर विनम्रता भी अंदर में जीवित है ! राष्ट्र का सम्मान करता हूँ, सेना को सर आंखों पर रखता हूँ ! झूठ चाणक्य के कहे अनुसार ही बोलता ! बस कलम से राष्ट्रवाद को धार देने की कोशिश में लगा रहता... आपके ब्लॉग पर आते रहने की लत लगी रहे...
03 November 2015
हिन्दू अब बोलने लगा.…
दिल्ली
का सिंहासन हज़ारों सालों तक इस्लाम का गुलाम रहा है। उसने महमूद गजनवी से लेकर
बाबर, हुमायूँ, अकबर, जहांगीर
तथा जिन्दा पीर औरंगजेब तक का शासन झेला है। इस दौरान अगर कोई चीज कॉमन थी तो वो
हिन्दू का गुलाम बना रहना है। चुपचाप कोड़े खाकर इस्लाम स्वीकार कर लेने वाला
हिन्दू अब बोलने लगा है। ज्ञात इतिहास की हकीकत है की हिन्दू गुलाम अधिक रहा है।
मुसलमान, अंग्रेज सबका वह दास रहा है और डर-डर
कर जिया है। हैरानी यह है की हज़ार सालों
तक इस्लामी राज्य में गुलाम हिन्दू कभी अपने धर्म के प्रति इतने सजग नहीं हुए, जितने की अब हो रहे है। नेहरू और अंबेडकर की बसाई सेक्युलर भारत में
बहुत सारे सेक्युलरिस्ट इस्लाम के इतिहास से डरते हैं। उनकी अवधारणा सच्ची हो या झूठी, उनका मानना है की भारत तभी तक शांत रह
सकता है, जबतक की इस्लाम की तलवार उसकी म्यान
में हो। उसके बन्दे उग्र न हो जाएँ, इसलिए उनकी हर ज्यादती को इतिहास से डरकर भुला दें। लेकिन भारत की
वास्तविक राजनीति की आड़ में धर्म का सहारा लिया जा रहा है।
अमेरिका
हमें सहिष्णुता सिखाता है, जिसके धर्मनिरपेक्ष मुखौटे के पीछे ईसाइयत कूट-कूट कर भरी है। हिन्दू को न तो ईसाई जैसा जबरदस्ती प्रचलित
बनाना है और न ही इस्लाम जैसा खून की नदियां बहाकर साम्राज्य विस्तार करना है, क्योकि हिन्दू धर्म वेटिकन से नहीं
चलता, खलीफाओं से नहीं चलाया जाता, किसी एक किताब के सहारे पर भी नहीं
टिका है.… मेरे यहाँ किसी को सूली पर नहीं लटकाया जाता, किसी को पत्थर मारकर दुनिया से नहीं
उठाया जाता। हम सेक्युलर हैं, आधुनिक हैं, लिबरल भी हैं और चरखे से शिकार करने
वाले भी नहीं हैं.……
एक युवा राष्ट्रवादी लेखक...
जिनकी रूचि लेखन के माध्यम से समाज की बेबाक तस्वीरों को सामने लाना है...
सीधी अंदाज में कहने की क्षमता इनके कलम की धार है...
लेखक महादेव के आगे नतमस्तक हो जाने वाले सनातनी हिन्दू हैं... जय हिन्द
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