07 October 2020

● बिहार चुनाव 2020 ●


बिहार में चुनावी मंच सज गया है ! 
जनता फिर से मूकदर्शक की भूमिका में बैठ इन नेताओं की घटिया प्रस्तुति देखेगी ! आखिर बिहार की जनता इस बार मूक क्यों है ? देश की राजनीति में दहाड़ने वाले बिहारी बदलाव चाहते हैं या फिर से उसी सिहांसन को लादे रखना चाहते हैं ये परिणाम स्पष्ट करेगा !

महान बिहार के बारे में किसी को परिचय की जरूरत नहीं ! राजनीतिक बुद्धिमता वाले राज्य का ऐसा हश्र किसने किया ? 15 साल बनाम 15 साल की लड़ाई मिट चुकी है ! बिहारियों ने सबको देखा, दोस्त को दुश्मन और दुश्मन को दोस्त बनते देखा ! सत्ता के लिए लोकतंत्र  के पीठ में खंजर खोपे गए ! बिना जनता से पूछे हर वो काम किया गया जो शायद किसी न किसी को इस चुनाव में मिट्टी में मिलाएगी ही !
15 साल के जंगलराज को मिटाने की कसमें खाने वाले भी 15 साल राज कर गए !
बिहारी मतदाता खुद को राजनीति का चाणक्य होने का दम्भ भरता है, मगर किस आधार पर ? 
किस बात की पॉलिटिक्स जो खुद के अधिकारों के लिए अपने राज्य शहर गांव तक में लतियाये जा रहे ! 
बाहरियों के लिए श्रमिक राज्य बनकर रहे गए ! 
रोजगार, इंडस्ट्री, सुरक्षा शब्द से दूर दूर तक कोई सरोकार नहीं ! शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति या सच्चाई देखनी हो तो भाई साहब ग्राउंड पर उतरने से पहले नवरत्न तेल मलना होगा ! 

बिहार में आखिर बदला क्या ? खासकर कई क्षेत्रों में व्यापक बदलाव देखने को मिली, विकास की परिभाषा शुरुआती 10 वर्षों में समझ आयी !
● गांव गांव सड़कों का जाल बिछा डाला गया ! भले ही मरम्मत न हो या कमीशन खोरी कर के आधा पैसा डकार लिया गया मगर मिट्टी की फिसलन की जगह गिट्टी की सड़क तो बनी !
● दूर दराज के गाँव तक बिजली की सुविधा पहुंचाई गई ! ढिबरी एरा से जनता को उबारा गया !
● सबसे बेहतरीन योजना अगर कोई रही तो लड़कियों को साईकल और पोशाक देने की ! गाँव की गरीब परिवार की लड़कियाँ साईकल से उड़ने लगी और आश्चर्यजनक तौर पर इन दोनों योजनाओं का फायदा हुआ कि जो लड़कियों को लोग स्कूल भेजने लगे, वो शिक्षित होने लगी ! ये योजना बिहार के इतिहास में मेरे हिसाब से मिल का पत्थर साबित हुआ है ! इसी भरोसे के बलबूते आज स्कूटी से फर्राटे भर रही !
● अन्य कई छात्रवृत्ति की योजनाएं, शासन की जवाबदेही etc में भी व्यापक सुधार देखने को मिली !

परंतु बिहार के विकास की जिम्मेदारी 4-5 क्षेत्रों के बदौलत नहीं है ! निम्न सवालों का जबाब सरकार या विपक्ष घोषणा पत्र तक में नही दे पा रहे जिसका 10% तो कभी पूरा ही नही करते !

~एक भी बड़ी इंडस्ट्री बिहार में क्यों नही आई ? उन्हें सुरक्षा की गारंटी क्यों नहीं दे पाए ? या कैसे दे पाएंगे इसका कोई विज़न ?
~80 से 85 % अयोग्य लोगों को बिहार की शिक्षा की जिम्मेदारी किस आधार पर दी ? अयोग्यों की बड़ी फौज लगभग हर सेक्टर में तैनात कर रखी है ! 
~सरकारी कार्यालयों में संविदाकर्मियों को रखकर प्रतिभावान छात्रों का भविष्य बर्बाद करने का अधिकार किसने दिया ?
~ऑनलाइन गवर्नेंस में अन्य राज्यों की तुलना में फिस्सडी क्यों है बिहार ? अफसरशाही और भ्रष्टाचार को बढ़ाने के लिए !
~शराबबंदी से बिहार को कितना नुकसान हुआ इसका आंकलन कौन करेगा ! जनता से पूछे बिना फैसले किस आधार पर किये ? उसका नुकसान आम जनता पेट्रोल, स्टाम्प और बिजली पर लादे गए अनावश्यक टैक्स क्यों झेले ? 
~बिहार का अगले 20 या 50 सालों का कोई मास्टर प्लान तक क्यों नही है ! 2 दिन बैठकें करके पुल, हाईवे नहीं बना दिये जाते बल्कि प्रॉपर प्लानिंग की जरूरत होती है ! नहीं तो पटना नाले की पानी में डूबती रहेगी !
~जब देश के 9 शहरों में मेट्रो फर्राटे भर रही है तब 2nd सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य को मेट्रो की चिंता आयी है !
~रोजगार की संभावनाओं में बिहार नेगेटिव में ही पड़ा है ! बिहार के लेबर स्टेट बने रहने में किसका फायदा है आखिर !

बिहार अब बदलेगा ! अब मतदाता पहले जैसा नहीं है बल्कि हर 5 वर्ष पर सत्ता में परिवर्तन चाहता है ! मगर जनता के पास विकल्प है ही नही या कभी दिया ही नहीं गया, न दिया जाएगा ! 
वोटरों के बीच जातिवादी मानसिकता कहीं न कहीं उभर कर सामने आ ही रही है ! मगर लोकसभा के चुनाव में ये अलग दिखती है और विधानसभा में अलग !

ये नया बिहार है, अब नेताओं को जनता के सवालों से एनकाउंटर टाइप हो जा रहा है ! चाणक्य-चंद्रगुप्त की धरती के मतदाता इतनी आसानी से लोकतंत्र को तो धराशायी नहीं होने देंगे !

मतदाता निष्पक्षता से अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के प्रयोग से ऐसी सरकार का निर्माण करे जो उनके सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार के प्रति गंभीर हो ! जनभावना की कद्र करे, शासन को टाइट रखे, अफसरशाही को ऑनलाइन गवर्नेंस से सुधारे-जवाबदेह बनाये और रोजगार के व्यापक अवसर प्रदान करे ! निवेशकों को बिहार आने के लिए टैक्स आदि में छूट देकर रिझाए और न माने तो केंद्र को मजबूर कीजिये यहां इंडस्ट्रियल हब बनाने को ! 

IAS, IPS सहित अन्य सरकारी नौकरी की फैक्ट्री यूँ नही है हमारा बिहार ! नेतृत्व में अगर दम हो तो विकास के शिखर पर चढ़कर हम बिहारी झंडा गाड़ देंगे... 
#जय_हिंद 🇮🇳

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