भारत में लोकतंत्र के बुनियाद और उसके कर्ता-धर्ता, पोषक नेताओं के
हवाले रखा गया| नाममात्र के जनतांत्रिक अधिकारों की झांकी से नेताओं के कारनामों
और हरामखोरी के इतिहास पर पर्दा नहीं डाला जा सकता| नेताओं का चिंतन और दूरदर्शिता
के पैमाने पर देश के साथ वक्त-वक्त पर की गई कायरता, गद्दारी उन्हें बुद्धिजीवी भी
बनाती है और न्यूज़ से पोपुलर भी| चुनाव जीतने के लिए या फिर मुस्लिम वोट पाने के
लिए इन नेताओं की टोलियाँ धीरे-धीरे देश की जडें खुरेदते चली जा रही है| राजनेताओं
के संदर्भ में ऐसी कठोर शब्दों का इस्तेमाल करना मजबूरी बनती जा रही है| भारतीय
राजनीति में दिग्विजय, लालू और केजरीवाल जैसे नेताओं की उपस्थिति, लोकतंत्र और
नेतातंत्र दोनों के लिए धब्बा है|
सरकार और प्रशासन दोनों के फैसलों में कमियां ढूंढ़कर हल निकालना बेशक
विपक्ष का काम और जिम्मेदारी दोनों हैं, लेकिन राष्ट्रहित के मसलों पर वोट के लिए
या मुसलमानों को खुश करने के लिए आतंकवादियों का समर्थन, देशहित का गला घोटने जैसा
है| भोपाल एनकाउंटर में सही या गलत की चर्चा से या फिर उन आतंकवादियों की तरफदारी
से न केवन देश के गद्दारों का मनोबल बढेगा बल्कि इन नेताओं की बयानबाजी से आतंक को
पनपने का बेहतर माहौल भी मिलेगा| देश की तमाम राजनीतिक पार्टियाँ आतंक की विरूद्ध
की गई कारवाई में बड़ी बाधक बनती है| कश्मीर से लेकर देश के अन्य आतंकग्रस्त
क्षेत्रों में सैनिक कारवाई को धर्म से प्रेरित बताना, देश के सैनिकों का मनोबल
तोड़ कर रख देता है| सुरक्षा बलों पर सवाल उठाने वाले कभी एक बार अपने आस-पास खड़े
सुरक्षा कर्मियों को हटा कर देख लें की डर और आतंक क्या होता है?
सम्प्रदायवाद या धार्मिक आधार पर आतंक या गुनाह को बांटना देश तोड़ने
जैसा है| कश्मीर में आज अलगाववाद की स्थिति इसलिए है की क्षेत्रीय तौर पर
आतंकवादियों और पत्थरबाजों को उनका समर्थन हासिल है| देश के अन्य शहरों में बढती
कट्टरपंथी उत्पात धीरे-धीरे दंगे का शक्ल ले रही है| हिन्दुओं के हर त्यौहार में
बाधाएं डालकर दंगे करवाले की सोची-समझी साजिश रची जा रही है| नहीं तो क्यूँ
गैर-बीजेपी शासित राज्यों में दंगों के आंकडें बेहद भयावह हैं?
आतंकवादियों या देश के सुरक्षा के लिए खतरा बनते लोगों को ठोकना, देश
विरोधी गतिविधियों में लिप्त लोगों के लिए खौफ पैदा करता है| सफेदपोशों के संरक्षण
में पल रहे देश के गद्दारों को मार गिरना अब भी सेना के लिए पाक से बड़ी चुनौती है|
फिर भी सेना के मनोबल के जरिये उनके साहस, पराक्रम या वीरता को जीवंत रखने की
कोशिश करने के लिए प्रधानमंत्री जी को आभार... कश्मीर में खुलेआम ठोकने की छुट
देने के लिए आभार... और भोपाल एनकाउंटर अगर फर्जी है तो शिवराज सरकार पर फक्र... #Shoot_on_the_spot
लेखक:- अश्वनी कुमार, जो ब्लॉग पर ‘कहने का मन करता है’ (ashwani4u.blogspot.com) के लेखक हैं...
ब्लॉग पर आते रहिएगा...
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