28 May 2021

● विदेशी सोशल मीडिया ●

फेसबुक, व्हाट्सएप्प और ट्विटर ने भारत सरकार द्वारा बनाये गए आईटी नियमों के मामले में जिस तरह नेतागिरी करने का प्रयास किया है वह सीधे हमारी संप्रभुता पर हमला है । इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बादशाहत के नशे में ये इतने चूर हो चुके हैं कि 130 करोड़ आबादी वाले देश और बाजार की संप्रभुता पर सीधी उंगली उठाने की कोशिश की गई है । भारत की सामरिक सीमा में घुस कर ग्लोबलाइजेशन के दौर में व्यापार / मनोरंजन के नाम पर इनके कारनामे ईस्ट इंडिया कंपनी की याद दिला रही है । 

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, संप्रभु राष्ट्र है । यहां का संविधान अपने नागरिकों को अभिव्यक्ति की आजादी देता है, ऐसी आजादी दुनिया के किसी देश में नहीं, जहां राष्ट्राध्यक्ष तक को खुलेआम चोर डाकू तक कह देते की स्वतंत्रता है । 

ट्विटर देश में पनप रहे राष्ट्रद्रोह का अड्डा बन चुका है । CAA कानून, दिल्ली दंगों, किसान आंदोलन की आड़ में इस ट्विटर ने सोशल प्लेटफार्म के नाम पर भारत की राष्ट्रीय एकता को खंडित करने की कोशिश की है । अभिव्यक्ति के नाम पर देश विरोधी गतिविधियों को सिर्फ पनपाया है । ये चुनचुन कर वैसी ताकतों की पोस्ट रिच बढ़ाती है जो बस देश या सरकार का विरोध करे ! देश के हित में बोलने वाले लोगों की ये अपनी पॉलिसी के नाम पर अभिव्यक्ति का गला घोंटता है, उसे प्रतिबंधित कर देता है !इसका काम निष्पक्ष होना चाहिए था, किसी देश की आंतरिक राजनीति में घुसकर उसे नियंत्रित करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए थी । क्यों NIA के बहुत से जांचों में इसी ट्विटर की भूमिका संदिग्ध रही है ? क्यों इसके कारनामों से आतंकवादी संगठनों को बढ़ावा मिल रहा है ?

भारत में संसद सर्वोपरि है, उनके बनाये कानून से हमारा देश चलता है । नागरिकों की सुरक्षा और आजीविका की चिंता के लिए हमारे नीति निर्माता हैं जिन्हें हम चुनकर भेजते हैं अपना प्रतिनिधित्व करने को ! मगर तुमने किस हैसियत से अपने पॉलिसी को भारत के ऊपर थोपने का प्रयास किया ? 130 करोड़ आबादी द्वारा चुनी गई लोकतांत्रिक सरकार से टकराव करने की गुरुर कहाँ से आया ? IT रूल्स के प्रावधानों पर उंगली उठाने की तेरी हैसियत कैसे हुई ? तुम हो कौन इन नीतियों पर आवाज उठाने वाले ? क्या तुम इस देश के नागरिक हो ? क्या भारत का संविधान तुन्हें अभिव्यक्ति की आजादी का मूल अधिकार देता है ? 

तुम कौन सी ताकत हो जो सरकार से उसके अपने नागरिकों के मूल अधिकार की चर्चा करोगे ? 

अगर इस देश का हर नागरिक कहने लगे कि हम सरकार का कोई कानून नहीं मानेंगे, क्योंकि हमें तो आजादी है तो क्या होगा ! सिस्टम का मतलब क्या रह जायेगा... 

क्या दिक्कत है अगर तुम अपनी तरफ से 3 प्रतिनिधि रख लोगे ?जो किसी भी देशद्रोही एजेंडे के बढ़ावे के लिए सरकार के प्रति जवाबदेह होंगे ! तुम्हें भारत के नागरिकों की अभिव्यक्ति की चिंता क्यों है ? उसके लिए सरकार है, सुप्रीम कोर्ट है और जनता भी है जो हर 5 सालों में सरकार की अवकात भी ठिकाने लगा देती है ।

व्हाट्सएप्प का इन नीतियों को न मानने के लिए सीधे कोर्ट चले जाना मामूली बात नहीं है । ये सीधी सीधी भारत के आंतरिक मामलों में विदेशी कंपनियों का हस्तक्षेप है , मतलब देश में आजादी जैसी परिभाषाएं ये तय करेंगे ! तुम भारत सरकार के नीतियों के अनुसार क्यों नहीं चलना चाहते ! जिस निजता का हवाला देकर भारतीय व्यवस्था को चुनौती दे रहे, तेरी असलियत यह है कि भारत के नागरिकों का सारा डेटाबेस चोरी कर रहे, उसका डेटा बेच कर अरबों डॉलर कमा रहे हो । किसको क्या पसन्द है नापसन्द है हर एक निजी जानकारी का व्यापार कर रहे हो मगर सरकार को कितना टैक्स देते हो ?

सरकार का प्राथमिक काम इस देश के नागरिकों को सुरक्षित रखने का है, सुरक्षा और कानून व्यवस्था सही रहेगी तो तेरे जैसे हजारों व्यापारी भारत की 130 करोड़ आबादी का बाजार हासिल करने को कुत्ते की तरह ललचाये मिलेंगे...

क्या दिक्कत है अगर तुम 3 अधिकारियों को IT रूल्स के प्रति जवाबदेह बना दोगे ? क्या दिक्कत है अगर तुम किसी गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त व्यक्ति की पहचान बताओगे, सरकारी जांच एजेंसी का सहयोग करोगे ? क्या एक देश की संप्रभु सरकार की जिम्मेदारी नहीं ये पता करना कि आतंकवाद और देशद्रोह में संलिप्त ताकतें कौन है ? ऐसा नहीं करना चाहते तो साफ है कि इन गतिविधियों में इनकी संलिप्तता रहती है ।

चाइनीज वायरस को इंडियन वैरिएंट नाम देना, कोरोना दूसरी लहर में टूलकिट जैसा मसला जिससे राष्ट्र की छवि तेरी वजह से खराब हुई । किसान आंदोलन मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तूने पॉलिटिक्स किया, टूलकिट को बढ़ावा दिया । फिर भी तुम उस चीन की वकालत करते दिखते जहाँ तेरी एंट्री भी नहीं है । 

सामान्यतः एक छोटा व्यापारी जिस भी मार्किट में दुकान खोलता उसे भी उस क्षेत्र का नियम मानना पड़ता । अगर दादागिरी करे और कहे कि न हम तो भाई अमेरिका वाले नियमों से चलेंगे तो क्या ? लतिया दिए जाओगे फौरन !!! 

हमें एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते धीरे धीरे स्वदेशी सोशल मीडिया की तरफ शिफ्ट होना चाहिए.. Koo एक बढ़िया ऑप्शन बनकर उभर रहा है ! सरकार उन्हें प्रोत्साहन दे, लोग समर्थन करें... 

अब सरकार इस मामले में सख्त हो जाये । बेहद निर्ममता से इन तीनों प्लेटफार्म पर अपने कानून लागू कराए । केवल IT रूल्स में ये इतने उछल रहे तो अब IT act में भी तत्काल संशोधन हो और बेहद कड़े प्रावधान बनाये जाएं ! बाकायदा SOP बने सोशल मीडिया के लिए ! इन्हें टैक्सेशन के दायरे में लाया जाए.. जबरन टैक्स वसुलो ! जब हमलोग एक रुपये के चॉकलेट पर 30 पैसा टैक्स देते तो ये कैसे बिना टैक्स दिए अरबों डॉलर कमाकर अपने देश भेज रहे ! सरकार की नाकामी है कि ये कंपनियां अब तक नियमों को ठेंगे दिखा रही है, ऐसे बनोगे महाशक्ति ???

ये तीनों विदेशी कंपनियां देश में व्यापार करने आएं हैं न कि यहां की कानून व्यवस्था को नियंत्रित करने और न ही मूल अधिकार/स्वतंत्रता की व्याख्या करने ! जरूरत है इनकी अवकात ठिकाने लगाने की... 

#जय_हिन्द 🇮🇳

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