पिछले कुछ दिनों से अमेरिकन और तमाम यूरोपीयन देशों के delegates ताबड़तोड़ दिल्ली पहुँच रहे हैं ।
भारत के रक्षा और विदेश मंत्री का स्वागत करते खुद अमेरिकन राष्ट्रपति को दुनिया ने देखा । इतनी आवभगत क्यों ?
जबकि एस जयशंकर सरेआम अमेरिका में ही जाकर अमेरिका के मानवाधिकार उल्लंघन पर खरी खोटी सुना रहे । जर्मन delegates को पिछले दिनों ही दिल्ली में बिठाकर उसके मुँह पर रुस से तेल ख़रीदने के मामले में आइना दिखाया ।
अचानक हो रहे इस अभूतपूर्व घटनाक्रम का एकमात्र कारण है भारत का रुस को खुला समर्थन !!
रुस के पीछे दुनिया का मैन्युफ़ैक्चरिंग ग्राउंड चीन खड़ा है तथा बग़ल में खड़ा है विश्व का सबसे बड़ा हथियारों का आयातक और 135 करोड़ नागरिकों का अकेला बाज़ार भारत….
भारत का राजनीतिक नेतृत्व किल ठोककर बिना प्रतिबंधों की परवाह किए रुस से ताबड़तोड़ तेल गैस की आयात बढ़ा रहा है !
जबकि पड़ोस में एक प्रधानमंत्री की कुर्सी सिर्फ़ इस बात पर चली गयी की वो पुतिन से युद्ध बीच मिलने चला गया !
अब अमेरिका इस बात की लॉबी में लगा था की भारत को G 7 बैठक में न बुलाया जाए तथा तमाम तरह के सैंक्शन भारत पर थोपा जाए !! लेकिन अब पूरा गेम पलटता हुआ दिख रहा है..
BRICS की बैठक चीन में होनी है और चीन चाह रहा की किसी तरह मोदी आ जाएँ !
इसका महत्व इस बात से समझिए की BRICS देशों का दुनिया की कुल आबादी का 40% योगदान है, जबकि संसार के कुल GDP का 43% अकेले इन एशियाई देशों के पास है ! मतलब आधी दुनिया को ख़रीदने लायक़ औक़ात…
अब रुस की मंशा है की इस बार अमेरिका का सारा खेल ही ख़त्म हो जाए ! चीन की भारत से मित्रता कराने पर तुला है..
पूरी सम्भावना है की BRICS देशों की अलग मुद्रा बनेगी जो दुनिया के कुल 50% ट्रैन्सैक्शंस आपस में ही कर लेंगें ! लोन बाँटने के लिए WTO/IMF की जगह अपनी संस्था विकसित करेंगे और रेटिंग एजेन्सी भी अपनी होगी !
भारत की साख अभी इतनी अच्छी है की BRICS के अंदर इसके उपस्थिति मात्र से बहुत देशों में इस मुद्रा को अपनाने और सम्मिलित होने की होड़ सी मच जाएगी !
इसलिए रुस किसी तरह मोदी को मनाने के लिए चीन के साथ लगा हुआ है ! भारत इसमें मुख्य भूमिका में है अतः सारे पश्चिमी देश एकदम सहमा हुआ है की कहीं भारत चीन के क़रीब न आ जाए !
रुस पहले से ही वैश्विक राजनीति का एक माहिर खिलाड़ी है, चीन की महाशक्ति बनने के सपने किसी से छुपे नहीं हैं.. चीन को रोकने के लिए अमेरिका भारत को अपना प्यादा बनाना चाहता है ये भी सबको पता है.. दक्षिण चीन सागर में भारत के ख़ौफ़ के चलते आजतक चीन की हिम्मत नहीं होती क़ब्ज़े की !
रुस भारत की रक्षा ज़रूरतों और टेक्नॉलजी हस्तांतरण में हर वक्त मदद करता है !!
ऐसे में रुस-यूक्रेन वार में भारत की शानदार कूटनीति की हमें प्रशंसा करनी चाहिए !
भारत की जनता भी
बधाई
की पात्र है जिसने सत्ता में ऐसे नेतृत्व को खूँटाठोंक कर बिठाया है जो दुनिया में भारत का जलवा बिखेर रहा, वह भी उस स्थिति में जब कोरोना और यूक्रेन वार से कई देश दिवालिया हो रहे हैं …अगर BRICS के मामले में रुस अपनी मंशा में सफल होता है और अपनी मुद्रा लाता है तो यक़ीन मानिए दुनिया फिर एशिया से चलेगी… डॉलर के बल पर कितने ही देशों की राजनीतिक आर्थिक आज़ादी नष्ट करनेवाला अमेरिका डूबेगा !
उसका आर्थिक पतन हम अपनी आँखों से देखेंगे..
Electric Vehicle तमाम तेल एक्स्पॉर्टर अरब देशों को बर्बाद करेगा..
दुनिया बहुत बदलने वाली है, सम्भवतः रुस-यूक्रेन युद्ध भारत के लिए सुअवसर है.. भारत अभी अमेरिका की ब्लैकमेलिंग कर सकने की स्थिति में है !
बाईडेन दहशत में है और सारा विश्व भारत की तरफ़ देख रहा !
यह क्षण गौरवशाली है और एक भारतीय होने के नाते यह पल गर्व से अभिभूत करता है… सम्भवतः अमेरिका का अंत नज़दीक है.. भारत का पताका लहराने वाला है…
No comments:
Post a Comment