प्रखर राष्ट्रवाद एवं हिन्दुत्व की विचारधारा से ओतप्रोत लेखन करना अपनी आदत है ! भगवान महाकाल का छोटा सा भक्त हूँ ! विद्या की आराधना प्राथमिकता है ! किताब, कलम और इंटरनेट साथी है मेरे ज्ञान की ! थोड़ा सा आलसी हूँ मगर जिम्मेदारियों से कभी पीछे नही हटता ! थोड़ा घमंड है पर विनम्रता भी अंदर में जीवित है ! राष्ट्र का सम्मान करता हूँ, सेना को सर आंखों पर रखता हूँ ! झूठ चाणक्य के कहे अनुसार ही बोलता ! बस कलम से राष्ट्रवाद को धार देने की कोशिश में लगा रहता... आपके ब्लॉग पर आते रहने की लत लगी रहे...
09 November 2015
बिहार का जनादेश
कुल
मिलाकर जाति का गठबंधन लड़ा भी और जीता भी। लेकिन मैंने पहले भी कहा था की BJP कोई दूध की धूलि नहीं है। जिस तरीके से
उसने इस चुनाव में बे-रोक-टोक अपार धन का इस्तेमाल किया, उससे जनता का उनके साथ किया सुलूक सही
भी लगता है। पूरी केंद्रीय कैबिनेट का
मैदान में उत्तर जाना, मुख्यमंत्री
उम्मीदवार न घोषित करके मोदी चेहरे पर चुनाव लड़ना या सिर्फ चुनाव के लिए गाय, बकरी का इस्तेमाल की राजनीति बिहारियों
को तस-से-मस कर दे, ये
हो नहीं सकता। हम ये मानते हैं की नितीश और लालू ने जातिवाद
के दम पर जीत हासिल की, पर
एक कोने में ही सही विकास मुद्दा था।
लेकिन, इनके झंड़े ढोने वाले कार्यकर्ताओं को
गुस्सा उस वक्त भी आया था, जब बीजेपी ने मौकापरस्ती करके मांझी और पासवान जैसे मौकापरस्तों को
साथ ले लिया। किसलिए? जातिवाद के सहारे जीत हासिल करने के लिए।

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