अब यह स्पष्ट है की आने वाले 4-5 वर्ष में सबकुछ इतना बदलने वाला है जिसका अंदाज़ा शायद ही किसी को हो. भारत अपनी डिजिटल करेंसी लेकर बाज़ार में उतर चुका है. ये बेहद असाधारण बात है की आज भारत दुनिया के टॉप कंट्री में शामिल हो गया जिसके पास अपनी एंक्रिप्टेड डिजिटल करेंसी है.
यक़ीन इसलिए नहीं होता की टेक्नोलॉजी के मामले में हमारी गिनती दुनिया के सबसे पिछड़े देशों में हुआ करती थी, जब समाजवाद था उस वक्त कंप्यूटर तक भीख में माँगने के अतीत से हम गुज़र चुके हैं. 2014 के बाद राष्ट्र का नेतृत्व बदला और डिजिटल क्रांति ने जैसे भारत का कायापलट करने का बिड़ा उठा लिया. नतीजा एक के बाद एक सुधारों के राह पर चलते हुए ई-गवर्नेंस के बलबूते आज सरकारी कामकाज उँगलियों पर नाच रही है. पेपरलेस और फेसलेस ई-ऑफिस के सपने को धरातल पर लाया जा चुका है. अब इस खेल में डिजिटल करेंसी की एंट्री हो गई है. ये प्रोजेक्ट संभवतः पिछले सैंकड़ों सालों के इतिहास का सबसे बड़ा प्रशासनिक सुधार साबित होगा. शायद, भ्रष्टाचारियों को इस बात की तनिक भी भनक नहीं है की आने वाले 5 वर्षों में उनके साथ क्या होने वाला है. उनके धन संग्रह, ठाठ बाट मिट्टी में मिलने की रूपरेखा लिखी जा रही है.
सरकार को यह समझ आ चुका है की टैक्स चोरों और घूसख़ोरों के संगठित गिरोह से सिर्फ़ AI यानी आर्टिफिशियल इंटिलेजेंस ही पार पा सकता है.
सरकार ने नोटबंदी की, इनलोगों ने बेहतरीन ढंग से लगभग फेल किया..
ये आज भी तोंद निकाले सरकारी कुर्सी पर बैठ नोटबंदी की आलोचना करता मिलेगा और अपनी बुद्धिमानी पर इठलाता भी दिखेगा. आरटीआई ऑनलाइन है, पब्लिक ग्रिवेंस का प्रेशर अलग है, इसको लेकर भी झल्लाहट है मगर डर आज भी नहीं है.. किसी तरह नोटों के बंडल बरसते रहने चाहिए..
ऐसे लोगों को डिजिटल करेंसी का एक अक्षर भी नहीं पता है. कई लोग इसे UPI टाइप का समझ रहे और लगभग इग्नोर ही कर रहे हैं. जबकि फ्रॉड-भ्रष्टों को बहुत ख़तरनाक मैकेनिज्म से सामना होने वाला है. ये डिजिटल करेंसी क्रिप्टो की जैसी एंक्रिप्टेड होगी और एक जटिल सॉफ्टवेर सिस्टम के द्वारा RBI इसकी IP माइनिंग करके नागरिकों को बाँटेगी जिसकी बनावट में सेंध लगा पाना लगभग असंभव होगा.
सरकार विचार कर रही की सरकारी कर्मियों को धीरे धीरे 50% तक वेतन इसी माध्यम से दिया जाये.
आपका एक एक रुपये का ख़र्च डिजिटल फुटप्रिंट छोड़ता जाएगा.. डिजिटल फुटप्रिंट क्या चीज है ये कभी जिसने ED का सामना किया हो और मनी लाउंड्रिंग केस में अंदर बंद हो उससे पूछना चाहिए, बेचारे की आत्मा काँप जाएगी.
फॉरेन फंडिंग के दुरुपयोग के आरोप में हज़ारों NGO रातों रात बंद किए गये. शाहीनबाग और किसान आंदोलन में कहाँ कहाँ से फंडिंग हुई इसका डिजिटल फुटप्रिंट एकत्रित होने दिया गया, फिर अचानक एक दिन पीएफआई के टॉप सौ लीडर अंदर कर दिये गये. कारण एक ही है टेक्नोलॉजी…
आपको क्या पसंद है या नहीं है सब पहले से गूगल सहेज कर रख रहा..
आप कहाँ जा रहे, किस विरोध प्रदर्शन में कितने घंटे रहे, क्राइम की जगह पर कौन कौन मौजूद था इसकी ट्रैकिंग करने जल्द ही भारत का अपना नेविगेशन सिस्टम Navik आ रहा जो मोबाइल में पहले से इनबिल्ट आएगा.. इतने डिजिटल इनफार्मेशन को कोर्ट में कैसे डिफेंड कर पायेंगे.
प्रॉपर्टी ख़रीदने की सोचोगे तो सरकार स्वामित्व योजना ला चुकी है और उसकी प्लानिंग हर प्रॉपर्टी की आधार से लिंकिंग की है.. ओवरस्मार्ट हो तो आय से अधिक संपत्ति के मामले में जबाब तैयार रखना होगा..
सोने ख़रीदने के मामले में प्रत्येक गहने के पीछे HUID यानी सोने का आधार नंबर खोदना सुनार को अनिवार्य हो चुका है. छापे पड़े तो सारी कुंडली उसी नंबर से बाहर निकल जायेगी..
जब भेड़ों को रोकने को सरकार इतनी बाड़ेबंदी कर ही रही थी तो सरकार को डिजिटल करेंसी लाकर बाड़े में करंट दौड़ने की क्या जल्दी है..

एकदम लील जाने का इरादा है क्या !!
डिजिटल करेंसी का एक एक ट्रांज़ेक्शन आपकी पोल खोलेगा. कहाँ कितने का ट्रांज़ेक्शन है, किस किस से कितने का लेनदेन है.
डिजिटल मनी कितने लोगों के पास गई और किस किस ने कैसा इस्तेमाल किया सब नग्न होगा. आज एक नंबर का नोट हज़ार हाथों में जाता है लेकिन कोई इनफार्मेशन नहीं.. डिजिटल करेंसी फुटप्रिंट छोड़ती जाएगी..
अगर आप बिज़नेस में हैं और टैक्स चोरी की आदत लगी है तो बदल लीजिए वरना पेनल्टी देने में पूँजी भी चली जाएगी..
सरकार की सेवा में हैं तो अभी से आदत बदल लीजिए, वेतन से खाने और दो पैसे बचाने का शौक़ पाल लीजिए. वरना नौकरी में पक्की गारंटी पर सरकार पहले से बाज की नज़र देख रही है.. और पब्लिक के नज़र में पहला इम्प्रैशन आपके चोर होने की ही है..
तथ्य की गंभीरता देखिए की आर्डिनेंस फैक्ट्री कंपनी बन गई, अग्निवीर स्कीम आया, रेलवे का निजीकरण शुरू हुआ और अब स्पेस सेक्टर में प्राइवेट सैटेलाइट जाने लगी.. जब डिफेंस, रेल और अंतरिक्ष जैसे स्ट्रेटेजिक सेक्टर नहीं बच रहे तो मतलब कोई सेफ नहीं है..
ईमानदारी से कमाइये, अपने और बच्चों का पेट पालिये बस..
आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया वाला लहरिया लूटने का जमाना लद जाएगा..
AI को देख लेने की सोच रहे है तो आप सच में सिर्फ़ भीड़ का एक हिस्सा हैं और सबसे पहले बलि चढ़े जाने में ये राष्ट्र आपको याद रखेगा.. फिर भी ज़्यादा दिमाग़ है तो उसकी एनर्जी को राष्ट्र कि उन्नति में लगाइए, फिर सब अच्छा होता हुआ दिखेगा..

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