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29 June 2017

असली दोगले आजादी गैंग

Image may contain: 8 people, people smilingकभी दोगले को देखा है सुना तो बहुत बार है कि दोगले होते हैं! दोहरा चरित्र होता है दोहरी मानसिकता होती है दोहरा रवैया होता है, लेकिन असली दोगले को देखने की सहनशक्ति किसी राष्ट्रवादी में तो नहीं हो सकती.
गाय एक पशु है वह माता हो नहीं सकती, लेकिन भोजन जरूर हो सकती है! गाय के लिए किसी को मारना हत्या हो सकती है लेकिन उसके लिए गाय को मारना एक पुण्य का काम माना जा रहा! जुनेद मारा गया अयूब पंडित मारे गए लेकिन देशद्रोहियों के अंदर पनप रही नफरत को नहीं मारा जा रहा! 
दोगले की पूरी फौज जंतर मंतर पर आती है और अयूब को लेकर प्रदर्शन करती है लेकिन राष्ट्रवादी फेसबुक और ट्विटर जैसे वर्चुअल दुनिया में खूब धूम मचा लेते हैं मगर उनकी अवकात कुछ भी नहीं ! देश में एक नई सहिष्णुता का दौर शुरु हुआ है जिसमें किसी की मां को गाली दी जाती है किसी की मां समान माता को खा कर डकार लेे रहे और खाने की आजादी बता रहे। हिंदू उछल-कूद तो खूब मचा लेते हैं मगर मुसलमानों और वामपंथियों के जुनून के आगे फिसड्डी है।
सरकार को कोसने के बजाए इन साले आजादी गैंग को मजा चखाना बेहद जरुरी हो गया है।
जहां भी देखो डंडा निकालो मारना शुरू करो! ज्यादा चीखे तो लंगटे करके पीटो!
सामाजिक बहिष्कार करो कश्मीर और सेना पर दोगलापंथी दिखाने वाले लोग हो या नेता या कोई सबकी बजाओ!
ऐसे लोगों के खिलाफ छदम युद्ध छेड़ो !
खिलाफत का माहौल पैदा करो !
देखा नहीं कि मारना शुरू!
BJP की सरकार है तो ठीक, नहीं है तो अंधेरे का फायदा उठाओ पीछा करो बिहारी स्टाइल में माथे पर बोड़ा ओढाओ पेंट नीचे करो और दे दना दन!
तब तक करो जब तक साले सब अपने अपने अवार्ड वापस में कर दे !
कुछ दिन खूब हल्ला मच जाएगा लेकिन राष्ट्रवादियों को ठंडा नहीं पड़ना है क्योंकि गर्म तवे पर रोटी जल्दी पकती है!
सरकार पर भरोसा करने से काम नहीं चलेगा!
सरकार के साथ जनता को भी काम करना होगा. जनता सुप्रीम है !
जैसे मन है वैसे एक्शन लो बस कानून का ध्यान रखना है और संविधान कि सही व्याख्या कर देना है!
सेना का मनोबल बढ़ाओ जहां जवान दिखे फौरन सैल्यूट ठोको .
बस ट्रेन में तत्काल जगह खाली करो! एक नई जोश पैदा करो वह जोश गद्दारों के खिलाफ काम में आएगी!
प्रदर्शन और सरकार के कामकाज रोकने से कोई फायदा नहीं होने वाला! पता है सरकार राष्ट्रवादी है, लेकिन दोगले उसे मजबूर कर रहे हैं इसीलिए फालतूबाजी हवाबाजी बंद करो ।
इजराइल और मोसाद पर जितने ज्ञान हम पेल रहे हैं वो मोदी ने 20 साल पहले सोचा होगा!
इसीलिए डरो मत डराओ !                           
सबको आजादी दो ना मांगे तो भी दो ठूंस-ठूंस के दो! सुबह जब खेत में तकलीफ होगी साले अगली बार आजादी मांगना भूल जाएंगे...
पीटने_की_आजादी
बाकी आप कमेंट में सुझाव दे सकते हैं...

अश्वनी ©


03 November 2016

नेताओं की गद्दारी पुरानी आदत

भारत में लोकतंत्र के बुनियाद और उसके कर्ता-धर्ता, पोषक नेताओं के हवाले रखा गया| नाममात्र के जनतांत्रिक अधिकारों की झांकी से नेताओं के कारनामों और हरामखोरी के इतिहास पर पर्दा नहीं डाला जा सकता| नेताओं का चिंतन और दूरदर्शिता के पैमाने पर देश के साथ वक्त-वक्त पर की गई कायरता, गद्दारी उन्हें बुद्धिजीवी भी बनाती है और न्यूज़ से पोपुलर भी| चुनाव जीतने के लिए या फिर मुस्लिम वोट पाने के लिए इन नेताओं की टोलियाँ धीरे-धीरे देश की जडें खुरेदते चली जा रही है| राजनेताओं के संदर्भ में ऐसी कठोर शब्दों का इस्तेमाल करना मजबूरी बनती जा रही है| भारतीय राजनीति में दिग्विजय, लालू और केजरीवाल जैसे नेताओं की उपस्थिति, लोकतंत्र और नेतातंत्र दोनों के लिए धब्बा है|
                                                                                  
सरकार और प्रशासन दोनों के फैसलों में कमियां ढूंढ़कर हल निकालना बेशक विपक्ष का काम और जिम्मेदारी दोनों हैं, लेकिन राष्ट्रहित के मसलों पर वोट के लिए या मुसलमानों को खुश करने के लिए आतंकवादियों का समर्थन, देशहित का गला घोटने जैसा है| भोपाल एनकाउंटर में सही या गलत की चर्चा से या फिर उन आतंकवादियों की तरफदारी से न केवन देश के गद्दारों का मनोबल बढेगा बल्कि इन नेताओं की बयानबाजी से आतंक को पनपने का बेहतर माहौल भी मिलेगा| देश की तमाम राजनीतिक पार्टियाँ आतंक की विरूद्ध की गई कारवाई में बड़ी बाधक बनती है| कश्मीर से लेकर देश के अन्य आतंकग्रस्त क्षेत्रों में सैनिक कारवाई को धर्म से प्रेरित बताना, देश के सैनिकों का मनोबल तोड़ कर रख देता है| सुरक्षा बलों पर सवाल उठाने वाले कभी एक बार अपने आस-पास खड़े सुरक्षा कर्मियों को हटा कर देख लें की डर और आतंक क्या होता है?

सम्प्रदायवाद या धार्मिक आधार पर आतंक या गुनाह को बांटना देश तोड़ने जैसा है| कश्मीर में आज अलगाववाद की स्थिति इसलिए है की क्षेत्रीय तौर पर आतंकवादियों और पत्थरबाजों को उनका समर्थन हासिल है| देश के अन्य शहरों में बढती कट्टरपंथी उत्पात धीरे-धीरे दंगे का शक्ल ले रही है| हिन्दुओं के हर त्यौहार में बाधाएं डालकर दंगे करवाले की सोची-समझी साजिश रची जा रही है| नहीं तो क्यूँ गैर-बीजेपी शासित राज्यों में दंगों के आंकडें बेहद भयावह हैं?

Image result for bhopal encounter imageImage result for gaddar neta imageआतंकवादियों या देश के सुरक्षा के लिए खतरा बनते लोगों को ठोकना, देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त लोगों के लिए खौफ पैदा करता है| सफेदपोशों के संरक्षण में पल रहे देश के गद्दारों को मार गिरना अब भी सेना के लिए पाक से बड़ी चुनौती है| फिर भी सेना के मनोबल के जरिये उनके साहस, पराक्रम या वीरता को जीवंत रखने की कोशिश करने के लिए प्रधानमंत्री जी को आभार... कश्मीर में खुलेआम ठोकने की छुट देने के लिए आभार... और भोपाल एनकाउंटर अगर फर्जी है तो शिवराज सरकार पर फक्र... #Shoot_on_the_spot


लेखक:- अश्वनी कुमार, जो ब्लॉग पर ‘कहने का मन करता है’ (ashwani4u.blogspot.com) के लेखक हैं... ब्लॉग पर आते रहिएगा...

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03 September 2016

कश्मीरियों का देशद्रोही रवैया

कश्मीर में देशद्रोही गतिविधियों का इतिहास पुराना रहा है| धर्म, जिहाद या पाकिस्तानपरस्ती की आड़ में देश के विरूद्ध साजिश रचना और घाटी को अशांत करने की कोशिश उनकी पैदाइशी फितरत बना चुकी है| चंद अलगाववादी नेताओं और हुर्रियत की मनोदशा हमेशा उसे पाकिस्तान का अंग बनाने की रही है| सरकार के साथ कई बातचीत के दौर के बावजूद भी न तो कश्मीरी मुसलमानों की मानसिकता में कोई परिवर्तन आया और न ही उनके देशद्रोही रवैये में|

Image result for kashmir pellet gun stone pelter imageक्या इसे हमारी सरकार की असफलता कही जा सकती है जिसने इन 5-6 दशकों में अरबों-खरबों रुपये कश्मीरी लोगों, युवाओं को मुख्याधारा में लाने के नाम पर बर्बाद की फिर भी उनका शांति-सन्देश, देशप्रेम और अरबों रूपये धर्म, जूनून और जिहाद के पागलपन के आगे फीका पड़ गया| दुनिया की वर्तमान वैश्विक हकीकत है की इस्लाम की सोच, उसकी विचारधारा शांति से नफरत करती है| इतिहास गवाह है की किस तरह घाटी से कश्मीरी पंडितों को काफिर के नाते भगाया गया, उनकी इज्जत लुटी और धन-दौलत को अपना बनाया| बुरहान वाणी तो कश्मीर के आतंक का एक छोटा सा आइकॉन था| उसकी आतंक के अलावे कोई अपनी खुराफाती विचारधारा भी नहीं थी जैसा की भारत सरकार के पैसों और सुरक्षा से पल रहे गिलानी, मसूद जैसे हुर्रियत नेताओं की है| या फिर मुफ़्ती और अब्दुल्ला की दबी जुबान से है|

Image result for kashmir pellet gun stone pelter imageसेना को मारना, उन पर पत्थर बरसना उनका अधिकार है, पर सेना का पैलेट गन चलाना अधिकारों का हनन| शायद कानून इस बात से अनजान है की राजकाज चलाने के लिए सारे जुर्म, हनक और कारवाई जायज होती है जैसा चुनाव जितने में होता है| लेकिन मानवाधिकार की चिंता करने को उनलोगों को कतई अधिकार नहीं है जो नुमाइंदे या रक्षक के नाम पर ठंढे एसी कमरों में बैठकर हजारों किलोमीटर दूर की वास्तविकता पर सही-गलत की निर्णय लेता है| देश की सुरक्षा, उसकी एकता और अखंडता को सुनिश्चित कराने की जिम्मेदारी सेना की है, सरकार और कोर्ट की नहीं| इसलिए सेना के कार्यों में बेवजह हो रही दखलंदाजी हमारे लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा कर सकता है... फिर तो जनता मौज मना सकती है... किसलिए? आप जानते हैं...

लेखक:- अश्वनी कुमार, जो ब्लॉग पर ‘कहने का मन करता है’ (ashwani4u.blogspot.com) के लेखक हैं... ब्लॉग पर आते रहिएगा...