31 October 2020

● अयोग्य नौकरशाह ●


बिहार के मुंगेर में बीते दिनों हिन्दू श्रद्धालुओं पर पुलिसिया दमन की घटनाएं और प्रतिउत्तर के रूप में भीड़ का सरकारी तंत्र पर हमला नेचुरल जस्टिस के ही अनुरूप माना जा सकता है !
दुनिया का ही इतिहास देखें तो रूस, जर्मनी, थाईलैंड और कई अफ्रीकी देशों के तानाशाहों/राजाओं से जनता ने मुक्ति कैसे पाई ? सरकार में बैठ या सरकारी तंत्र का हिस्सा होकर आप आम जनता को अपना गुलाम नही समझ सकते तथा किसी भी स्तर पर आपका तंत्र उनका मुकाबला नहीं कर सकता ! और भारत जैसे लोकतांत्रिक देश जहां के नागरिक अपने मूल अधिकारों से हमेशा लैस होते हैं... उनपर तो कोई तंत्र सुप्रीम कोर्ट के रहते तो बाल भी बाँका नहीं कर सकता !

मगर माता के विसर्जन के दौरान ये सशस्त्र दमन यूँ नहीं हुआ !
UPSC ने पिछले 10-12 सालों के दौरान IAS-IPS जैसे उच्च अधिकारियों की नियुक्ति में निराशाजनक प्रदर्शन किया है ! व्यवहारिक ज्ञान वाले मध्यम वर्ग के कैंडिडेट की जगह पब्लिक स्कूलों में पढ़ने वाले और बाप के मर्सिडीज से स्कूल जाने वाले तोते को तरजीह दी है ! बाप या माँ अगर नौकरशाह हैं तो गारंटी टाइप हो गयी है कि बाल बच्चा तो यूपीएससी पास करेगा ही.. हाई रैंक न मिला तो IT कमिश्नर तो बनेगा ही...

नतीजा सबके सामने है.. DM साहेब और कई साहिबायें सड़क पर उतरकर सरेआम ऑन कैमरा आम जनता को थप्पड़ लगा दे रहे.. जरा सी बात पर गोलियां चलवा दे रहे, जनभावना से कोई वास्ता नहीं.. रईसों से या नेताओं के बेटियों से शादी कर आराम दे जिंदगी सेटल कर लेते हैं.. फिर न तो उनका नेता कुछ करवा पा रहे और जनता की पूछता ही कौन है !

मतलब देश के सबसे कठिन एग्जाम पास करने वाले इन नौकरशाहों में दमन की मानसिकता पनपती कैसे है ! जाहिर सी बात है कि कोई यूँ ही UPSC तो पास नही कर सकता, बल्कि भारतीय संविधान, समाज सहित देश दुनिया की तमाम जानकारियां बहुत गहरी तौर पर रखनी पड़ती है ! उस पर अपनी समझ, बुद्धिमता और तार्किक ज्ञान के बदौलत ही नौकरशाह बनते हैं ! 

तो आखिर किस आधार पर निहत्थी भीड़ पर लाठियां चलाई गई ? विसर्जन में शामिल नाबालिग युवा को सरेआम गोली मार दी गयी ?
फिर भीड़ ने जो प्रतिक्रिया अगले दिन किया वो स्वाभाविक है .. 
आपने कानून का पालन नही करने को इन निरीह जनता को प्रेरित किया ! 
सरकार अपने तंत्र के बदौलत चलती है, लोकशान्ति स्थापित करने हेतु पुलिस को असीमित शक्तियां दी गयी है मगर इसका मतलब ये कतई नही हो सकता कि आप संविधान की सीमा लांघकर दमन कर दें !
गोली चलाना पुलिस का अंतिम विकल्प है वो भी देश-राज्य के लिए खतरा बने भीड़ etc पर ! मगर यहां पहले विकल्प में ही गोली चला डाली गई वो भी निहत्थी श्रद्धालुओं पर सामने से ! मतलब आंसू गैस या अन्य प्रशासनिक उपायों की कोई आवश्यकता ही नहीं रह गयी है.. सरकार ने जनता के पैसों से गोली खरीद कर दी और जनता को वही गोली खिला दी गयी.. 

प्रकृति का नियम ही है प्रतिउत्तर ! किसी किट पतंग या निरीह जानवरों को परेशान करोगे तो उसे जितनी क्षमता होगी पंजों-दांतों से वो कोशिश जरूर करेगा सबक सिखाने !

सरकार को अपनी बहाली प्रक्रिया और नियुक्ति के बाद प्रशिक्षण की गुणवत्ता पर विचार किये जाने की जरूरत है ! भीड़ प्रबंधन और आम नागरिकों के प्रति अधिकारियों की जबाबदेही सुनिश्चित की जा सके ! अयोग्य नेताओं से ये जनता तो पहले से ही परेशान है, अब कम से कम अयोग्य अधिकारियों को तो इनके सिर मत लादिये ! 
आम जनता के बीच से अपनी बुद्धिमता और कौशल के बदौलत पले बढ़े गुदड़ी के लालों को नौकरशाह बनाने पर जोर दीजिये..
देखिए आपका यही UP-बिहार के लौंडे फिर से देश को कैसे रफ्तार देते हैं...

#जय_हिंद

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