13 January 2023

शराबबंदी 🍷

बिहार में शराबबंदी है.. पूर्ण शराबबंदी ! सख़्ती इतनी की बिहार से होकर गुजरने वाली ट्रेन में अगर शराब मिल गई तो सीधे अंदर करने का नियम बना रखा है. राज्य का पर्यटन पहले से चौपट है, टूरिस्ट को पता है क़ानून व्यवस्था आज भी नहीं सुधरी, कब कहाँ लूट लिए जाएँगे नहीं पता. क्यों आँयेंगे बेवक़ूफ़ी करने ? कहीं गलती से शराब पिये पकड़े गये तो समझो सारी इज्जत मिट्टी में मिला देगी बिहार पुलिस.

ग्राउंड पर सच्चाई है की बिहार के अंदर दर्जनों ज़हरीली शराब से ग़रीबों के बेमौत मारे जाने की घटनायें लगातार हो रही है. इस बार भी 77 परिवारों की ज़िंदगी समाप्त हो गई. कौन दोषी है इस व्यवस्था का ? ज़िम्मेवारी तो लेनी ही होगी.. नहीं लेंगे तो भी जनता से कुछ नहीं उखड़ेगा. तभी आँखें तरेरी जा रही है..
बिहार चौपट आगे भी रहने वाला है, जातिवाद के अंधे लोगों का गढ़ है ये.. कोई उम्मीद भी पालना मूर्खता है इस स्टेट से..

शराब ने इस कदर बहार लाया की आज बिहार पुलिस में नौकरी लगना, दारोगा बन जाना भ्रष्ट समाज का सपना हो चला है. ज़मीन पर इतने पैसे इतना रौब है की पूछिए मत. नीचे से ऊपर तक सब भ्रष्ट हो चले हैं..
मुख्यमंत्री की एक ज़िद्द ने सिस्टम के अंदर सड़ाध पैदा करके रख दिया है.
पूरा का पूरा सिस्टम करप्ट और नंगा है. यहाँ के सरकारी कार्यालय में बैठे अधिकारी किसी से नहीं डरते. कोई कंप्लेन या नेता, मंत्री का तनिक भी भय नहीं..
सरकार के साथ अफ़सरशाही की एक पैरेलल व्यवस्था बन चुकी है. इंजीनियर इतने करप्ट हैं की नोटों के बंडल बेड के नीचे से निकल रहे, पुल बिना उद्द्घाटन गिर जा रहा.
ठेकेदारी में सत्ताधारी पार्टी नेताओं का वर्चस्व है. आईएएस आईपीएस तो छोड़िए बिहार सरकार के सामान्य कर्मियों के फ्लैट दिल्ली पुणे में मिलेंगे.

शराबबंदी हुई तो उसके राजस्व घाटा की भरपाई के लिए ज़मीन के दाम आसमान छुवा दिया ताकि भर भर के निबंधन शुल्क वसूल सके.
बिजली के रेट देश में सबसे ज़्यादा ठोक के रखा हुआ है.
कोई भी लाइसेंस बनाने जाओ तो जमकर स्टाम्प बेचने की व्यवस्था बनाई है और ऊपर से बाबुओं की नंगई से पाला अलग पड़ेगा.

बिहार सरकार में किसी काम के लिए बात बात पर एफिडेविट देना पड़ेगा. सिर्फ़ और सिर्फ़ सरकार का स्टाम्प बेचने का धंधा..
शराबबंदी के नाम पर सिर्फ़ और सिर्फ़ टैक्स की उगाही है.
शराब हर चौक चौराहे पर उपलब्ध है.
दुनिया की सारी वैरायटी और ब्रांड का स्टॉक मिलेगा.
बाक़ायदा कई खबरों में थाने की गाड़ी से ढुलाई की बात सामने आती है.
गाँव गाँव में शराब का निर्माण धड़ल्ले से जारी है.
ग्रामीण इलाक़ों में एक संगठित गिरोह पनप चुका है. महंगाई का दौर है ऊपर से बिहार में रोज़गार के कितने अपार साधन है सबको पता है.

कोई क्यों दुकान खोलेने का झमेला पालेगा. कॉमर्शियल बिजली बिल देगा, जीएसटी कंप्लायंस करेगा.. राज्य में इंस्पेक्टर राज अलग हावी है, बीस तरह के बाबू गाड़ी रोककर फ्री में समान पैक कराएगा..
विरोध करोगे सैंपल उठा लेगा और दर्जनों एक्ट ठोककर सारी बिज़नेस की लंका लगा देगा.
हो गया ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस…
डकैती आज भी खुलेआम हो रही है, बैंक तक को नहीं बख्शा जा रहा समझिए क़ानून व्यवस्था का क्या हाल है.

इसलिए शराब एक सॉफ्ट रोज़गार के रूप में समाज में जगह बना चुका है. कोई बड़ा इन्वेस्टमेंट नहीं, एक रुपया टैक्स देने का लफड़ा नहीं, शराब सेक्टर का मंदी में जाने का भी कोई ख़तरा नहीं..
औरत मर्द सब मिलकर इस बिज़नेस में लगे हुए हैं. पुलिस गाँव से ख़ुद पीटकर आती है.. कितनों को पकड़ोगे..
अधिकांश अनुसूचित जाति के लोग जमकर शराबबंदी का उपभोग कर रहे.. पुलिस भी भिड़ने से बचती है, सीधा SC ST अत्याचार का आरोप मामला बनता है.. इसलिए बिना लफड़ा पाले दोनों अपनी अपनी रोटी सेंक रहे हैं..

आम पब्लिक त्रस्त है.. कुल मिलाकर भुगत वही रहे हैं जो एक नंबर के बिज़नेस में लगे हैं. एक मात्र व्यक्ति के हठ की सजा निरीह जनता भुगत रही है. लोग बताते है की शराब माफिया की 25 हज़ार करोड़ का पैरेलल इकॉनोमी चल रही है.
आज का विपक्ष ख़ुद को जनता का हितैषी किस आधार पर बता रहा जो पिछलग्गू बनकर 3 टर्म लटका रहा.
बिहार अभी भी रैंकिंग में सबसे निचले स्टेट के रूप में अपनी जगह बनाए हुए है.
ऊधमी धीरे से बिहार छोड़ कर यूपी निकलने की सोचने लगा है.
एक अकेले व्यक्ति ने वहाँ सारी गुंडई अराजकता घुसेड़ कर रख दी है.. इधर वाले एक अकेले ने पर्सनल ईगो के लिए समूचे राज्य को ऑटोमैटिक मॉड पर लाकर खड़ा कर दिया है…
😇😇😇

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