ये
फिजाएँ हिंदुस्तानी है ! यहाँ कि मिट्टी वीरों को पैदा करती है ! वीरता उस कोख से
जन्म लेती है जहाँ की माताएँ रक्त चंदन का तिलक लगा बेटों को बोर्डर भेजती है !
शेर
अकेला चलता है ! जंगल का सन्नाटा ही शेर की मौजूदगी बयां करता है ! ध्यान रहे की
उसी वीरता का ध्वजवाहक आज सिंहासन पर बैठा है ! राष्ट्रवाद का रस पी के देखो...
आंखों में भांग सा नशा छा जाता है, चाल शेरों सी हो जाती
है !
आजादी
जिगर से आती है गले फाड़कर चिल्लाने से नही !
अधिकार मेहनत से मिलती है टैक्सपेयर्स के खैरात से नही !
शिक्षा संस्कारों से निपुणता प्राप्त करती है, राजनीति
से नहीं !
खूब
लगा लो आजादी के नारे, मगर एक बार तो बकलोलों
सिंहासन पर बैठे शेर की तरफ देख लो ! आजादी देगा,
खूब
देगा, मन भर भर मतलब देगा, मांगने से कही ज्यादा और जबर्दस्ती देगा मगर याद रहे ये
आजादी देश के लिए होगा !
जिस
राजा का मंत्री निडर हो उसका राज्य हमेशा प्रगतिशील होता है ! बौद्धिकता की शह पर
आधुनिकता के हिंसक पंजे से देश को लहूलुहान करने वाले संभल जाएं ! बार बार दिख रही
आजादी की ये ट्रेलर कुछ संकेत कर रही है !
संभल
जाओ ! बुढ़ापे तक इस सेनापति के नाम से कांप उठोगे!
क्यों
फिजाये बदली हैं ! ये भूमि की हरियाली, आसमान की लालिमा और न्याय
का चक्र जीवंत हो उठा है !
बदलेगा बहुत बदलेगा ! लम्बा
वक्त है ! इतिहास बदला जा रहा है !बस ध्यान से देखते रहिये उस सिंहासन की तरफ जहाँ
का राजा कैसे इस मिट्टी के साथ न्याय कर रहा है !
ये
हिंदुस्तान है जनाब, सभी का खून शामिल है यहाँ की
मिट्टी में ! किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़े है ! धैर्य रखिये सबकी बजेगी ! बजने
की शुरुआत हो चुकी है... सबकी बराबर बजेगी...
किसी
के बाप का डंडा थोड़े है...
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