24 November 2022

मार्शल_लॉ@चीन

चीन से खबर निकल कर आ रही है की वहाँ की पीपल लिबरेशन आर्मी ने राष्ट्रपति जिनपिंग को हाउस अरेस्ट कर लिया है ! आर्मी सड़कों पर टैंक लेकर निकल गई है.. आदि आदि..

भारत वाले लिबरल्स जो चीन का उदाहरण देते नहीं थकते थे उनको ढूँढ ढूँढ के चिढ़ाओ.. दुनिया के हालात ऐसे हैं की वही देश टिकेगा जहां जनता का शासन है और उसकी चुनी हुई सरकार जनता के हर सुख दुख में साथ खड़ी रहती है !

शासन करना, टैक्स वसूलना बहुत आसान काम है, मगर लोगों के बीच संतोष बनाकर रख पाना बेहद मुश्किल है !

दुनिया की महाशक्ति बनने की राह पर खड़ा चीन अपनी बर्बादी की पटकथा ख़ुद लिख रहा था.. हम जैसे मामूली लोगों में यह समझ दशकों से थी की आज नहीं तो कल वह अपने जनता पर जिस तरह अत्याचार कर रहा है वहाँ कुछ बड़ा ज़रूर होगा !

कोरोना में वहाँ की लम्पट सरकार लोगों को गाजर मूली की तरह घरों में सील करके रखा.. चीन ख़ुद को मैन्यूफ़ैक्चरिंग ग्राउंड बनने की चाहत में अपने नागरिकों के हर अधिकार को कुचलता रहा ! राष्ट्रपति ख़ुद को आजीवन सत्ताधीश घोषित कर चुका था ! पब्लिक को न बोलने की आज़ादी दी न दुनिया के किसी सोशल प्लेटफार्म से जुड़ने की आज़ादी !

चीन अपने नागरिकों के पैसे दुनिया में बाँटता फिर रहा है, लोग तरस रहे हैं और यह धन्नासेठ बन घूम रहा !

कौन किस प्रांत में रहेगा वो सरकार निर्धारित करता था, आम जनता को यह भी निर्णय लेने की छूट उसने नहीं दी !

सत्ता में बैठकर एक नेता के लिए बहुत आसान होता है की दिन रात विस्तारवादी रणनीतियाँ अपने आर्मी पर थोपता रहे.. अपनी बकलोलियों से पब्लिक को तड़पने पर मजबूर करता रहे ! लोकतंत्र के मामले में ज्ञान बिखरनेवाला चीन इतना दुर्दांत है की दुनिया की सबसे अधिक फाँसियाँ वही देता है ! सरकार के विरुद्ध न लिख सकते न बोल सकते.. प्रदर्शन करने वालों की चमड़ी उधेड़ लेता है !

सेना की पर्सनल लाइफ और उसकी समस्याओं की तनिक भी परवाह किए बिना दक्षिण चीन सागर से लगे सभी देशों से पंगेबाज़ी में बेमतलब अपने मासूम सैनिकों को फँसा रखा है !

अरुणाचल से लेकर लद्दाख जैसे दुर्गम इलाक़ों में भारतीय सैनिकों से भिड़ने और पिटाने को चीन मजबूर करता है !

सरकार अगर रियल में किसी से डरती है तो वह है आर्मी.. सीमा पर सुरक्षा चाहिए तो आर्मी लगाओ ! क़ानून व्यवस्था को नियंत्रित करना हो तो आर्मी बुलाओ.. सरकार को सुरक्षा चाहिए तो आर्मी के सबसे बेस्ट जवान को साथ रखो.. कोर्ट को हम शक्तिशाली भले मानते हैं लेकिन असल में उसका पालन पब्लिक क्यों करती है ? सरकार ने क़ानून बनाया, जनता उसके पालन के लिए विवश क्यों है ?

सबका एक ही जबाब बस ‘डर’.. ये ख़ौफ़ है हथियारों का, डंडे का..

अगर उसी आर्मी की तकलीफ़ पीड़ा को सरकार बिना सोचे समझे सिर्फ़ अपने आदेश थोपते रहेगी तो असंतोष का ज्वार बनकर उठेगा ही कभी न कभी ! वही चीन में हो रहा है और आगे और चटपटा ही होगा.. थाइलैंड और म्यांमार की सरकार हाल ही में सैन्य शासन की शिकार हुई है !

भारत बहुत भाग्यशाली है की उसकी लोकतांत्रिक व्यवस्था दुनिया की सर्वश्रेष्ठ व्यवस्था है.. यहाँ आज एक साधारण आदमी अपना शिकायत लेकर विधायक सांसद के पास जाये और अगर शिकायत सही है तो शासन प्रशासन की सारी निरंकुशता अंदर घुस जाती है !

लाख चोर हो या डकैत को हम जनप्रतिनिधि चुनते हैं लेकिन वह पहले हर पाँच वर्ष में सिर झुकाने आया करता था गाली खाता था, अब सोशल मीडिया के दौर में उसे एक पल का चैन नहीं..

दिन ही गाली गलौच खाते गुजरता है मगर एक शब्द भी न निकालता है ! भ्रष्टाचार बढ़ता है तो हमारा दायित्व है की अपनी चुनी हुई सरकार पर प्रेशर बनायें.. फिर ED/ CBI के करिश्में देखिए…

भारत में थोड़ी उद्दंडता न्यायपालिका में है और उसमें कुछ बेहतरीन सुधार हो, थोड़ी चुनावी प्रक्रिया बेहतर हो जाये तो यह एक बेहतरीन तंत्र है ! विपक्ष को रोकना घातक स्थिति होती है उसके चिल्लाने से पक्ष वालों में एक अलग जनता को जबाब देने का भय होता रहता है.. बाक़ी राजनीतिक मक्कारों से जनता स्वयं निपट ले रही..

यहाँ 10-10 साल सत्ता भोगने के बाद भी आराम से शीर्ष नेतृत्व के रूप में विपक्षी दल जनता से चुनकर आता और सरकार बनाता है.. नहीं तो दुनिया में सत्ता न छोड़ने के हज़ारों क़िस्से इंटरनेट पर मिल जाएँगें..

इसलिए भारत का नेतृत्व अगर सही हाथों में रहा तो यह आज नहीं तो कल महाशक्ति ज़रूर बनेगा..

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