19 September 2021

● कोष मूलो दण्ड ●

राज्य के धन का स्त्रोत 'कर' यानी टैक्स होता है ! मौर्य प्रशासन में चाणक्य ने कर व्यवस्था को सबसे महत्वपूर्ण स्थान दिया था.. किसी भी राज्य की सैन्य शक्ति, प्रशासनिक खर्च एवं लोककल्याणकारी कार्यों के लिए कोष पर पूर्ण निर्भरता होती है !

राज्य यानी सरकार का राजकोष अहम तौर पर जनता से वसूले गए टैक्स से ही संचित किया जाता है !

वर्तमान में भारत में दो तरह की टैक्स प्रणाली कार्य करती है -

पहला अप्रत्यक्ष कर प्रणाली एवं दूसरा प्रत्यक्ष कर प्रणाली ! भारत की सरकार एक लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई वेलफेयर स्टेट की भूमिका में है ! समाज के हर वर्ग को बराबरी में लाना, भयमुक्त समाज बनाना और हर सुख दुख में जनता की मदद करने की व्यवस्था ही वेलफेयर स्टेट की भूमिका माना जाता है ! जबकि राजशाही शासन वाले देशों में वहां की सरकार पुलिस स्टेट की तरह काम करती है ! वहां की जनता की सुख दुख से कोई मतलब नहीं रखती...

आप अमीर हो टैक्सेशन के दायरे में आते हो फिर भी टैक्स नहीं चुका रहे या टैक्स चोरी कर रहे तो इसे सीधे सीधे राजदंड के योग्य माना जाता है ! कर व्यवस्था हज़ारों सालों पुराना है ! 

आपकी इस चोरी से सरकारें कोष के अभाव में जरूरतमंद को मदद नहीं पहुंचा पाती है तो उसका जिम्मेदार किसे माना जाए ?

अगर एक गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करने वाला व्यक्ति हर सामान पर अदृश्य रूप से 5% से लेकर 28% तक टैक्स चुका रहा है तो देश के अमीरों को उनकी जिम्मेदारी से भागने नहीं दिया जा सकता..

कोष किसी राज्य या देश की उन्नति का भविष्य नियत करता है ! अक्सर हमें देश के विभिन्न अमीरों के यहां आयकर और GST के छापेमारी की खबरें मिलती रहती है ! ये लोग अपनी आमदनी का एक छोटा सा भी हिस्सा सरकार को देने में कचोट से जाते हैं मगर पालतू कुत्ते पर हज़ार रुपये रोज खर्च देंगे.. उनके कर चोरी के कारण ही राजकोष को भरने हेतु सरकारें निरीह जनता पर अप्रत्यक्ष करों का बोझ डालते चली जाती है !मतलब अमीरों से टैक्स न वसूल पाने का जिम्मा या नाकामी अंततः  जनता पर ही फोड़ा जाता है.. वे बेचारे कराह तक नहीं पाते..

टैक्स चोरी करने वाला भी चोर ही है ! टैक्सेशन में चोरी करवाने वाला भी उतना ही जिम्मेदार है और टैक्स न वसूल सकने वाला सिस्टम भी उससे कहीं ज्यादा जबाबदेह है ! अगली बार अगर किसी राजनेता, फिल्मी नचनियों या कॉर्पोरेट के ठिकानों पर रेड हो तो कम से कम मुस्कुरा उठिए.. उनकी लायबिलिटी निरीह जनता के ऊपर आने से बच तो गई !

चाणक्य के अनुसार कर की चोरी की सजा मृत्युदंड होनी चाहिए और चंद्रगुप्त प्रशासन में इसकी सज़ा भी यही थी !

सल्तनत, मुगल काल में तीन चौथाई तक टैक्स लगाए जाते थे और निर्ममता से वसूले भी जाते थे ! कोड़े से पीटा जाता था, मांस तक काट लिए जाना का क्रूर इतिहास रहा है..

जबकि आजकल के सरकारें टैक्स देने के लिए इन रईसों से गिड़गिड़ाती फिरती है ! 

चाणक्य का कोष मूलो दंदः आयकर का ध्येय वाक्य आज भी है ! सरकार के पास पैसे हमसे ही आना है.. हर एक कल्याणकारी योजनाओं के लिए पैसे उपलब्ध कराने की प्राथमिक जिम्मेदारी अमीर वर्ग पर डालना सबसे आसान उपाय है ! 

कर चोरी में मदद करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को कम से कम इस देश के बारे में एक बार जरूर सोच लेनी चाहिए कि उसके इस कृत्य से हमारी आर्थिकी कैसे प्रभावित होगी ?

निरीह आबादी बेमतलब के अतिरिक्त टैक्स का भार कैसे सहेगी ?

उनके लालच से देश एक साथ कई मोर्चों पर खोखला हो रहा होता है ! 

ये राजद्रोह से कम नहीं है.. नेताओं के भ्रष्टाचार के मसले अलग हैं वो अलग मुद्दा ही है ! वो करते बहुत गलत हैं मगर अंततः वे नोट भी चुनावों के वक्त जनता के बीच ही जानी है..

लेकिन टैक्स चोरों के पैसे आराम से शेयर मार्केट इक्विटी आदि में दिन रात तरक्की कर रहे होते हैं.. टैक्स चोरी राष्ट्रद्रोह का दूसरा रूप है.. जितना अधिक कर आएगा राष्ट्र का उतना उन्नति सुनिश्चित होगा.. अर्थव्यवस्था और रोजगार के लिए नए रास्ते भी खुलेंगे..

#जय_हिन्द 🇮🇳




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