(ये मेरी अपनी समझ और विचार है, लिखते-लिखते पंडित सा फिल कर रहा था)
इस संसार में रूपये-पैसों की चमक के आगे किसी की महानता, ईमानदारी,
भरोसा या एहसान सब फीकी है| पैसों का मूल्य उसे कुछ खरीदने तक का ही है लेकिन,
ईमानदारी या भरोसे को तो पैसे देकर भी नहीं ख़रीदा जा सकता| विश्वास का बंधन किसी
को किसी की नज़र में मूल्यवान बनाती है न की पैसों की उपलब्धता| पर शर्त है की
व्यक्ति ज्ञानवान हो, उसे सही-गलत की कद्र हो| इस संसार में कहा जाता है की पूछ
पैसे वालों की होती है| इज्जत, आदर या सम्मान की भावना लोगों में व्यक्ति को धनवान
देखकर जागृत होती है, पर हकीकत ऐसी नहीं है| लालची लोगन में चापलूसी के गुण फायदे
देखकर आते हैं|
व्यक्ति के पास पैसों की अनुकूलता शहद के समान है| उसके आसपास हमेशा
अनगिनत मक्खियों का जमावड़ा रहता है पर शहद ख़त्म होते ही कोई मक्खी उसे पूछता तक
नहीं| निष्कर्ष ये है की धन-दौलत, मान-सम्मान का असली हकदार वो है जिसका हृदय सरोकार
से परिपूर्ण है, भलाई की भावना से भरा है और जिसका व्यक्तित्व बिना पैसों के भी
लोगों को आकर्षित करता है| पैसों से जीवन को आरामदायक बनाया जा सकता है पर वैसे
जीवन का निर्माण नहीं किया जा सकता जहाँ लोग उसे पैसों की वजह से नहीं बल्कि उनके
व्यवहारों, उनके चरित्र या उनकी कर्तव्यपरायणता से जाने उनका गुणगान करें|
पैसों का लालच मानव को लोभी और पतित कर देती है| इस तरह के इंसानों
में पैसों की भूख घिनौनी से घिनौनी काम करवा देती है| पैसा तो एक चोर भी कमाता है
और एक इंसान भी| पर अंतर ये है की चोर अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए अपना चरित्र
दाँव पर लगाता है जबकि एक सज्जन व्यक्ति जीवन-यापन करके घर-गृहस्थी को संभालकर
अपना व्यवहार, चरित्र और सफल भविष्य का निर्माण करता है|
इस तरह से यह बिलकुल सही है की व्यक्ति के जीवन में पैसों
की अनुकूलता हो लेकिन बिना शख्सियत के नहीं| नहीं तो ये धन कचरे के समान माना जाता
है| फिर भी आजकल इन सब आदर्शों को समाज में पूछ कौन रहा है? सब को पैसा चाहिए|
मान-मर्यादा और इज्जत को पैसे की चमक से छुपा दिया जाता है पर हमेशा के लिए
नहीं...
अब ज्यादा नहीं लिखूंगा, क्यूंकि मैं खुद को प्रवचन
देने वाले पंडित सा फील कर रहा हूँ...
लेखक:- अश्वनी कुमार, जो ब्लॉग पर ‘कहने का मन करता है’ (ashwani4u.blogspot.com) के लेखक हैं...
ब्लॉग पर आते रहिएगा...
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