प्रखर राष्ट्रवाद एवं हिन्दुत्व की विचारधारा से ओतप्रोत लेखन करना अपनी आदत है ! भगवान महाकाल का छोटा सा भक्त हूँ ! विद्या की आराधना प्राथमिकता है ! किताब, कलम और इंटरनेट साथी है मेरे ज्ञान की ! थोड़ा सा आलसी हूँ मगर जिम्मेदारियों से कभी पीछे नही हटता ! थोड़ा घमंड है पर विनम्रता भी अंदर में जीवित है ! राष्ट्र का सम्मान करता हूँ, सेना को सर आंखों पर रखता हूँ ! झूठ चाणक्य के कहे अनुसार ही बोलता ! बस कलम से राष्ट्रवाद को धार देने की कोशिश में लगा रहता... आपके ब्लॉग पर आते रहने की लत लगी रहे...
29 November 2015
ISIS की मंशा क्या?
पेरिस में जो कुछ
हुआ उसने पूरे संसार को झकझोर दिया| ऐसा नहीं है की फ्रांस की कोई बड़ी आबादी हताहत
हुई| उससे कई गुना ज्यादा मौतें विभिन्न आतंकवादी हमलों में हमारे देश में हो जाती
है| लेकिन कोई हल्ला नहीं मचता, क्योंकि हमारी ख़ुफ़िया व रक्षा प्रणाली पश्चिमी
देशों की तुलना में काफी कमतर है| यूरोपीय ख़ुफ़िया एजेंसी की साख पर सवाल उठने लगे
हैं| फ़्रांस दुनिया का सबसे सहिष्णु राष्ट्र माना जाता है| उसने बड़ी तादाद में
सीरिया व तुर्की से आये शरणार्थियों को पनाह दी, उदारता दिखाई लेकिन उसका यह
परिणाम? वाकई झकझोर देता है! इस्लाम का
इतिहास रहा है की वे जहाँ रहते हैं, उसके आसपास के माहौल को अपने जैसा थोपने की
जुर्रत करते हैं| फ़्रांस में बुर्के पर पाबंदी है, पर वे चाहते हैं की सारे लोग
बुर्के पहन कर घूमें, लोग ईद मनाएं, कुरान से चलें, शरियत को मानें| ऐसा नहीं
होता! ISIS का जन्म अमेरिकी-इराक नीतियों से हुआ है| दुनिया भर में अपनी युद्ध
अर्थव्यवस्था को फलने-फूलने के लिए अमेरिका ने ही अलकायदा को पनपने दिया, ISIS को
खूंखार होने दिया| अब क्यों डर रहे हो? जाओ किसी और देश की राजनीतिक, आर्थिक आजादी
ख़त्म करके एक और आतंकी संगठन को जन्म दो!
अमेरिका के जवान हवाई जवान हैं| वह अपने सैनिकों को जमीन पर उतारने से घबराता है| ड्रोन,
ISIS भारत में
इस्लामी राज्य कायम करने की इच्छा जता चूका है| और बगदादी के लिए तो भारत बेहद
सॉफ्ट टारगेट है| यूँ सैकड़ों को लाइन में खड़ा करके गोली मार देना... शरीर में बम
बांधकर उड़ा देना, सरेआम गला रेत देना... सोंचकर काँप जाता हूँ! भारत में आसान भी है, उनकी मदद के लिए है ना
हमारी सरकारी की चुनावपरस्त नीतियाँ, निकम्मे अफसर और राजनेताओं की सेक्युलर
विचारधारा! बेशक, हम तो काफी पहले से ही
कश्मीर के नाम पर आतंक झेल रहे हैं| बस कमी है तो बगदादी का भारत आकर इस्लामी राज
की डुगडुगी बजाने की... क्योंकि जबतक दुश्मन दरवाजे तक नहीं आ जाता, हमें विश्वास
ही नहीं होता की खतरा सही में है... यही दिल्ली का इतिहास रहा है...

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