06 February 2020

विश्वगुरु विवेकानन्द

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स्वामी विवेकानन्द, एक युवा जिन्होंने अपनी प्रखर वाणी से दुनिया को मंत्रमुग्ध कर दिया था! शिकागो धर्म सम्मेलन का वो मंच जिसने हिंदुत्व से न केवल परिचय कराया बल्कि दुनिया को हिन्दू जीवन पद्धति के सिद्धांतों और आदर्शों से रूबरू कराया ! हिंदुत्व की सहिष्णुता को शब्दों से बयां करना बेहद आसाधारण है मगर स्वामी की प्रतिभा ने इसे शब्दों में पिरोकर विश्व मंच पर सजा दिया ! वाकई ये अनुभूति शानदार होगी ! उनके लिए तालियों की गड़गड़ाहट रोमांच पैदा करती है ! सरस्वती का ज्ञान से आलिंगन, वाकई ये संयोग अप्रतिम है !

क्या हम वर्तमान परिस्थितियों में ऐसे किसी नरेंद्र दत्त की परिकल्पना कर सकते हैं ? एक ऐसे युवा की कल्पना मात्र भी हमारी क्षमताओं में संदेह उत्पन्न करती है ! वाकई हमारा इतिहास ऐसे महापुरुष का ऋणी रहेगा जिसने भविष्य को पथप्रदर्शित किया ! मध्यमार्गी हिंदुत्व जीवन शैली के जरिये संसार के सभी धर्मों में श्रेष्ठ साबित कर देना भारतवर्ष की स्वर्णिम उपलब्धि है !ये शिकागो सम्मेलन की महानता नही है बल्कि उस चेतना की साक्षात अनुभूति है जो आज भी विवेकानन्द को स्वामी के रूप में पाकर धन्य हो जा रहे हैं ! 

भारतवर्ष महापुरुषों का धनी रहा है ! एक से बढ़कर एक वीर, धनुर्धर, आचार्य, राजनीतिज्ञ और समाजसेवी हुए मगर विवेकानन्द हो जाना सिर्फ नरेंद्र दत्त को नसीब हुआ !ऐसे महान महापुरुष का भारतवर्ष हमेशा ऋणी रहेगा ! उनके विचार सदा युवाओं के लिए पथप्रदर्शक बने रहेंगे !

जय हिंद 

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