13 January 2023

आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस

ChatGPT नामक ऑनलाइन AI टूल्स को लेकर सॉफ़्टवेयर मार्केट में ज़बरदस्त दहशत है. कई एक्सपर्ट्स बता रहे की ये पूरी तरह से सॉफ़्टवेयर फ़ील्ड की सामान्य निचले कर्मियों की छुट्टी कर देगा.

कोई प्रोग्राम बनानी हो, वेबसाइट बनाना हो.. इसे बेसिक कंटेंट के साथ यह बता दीजिए उसमें किस तरह की प्रोग्रामिंग चाहिए, ऑप्शन चाहिए, इंटरफ़ेस होना चाहिए.. सारी कोडिंग चुटकियों में लिखकर सामने हाज़िर कर देगा.
अभी कई टीम मिलकर सॉफ्टवेर में आये बग यानी दिक़्क़तों की पहचान करते हैं और बैकएंड से उसे ठीक करते हैं. मैनपावर का यूज़ हो रहा मतलब लाखों लोगों को इसमें रोज़गार मिला हुआ है. AI टूल्स सेकंड भर के अंदर कोडिंग की गलती निकाल कर दे देगा.
फ़िल्म की स्टोरी लिखवानी है, भाषण तैयार कराना है इसे बेसिक इनपुट दीजिए करैक्टर से परिचित कराइए देखिए हज़ार अलग अलग कहानियाँ लिखकर दे देगा. पसंद बताइए, राग बताइए बिलकुल नये गाने कंपोज़ कर देगा.

खबर यह भी है की अमेरिका में हेल्थ सेक्टर के अंदर AI का अलग भौकाल मचा हुआ है. ईसीजी हो, एक्सरे हो मशीन सीधे AI टूल्स की मदद से एक स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स से कहीं अधिक सटीक डायग्नोसिस करके बता देगा. AI का मतलब यह है की मशीन ख़ुद ही सीखता है. एक बार गलती कर दी तो दुबारा कभी नहीं करेगा, यह मेमोराइज़ कर लेगा. धीरे धीरे इतना विकसित हो जाता है कि हज़ार डॉक्टरों इंजीनियरों का एक्सपीरियंस अकेले एक AI सॉफ्टवेर के पास होगा.
ये प्राइमरी लेवल का स्वास्थ निश्चित ऑटोमेटेड सिस्टम पर ला देगा. ई-हॉस्पिटल प्रोजेक्ट सरकार ला रही है इंडिया में, यानी आपकी सारी हेल्थ रिकॉर्ड, कौन कौन सी दवा कब चली है, डायग्नोस्टिक रिपोर्ट में कब कौन सी बीमारी डिटेक्ट हुई सब एक ABHA आईडी पर रहनी है.
सोचिये सरकार एक चैटबोट ला दे, यानी AI टूल्स.. जैसे अभी फ्लिपकार्ट हेल्प, केंट, IOCL बुकिंग में इस्तेमाल हो रहा इसमें दूसरे एंड पर कोई इंसान नहीं बैठा होता बल्कि सॉफ्टवेर ख़ुद ही आपके सवालों का जबाब देता है आपकी मदद करता है..

वैसे ही नार्मल सर्दी खांसी हुई. सामान्य मौसमी बीमारी में झोला छाप डॉक्टरों के यहाँ जाने के बजाए चैटबोट ऑन कीजिए दिक़्क़त बताइए.. AI आपकी पूरी स्वास्थ कुण्डली जाँच लेगी और आपकी एलर्जी साइडइफ़ेक्ट आदि का इतिहास ध्यान में रखकर उस हिसाब से एक बेहतरीन दवा आपको प्रीस्क्राइब करके दे देगा. मन है तो वहीं ऑनलाइन ऑर्डर कीजिए और पास का मेडिसिन सेंटर दवा घर पर डिलीवर कर देगा.

समान डिलीवरी का कॉन्सेप्ट समझना हो तो भारत सरकार का ONDC प्रोजेक्ट को पढ़ लें, ऑनलाइन व्यापार में क्या क्रांति होने वाली है.
आपको भले ही यक़ीन न हो मगर ये जल्दी ही संभव होगा. हमें 5G को मज़ाक़ में नहीं लेना चाहिए. 5G ख़ासकर मेडिकल सेक्टर को बहुत हद तक ऑटोमेशन पर लेकर आएगा. अस्पताल की ज़रूरत इमरजेंसी और स्पेशलिटी के लिए होगी और उन्हीं डॉक्टर्स की पूछ होगी जो विशेषज्ञ होंगे और वह भी कई मामलों में AI से मदद लेते दिखेंगे. रोबोटिक सर्जरी, 3D विज़ुअल टेस्ट आदि की बातें तेज़ी से चल रही है और रिसर्च हो रहा..
सब कुछ बदलने वाला है.. हमें तैयार हो जाना चाहिए..

#DeCriminilization #जन_विश्वास_बिल

मोदी सरकार हाल ही में लोकसभा के अंदर जन विश्वास बिल लेकर आई है. ये अकेला बिल 42 अलग अलग क़ानूनों के विभिन्न प्रावधानों में संशोधन कर देगा. मतलब 42 बार संशोधन क़ानून लाने की कोई ज़रूरत नहीं.

सरकार ने एक शानदार शॉर्टकट तरीक़ा ढूँढा है लोकसुधार / व्यापार की रास्ते में आने वाली बेमतलब के क़ानूनों को आसानी से ख़ात्मे की.
मोदी सरकार की ये पूरी क़वायद ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस के लिए है.
हमारे आसपास के लोग जो हमेशा चीखते हैं की चीन के जैसे हमारे यहाँ निवेश क्यों नहीं आता, हम अमेरिका क्यों नहीं बन जाते.. वैसे लोगों की बातों पर सरकार गंभीर हो चली है.
चीन में फ़ैक्टरियाँ डाल कर बैठी विदेशी कंपनियाँ वहाँ की राजनीतिक अस्थिरता और निरंकुशता से डरकर भागने की फ़िराक़ में है.
इधर भारत ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस के लिए मंच ठोकता दिख रहा है.
जन विश्वास क़ानून के प्रथम चरण में 19 मंत्रालयों के अन्तर्गत 42 वैसे वैसे अधिनियमों के प्रावधानों को या तो डीक्रिमिनाइज़ (अपराध से बाहर) किया है या तो सीधे हटा डाला है जो अकेले सरकारी तंत्र द्वारा व्यापार को ऐसी तैसी करने की शक्ति देता था.

हाल ही में इसने जीएसटी में दो करोड़ तक के टैक्स चोरी के संभावित मामले को क्रिमिनल ऑफ़ेन्स से बाहर कर दिया. यानी मालिक को सीधे जेल में डालने का प्रावधान ही ख़त्म कर दिया. छोटी मोटी टैक्स चोरी के मैटर में जीएसटी अधिकारियों को सहयोग न करने पर पहले इसे अपराध माना जाता था और पुलिस सीधे अंदर कर देती थी, अब ये मोनोपॉली भी ख़त्म हो गई.
मतलब ऐसा नहीं है की व्यापारी अब खुलेआम लैस लूटेंगे और टैक्स चोरी करने की छूट सरकार ने दे दी है. जबकि इन सारे मामले को सिविल अपराध की श्रेणी में रखा गया है.
जाँच चलेगी और जो मूलधन समेत जुर्माना बनेगा सरकार निर्ममता से वसूल ही लेगी, लेकिन आप बिना मतलब व्यापारियों को जेल में डालकर उसके बिज़नेस की लंका अब नहीं लगा सकते. हाँ बड़े चोरी के मामले में सरकार अब भी सख़्त है और मनी लाउंड्रिंग में संलिप्त हुए तो पाई पाई ज़ब्त करने से नहीं चूकेगी..

चूँकि भारत में 10-15 करोड़ लोग सीधे सीधे ऑर्गनाइज़ सेक्टर यानी छोटी बड़ी फ़ैक्टरी कंपनियों में काम करते है. उनके परिवार समेत कुल मिलाकर देखें तो 40-50 करोड़ का जीवन यापन सीधे जुड़ा है. रोज़गार के लिए सीधे अपने मालिक पर निर्भर हैं..
केंद्र के अकेले 1305 क़ानून देश में लागू हैं. एक राज्य को भी जोड़े तो 200-300 उसके भी बने होंगे. अधिकांश अंग्रेजों वाले नियम लदे पड़े है, इसमें इंस्पेक्टर राज का इतना बोलबाला है की अगर सही से जाँच कर ले तो बड़ी से बड़ी कॉर्पोरेट कंपनियाँ भी हज़ार से ज़्यादा क़ानूनों का उल्लंघन करती रहती है.
प्रावधान इतने लेंथी, अतार्किक हैं की चाहकर कोई पालन नहीं कर सकता और अगर करेगा तो इतने कम्पटीशन के दौर में बिज़नेस बंद होने से कोई नहीं रोक सकता.
अब कोई अथॉरिटी ढंग से जाँच कर दे तो कम से कम चार पाँच सौ प्रावधान सीधे सीधे कंपनी के मेन गेट पर ताला मार देने की शक्ति ज़रूर देता है. हो गया व्यापार…

व्यापारी जीएसटी भरे, कॉर्पोरेट टैक्स भरे, फिर कुछ पर्सनल बचा तो इनकम टैक्स सेस के साथ भरे..
सैंकड़ों लाइसेंस राज की जटिल प्रक्रिया से निपटे इसके अतिरिक्त इंस्पेक्टरों को मैनेज करने में धन लुटाये..
अगर आपको यह सब नहीं पता या मज़ाक़ लगता है तो शायद आपको बिज़नस का कोई आईडिया नहीं है या आप वामपन्थ, शुतुरमुर्ग विचारधारा वाले आदमी है. सरकार का विरोध करना अलग बात है लेकिन राष्ट्र को सुधार के राह पर ले जाने वाली कदमों को तो निष्पक्षता से देखना चाहिए ये आपका मूल कर्तव्य भी है..

सरकार ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस यानी व्यापार की राह आसान करने को रनवे पर आ चुकी है. केंद्र सरकार सारी लाइसेंसिंग प्रक्रिया को National Singal Window System पोर्टल द्वारा एक जगह ला रही है. सारी सरकारी अप्रूवल निर्धारित टाइम लिमिट के अंदर ऑनलाइन होगी. सिर्फ़ एक जगह पोर्टल पर आवेदन करेंगे, आपके बिज़नेस खोलने के लिए क्या क्या ज़रूरी है सब डॉक्युमेंट्स अपलोड करें.. आगे का काम अपने अधिकारियों से सरकार चुटकियों में करा लेगी.

लेबर एक्ट रिफॉर्म्स को सरकार धीरे धीरे पटरी पर ले आएगी. क्योंकि लेबर का मामला बहुत सॉफ्ट टारगेट होता है, उन्हें सिखाना बहुत आसान है की सरकार तुम्हारी चमड़ी उधेड़ने के लिए मालिकों को छूट दे रही है, अब तुमसे बैल की तरह काम कराया जायेगा, सैलरी कम कर देगा..
जबकि दूसरा पक्ष यह है की अगर सरकार व्यापार के लिए नॉर्म्स को आसान ना करे तो विदेशी कंपनियाँ अपना धन यहाँ क्यों लगाएगी.
हड़ताल के लिए 14 दिन पहले नोटिस देना और समझौता कराने का नियम न लाया जाये तो छोटी छोटी डिमांड पर लेबर कंपनी का प्रोडक्शन बंद कर देगा और मालिक की लंका लगा देगा.
फिर भी सरकार किसी क़ानून उल्लंघन के लिए तगड़े जुर्माने का प्रावधान रख रही है. बार बार गलती के मामले में जेल का प्रावधान अब भी है.
सोशल सिक्योरिटी के लिए मालिकों पर दबाब बरकरार है.

स्पष्ट है कि भारत सिर्फ़ कृषि से आगे नहीं बढ़ने वाला.. हम सिर्फ़ अनाज फल और सब्ज़ी खाकर खेतों में दिन काटने गप्प लड़ाने वाली आबादी नहीं हैं. आज की पीढ़ी सरकारी नौकरी करना चाहती है, न मिला तो कॉर्पोरेट कंपनियों में सूट टाई वाले जॉब चाहते है, सोशल सिक्योरिटी चाहते हैं, मोबाइल इंटरनेट के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं है..
कपड़े विदेशी ब्रांड पहनने की शौक़ पाल रहे है.. रेस्टूरेंट कल्चर आम बात हो गई है.. बर्थडे मनाना ग़रीबों का भी शौक़ हो चला है.. मुफ़्त में राशन हर किसी को चाहिए, लेकिन टैक्स चोरी करेंगे.. ऐश के सारे साधन सरकार को उपलब्ध कराना चाहिए ये मानसिकता है हमारी.
रोज़गार के लिए सरकार को कोस रहे लेकिन आईडिया कोई नहीं देगा. सब हवा में बात करेंगे कुतर्क करेंगे…

व्यापारिक क़ानूनों को अपराध की श्रेणी से बाहर करना इस सरकार का रिवोल्यूशनरी कदम है.
इनका लक्ष्य है की विदेशी कंपनियों को किसी तरह स्थापित कराना है, come and Make in India का नारा साकार हो.. इनकी यही बात और राष्ट्र के लिए दूरदर्शी सोच जनता में विश्वास पैदा करता है न की ईवीएम हैक हो जाती है..
व्यापारी जानबूझकर टैक्स चोरी करे, प्रावधानों का उल्लंघन करे तो दस गुना जुर्माने ठोको. मगर उसे बिज़नेस चलाने दो.. दुधारू गाय की तरह टैक्स पर टैक्स देने वाले सेक्टर को चलने दो.
सोने की अंडा दे रही मुर्गी का पेट फाड़ देना मूर्खता है.. चालाकी इसमें है की मुर्गी गलती करे तो जुर्माने में दो अंडा अधिक वसूल लो लेकिन उसका अंडे देने यानी बिज़नेस चलाने में सहयोग करो…
~ Ashwani Kumar

शराबबंदी 🍷

बिहार में शराबबंदी है.. पूर्ण शराबबंदी ! सख़्ती इतनी की बिहार से होकर गुजरने वाली ट्रेन में अगर शराब मिल गई तो सीधे अंदर करने का नियम बना रखा है. राज्य का पर्यटन पहले से चौपट है, टूरिस्ट को पता है क़ानून व्यवस्था आज भी नहीं सुधरी, कब कहाँ लूट लिए जाएँगे नहीं पता. क्यों आँयेंगे बेवक़ूफ़ी करने ? कहीं गलती से शराब पिये पकड़े गये तो समझो सारी इज्जत मिट्टी में मिला देगी बिहार पुलिस.

ग्राउंड पर सच्चाई है की बिहार के अंदर दर्जनों ज़हरीली शराब से ग़रीबों के बेमौत मारे जाने की घटनायें लगातार हो रही है. इस बार भी 77 परिवारों की ज़िंदगी समाप्त हो गई. कौन दोषी है इस व्यवस्था का ? ज़िम्मेवारी तो लेनी ही होगी.. नहीं लेंगे तो भी जनता से कुछ नहीं उखड़ेगा. तभी आँखें तरेरी जा रही है..
बिहार चौपट आगे भी रहने वाला है, जातिवाद के अंधे लोगों का गढ़ है ये.. कोई उम्मीद भी पालना मूर्खता है इस स्टेट से..

शराब ने इस कदर बहार लाया की आज बिहार पुलिस में नौकरी लगना, दारोगा बन जाना भ्रष्ट समाज का सपना हो चला है. ज़मीन पर इतने पैसे इतना रौब है की पूछिए मत. नीचे से ऊपर तक सब भ्रष्ट हो चले हैं..
मुख्यमंत्री की एक ज़िद्द ने सिस्टम के अंदर सड़ाध पैदा करके रख दिया है.
पूरा का पूरा सिस्टम करप्ट और नंगा है. यहाँ के सरकारी कार्यालय में बैठे अधिकारी किसी से नहीं डरते. कोई कंप्लेन या नेता, मंत्री का तनिक भी भय नहीं..
सरकार के साथ अफ़सरशाही की एक पैरेलल व्यवस्था बन चुकी है. इंजीनियर इतने करप्ट हैं की नोटों के बंडल बेड के नीचे से निकल रहे, पुल बिना उद्द्घाटन गिर जा रहा.
ठेकेदारी में सत्ताधारी पार्टी नेताओं का वर्चस्व है. आईएएस आईपीएस तो छोड़िए बिहार सरकार के सामान्य कर्मियों के फ्लैट दिल्ली पुणे में मिलेंगे.

शराबबंदी हुई तो उसके राजस्व घाटा की भरपाई के लिए ज़मीन के दाम आसमान छुवा दिया ताकि भर भर के निबंधन शुल्क वसूल सके.
बिजली के रेट देश में सबसे ज़्यादा ठोक के रखा हुआ है.
कोई भी लाइसेंस बनाने जाओ तो जमकर स्टाम्प बेचने की व्यवस्था बनाई है और ऊपर से बाबुओं की नंगई से पाला अलग पड़ेगा.

बिहार सरकार में किसी काम के लिए बात बात पर एफिडेविट देना पड़ेगा. सिर्फ़ और सिर्फ़ सरकार का स्टाम्प बेचने का धंधा..
शराबबंदी के नाम पर सिर्फ़ और सिर्फ़ टैक्स की उगाही है.
शराब हर चौक चौराहे पर उपलब्ध है.
दुनिया की सारी वैरायटी और ब्रांड का स्टॉक मिलेगा.
बाक़ायदा कई खबरों में थाने की गाड़ी से ढुलाई की बात सामने आती है.
गाँव गाँव में शराब का निर्माण धड़ल्ले से जारी है.
ग्रामीण इलाक़ों में एक संगठित गिरोह पनप चुका है. महंगाई का दौर है ऊपर से बिहार में रोज़गार के कितने अपार साधन है सबको पता है.

कोई क्यों दुकान खोलेने का झमेला पालेगा. कॉमर्शियल बिजली बिल देगा, जीएसटी कंप्लायंस करेगा.. राज्य में इंस्पेक्टर राज अलग हावी है, बीस तरह के बाबू गाड़ी रोककर फ्री में समान पैक कराएगा..
विरोध करोगे सैंपल उठा लेगा और दर्जनों एक्ट ठोककर सारी बिज़नेस की लंका लगा देगा.
हो गया ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस…
डकैती आज भी खुलेआम हो रही है, बैंक तक को नहीं बख्शा जा रहा समझिए क़ानून व्यवस्था का क्या हाल है.

इसलिए शराब एक सॉफ्ट रोज़गार के रूप में समाज में जगह बना चुका है. कोई बड़ा इन्वेस्टमेंट नहीं, एक रुपया टैक्स देने का लफड़ा नहीं, शराब सेक्टर का मंदी में जाने का भी कोई ख़तरा नहीं..
औरत मर्द सब मिलकर इस बिज़नेस में लगे हुए हैं. पुलिस गाँव से ख़ुद पीटकर आती है.. कितनों को पकड़ोगे..
अधिकांश अनुसूचित जाति के लोग जमकर शराबबंदी का उपभोग कर रहे.. पुलिस भी भिड़ने से बचती है, सीधा SC ST अत्याचार का आरोप मामला बनता है.. इसलिए बिना लफड़ा पाले दोनों अपनी अपनी रोटी सेंक रहे हैं..

आम पब्लिक त्रस्त है.. कुल मिलाकर भुगत वही रहे हैं जो एक नंबर के बिज़नेस में लगे हैं. एक मात्र व्यक्ति के हठ की सजा निरीह जनता भुगत रही है. लोग बताते है की शराब माफिया की 25 हज़ार करोड़ का पैरेलल इकॉनोमी चल रही है.
आज का विपक्ष ख़ुद को जनता का हितैषी किस आधार पर बता रहा जो पिछलग्गू बनकर 3 टर्म लटका रहा.
बिहार अभी भी रैंकिंग में सबसे निचले स्टेट के रूप में अपनी जगह बनाए हुए है.
ऊधमी धीरे से बिहार छोड़ कर यूपी निकलने की सोचने लगा है.
एक अकेले व्यक्ति ने वहाँ सारी गुंडई अराजकता घुसेड़ कर रख दी है.. इधर वाले एक अकेले ने पर्सनल ईगो के लिए समूचे राज्य को ऑटोमैटिक मॉड पर लाकर खड़ा कर दिया है…
😇😇😇

डिजिटल करेंसी e₹💵

अब यह स्पष्ट है की आने वाले 4-5 वर्ष में सबकुछ इतना बदलने वाला है जिसका अंदाज़ा शायद ही किसी को हो. भारत अपनी डिजिटल करेंसी लेकर बाज़ार में उतर चुका है. ये बेहद असाधारण बात है की आज भारत दुनिया के टॉप कंट्री में शामिल हो गया जिसके पास अपनी एंक्रिप्टेड डिजिटल करेंसी है.

यक़ीन इसलिए नहीं होता की टेक्नोलॉजी के मामले में हमारी गिनती दुनिया के सबसे पिछड़े देशों में हुआ करती थी, जब समाजवाद था उस वक्त कंप्यूटर तक भीख में माँगने के अतीत से हम गुज़र चुके हैं. 2014 के बाद राष्ट्र का नेतृत्व बदला और डिजिटल क्रांति ने जैसे भारत का कायापलट करने का बिड़ा उठा लिया. नतीजा एक के बाद एक सुधारों के राह पर चलते हुए ई-गवर्नेंस के बलबूते आज सरकारी कामकाज उँगलियों पर नाच रही है. पेपरलेस और फेसलेस ई-ऑफिस के सपने को धरातल पर लाया जा चुका है.
अब इस खेल में डिजिटल करेंसी की एंट्री हो गई है. ये प्रोजेक्ट संभवतः पिछले सैंकड़ों सालों के इतिहास का सबसे बड़ा प्रशासनिक सुधार साबित होगा. शायद, भ्रष्टाचारियों को इस बात की तनिक भी भनक नहीं है की आने वाले 5 वर्षों में उनके साथ क्या होने वाला है. उनके धन संग्रह, ठाठ बाट मिट्टी में मिलने की रूपरेखा लिखी जा रही है.
सरकार को यह समझ आ चुका है की टैक्स चोरों और घूसख़ोरों के संगठित गिरोह से सिर्फ़ AI यानी आर्टिफिशियल इंटिलेजेंस ही पार पा सकता है.
सरकार ने नोटबंदी की, इनलोगों ने बेहतरीन ढंग से लगभग फेल किया..
ये आज भी तोंद निकाले सरकारी कुर्सी पर बैठ नोटबंदी की आलोचना करता मिलेगा और अपनी बुद्धिमानी पर इठलाता भी दिखेगा. आरटीआई ऑनलाइन है, पब्लिक ग्रिवेंस का प्रेशर अलग है, इसको लेकर भी झल्लाहट है मगर डर आज भी नहीं है.. किसी तरह नोटों के बंडल बरसते रहने चाहिए..

ऐसे लोगों को डिजिटल करेंसी का एक अक्षर भी नहीं पता है. कई लोग इसे UPI टाइप का समझ रहे और लगभग इग्नोर ही कर रहे हैं. जबकि फ्रॉड-भ्रष्टों को बहुत ख़तरनाक मैकेनिज्म से सामना होने वाला है. ये डिजिटल करेंसी क्रिप्टो की जैसी एंक्रिप्टेड होगी और एक जटिल सॉफ्टवेर सिस्टम के द्वारा RBI इसकी IP माइनिंग करके नागरिकों को बाँटेगी जिसकी बनावट में सेंध लगा पाना लगभग असंभव होगा.
सरकार विचार कर रही की सरकारी कर्मियों को धीरे धीरे 50% तक वेतन इसी माध्यम से दिया जाये.
आपका एक एक रुपये का ख़र्च डिजिटल फुटप्रिंट छोड़ता जाएगा.. डिजिटल फुटप्रिंट क्या चीज है ये कभी जिसने ED का सामना किया हो और मनी लाउंड्रिंग केस में अंदर बंद हो उससे पूछना चाहिए, बेचारे की आत्मा काँप जाएगी.
फॉरेन फंडिंग के दुरुपयोग के आरोप में हज़ारों NGO रातों रात बंद किए गये. शाहीनबाग और किसान आंदोलन में कहाँ कहाँ से फंडिंग हुई इसका डिजिटल फुटप्रिंट एकत्रित होने दिया गया, फिर अचानक एक दिन पीएफआई के टॉप सौ लीडर अंदर कर दिये गये. कारण एक ही है टेक्नोलॉजी…

आपको क्या पसंद है या नहीं है सब पहले से गूगल सहेज कर रख रहा..
आप कहाँ जा रहे, किस विरोध प्रदर्शन में कितने घंटे रहे, क्राइम की जगह पर कौन कौन मौजूद था इसकी ट्रैकिंग करने जल्द ही भारत का अपना नेविगेशन सिस्टम Navik आ रहा जो मोबाइल में पहले से इनबिल्ट आएगा.. इतने डिजिटल इनफार्मेशन को कोर्ट में कैसे डिफेंड कर पायेंगे.
प्रॉपर्टी ख़रीदने की सोचोगे तो सरकार स्वामित्व योजना ला चुकी है और उसकी प्लानिंग हर प्रॉपर्टी की आधार से लिंकिंग की है.. ओवरस्मार्ट हो तो आय से अधिक संपत्ति के मामले में जबाब तैयार रखना होगा..
सोने ख़रीदने के मामले में प्रत्येक गहने के पीछे HUID यानी सोने का आधार नंबर खोदना सुनार को अनिवार्य हो चुका है. छापे पड़े तो सारी कुंडली उसी नंबर से बाहर निकल जायेगी..
जब भेड़ों को रोकने को सरकार इतनी बाड़ेबंदी कर ही रही थी तो सरकार को डिजिटल करेंसी लाकर बाड़े में करंट दौड़ने की क्या जल्दी है..
😁
एकदम लील जाने का इरादा है क्या !!
डिजिटल करेंसी का एक एक ट्रांज़ेक्शन आपकी पोल खोलेगा. कहाँ कितने का ट्रांज़ेक्शन है, किस किस से कितने का लेनदेन है.
डिजिटल मनी कितने लोगों के पास गई और किस किस ने कैसा इस्तेमाल किया सब नग्न होगा. आज एक नंबर का नोट हज़ार हाथों में जाता है लेकिन कोई इनफार्मेशन नहीं.. डिजिटल करेंसी फुटप्रिंट छोड़ती जाएगी..
अगर आप बिज़नेस में हैं और टैक्स चोरी की आदत लगी है तो बदल लीजिए वरना पेनल्टी देने में पूँजी भी चली जाएगी..

सरकार की सेवा में हैं तो अभी से आदत बदल लीजिए, वेतन से खाने और दो पैसे बचाने का शौक़ पाल लीजिए. वरना नौकरी में पक्की गारंटी पर सरकार पहले से बाज की नज़र देख रही है.. और पब्लिक के नज़र में पहला इम्प्रैशन आपके चोर होने की ही है..
तथ्य की गंभीरता देखिए की आर्डिनेंस फैक्ट्री कंपनी बन गई, अग्निवीर स्कीम आया, रेलवे का निजीकरण शुरू हुआ और अब स्पेस सेक्टर में प्राइवेट सैटेलाइट जाने लगी.. जब डिफेंस, रेल और अंतरिक्ष जैसे स्ट्रेटेजिक सेक्टर नहीं बच रहे तो मतलब कोई सेफ नहीं है..
ईमानदारी से कमाइये, अपने और बच्चों का पेट पालिये बस..
आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया वाला लहरिया लूटने का जमाना लद जाएगा..
AI को देख लेने की सोच रहे है तो आप सच में सिर्फ़ भीड़ का एक हिस्सा हैं और सबसे पहले बलि चढ़े जाने में ये राष्ट्र आपको याद रखेगा.. फिर भी ज़्यादा दिमाग़ है तो उसकी एनर्जी को राष्ट्र कि उन्नति में लगाइए, फिर सब अच्छा होता हुआ दिखेगा..
🇮🇳
~ Ashwani Kumar

24 November 2022

लिव इन

लिव इन रिलेशन का बढ़ता चलन लड़कों की तुलना में लड़कियों के लिए ज़्यादा घातक है. मॉडर्न लाइफस्टाइल और कूल दिखने की सनक में लड़कियाँ फँसती जा रही है. ये अमेरिकन, ब्रिटिश क्रिश्चियन कल्चर को अपनाने की धुन में भूल जाती है की इन भारतीय युवतियों का पालन पोषण भारतीय समाज में हुआ है और यहाँ के मूल्यों, समाज के नियम एकाध परसेंट भी अगर डीएनए में रह गये तब शुरू होता है स्त्री मन और ब्रेन में इमोशनल महत्वकांक्षा का खेल.

इतना आसान भी नहीं है की दुनिया के सबसे शानदार सभ्यता के मूल्यों को एक जन्म में कोई मिटा पाये यह लगभग असंभव बात है.

पूरा का पूरा तंत्र एक दूसरे से इतना गुँथा हुआ है की परिवार, त्योहार, रिश्ते, नाते जन्म से ही दिमाग़ में इनबिल्ट होए रहते है..

बाद में भले आधुनिक बन गये, बीच पर धूँप सेंकने वाला कल्चर पसंद आने लगे, लिव इन में रहो.. मौज करो, शराब पिओ, नाईट क्लब जॉइन करो नाचो.. मतलब फ़ुल वोक बनी होती है.

मगर एक वक्त आता है जब लड़कियों को चुल्ल मचती है विवाह की..

बच्चे का शौक़ उबाल मारता है, रिश्तों की फ़िक्र होने लगती है. क्योंकि यह सपने तो प्राकृतिक रूप से इनबिल्ट होती है उसके अंदर.

अब उसकी उम्मीदें पुरुष से बंधने लगती है की पार्टनर उसे अपनाये.. इस रिश्ते को मान्यता दे.

बस यही से खेल बिगड़ता है. जबकि ब्रिटिश अमेरिकन कल्चर की महिलाओं में ये भावना जल्दी नहीं आती, ये उनके संस्कृति के मूल में नहीं है. वहाँ पुरुष भी आज़ाद होते, आज इसके साथ कल कोई और..

यहाँ के लड़कों के भी सपने दस दस गर्लफ्रेंड घुमाने और पार्टनर बनाने से कम थोड़ी ना होती. चूँकि नर की प्रकृति ही है ऐसा और इसे अमानवीय भी नहीं कह सकते.

सनातन संस्कृति ऐसी उद्दंडता से बांध कर रखती है इसलिए हम सभ्य बने घूमे रहे..

सामाजिक पतन का डर है जानते हैं की ऐसा करेंगे तो समाज लहुलुहान कर देगा.. इसलिए मजबूरी में बंध कर सही रास्ते पर चल रहे हैं.

जैसे ही इस समाज का कोई व्यक्ति वोक कल्चर में घुसा या कूल ड्यूड बनकर वोक गर्ल्स का साथ देने लगा,

समझ लीजिए वो भेड़िया बन गया..

उसे कोई मतलब नहीं की स्त्री को स्त्री समझेगा, कोई फ़र्क़ नहीं की किसी को रिश्ते निभाने है, घर बसाना है. समाज से कटे पुरुषों के दिल में इमोशन की कोई जगह नहीं होती.

उसकी प्रकृति वैसे भी एक के साथ जीवन काटने की नहीं होती, क्योंकि पुरुष का स्वभाव बहूस्त्रीवाद नेचर की है.

ले देकर उसे ही भुगतना है जो आज मॉडर्न बन रही है, इंटर कास्ट तो छोड़िए इंटर रिलिजन शादियों के लिए पागल हुए जा रही है. सनातन और सिमेटिक धर्मों में नार्थ और साउथ पोल जैसा अंतर है.

सिमेटिक धर्मों में करुणा दया की जगह नहीं होती, रेगिस्तानी कल्चर से उत्पन्न विश्वास में हमेशा कट्टरता रहेगी क्योंकि वहाँ खाने के लिये फसल नहीं उपजती थी, जीवहत्या कर मांस भक्षण एकमात्र विकल्प था..

इसलिए 35 टुकड़े किए जाने की एकाध कहानी वायरल हो पाती है अन्यथा उनके लिए ये आम बात होती है..

लड़कियों के लिए जितनी आज़ादी यहाँ की सोसाइटी ने दे रखी है उतना किस मिडल ईस्ट या अरब पाक सोसाइटी में है सर्च करके देख लेना चाहिए. वेस्ट से तुलना करेंगे तो पति को दस अलग अलग महिलाओं से शेयर करने लायक़ सोच भी रख लेना.

भारत का समाज बहुत लिबरल है, इसलिए घूँघट पर्दा प्रथा कब का उठ गया. हमारा समाज लड़कियों को जॉब करने के लिए ख़ुद प्रोत्साहित करता दिखता है.

मॉडर्न ड्रेस, मॉडर्न लाइफस्टाइल भी स्वीकार्य हो चुका है कोई रोक टोक नहीं..

लेकिन सेम रिलिजन में भी लिव इन जैसे मसलों पर लड़कियों को सौ बार सोंचना चाहिए.. हो सकता है सुंदरता के बल पर शुरू के 10-15 वर्ष अच्छे बीते लेकिन जिस दिन सुंदरता ढलेगी, चेहरे पर झुर्रियों आयेंगी, बाल चुएँगे तब देखना स्ट्रगल क्या होता है..

पुरुष का क्या है उसका सबसे बड़ा हथियार पैसा रहेगा तो 62 वर्ष में भी सुन्दरियाँ लाइन में होगी..

लेकिन तुम्हारी सुन्दरता गई और पार्टनर बहकेगा तब तुम्हारा साथ देने को ये समाज खड़ा नहीं मिलेगा.. बहुत अकेला फील होगा.. समाज को छोड़ने वाले अक्सर सुसाइड से स्वयं का अंत कर लेते हैं…

जीवन में इतना बेसिक ज्ञान होना बहुत ज़रूरी है की संकट आने पर परिवार और समाज पीछे खड़ा मिले…

❤️❤️❤️

न्यायतंत्र

डी वाई चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट के नये मुख्य न्यायाधीश बने ! यह जानकारी बेहद दिलचस्प है कि उनके पिता वाई चंद्रचूड़ भी भारत के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं..

ये कोई व्यंग नहीं है.. सच्चाई है देखिए और सिस्टम को नज़दीक से समझिये !

मेरा इशारा सीधा और स्पष्ट है की भारत की जनता द्वारा प्रत्यक्ष चुनी गई संसद के पास आज कॉलेज़ियम का कोई विकल्प नहीं है ! एक स्वघोषित शक्तिशाली संस्था के सामने सरकारें पंगु दिखती है..

ये किसकी नाकामी है की लोकतंत्र की रक्षा करने वाला यह अंग जनता के प्रति उत्तरदायी नहीं है..

कोई सिटीजन चार्टर यहाँ लागू नहीं होता की न्याय की सर्विस आपको कितने दिनों में प्रदान की जाएगी, और अगर सर्विस डिलीवर नहीं हुई तो जनता के पास क्या अतिरिक्त विकल्प दिये गये ! सेवा की गारंटी यहाँ नहीं मिलती..

लोकसभा, राज्यसभा के क़रीब 800 सांसदों और राष्ट्रपति की सहमति से बना हर एक क़ानून आज 3 या 5 व्यक्ति विशेष द्वारा परखी जाती है ! अपनी विचारधारा के अनुसार फिट नहीं बैठी तो क़ानून अवैध हो जाता है..

इनके लिए बने NJAC को ये ख़ुद अवैध घोषित कर देते हैं..

बावजूद इसके की एक विस्तृत तंत्र संसद के अंदर जाँच पड़ताल के लिए पहले से बनी है.. JPC और डिपार्टमेंटल पार्लियामेंट्री कमेटी जैसी व्यवस्था इनके ज्ञान के सामने कुछ नहीं हैं..

कई डिसिशन पढ़ो तो ऐसा प्रतीत होता है की ये देश चलाना चाहते हैं, क़ानून लिखना चाहते हैं… चाहते हैं की पब्लिक नेताओं जैसी इज्जत दे, देखते ही जयकारे लगाने शुरू कर दे.. इनके विचारों को सुनकर जनता लहालोट हो जाये..

मगर अफ़सोस, नेता पब्लिक सेंटीमेंट के मामले में हज़ार गालियाँ मतदाताओं से खा लेंगे लेकिन इन मामलों में एकाधिकार किसी को नहीं देते !

लार्ड साहब को उनकी चहारदीवारी के बाहर कोई वैल्यू नहीं देता, ख़ुन्न्स में IAS IPS को हाज़िर करा डाँटते दिखते.. लेकिन ये अफ़सर भी घाघ.. डाँट सुन लेंगे मगर पब्लिक में भौकाल ख़ुद का ही रखेंगे, उसमें कोई शेयरिंग नहीं करते !

न्यायपालिका का जनता के प्रति उत्तरदायी न होना, भारत के लोकतंत्र की नींव को कमजोर कर रहा है ! एक अपारदर्शी और मेघावी लोगों से अन्याय करने वाले चयन तंत्र अपना कर रखना बहुत ख़तरनाक है.. जनता को जस्टिस डिलीवरी करने की जगह अधिकतम समय बेवजह के मटकी, पटाखे आदि में लगे रहना फिर ऊपर से दो महीने की ख़ुद से छुट्टी घोषित करके जनता के पैसे से मस्ती सैर सपाटा करना उद्देश दिखता है !

वंशवाद का ट्रेंड ऐसा है की नेता भी एक बार को शर्मा जाए.. फिर भी नेता सेट करने में बहुत मेहनत करता है और अपने लौंडे को शुरू से ही फील्ड में उतार कर रखता है… सेवा भावना सिखाता है…

जब से इंटरनेट आया है तब से नेतागीरी बहुत टफ़ काम हो चला है..

ज्यूडिशरी बहुत बड़े सुधार की माँग कर रही है.. एक चुनी हुई सरकार का यह दायित्व है की एक ऐसी संस्था जिसपर न्याय करने की ज़िम्मेदारी है वह अपने दायित्वों का निर्वहन के लिए हर वक्त जनता के प्रति उत्तरदायी हो.. उसके संवैधानिक अधिकार या writ की शक्ति अपने निजी कुंठा के लिए इस्तेमाल करने की जगह उसका दायरा बने ! writ, चुनावी विवाद और मानवाधिकार हनन आदि के मामले के अतिरिक्त अन्य किसी भी मामले में बेवजह संसद के काम में दख़लंदाज़ी रोकनी होगी !

क्योंकि ये चुनकर नहीं आते.. इन्हें जनता के बीच नहीं जाना होता.. चोर हो लुटेरा हो जो भी है हमारा नेता हमारे सामने झुकता है, खरी खोटी सुनाओ तो सह लेता न की कंटेम्प्ट की धमकी देता है !

इसलिए एक जबावदेह और punctual ज्यूडीशरी की बेहद ज़रूरत इस राष्ट्र को है.. अन्यथा 3 या 5 व्यक्ति के निर्णयों से हमारे क़ानून तय होते रहेंगे और ये राष्ट्र को अपने हिसाब से नियंत्रित करने की कोशिश करते रहेंगे…

 

बिक_गया_ट्विटर @ElonMusk

ऐलन मस्क ने ट्विटर को मज़ाक़ मज़ाक़ में ख़रीद लिया. ये व्यक्ति टेक्नोलॉजी और स्पेस की दुनिया का कीड़ा है, यह शार्प ब्रेन के साथ साथ दुनिया का सबसे अमीर व्यक्ति भी है इसलिए जब जो चाहे जिसे चाहे डील कर डालता है.

दो बेहतरीन संसाधनों की जुगलबंदी हमेशा बहुत ख़तरनाक ही होती है. आप लड़की हैं/ महिला हैं, ब्यूटी विथ ब्रेन यानी दोनों पास है मतलब लिख कर रख लीजिए की सारा समाज और सिस्टम में बैठा पुरुष तंत्र आपका ग़ुलाम हो जाएगा. जहां जाएँगे चुटकियों में काम होगा, आपकी टट्टी सी बात पर भी लोग आह वाह करके लोट पोट हो उठेंगे. उसके लिए भागे भागे फिरेंगे. यही प्रकृति का संतुलन है.

उसी तरह जिस लड़के/मर्द के पास अथाह पैसे के साथ कुशाग्र बुद्धि हो, अच्छा विवेक हो वह जहां रहेगा सब पर राज करेगा ही करेगा. उसे बुद्धि से रोकेंगे तो पैसे का इस्तेमाल करेगा और पैसे दिखाओगे तो बुद्धि से निपटा लेगा. एलेन मस्क के साथ यही है.

उसकी टेस्ला की इलेक्ट्रिक कार ने दुनिया में उस वक्त धूम मचा दी जब हम भारतीयों ने ढंग से पेट्रोल कार की सवारी भी न की थी. स्पेस एक्स प्रोग्राम लॉंच किया, स्टारलिंक टेक्नोलॉजी लाकर बिना ऑप्टिकल फ़ाइबर के सैटेलाइट से इंटरनेट कनेक्शन जोड़ दिया. अपने इस टेक्नोलॉजी से कई देशों की मुसीबतें बढ़ा दी. कई अमीरों की गर्लफ्रेंड पटा डाली, मतलब इसके दिमाग़ और पैसे का इतना ख़तरनाक कॉम्बिनेशन है की जब जो चाहा हासिल कर लिया.

अब उसने ट्विटर को ट्विटर पर बोली लगाकर ख़रीद डाला. मेटा यानी फ़ेसबुक सहित सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ख़ौफ़ में आ गये हैं. इसने ट्विटर की कमान सँभालते ही सीईओ को निकाल फेंका. एक नकारात्मकता से भरा हुआ भारतीय सीईओ पराग अग्रवाल की ऐंठ निकाल दी.

एक के बाद एक लोगों की सफ़ाई अभियान में लगा है.

ट्विटर को ऑल इन वन बनाने के सपने उसने बुना है. गंभीर और इंटेलेक्चुअल लोगों का अड्डा माने जाने वाला ट्विटर सबकी बैंड बजाएगा. फ़ेसबुक की ऐंठन छूटेगी, इंस्टाग्राम वाली कमरिया वहाँ भी मटकेगी और बाबू सोना का अड्डा भी बनाने पर एलेन मस्क ज़रूर काम करेगा.

इससे फ़ेसबुक यानी मेटा की नींद उड़ी हुई है.

इधर पब्लिक का क्या है जहां उसे बेहतर मनोरंजन मिलेगा, सम्मान मिलेगा उधर निकल लेगा.

आज की दुनिया में टेक्नोलॉजी ने सबको तलवार की धार पर ला खड़ा कर दिया है. डेटा और यूज़र्स का ऐसा बाज़ार स्थापित हो गया है की सब इसे लूट लेना चाह रहा, और सबकी आँखें सिर्फ़ भारत की विशाल आबादी पर टिका है. उनकी पॉलिसी में, ऐप्स डिज़ाइन में भारत की जनता के पसंद और नापसंद बहुत मायने रखते हैं.

इसलिए जब ट्विटर को सुपर ऐप बनाने की घोषणा के साथ एलेन मस्क आ ही गये हैं तो भारत सरकार को अपना स्क्रू टाइट कर देना चाहिए. इन विदेशी कम्पनियों से टैक्स वसूलने के तरीक़ों पर काम आगे बढ़ाये, देश में डेटा सेंटर बनाने की बाध्यता सहित नागरिकों की गोपनीयता और राजनीतिक हस्तक्षेप से राष्ट्र को सुरक्षित रखने के तरीक़ों पर काम करना होगा..

5G का आना और एलेन मस्क का सोशल मीडिया की दुनिया में उतरना फिर से एक ख़तरनाक कॉम्बिनेशन बन रहा है. शायद टेक्नोलॉजी और वर्चुअल रियलिटी के बदौलत आने वाला दशक इतनी रफ़्तार से तरक़्क़ी करेगा की जिसकी कल्पना आगे के शताब्दियों तक हमने न की होगी… मानवीय बुद्धि पर मशीनी समझ (AI) भारी पड़ सकती है…

😇😇😇

महाकाल कॉरिडोर

आदि शंकराचार्य के बाद अगर कोई हिंदू धर्म को पुनर्रस्थापित कर रहा है तो वे व्यक्ति मोदी हैं.. इसमें कोई शंका नहीं की भारत भर में घूम घूम कर सनातन को उसकी पहचान वापस कर रहे हैं. काशी कॉरिडोर की अनंत छटा अभी लोग देखने ही जा रहे की एक और महाकाल कॉरिडोर तैयार हो गया.

हम जैसे युवाओं में महाकाल का एक अलग क्रेज़ पहले से ही था, अब ये भव्यता निश्चित अपनी ओर खिंच लेगी.

आज के वक्त में हर चीज में लोगों को सटिस्फैक्शन चाहिए, वे

आज से मात्र 4-5 साल पहले तक मंदिर जाना 40+ उम्र का काम माना जाता था. घूमने के नाम पर सोसाइटी में भौकाल के लिए कुल्लू, मनाली, ऊटी बेस्ट ऑप्शन हुआ करता था.

आज आप महसूस करिए की देश और समाज में क्या बदलाव आया है. कितना कुछ बदल गया है, सब 360 डिग्री घुमा हुआ दिखता है.

ज्योर्तिलिंग का दर्शन युवाओं का पैशन होता जा रहा.

इसलिए आज की ज़रूरत है ऐसे कॉरिडोर को बनाना. वहीं घूमने जा रहे जहां शानदार व्यू हो, ट्रांसपोर्ट की सुविधा अच्छी रहे, लोकेशन गर्व से सोशल मीडिया पर शेयर कर सकें.

केदारनाथ में अबतक के सारे रिकॉर्ड टूट रहे हैं. काशी जाइए तो ऑफ सीजन तक में होटल फुल मिल रहा. गंगा आरती में शामिल होना गर्व की बात हो गई है. राम मंदिर जब बन उठेगा तो सनातन शंखनाद करेगा.

दक्षिण में मंदिरों की भव्य कलाकृति को वापस वो गौरव हासिल कराया जा रहा है जो इतिहास से मिटा दी गई थी.

आज महाकाल चमक रहे हैं. अपने बाबा की नगरी जगमगा रही है. ये शानदार फोटो और उसमें प्रधानमंत्री की अटूट भक्ति की ये तस्वीरें घर घर में पहुँच रही है. राष्ट्र का नायक जब महाकाल के समक्ष इस तरह नतमस्तक हैं तो अब लोगों की भीड़ चल ही पड़ेगी अपने बाबा महाकाल की ओर..

सोचिए आसपास का एरिया इन तीर्थयात्रियों के बदौलत कितना विकसित हो उठेगा. रोज़गार के साधन उपलब्ध होंगे.

आज का युवा और अमीर वर्ग तीर्थस्थलों की ओर आकर्षित हो रहा है. पूजा पाठ की तस्वीरें सोशल मीडिया पर अधिक लाइक कमेंट देकर जा रही.

देश रक्षा सामग्री में आत्मनिर्भर हो रहा, रोज़ यूनिकॉर्न कंपनी पनप रही, सिलिकॉन बनाना साकार हो रहा है. टेक्नोलॉजी में हम नित्य नये झंडे गाड़ रहे. समानान्तर हम अपनी संस्कृतियों में वापस घुल मिल रहे हैं. मंदिर जा रहे, अभिषेक कर रहे, अपने धर्म का सम्मान करना सीख रहे हैं.

बहुत बदला है.. हमें यक़ीन नहीं होता की आज हमारे मंदिर इतने भव्य स्वरूप में बदले जा रहे हैं.. निश्चित आदि शंकराचार्य का मोदी स्वरूप हमारे सामने हैं.. काल के देवता महाकाल को बारंबार प्रणाम 🙏🏻🙏🏻🙏🏻

5GIndia

भारत आज से 5G की दुनिया में प्रवेश कर गया है. हमें एक नई डिजिटल क्रांति के लिए तैयार रहना चाहिए. अगले चार-पाँच वर्ष में सब कुछ इतना बदलने वाला है जिसकी कल्पना भी हमने नहीं की होगी.

अगर आपको टेक्नोलॉजी उतनी समझ नहीं आती या सोचतें होंगे की अब सीखने की उम्र नहीं रही तो जरा संभल जाइए. मोबाइल का इस्तेमाल सिर्फ़ कॉल करने या उससे आगे फ़ेसबुक/ व्हाट्सएप पर स्क्रॉल करने या गुड मॉर्निंग मैसेज भेजने भर करते हैं तो आगे वाले दिन में आप निश्चित तौर से आधुनिक समाज से बाहर हो जाएँगे. दुनिया की नज़र में आप बेवकूफ के अतिरिक्त कुछ नहीं नहीं कहे जाएँगे. अब लाठी वाला जमाना लद गया, घर में बैठे बैठे आपकी सारी जामपूँजी चट हो जाएगी. ऑनलाइन ब्लैकमेलिंग का धंधा ज़ोर पकड़ेगा और बेवकूफ बने रहेंगे तो 100% फँसेंगे.

वर्तमान 4G की डिजिटल टेक्नोलॉजी आज देश में क्या रोल निभा रहा है ये किसी से छुपा नहीं है. ऑनलाइन बैंकिंग, UPI से लेकर सरकार की बड़ी बड़ी योजनाएँ एक क्लिक पर उपलब्ध है. घूमने का मन है वेबसाइट खोलिए फ्लाइट बुक कीजिए उड़ जाइए, फ़िल्म देखने का मन तो तो मनपसंद सीट बुक करके मोबाइल से ओला बुलाइए और निकल लीजिए. भूख लगी तो zomatto वाला हाँफते हाँफते मनपसंद ख़ाना हाथ में पकड़ा जाएगा. दुनिया की किसी भी टॉपिक की बेहतरीन एनालिसिस से लेकर 3D विज़ुअल्स के साथ मोबाइल सामने लाकर पटक देगा.

राशन ख़रीदना हो, कपड़े ख़रीदना हो उँगलियाँ घुमाइये और सब प्रकट.. उसमें भी हर प्रोडक्ट / क्वालिटी / वापसी की इतनी गारंटी की कल्पना भी नहीं कर सकते.

एक ऐसा देश जिसे शायद एक दशक पहले तक सपेरों का देश कहा जाता था. उसके नागरिकों की उँगलियों पर उसका जीडीपी नाच रहा है. पश्चिम वाले टेक्नोलॉजी भले लाए लेकिन उसका सबसे शानदार उपयोग हम भारतीय करने लगे हैं. फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब का जितना बेहतर इस्तेमाल हम भारतीयों ने किया है उतना अमेरिका ने भी नहीं सोचा होगा. सरकारें टेक्नोलॉजी से डरने लगी हैं, नेताओं के लिए नेतागीरी इतनी आसान बात अब नहीं रही. पुलिस वाले वीडियो शूट होने की ख़ौफ़ में जीने लगे हैं.

5G उपरोक्त सारी क्रांतियों को बौना साबित करेगा. 4G के मुक़ाबले इसकी स्पीड 100 गुना होगी. यानी पलक झपकते 3 घंटे की मूवी 3 सेकण्ड में आपके मोबाइल में डाउनलोड हो जाएगी. डॉक्टर रोबोटिक सर्जरी कर सकेंगे. 3D वीडियो कॉलिंग की कल्पना शायद साकार हो जाएगी.

बैंकिंग और सरकारी संस्थाओं में ह्यूमन रिसोर्सेज़ की ज़रूरत कमेगी, मतलब बहुत सारे काम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से अपने आप हो जाएगा सिर्फ़ मॉनिटरिंग के लिए लोगों की ज़रूरत होगी. यानी वो अय्याशी वाली नौकरियों की दिन लदेंगे.

सरकारी विभागों में नौकरियाँ करते हैं तो संभल जाइए, ई-ऑफिस धीरे धीरे AI का इस्तेमाल करके स्वयं को इतना डेवलप कर लेगा की एक क्लिक पर आपकी सारी निष्ठा, ईमानदारी और डेडिकेशन को नंगा करके सामने रख देगा.

वेतन बढ़ोतरी या प्रमोशन जैसी मामलों में मशीनें निर्णय लेने लगेगी. डिजिटल मुद्रा लाने की घोषणा RBI पहले ही कर चुकी है, मतलब धीरे धीरे हार्ड करेंसी को बाज़ार से हटा कर डिजिटल करेंसी लादा जाएगा. फिर आपकी एक एक चीजें ट्रैक होगी.

ज़्यादा चतुर बनेगें तो ED को ब्लैक मनी ट्रांज़ेक्शन को ट्रेस करने में एक मिनट भी नहीं लगनी है और नौकरी जायेगी अलग से.

प्राइवेट नौकरियों वाले के लिए आने वाला दिन और स्ट्रगल लाएगा, परफॉरमेंस का दबाब कई गुना बढ़ेगा. छात्रों के बीच प्रतिस्पर्धा बहुत तगड़ी होने वाली है. अगर गाँव के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले ग़रीब बच्चों को टेक्नोलॉजी के साथ मुख्यधारा में लाने में अगर सरकार जरा भी चूक करती है तो उनके भविष्य को समाप्त कर सकती है. अगर शिक्षा व्यवस्था ऐसे ही रहे तो बेरोज़गारी बढ़ती जाएगी. टैक्स चुराना बीती बातें होंगी…

अतः समय के साथ चलिए और टेक्नोलॉजी में महारत हासिल कीजिए, अन्यथा आपका दस वर्ष का लौंडा आपको अपनी उँगलियों पर नचायेगा और नाँचने पर मजबूर होंगे. बालमन बड़ा ही चंचल होता है, आपकी बेवक़ूफ़ी के कारण वीडियो, गेम, वल्गर कंटेंट में लिप्त रहने को वह मजबूर होगा.

बेरोज़गार रहेगा तो ऑनलाइन फ्रॉड, साइबर क्राइम की दुनिया में ही उतरेगा क्योंकि चोरी और छिनतौड़ी वाली घटना बस 4G तक ही थी.. उधर सरकार भी एक से बढ़कर एक ऑनलाइन प्रोफेशनल को रखेगी. IPC/CrPC अगर बदला तो सरकार का ज़्यादा ध्यान जेल भेजने के बजाय आर्थिक चोट पहुँचाने का रहेगा.. अपराधियों की अक़्ल ठिकाने आएगी..

इसलिए आँखें खोलें और पल पल की आविष्कारों को जानिए, सीखने की कोशिश कीजिए. आपको अगली आने वाली पीढ़ी से लड़ना होगा जो तलवार की तरह टेक्नोलॉजी में शार्प है. पैदा होते ही आपको मोबाइल दिखाने को ब्लैकमेल कर डालता है.

कम्पटीशन काफ़ी तगड़ा है देखते हैं हम कितने सफल हो पाते हैं… 😍😍😍