09 June 2021

● अश्लील भोजपुरी ●

भाषा स्वयं ही सभ्यताओं की जननी मानी जाती है । भाषाई समृद्धि लोगों को सामाजिक तौर पर न केवल योग्य बनाते हैं बल्कि उनके पीढ़ियों में क्या संस्कार होंगे ये भी तय करते हैं ! दुनिया की सबसे मीठी बोलियों में से एक भोजपुरी को माना जाता है ! इतने कर्णप्रिय शैली और मिठास की रसधारा से ओतप्रोत यह समस्त लोकभाषाओं में श्रेष्ठ माना जाता है !खासकर बिहार की पहचान तो भोजपुरी के नाम से ही लगभग सभी बाहरी राज्यों में है ! पूर्वी UP और पश्चिमी बिहार के बेल्ट के आम बोलचाल की भाषा में भोजपुरी का 100℅ वर्चस्व है ! उधर मॉरीशस सहित अफ्रीका और कई कैरिबियाई देशों में भी भोजपुरी एक अहम भाषा के रूप में दिखता है !

मगर आज भोजपुरी भाषा के साथ हो रहे वर्ताव का दोषारोपण किसी दूसरे पर कर नहीं सकते ! इसके जिम्मेवार हम सभी हैं ! संगीत-नृत्य के नाम पर जो भोजपुरी आज हमारे सामने परोसा जा रहा है वह हमारी पसंद और हमारी इच्छाओं के अनुरूप ही है ! हम कभी भोजपुरी के संरक्षण के लिए एकजुट ही नहीं हुए ! और भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में, जहां हज़ारों बोलियां और क्षेत्रीय भाषा है,  उस जगह पर सरकार के मत्थे सारी चीजें छोड़ देना उचित नहीं है । सरकार आपकी भाषाई विविधता बचाने हर चीज में क्यों उतरेगी जब आपको कोई फर्क ही न पड़ रहा हो ! 

भाषा की बात हो तो दक्षिण भारत का हाल देखिए ! उसकी एक-एक आबादी सड़कों पर उतर जाती है अपनी पहचान बचाने को ! सरकार को उनलोगों ने मजबूर कर रखा है अपनी भाषाई पहचान देने के लिए.. और सरकार अंततः हर बात मानती है !

1952 में पूर्वी पाक पर उर्दू थोपा गया ! वहां के लोगों ने बांग्ला भाषा बचाने के लिए क्या नहीं किया ? उर्दू को लेकर बवाल पनपते पनपते भयंकर नरसंहार हुआ और अंत में वही बांग्लादेश के लिए आजादी का कारण बना ! उत्तर पूर्व भारत में ट्राईबल्स का अपने भाषा और अपनी संस्कृति से प्रेम देखिए ! किसी बाहरी को घुसने नहीं देते भाषा या संस्कृति से छेड़छाड़ करना दूर की बात है !

Up बिहार में एक खास पहचान सदियों से लौंडा नाच, विवाह गीत, रामलीला, चैता, बिरह की रही है ! क्या बेहतरीन रस हुआ करता था, मतलब एक एक शब्द जैसे तन मन को हिला डालती थी ! भोजपुरी सिनेमा का दौर शुरू हुआ तो भिखारी ठाकुर जैसे बेहतरीन कलाकारों ने भोजपुरी माटी को सुगंधित किया ! रंगमंच पर भोजपुरी का अपना जलवा था... ऊपर से महिलाओं के विवाह गीत, उसमें गाली का रस ! कितनी शानदार विविधता है इस भाषा में...

मगर आज जो भोजपुरी गानों के नाम पर लंठई देखने को मिल रही है वह हमारी ही पसंद का है ! भोजपुरी सिनेमा में नंगई हमारी बिना मर्जी के नहीं परोसा गया ! हमने उस नंगई को पसंद किया... निर्देशक उत्साहित हुए, अभिनेता और अभिनेत्रियां कपड़े खोलने पर उतारू हुए और पैसे बटोरे क्योंकि हमने उन पर पैसे खर्चे ! 

फिर उसी बिहार में स्टेज शो और आर्केस्ट्रा का दौर शुरू हुआ.. लोग खुलेआम बार बालाओं के नाच को अपनी संस्कृति का हिस्सा मानने लगे !  अश्लील शब्दों से लैस गाने शादी-पार्टियों की शान होने लगी, बारातियों में एक ही धुन वाले मगर अलग अलग गलीच-गन्दे लिरिक्स के गानों पर हम थिरकने लगे... एक से बढ़कर एक अश्लील गाने निकले मतलब शरीर के हर एक निजी अंगों को सरेआम बीच बाजार में उसे शब्दों में पिरो कर हमें परोसा गया... और हम मजे के नाम पर स्टेज के नीचे शराब पीकर झूमते और पैसे लुटाते भोजपुरी भाषा को कितना गर्वित कर रहे थे !!!

भोजपुरी की अश्लीलता का कारण मुख्य रूप से भोजपुरी समाज जो पूर्वी UP और बिहार के भोजपुर, छपरा, सिवान आदि जिलों के लोगों की मौन स्वीकारिता है ! जब उनकी भाषाई पहचान में जहर घोला जा रहा था तो चुप क्यों थे ? ऐसे गानों, ऐसे फिल्मों का चलन हुआ ही क्यों ? अपनी मिट रही पहचान को बचाने या उसका विरोध करने समाज का बड़ा वर्ग कभी सामने नहीं आया... 

अपनी लोकसंस्कृति के प्रति इतनी संवेदनहीन हो आप तो भोजपुरी को मिटाने वाले दूसरा कोई नहीं हो सकता ! की आपकी लोकभाषा को  गाली-गलौच की भाषा बनाकर रख दिया गया है.. अब कितना अच्छा लगता होगा कि बाहर जाकर अपनी भोजपुरी एक्सेंट को छुपाना पड़ता है.. इज्जत खराब लगने लगती होगी ! हरियाणवी और पंजाबी गाने इतने आगे निकल गए और लोकप्रिय इसलिए हुए की तेरे तरह वे लोग संवेदनहीन नहीं थे !

पीछे के दो दशक की बात तो छोड़ ही दीजिए आज के इंस्टाग्राम या फेसबुक जैसे विभिन्न वीडियो प्लेटफार्म को एक नजर देखिए ! अच्छी पढ़ी-लिखी और आधुनिक लड़कियां इन्हीं गंदे भोजपुरी गानों पर अपनी कमर मटकाती मिल जाएगी ! कोई टोक दिया तो फटाफट नारीवादी बनने को उतारू हो जाएगी ! 

कौन दोषी है इसका ? क्यों विरोध नहीं करते कभी ? क्यों डिमांड है खेसारी, पवन सिंह, अक्षरा या मोटी थुलथुल पेट दिखाती हेरोइनों की ? 

सीधी बात है इसमें से कोई दोषी नहीं है ! वे सक्सेस पर है तो हम ही के बदौलत है ! हम ही ने उन्हें बढ़ाया है, हमें ही ने उन्हें प्रोत्साहित किया है ऐसे ऐसे गीत लिखने को ! उनकी दुकानदारी है और किसी व्यापारी की दुकान तभी मुनाफे में चलती है जब उसमें बिक रहे प्रोडक्ट की मांग ज्यादा हो ! अब उसमें चरस बिक रहा या गांजा ये खरीदने वाले समझें...

संगीत तो शारदा सिन्हा, मालिनी अवस्थी, भरत शर्मा का भी है ! इनलोगों के गीत या उनके शब्दों के बोल तक रोम रोम में लोकसंगीत का एहसास करा देते हैं ! 

भोजपुरी की पहचान बचानी है तो पूर्ण बहिष्कार करो इनका ! हर चीज सरकार पर डाल देना या सेंसरशिप की मांग करना बेहूदगी है ! पहले खुद सुधरो.. 

शुरुआत तो भोजपुरी भाषी लोगों को ही करनी होगी ! हर एक जगह कील ठोक दो.. यूट्यूब, फेसबुक जहाँ पकड़ा जाए उसी अंदाज में रगड़ डालो ! जैसे तो तैसा.. फिर सरकार से कोई डिमांड करना तब अच्छा लगेगा !

सब कुछ बर्दाश्त कर लो मगर भाषा से छेड़छाड़ कभी नहीं ! क्योंकि भाषा आपकी बुद्धि की माँ है... इसी के बदौलत तेरी शिक्षा, समझ और तेरा अस्तित्व है...

#जय_हिन्द 🇮🇳

No comments:

Post a Comment