02 November 2021

● महंगाई स्पेशल ●

पेट्रोल डीजल कि आसमान छूती कीमतों के दौर में आम जनजीवन बुरी तौर प्रभावित होता जा रहा है ! सरकार के मुनाफे कमाने की मंशा देश में महंगाई की नई साइलेंट विचारधारा को जन्म दे रही है ! ये सही है कि कोविड के बाद महंगाई आने की भविष्यवाणी कई अर्थशास्त्रियों द्वारा की गई थी मगर क्रूड ऑयल पर सरकार का अड़ियल रवैया जनता के लिए काफी मुश्किलें खड़ी कर रहा है !

पेट्रोल, डीजल और खाद्य तेल ये तीन चीजें देश के अंतिम पायदान तक खड़े व्यक्ति को भी सीधे तौर पर प्रभावित करता है ! यह तीनों चीजें हमारी गरीब आबादी कि आर्थिकी को नचा कर रख देता है ! क्रूड ऑयल पर हमारी लगभग सभी बेसिक आवश्यकता निर्भर है.. फल सब्जी तक..

तेल के दाम बढ़ेंगे तो कंपनियां तो कोई समाज सेवा के लिए फैक्ट्री में डालकर बैठी नहीं है वे निश्चित रूप से अपने प्रोडक्ट कीमतों में इजाफा करेंगे ! सरकार तेल के दाम दस रुपये बढ़ाएगी तो ये कंपनियां प्रोडक्ट कि कीमत पंद्रह रुपये बढ़ाकर वजन भी 100 ग्राम कम कर लेंगे.. 

लॉजिस्टिक खर्च बढ़ जाने का बहाना चाहिए उन्हें तो बस.. उसमें उनका मुनाफा भी अपनी रफ्तार से बढ़ता चला जाएगा ! अंततः भुगतना तो जनता को ही है ! 

अगर हमारी व्यवस्था मूल्यवृद्धि को या महंगाई को नियंत्रित नहीं कर पा रही है तो उसकी जिम्मेदारी सीधे-सीधे सरकार को जाती है ! उसके पास दुनिया भर के थिंकटैंक, इकोनॉमिस्ट, बड़े-बड़े तोपची अंदर बैठे हैं ! सोचने के और अपने आईडिया देने के दम पर मोटे तनख्वाह सरकार से वसूलते हैं.. वो क्या कर रहे हैं ? क्या हमारे अर्थशास्त्री इतने पंगु हैं कि वे सरकार से पेट्रोल डीजल के अतिरिक्त अमीरों पर टैक्स लायबिलिटी शिफ्ट नहीं करा पा रहे ? 

जनता तो बस सरकार को जानती है.. उसे वैसे भी किसी अन्य से कोई मतलब नहीं.. आम जनता कराह रही है ! मतलब घर परिवार चलाना तक मुश्किल हो रहा है ! कोविड के दौर में लाखों नौकरियां चली गयी फिर एक तो वर्तमान में रोजगार कि कोई संभावना नहीं दिख रही ! ऊपर से सरकार को सरकार को जीएसटी और अन्य टैक्स कलेक्शन के अलावा कुछ अधिक सूझ नहीं रहा ! घरेलू गैस सिलेंडरों की सब्सिडी धीरे-धीरे समाप्त कर दी गई है ! पीडीएस राशन की दुकानों पर राशन की क्वालिटी क्या होती है किसी से छुपा भी नहीं है ! उसे बनाने के लिए तेल मसाला भी तो चाहिए ही.. उसमें आपने आग लगा दी है..  ब्रश करने वाले टूथपेस्ट तक कि दाम असहनीय है ! कई ग्रामीण परिवारों की हकीकत है कि बच्चे को 3 रुपये वाली पार्लेजी कि जिद्द भी पूरी नहीं कर पा रहे.. देश की आबादी को सरकारी तंत्र कितना सताता है यह भी जगजाहिर है ! 

आप अत्यधिक दिन तक चुपचाप आंख मूंदकर पेट्रोल-डीजल, खाद्य तेल जैसी मूलभूत चीजों पर अपने उगाही का अड्डा बना कर नहीं रख सकते ! यह भी सही है कि बिना पैसे के सरकार भी नहीं चल सकता , देश नहीं चल सकता मगर आपको गरीबों की जेब को प्रोटेक्ट करना ही होगा ! उनपर डाली गई लायबिलिटी हमारे देश को भीतर से खोखली कर रही है ! पैसे जरूरी हैं क्योंकि हमें आत्मनिर्भर बनना है, रक्षा खरीद करनी है, सीमाओं को सुरक्षित करना है, सड़कें बनानी है, हवाई जहाज उड़ाना है.. इसका इंतजाम उनसे तो नहीं किया जा सकता जिन्हें एक बेसिक सुविधा तक उपलब्ध नहीं है ! जिन परिवारों को 2500 कैलोरी भी भोजन नसीब न होता हो उनपर जिम्मेदारी थोपा जाना बहुत गलत है ! एक ढंग की स्वास्थ्य सुविधा तक हम उन्हें उपलब्ध कराने में असफल रहे हैं जबकि उनसे निर्ममता से 5 से 28% तक जीएसटी वसूलते चले आ रहे हैं !

भारत कोई धनाढ्य देश नहीं है कि टैक्स का भार हर व्यक्ति सह ले ! अमीरों कि टैक्स चोरी न रोक पाने की लायबिलिटी बाकी लोग क्यों सहेंगे ? जनता वैसे भी सरकार कि कोई एक्सक्यूज़ नहीं सुनेगी.. उसकी जेब पर डायरेक्ट असर पड़ेगा तो वो असर चुनाव में दिखायेगा.. बाकी evm हैकिंग कि कहानी गढ़ते रहना ! लोग आंख बंद करके हर चीजों पर समर्थन नहीं कर सकते ! पॉलिसी मैटर की जिम्मेदारी सरकार कि है, वो अपने बाबुगिरी तंत्र से इसे कैसे मैनेज करता है वो समझे..... 

#जय_हिंद 🇮🇳



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