15 October 2021

● दशहरा स्पेशल ●

देवी के भव्य स्वरूप के आगे नतमस्तक हो जाने वाले सनातनी के लिए शक्ति की आराधना हमारे लिए सर्वस्य है ।
सारे देवी देवताओं के शस्त्रों से सुसज्जित माँ नारायणी की भव्यता को कौन नहीं पूजता.. हम बहुत सौभाग्यशाली हैं कि हमारी परंपरा में नवरात्र दशहरा का पर्व समाहित है । 
अस्त्र-शस्त्र ही आपकी शक्ति का घोतक है.. शस्त्र ही शांति का सूचक है.. शस्त्र संहार जरूर करता है लेकिन आने वाले खतरों को टाल देता है ! अपने शौर्य के लिए शक्ति प्रदर्शन किया जाना आवश्यक है !
धर्म की रक्षा सबसे सर्वश्रेष्ठ कर्तव्य है.. धर्म को जीवंत बनाये रखने, अपने पूर्वजों की परंपरा को आगे बढ़ाते रहना सभी का कर्त्तव्य है !
आज जो युवा इस संस्कृति को जीवंत रखने के लिए 
सड़कों पर या घरों घरों तक चंदे मांगते चलते हैं वह हमारे धर्म के सर्वश्रेष्ठ रक्षक हैं.. 
फ्रंट लाइन वॉरिअर की भूमिका में है.. धर्म के कार्यों में निःस्वार्थ भाव से इनकी उपस्थिति जरूर देखी जाती है !
मां की मूर्ति स्थापना करने से लेकर पंडाल लाइटिंग तक कि व्यवस्था आपसी तालमेल से कर डालते हैं.. सरकार और उसकी किसी व्यवस्था से कोई सहयोग तक नहीं मिलने के बावजूद इन्होंने सारी जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठा रखी है !
सरकारें आये दिन कानून व्यवस्था के नाम पर आयोजनों में विघ्न डालने से नहीं चुकती.. 
भले आपको ज्यादा पढ़े लिखे इलीट क्लास होने का घमण्ड हो और इन आयोजकों को आवारा फालतू समझते हों.. लेकिन मेले में घूम रहे आपके बच्चों के चेहरे पर मुस्कुराहट इन्हीं के कारण आ रही होती है ! देवी गीत पर आपका अंदर से गुनगुना उठना भी तो इनका ही आनंद है ! विसर्जन में एक से बढ़कर एक बैंड और झांकियां देख आपके बच्चे में जो हर्ष दिखता है उसकी वजह वही युवा हैं जो आपकी नजरों में आवारा है !
किसी के पास समय नहीं है, हर कोई एक दूसरे को कुचलकर आगे बढ़ जाना चाहता है.. मंदिर जाने तक को समय नहीं है, जाते भी तो VIP दर्शन का इंतजाम कर लेते हैं..
आप अपने बच्चे को बाहर तक जाने नहीं देते.. 
तो सोचिये कौन करेगा ये सब आयोजन.. किसका मन करता कि भूखे प्यासे बांस बल्ला जुटाकर पंडाल बनाये, 9 दिन फलाहार कर कलश प्रतिमा स्थापित करे ! चन्दा मांगने में पुलिस से मार खाये, बिजली विभाग को मैनेज करे फिर भी आपके परिवार-बच्चों के लिए एक से बढ़कर एक आकर्षक सजावट रखे..
चंदा वाले को देखकर कितने लोग अपना गेट तक बंद कर लेते.. सामाजिक दायित्व से भागने व धर्म विमुख रहने वाले लोगों में तनिक लज्जा देखने को नहीं मिलती ! सबसे पतित लोग होते हैं ये.. समाज ऐसे लोगों को चिन्हित करें और महत्व का एहसास कराये !
समाज में इतने जाहिल होने के बाद भी हमारी जड़े कितनी गहरी है ये आप सड़कों चलते माँ की भव्यता और पंडालों की चकाचौंध देखकर फील कर सकते !
धर्म-परम्परा के लिए समय नहीं है तो आर्थिक मदद करने से कौन रोका है ! अपनी जिम्मेदारी जरूर निभाएं.. 
बढ़ चढ़कर भागीदारी करें !
हमें अपने पर्वों को संरक्षित रखना है.. अपनी पूर्वजों की परंपरा को आने वाली पीढ़ियों तक हस्तांतरित करनी है इस जिम्मेदारी को जरूर निभाएं...




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