05 June 2024

इज़राइल vs ईरान

विश्व राजनीति में पहले से ही दुनिया रुस-यूक्रेन युद्ध की वजह से संकट में घिरी है, जबकि इन दिनों मिडल ईस्ट एशिया में एक नया बारूद बिछ रहा है.

इज़राइल और ईरान के बीच जंग की संभावना बन रही है. नक़्शे पर कभी इज़राइल को गौर से देखिए, फिर आसपास के अन्य देशों को देखिए. देखिए वह बेहद ख़ूँख़ार और आतंक वाले देशों सीरिया, लेबनान, फ़िलिस्तीन आदि की बीच कैसे अस्तित्व में है.
इसके अलावे अन्य सारे मुस्लिम देश जिसमें सऊदी, जॉर्डन, मिस्र, ईरान जिनकी चाहत सिर्फ़ और सिर्फ़ इज़राइल की बर्बादी है.
अब अंदाज़ा लगाइए जरा इज़राइल के हिम्मत की..
जब से मैंने विश्व राजनीति को समझना शुरू किया है तब से कभी इज़राइल को किसी भी मामले में पीछे हटते या उसकी कम्युनिटी में डर नहीं देखा.
दुनिया भर में गिदड़भभकी देने वाले सैंकड़ों देश है लेकिन इतना आक्रामक देश और जीवटता से भरी यहूदी कम्युनिटी का कोई सानी नहीं है. कोई चुनौती दे यह भी इसे मंज़ूर नहीं..
इस बार इज़राइल ने ईरान से सीधे भिड़ने का अलर्ट जारी किया है. चूँकि ईरान और इज़राइल दोनों एक दूसरे के कट्टर दुश्मन हैं और बीते कुछ सालों में छद्म तरीक़े से दोनों ने एक दूसरे को नुक़सान पहुँचाया है. लेकिन जिसके पास मोसाद जैसी ख़ुफ़िया एजेंसी हो वह किसी पर भारी ही पड़ेगा.
ईरान लेबनान के आतंकी संगठन हिज़बुल्ला, फ़िलिस्तीन और सीरिया के कुछ संगठन को ट्रेनिंग-हथियार देकर इज़राइल को मिटाने की साज़िश रच रहा था. इज़राइल पर कई हमले के पीछे सीधे ईरान का हाथ हुआ करता था. फ़िलिस्तीन को जंग के दौरान ईरान ने बहुत मदद की थी और वह इज़राइल को ईरानी हथियारों से काफ़ी नुक़सान पहुँच था.
उधर इज़राइल तो चूँकि आँख के बदले आँख की रणनीति पर यक़ीन रखता है, इसलिए बदले में उसने ईरान के सर्वोच्य सैन्य कमांडर जनरल सुलेमानी को इतनी सफ़ाई से मारा की दुनिया आज भी आश्चर्य में है.
एक ट्रक में ऑटोमैटिक सैटेलाइट कंट्रोल गन लगी थी, एक दिन ट्रैफिक चौराहे पर सुलेमानी के कार का शीशा जैसे ही नीचे हुआ बंदूक़ ने सीधे हेड शॉट लगा दी. तफ़तीश में कोई सबूत नहीं मिला लेकिन दुनिया मोसाद की ओर बस देखती रह गई.
वैसे ही ईरान के परमाणु कार्यक्रम के वैज्ञानिक की रहस्यमयी मौत हो गई और कोई सबूत आज तक नहीं मिला.
हाल ही में ईरान के दो सैन्य अधिकारी जो सीरिया में आतंकवादियों की मदद को आये थे, इज़राइल ने तुरंत मिसाइल अटैक किया और दोनों मारे गये.
इस घटना से ईरान की जनता सड़कों पर है और ग़ुस्से में है.
इधर इज़राइल लेबनान, सीरिया और हमास के ऊपर भारी बमबारी भी कर रहा है और सीधे सीधे ईरान से युद्ध लड़ने की मंशा ज़ाहिर कर दी है…
देखने में यह खबर उतनी महत्वपूर्ण नहीं लगती लेकिन इसकी दुनिया को बड़ी गंभीर क़ीमत चुकानी पड़ सकती है.
इज़राइल अगर मरने मारने पर उतारू न हो तो उसका अस्तित्व मिट सकता है, उसके लिए तो युद्ध एकमात्र विकल्प है और उसकी अटैकिंग स्किल ही उसे बचाये हुए है.
ईरान बेमतलब की इस्लाम vs यहूदी की लड़ाई में चौधरी बनने चला था.. इज़राइल ने अगर ईरान पर अटैक किया तो भारत समेत कई देशों में तेल सप्लाई बाधित होगी. इराक़ बग़ल में है और इज़राइल किसी क़ीमत पर पीछे हटने वाला नहीं है.
क्योंकि इसका इतिहास बड़ा जीवट भरा है, सारे मुस्लिम कंट्री मिलकर भी उससे कई युद्ध हार चुके है..
लगता है अमेरिका की डेमोक्रेटिक बाईडेन सरकार अपनी गोटी ईरान को मोहरा बनाकर सेट करना चाहता है. यूक्रेन में मिली हार के बाद उसे एक नया जंग का मैदान चाहिये. यहाँ भी वह इज़राइल से सीधे नहीं भीड़ सकता, क्योंकि अमेरिका वह फट्टू है जो नार्थ कोरिया से डर जाता है..
सोचिए और समझिए की इन परिस्थितियों में भी भारत ने ख़ुद को कैसे बचा रखा है. अपनी शर्तों पर डिप्लोमेसी कर रहा है, अपने ज़रूरत की हिसाब से डिफेंस डील कर रहा है. दुनिया को जब मन तब उनके ही मंच पर खड़ी खोटी सुना रहा है.
रक्षा ख़रीद में आत्मनिर्भर होने का डंका दुनिया सुन रही है. ख़तरा भारत पर भी बहुत बड़ा है लेकिन यहाँ सत्ता में बैठे एक अकेले व्यक्ति के निःस्वार्थ के आगे किसी की कुछ भी नहीं चल पा रहा है.. 🇮🇳

~ 07.03.2023


No comments:

Post a Comment