20 May 2021

● NCERT में सुधार ●

एनसीईआरटी सरकारी तंत्र के निकम्मेपन अच्छा उदाहरण है ! कहने को केंद्र के अधीन संचालित संगठन है मगर इसके नियम कानून दादागिरी से कम नहीं है । बाजार में भले पाइरेटेड copies धड़ल्ले से बिकती हो लेकिन किसी को ये छापने की अनुमति नहीं देंगे । छापेंगे यही और बेचेंगे यही... कोई दूसरा छाप दे तो अपराध की श्रेणी है । उसके संस्थान में छापा मार देंगे । इतनी दादागिरी !
इनकी किताब का वैल्यू इतना है कि कोई निजी स्कूल शायद ही इससे पढ़ाता हो ! वो अपनी मर्जी से किताब छापता है और 10- 10 हजार तक कि किताबें 2 फुट के कद्दू जैसे लौंडों के लिए जबरन पेरेंट्स को खरीदना होता है ! 
अब फोकट के सरकारी किताब से पढ़ने वाले हम लौंडे क्या जानें इतनी नबाबी ! इतने पैसे में तो पूरा कॉलेज तक निकाल दिया हमलोगों ने...

जब सरकार का काम व्यापार नहीं है तो निजीकरण की जरूरत इस क्षेत्र में बहुत जरूरी है । निजी पब्लिकेशन को लाइसेंस बांटों और टैक्स वसुलो ! सब बाजार के हवाले हो रहा तो इसे अपने सिर क्यों लादना है, क्या स्वार्थ है ?
पता नहीं शिक्षा मंत्रालय की मानसिकता आखिर है क्या ? सरकार के 7 साल होने को है, यही लोग हैं जो कांग्रेस के जमाने में सिलेबस में बदलाव के लिए उछल उछल के मांग करते थे.. 
हम भी सोचते थे चलो साला कोई तो इस मैटर का सोच रहा !

सिलेबस में इतनी घटिया मानसिकता पिरोयी गयी है कि आपने वाली पीढ़ियों में राष्ट्रवाद और देशप्रेम के लिए तरस जाओगे । विशुद्ध रीढ़विहीन केचुए समाज को मिलेंगे ।
बाबर अकबर की महानता पढ़ने वालों से क्या उम्मीद.. तर्क वितर्क की क्षमता ही विकसित न होगी !
एक तो NCERT की मनमानी, फिर ऊपर से कॉन्वेंट स्कूलों का सिलेबस.. कंटेंट देख के भेजा गर्म हो जाता !
ऐसे शिक्षित करोगे अपनी पीढ़ियों को ?
क्यों खुली छूट है निजी स्कूलों को अपने किताब छापने को ?
वे मध्यमवर्गीय परिवारों से किस प्रकार बुक्स के नाम पर पैसों का डकैती करते हैं, इसका तनिक भी अंदाजा है क्या ?

नेताओं के दबाव में निजी स्कूल पर रोक नहीं लगा पाते ! NCERT विभाग का रेनोवेशन नहीं कर रहे ! 
अगर एक टाइप की किताबें अलग अलग भाषाओं में पूरे देश में चलेगी तो क्या हर्ज है भाई ? 
निकम्मा नाकारा क्यों बना रखा है ncert को ! 
जैसे हम राष्ट्रवादी समर्थन करते हैं वैसे ही हक से सवाल भी पूछेंगे ! 
बदलाव जरूरी है और सरकार को करना पड़ेगा...
ये बच्चों के मूलभूत अधिकारों का प्रश्न है ! गरीब या मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे बच्चे इन कॉन्वेंट वालों से क्या टक्कर ले पाएंगे यार !
मेरिट चाहिए तो पहले एक देश-एक पुस्तक-एक सिलेबस का कॉन्सेप्ट लाएं.. अगर नहीं तो आपकी नई शिक्षा नीति से घण्टा न फर्क पड़ने वाला है लिख लो... 
#जय_हिन्द 🇮🇳


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