30 September 2017

पटना सिटी का दशहरा 2

सिटी की पतली और संकरी गलियों से होकर दशहरा घूमने का अपना ही मज़ा है! खदबदाई हुई भीड़ में चलते हुए श्री बड़ी देवी जी मारूफगंज का दर्शन करना हर दशहरा पैदल टूरिस्ट का मेन लक्ष्य होता है!
सिटी की गलियों का पापड़ और दालमोट यहां की व्यावसायिक पहचान है! रंग-बिरंगी झालरों से सजे छोटे-छोटे पंडाल सदियों से चली आ रही परंपरा का अहसास कराती है!
अलग-अलग कला शैली से बनी माँ की प्रतिमा में विभिन्न संस्कृतियों का संगम दिखती है!
जगह-जगह भंडारे का प्रबंध है। लोग शांतिपूर्वक माता के भंडारे में कतारबद्ध हैं!
भंडारे में सिटी और मारूफगंज के थोक किराना व्यवसायियों का योगदान प्रसंशनीय होता है!
लोगों का हुजूम दलहट्टा से बढ़ती हुई पटना साहिब और चौक की तरफ जा रही है!
रास्ते में एक से बढ़कर एक नमूने और नमूनी देखने को मिल रहे हैं! नमूनियों ने इसे मेला कम, स्टाइल और फैशन ड्रेसिंग कम्पटीशन ज्यादा बना रखा है!
लौंडों की नमूनागिरी से छोड़ियों के घरवाले आतंकित दिख रहे हैं!
लौंडों का गैंग सरसरा के भीड़ की तरफ जाता दिख रहा है! शायद उसे भीड़ आकर्षित आकर्षित कर रही है या फिर........
पटना में जब से दशहरा घूम रहा हूँ तब से ये भोंपू वाले साले सबको परेशान करते फिरते हैं! हनी सिंग वाला थोबड़ा लेकर सलमान वाला attitude दिखा रहे है, मन करता है गोबर लिप के शुद्ध कर दें!
एक्का-दुक्का जगह लठैत पुलिसवाले दिख रहे हैं! वो सुरक्षा कम और अपनी आराम की जगह ढूंढ कर बैठने की फिराक में ज्यादा लग रहे हैं!
आंटियों का ग्रुप चाट-गोलगप्पे उड़ाए जा रही है!
चाट के आसपास लगे लाइट पर फतंगी फड़फड़ा रहा है!
चाट वाला सब कुछ मिलाकर भी फतंगी रहित बेचने का दावा कर रहा है!
लोग चलते-चलते थक रहे हैं, मगर मेला में भीड़ बढ़ती जा रही है!
हमलोगों का भी उत्साह और जुनून पैर दर्द के मारे चूर हो चुका है!
जिस तरह पटना सिटी का ऐतिहासिक दशहरा अपने अनोखे और विरले अंदाज के लिए प्रसिद्ध है वो फिर से दिखा!
अपनी अनूठी शैली के लिए विख्यात पूजा पंडालों के तमाम आयोजकों का शुक्रिया!!
उनकी मेहनत और कला संरक्षण के उनके प्रयासों को साधुवाद.............

 अश्वनी ©


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