05 February 2021

● व्यापारी किसान ●


हमने इतिहास के किताबों में बहुत सारे किसान आंदोलनों पढ़े की कैसे अंग्रेज, जमींदारों के माध्यम से कृषकों का खून चूसते थे ! उनसे व्यापारिक फसलों की जबरन खेती कराई जाती और फसल का आधा तक हिस्सा रख लिया करते थे ! खेत बंजर हो जाती थी, ऊपर से कर्ज का जाल बिछा भूमिहीन बना दिया जाता था !

आज 21वीं शताब्दी में भी आधुनिक किसान आंदोलन शुरू की गई है ! मगर इसका लक्ष्य, संघर्ष और आंदोलन की जीवटता देख आने वाली पीढियां कांप जाएंगी !
की कैसे मंडियों को बचाने के लिए लाल किले तक चढ़ाई की गई ! दलाली प्रथा बचाये रखने को दिल्ली की सड़कों पर ट्रैक्टर से लंगई की गई !
कृषि का अस्तित्व बचाये रखने के लिए मिया खलीफा जैसे महाशक्तियों को आंदोलन में आना पड़ा ! सच बोला जाए तो सभ्य लोग गुस्सा हो जाएंगे.. रेहाना जैसी कृषि विशेषज्ञों को मैदान में उतरना पड़ा ! अलग बात है कि रेहाना जैसे शक्ल की लड़कियों को यहां के ठेले लगाने वाले स्वाभिमानी लौंडे तक रिजेक्ट कर देते ! 
ग्रेटा बेबी को भारत की चिंता हो रही, अलग बात है की भक्तों ने डेटा चुरा ली !

मगर देश में अंतराष्ट्रीय स्तर के आंदोलन होने के बाबजूद भी सरकार की भूमिका मौनी बाबा की हो गयी है ! कोइ मतलब नहीं है, तोड़ रहे हो तोड़ने दो, भौक रहे हो भौंकने दो !
ऐसे नही करना चाहिए ! बिल्कुल गलत हो रहा इनलोगों के साथ...
इस स्थिति में हम राष्ट्रवादी सरकार का समर्थन नही कर सकते ! 

इन्हें देश की सरजमीं पर बैठ उसमें छेद करना है !  कॉर्पोरेट को देश से भागना है मगर उनके ट्रैक्टर पर बैठ सड़कों पर नंगई करनी है, पब्लिक प्रॉपर्टी तोड़नी है ! 
टैक्स एक पैसे का नही देना मगर हमारी टैक्स से MSP लेनी है !
हर चीज में छूट लेनी है, आह हम अन्नदाता...

किस बात का अन्नदाता बे ? तुमलोग व्यापारी हो अन्न जैसी पवित्र चीज का ! सैकड़ों एकड़ जमीन पुरखो से खैरात में मिली जो उसने किसी गरीब असहाय से कभी छीनी ही होगी, उसपर तुम कितने घण्टे खेती करते हो ? कभी मेहनत किये हो खेतों में, कभी पानी तक भी नही पटाये होंगे ! 
UP बिहार से हमारे असली किसान मजदूर बनकर तुम्हारे खेतों में खेती करने जाते ! अपने पसीने से इस भारतवर्ष की मिट्टी को सिंचते.. तब तुम कितनी आसानी से फोन घुमा माल बेच करोड़ो कमा लेते !
न तो टैक्स भरने की लत है न ही मेहनत करने की ! दूसरों से छीनी गयी जमीन पर दूसरों से मजदूरी कराकर घर बैठे घी खा तोंद पाल किस हक से खुद को किसान कह रहे हो ! 
तुमने दिल्ली की सड़कों पर नंगई की क्योंकि तुम्हारे पास ट्रैक्टर है ! उस ट्रैक्टर पर सरकार अन्नदाता के नाम पर टैक्स में भारी छूट देती ! इधर कभी उत्तर भारत में आकर देख लो असली किसान को ! खुद का पेट भरने को खेती होती है थोड़ी सी कट्ठे की जमीन पर या पट्टे पर लेकर ! 
आवास योजना से अब तो सरकार घर भी बनवा देती, नहीं तो फुस की झोपड़ी में कोठी ही दिखती थी ! जिसमें हमारा असली अन्नदाता अपनी पूंजी रखता था ! कर्ज लेकर ट्यूबवेल खुदवाये जाते यहां, बीज-तेल खरीदने तक को पैसे उधार में लेने पड़ते हैं !

मगर यहाँ का किसान तो कोई विरोध नहीं कर रहा ! क्यों सरकार तुम्हारे मोटे अनाजों को खरीद PDS सिस्टम द्वारा 2 रु किलों बेचने को मजबूर होती रहेगी ! PDS सिस्टम जिस दिन देश से हटा 50% करप्शन फिनिश ! सबसे बड़ी लूट का अड्डा यही है और उसी अड्डे को बरकरार रखने को गला फाड़ रहे... 

सरकार ने इस आंदोलन को बढ़ावा दिया ! अतिसहनशीलता घातक हो रही, सरकार की समझ और दूरदर्शिता समझ से परे हो रही है ! संभवतः लंबे प्रोजेक्ट पर काम चल रहा..
लेकिन किसान का नाम तो बदनाम कर दिया इन लोगों ने ! अन्नदाता के नाम पर लोग 'चल हट्ट बे' करने की स्थिति में आने लगे हैं... बाकी देखते जाओ... 
#जय_हिंद 🇮🇳

No comments:

Post a Comment