26 January 2022

● छात्र आंदोलन ●

छात्रों को नजरअंदाज करना सरकार को भारी पड़ रहा है ! बिहार-यूपी जैसे पिछड़े राज्यों में बेरोजगारी का आलम इतना विभत्स है कि ये रेल रोको जैसा प्रतिकार भी काफी कम है !

लाख बातें होगी इकोनॉमी की, सबको आप नौकरी नहीं बांट सकते लेकिन जितनी बाँट सकते उतनी तो सही तरीके से दे दो.. छात्र आंदोलन का लंबा इतिहास रहा है.. सरकार की चूलें हिला देंगे ये लोग ! किसान आंदोलन की सफलता ने वैसे भी हर तबके को लगभग मोटीवेट कर ही दिया है..

उसके ऊपर रेलवे के पास भर्ती प्रक्रिया का न कोई तय मानक है न कोई फॉर्मूला ! एसएससी और रेलवे दोनों बिना किसी पारदर्शी प्रक्रिया के नॉर्मलाइजेशन के बेसिस पर कुछ भी रिजल्ट दे देने को उतारू हैं.. सरकार बार बार 80 लाख छात्रों के ट्वीट को भी नजरदांज करती रही है ! ये बहुत भारी पड़ सकते हैं.. बिहार टैलेंट का वो खदान है जहां से तराशे हुए हीरे निकल कर आपकी ब्यूरोक्रेसी के अंदर बैठते हैं !

नौकरी के नाम पर विदेशी कंपनियों को बुला लेना और हजारों फैक्टरी अलग अलग राज्यों में खुलवा कर बिहार को अधमरा करके छोड़ देना भी वजह है इनके आंदोलन का.. कब तक लेबर एक्सपोर्ट करता रहेगा बिहार !

शराबबंदी ने इस कदर बिहार को खोखला बना दिया है ये आने वाले 4-5 सालों में ही दिखने लगेगा.. अगले 2 दशक तक बिहार को हर मामले में अंतिम पायदान पर बनाये रखने का मास्टर प्लान है !

Bssc 8 वर्ष में एक बहाली तक पूरी नहीं कर पाई है !

हजारों निक्कमे और संविदाकर्मियों से पूरी बिहार की ब्यूरोक्रेसी को ठूंस डाला गया है ! पुलिस में हजारों बहालियाँ हो रही है, मगर क्राइम कंट्रोल माइनस में जा रहा है ! जब सरकार उसका सही इस्तेमाल नहीं कर पा रही है तो ये ड्रेन ऑफ वेल्थ क्यों किया जा रहा ! रोजगार का कोई अता पता तक नहीं है ! 

शहर के जिस चौराहे पर जाओ, सैंकड़ों भीड़ हाथ में मिस्त्री औजार लिए दिखेंगे.. पेट नहीं भरेगा तो किस बात का लोकतंत्र और कानून मानने को कोई बाध्य होगा !

छात्र जो कर रहे हैं वो उनका अधिकार है ! वे राष्ट्रीय सम्पति को बिना नुकसान पहुंचाए जैसे चाहें सरकार से भिड़ जाएं... 

ये आंदोलन या गुस्सा स्वयंस्फूर्त है, कोई राजनीतिक प्रयोजन नहीं मानी जा सकती है !

आप उनकी आवाज अनसुना करेंगें तो उनका खून खौल उठेगा.. युवा हैं आखिर उबाल मारेगा ही, कोई राजनीतिक बुड्ढे की फौज थोड़ी है...



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