10 June 2019

घुमक्कड़

6 दिनों की लंबी यात्रा करके ट्रेन में पड़ा हूँ ! घुम्मकड़ी का नतीजा पैर से पूछो ! दूरदराज के इलाके में ट्रेवलिंग का एडवेंचर तभी है जब पॉकेट गर्म रहे और आप दिमाग वाले हों ! लगभग सभी टूरिज्म वाले इलाके में हम जैसे नालायकों ने गंध मचा रखी है ! प्राकृतिक सुंदरता का लुफ्त उठाने के नाम पर उसकी कोमलता को कुचल दे रहे हैं !
लम्बे लम्बे जाम, ठसम ठस भर भर के बसों से अनपढ़ों की फौज, मौज उड़ाने को पगलाई दिखी ! अंडे बच्चे सब मिलकर पर्यावरण की साकीनाका करते दिखे ! पैसे का छुहारा उड़ाना हो तो पहला नचनिया के नाच में उड़ाओ उसके बाद घुम्मकड़ी का शौक पालो ! अक्लमंद इंसान होगे तो दो की जगह एक बार ही खाकर पेट को बस शांत रखोगे ! नहीं तो उन जगहों पर डकैतों की कमी नहीं है ! पग पग पर पैसे का शुरुर है, शोषण है !
टैक्सी, बस हर तरह के ट्रांसपोर्ट वाले मजबूरी का फायदा शक्ल देखकर उठाएगा ! फैमिली बच्चों के संग गए तो मान के चलो की दो महीने की सैलरी दान में दे दी ! कबाब बिरयानी यहां ब्रेकफास्ट है ! चावल दाल का स्वाद भूल जाओ ! एक एक बूंद पानी के पैसे वसूलेंगे रेस्टुरेंट वाले ! होटल्स के टर्म्स कंडीशन इतने है की बस पॉकेट से पैसे खुद नहीं निकाल ले रहे !

पार्कों तक में इतनी भीड़ है कि घूमने को सोचना पड़ रहा ! ये कौन सा ट्रेंड चल पड़ा है समझ नही आता ! मतलब गर्मी की छुट्टी क्या हुई जिंदगी का एकमात्र मकसद लोगों में घूमने का पैदा हो गया है ! नरक बना दी है इनलोगों ने दर्शनीय स्थानों को !

एक हमलोग थे, सरकारी स्कूल में गर्मी की छुट्टी हुई तो समझ लो मिशन नानी घर लांच हुआ वो भी अधिकतम एक सप्ताह का ! जितना कूदना, लुका चोरी खेलना, लूडो खेलना, टीवी देखना है देख लो नानीघर में ! सब बच्चे मिलकर एक जगह सोना और एक दूसरे का सामान चुरा लेना फिर लड़ना ये सब किस्से थे ! वापस घर गए तो बस पढ़ाई स्टार्ट ! स्कूल बंद है पढ़ाई नहीं , वाला डायलॉग अब भी पेरेंट्स का खौफ यादें ताजा कर देता है !

गर्मी होते ही सुबह नहाओ, फिर खीरा खाओ काला नमक के साथ और बस बैठ के पढो ! साला अपना मन पढ़ाई में नही लगता, आधे घण्टे पढ़े बस किताब कॉपी बन्द ! फिर शुरू होता था तानों का दौर ! गधा बनने से लेकर भैंस चराने तक की ताने सुनने पढ़ते ! मैट्रिक का खौफ उस वक्त सर चढ़कर बोलता था ! 
पास होना 1st डिवीज़न के बराबर उपाधि था और 1st वाले को टॉपर का ! उस दौर में गलती से मैट्रिक पास हुए सीनियर लौंडे कॉपी भर देने की नसीहत देते हुए तेरे नाम टाइप झुल्फ़ी संवारते और सिगरेट फूंकते निकल जाते थे !

तो बात गर्मी की छुट्टियों की थी ! मसला ये था कि कोलकाता, दिल्ली ये सब शहरों के नाम किताबों में पढ़ा करते थे ! दुनिया बस गोल है और चन्दा हमारा मामा है वाले जमाने से हैं हमलोग ! उमक़्क़री घुम्मकड़ी क्या बला है ये कुछ सालों पहले पता लगा ! पहले पटना में ही अकेले निकलने से डरते थे कि भूलाना तय है ! शिमला, मनाली, sea beach, होटल्स ये सब फिल्मों में देखा करते थे ! 
फिर भी घूमने का मन कभी नहीं किया, क्योंकि ये सब दूसरे ग्रह पर होगा मान कर चल रहे होते थे ! अपना दुनिया जहां तो बस शक्तिमान और जूनियर जी के इर्दगिर्द घुमा करता था !

ट्रेन पर पहली बार ग्रेजुएशन में चढ़ा ! फिर एग्जाम देने भेड़ बकरियों की तरह जनरल में जाया करता था क्योंकि स्लीपर क्लास क्या बला है ये बहुत बात में पता चला ! घर से पैसे मिले की होटल या धर्मशाला लो लेकिन हम ठहरे मंदबुद्धि साला होटल कैसे लिया जाता है, कैसे बात करना है कुछ पता नहीं ! भारी confusion में स्टेशन पर ही कई बार सोया ! 
ट्रेन का कोई आईडिया नही सो पचास आदमी से एक ही ट्रेन के बारे पूछकर मजबूती से कन्फर्म करता था कि ये पटना जा रही या नहीं !
सीलबंद पानी खरीदने की अपनी लत शुरू से ही नहीं रही ! पैसे बचाओ अभियान का अम्बेसडर था ! खुराफाती आईडिया बहुत होता था दिमाग में मगर कॉन्फिडेंस लेवल माइनस में ! इसलिए हर जगह बेवकूफ बने, खूब ठगाए !

अब ट्रेवलिंग कर लेता हूँ, मगर अपनी कंजूसी की अंबेसडरबाजी नही छूटी है ! घूमने से पहले प्लान सेट करता हूँ, कम से कम खर्च में कैसे और कहाँ कहाँ घुमा जाए ! दोस्त के साथ टिकट बुक किये और निकल गए !
टूरिस्ट पैलेस पर पहुंच मोबाइल निकले और दे फोटो दे फोटो गर्दा कर दिए ! फिर फेसबुक व्हाट्सअप पर फोटो का धुरी उड़ा दिए ! पता है किसलिए ? ताकि लोग देखें कि ये भी घूम रहा, स्टैंडर्ड वर्जन का आदमी हो गया है ! क्योंकि ये सब भी जिंदगी में पॉसिबल हो सकता है ये कभी कल्पना भी नही किया था कि समुद्र की लहरों के आगे अपना भी स्टाइल में एक फोटो होगा, हीरो की तरह गानों के बीच एक्शन का तड़का होगा !

कमा रहे मगर आज भी गरीबों मजबूरों के लिए सोचता हूँ ! जिस जगह काम करूँ वहाँ कम से कम इन लोगों की मजबूरी का शोषण न होने दूँ ! 
प्रभु की दया का पात्र बना रहूं ! घमण्ड से दूर रहूं ! गंतव्य तक तो पहुंचना है ही चाहे दौड़ कर चलूं या किसी रेंगकर !
धन्यवाद!
✍️ 
अश्वनी
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