24 February 2022

● Russia Ukraine War ●

रूस ने युद्ध की रणभेरी बजा डाली है ! ये अमेरिका व यूरोप के विरुद्ध रूस की खुली जंग है बस मोहरा यूक्रेन है ! अमेरिका ने एक और राष्ट्र की राजनीतिक और आर्थिक आजादी की बलि चढ़ा दी.. यूक्रेन निश्चित अपने अस्तित्व समाप्ति की ओर बढ़ रहा है ! 

स्थिति यह है कि नाटो सैनिकों की एंट्री मात्र से थर्ड वर्ल्ड वार की औपचारिक शुरुआत हो जानी है ! यह मुद्दा UN जैसे बेवकूफ संगठन की वजह से इतना विकराल रूप धारण कर चुका है कि दुनिया को इसके निकम्मेपन कि भारी कीमत चुकानी होगी.. UN और WHO दो संस्थाएं मानव जीवन के लिए खतरा तो नहीं बनता जा रहा ??

नाटो जंग में उतरा तो रूस थमने वाला नहीं है, वह दुनिया की तड़कभडक से दूर एक माहिर व शातिर खिलाड़ी है ! रूस अकूत पेट्रोलियम संसाधन और एक से बढ़कर एक विध्वंसक हथियारों का शहंशाह है, दुनिया एड़ी चोटी लगा लेगी मगर रूस की इकोनॉमी चौपट करने के अतिरिक्त ज्यादा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी !

अमेरिका ने एक सोये हुए शत्रु को फिर से जगा दिया, यह उसकी बहुत भयानक गलती है ! चीन और रूस का एक स्टैंड पर होना बहुत भारी पड़ेगा इस यूरोप और अमेरिका को ! चीन रूस को हर विपरीत परिस्थितियों में कवर सपोर्ट देगा.. उसकी इकोनॉमी बचाएगा और सारी मदद भी देगा ! यह स्थिति भारत के लिए अलार्मिंग होगी ! क्योंकि भारत को इससे जूझना ही होगा..

NATO नामक वैश्विक गुटबंदी बनाकर 29 देश मिलकर किसी को बर्बाद करने की पटकथा रचेंगे तो कोई शांति से कैसे बैठ सकता है ! ऐसी स्थिति में जब रूस फिर से USSR बनाने की सपने संजोय बैठा है ऐसे में उसके सामरिक हित से जुड़े मसले में यूक्रेन को किसी के बहकावे में टांग लड़ाने की कोई जरूरत नहीं थी ! 

अमेरिका के पास वियतनाम और अफगानिस्तान की हार के बाद अपनी बादशाहत बचाने का आगे कोई मौका नहीं मिलेगा.. रूस के सामने झुके तो सारी इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी ! रूस, अमेरिका को एक इंच भी उखाड़ने में नल्ले देश के नजर से देखेगा और हर मैटर में आगे इसकी बेइज्जती करेगा..

भारत के लिए रूस और अमेरिका दोनों बेहद जरूरी हैं, दोनों शातिर है और दोनों के लिए भारत सिर्फ और सिर्फ एक बाजार है ! मोदी जी चीख चीख कर रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की बात यूँ नहीं कह रहे ! आज नहीं तो कल हमें ढाई फ्रंट वॉर लड़ने पड़ेंगें.. पेट्रोलियम को सौर और लिथियम से रिप्लेस करने की कोशिशें सरकार तेजी से क्यों कर रही है कभी सोचा ?

युद्ध आगे बढ़ा तो भारत का मार्केट क्रैश हो सकता है, लाखों नौकरियों पर संकट के बादल मंडराने लगेंगे.. आयातित सामानों की कीमतें गरीबों की कमर तोड़ देगी ! इसलिए अपना स्टैंड एकदम क्लियर रखना है सिर्फ राष्ट्रहित..

चीन ने POK से CPEC जिस वक्त गुजारी थी हमें ऐसे ही प्रतिकार की जरूरत थी मगर हम असक्षम हैं.. हम अपने ऊपर लदे मुफ्तखोर नागरिकों के बोझ से इतना कराह रहे हैं कि लड़ने क्या ठीक ढंग से खड़े की स्थिति में भी संघर्ष कर रहे हैं ! 

भारत में रहनेवाले शांतिप्रिय लोगों की बुद्धि देख तरस भी आती है ! हमें हर वक्त युद्ध के लिए तैयार रहना चाहिए.. युद्ध एकमात्र विकल्प है शांति का ! हमारे राष्ट्र के पास सबसे विध्वंशक और मारक हथियार होने चाहिए ये सपने संजोने की जरूरत है.. पड़ोस हो या समाज हो या दुनिया हो, हर जगह जिसकी लाठी उसी की भैंस वाला कांसेप्ट लागू है !

शांति के रास्ते न बचे हों तो युद्ध में कूद जाना सर्वश्रेष्ठ विकल्प है.. हमें युद्ध से डरना नहीं चाहिए, यह प्रवृत्ति कायर बना देगी.. जितनी क्षमता हो उतने में ही संहार कर देना धर्म है...



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