17 October 2021

● ईश्वरीय स्वरूप ●

किसी किसी को ये अभिमान होता है कि उसके बिना किसी की दुनिया नहीं चलने वाली ! मतलब स्वयं को अवतार टाइप की फीलिंग लिए घूमते रहना.. मनोभाव ऐसा हो जाता कि जैसे उसे ईश्वर ने पैगम्बर टाइप किसी खास मकसद के लिए भेजा है ! उनका इस धरा पर पैदा होना ही अपने आप में अकल्पनीय बात है ! ऐसे अहम वाले लोगों से आमलोगों का अक्सर सामना होता ही रहता है !

आईएएस, पीसीएस अधिकारियों के अंदर यह विकृति रोम रोम में भरी होती है ! न्यायाधीश तो स्वयं को भगवान से कम पर मानते ही नहीं.. डॉक्टरों का अपना ईगो है की वे भगवान का दूसरा रूप हैं भले गरीबों की जेब पर चाकू चला कर लहूलुहान करने में कोई कसर न छोड़ें...

प्रेमी प्रेमिका एक दूसरे के बिना जीने मरने की कसमें खाते फिरते हैं ! शायद नायक को लगता है कि नायिका उसके बिना अधूरी रह जायेगी.. उसे ईश्वर ने सिर्फ उसी के लिए पैदा करा है ! जबकि अपनी नायिका के प्रेम जाल में फंसकर आवारा-सुट्टेबाज बनकर रह जाता है ! उसे रिटर्न में इतनी तकलीफें मिलती है कि बेचारे को खुद के होने पर भी संदेह पैदा हो उठता है..  इस क्रुएलिटी से बचने का कोई साधन या उपाय चाणक्य के पास भी नहीं था ! 

समय ऐसी चीज है जिसे किसी पर बेवजह बर्बाद कभी नहीं करनी चाहिए.. किसी की अच्छाई के लिए समय को अगर आपने बर्बाद किया और रिटर्न में तकलीफ भी मिले तो उसे एक्सेप्ट कर लेनी चाहिए.. यह आपको बाद में बहुत अच्छा फल देगा ! लेकिन आपके ईश्वरीय स्वरूप होने का घमंड जरूर चूर कर देगा जो गीता के कर्मफल के सिद्धान्त पर आधारित है !

इस तरह ईगो वाले हाईप्रोफाइल लोगों या अधिकारियों के अंदर भयंकर अशांति रहती है ! ईश्वरीय जीवन तो दूर बेचारे सामान्य मानवीय जीवन भी नहीं जी रहे होते हैं.. टेंशन से बेचारे का सर फटा रहता है ! कब कहाँ पैसा पकड़ा जाए, वीडियो लीक हो जाये खुद नहीं जानते ! रिटायर होते ही कुत्ते भी नहीं पूछते..

हीरो हेरोइनों का आज क्या आस्तित्व रह गया समाज में ? जिन्हें देखने भर को लाखों भीड़ धूप में इंतजार कर लिया करती थी.. भगवान की तरह ट्रीट हुआ करता था.. आज स्मैकर बनकर रह गए जनता की नजरों में !

हमें कभी खुद में भगवान नजर नहीं आने चाहिए.. ब्रह्मांड में अपनी पृथ्वी कि औकात आटे के एक दाने बराबर भी नहीं है.. तो समझ लीजिए आप कितने बड़े मुर्खाधीश हैं !!!

ईश्वर ने मानव को सर्वश्रेष्ठ गुण दिए हैं.. आप उस ईश्वर की आराधना सभी जीवों में सबसे श्रेष्ठ तरीके से करने लायक हैं.. स्वयं को पैगम्बर या ईश्वर का रूप समझने की भूल अगर कर रहे तो इसी जीवन में आपको निश्चित एहसास होगा कि आप कौन हैं ???

ईश्वर की भक्ति करते हैं तो चुपचाप करते रहिए.. पूरे ध्यान से कीजिये.. भगवान पर एहसान नहीं कर रहे भक्ति करके.. ढोल पीटकर बताने की जरूरत नहीं है आप सर्वशक्तिमान के भक्त हैं तो कोई न उलझे !

ईगो को तुरंत त्याग दीजिये ! धन संचय जरूरत अनुसार ही करें ! प्रेम के मोहपाश में नहीं बंधे.. ये आपके हाथ पैर और बुद्धि सब बांधकर रख देता है, एक अच्छे जीवन के लिए जिस उम्र में ये तीनों चलने चाहिए वहां यह गलती कभी न करें !



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