05 June 2024

पटना मेट्रो 🚇

पटना शहर में मेट्रो परियोजना अब मूर्त रूप लेने लगी है. बोरिंग टनल मशीन विधिवत अपने काम में लग गया है, 2026 तक शहरवासी मेट्रो से सफ़र का मज़ा लेने लग जाएँगे.
बहुत अच्छी बात है की बिहार भी अब एक मेट्रो सिटी के दायरे में आ रहा है लेकिन आते आते बहुत देर कर दी.
देश की तीसरी सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य की राजधानी में मेट्रो चलाने को अब क्यों सोचा गया ?
जबकि अभी देश के 16 शहरों में मेट्रो दनादन अपने ट्रैक पर दौड़ रही है.
दर्जनों अन्य शहरों में मेट्रो निर्माणाधीन है और अगले एक दो वर्षों में कई प्रोजेक्ट ऑपरेशनल हो जाएगा.
इतना विलंब से बिहार का जागना असफलता है और राजनीति से इसे ढँकने की कोशिश बेईमानी है.
बिहार के किसी अन्य शहर में मेट्रो चलाने की कोई बात भी नहीं कर रहा, सरकार पर न कोई प्रेशर न कोई डिमांड.
किसी शहर की राजधानी में ईज़ ऑफ़ लिविंग अच्छा न हो तो क्या विकास होगा शहर का. कौन कंपनी अपना हेडक्वार्टर खोलेगी और कौन हायर इनकम ग्रुप वाले लोग रहना चाहेंगे.
चूँकि ज़मीन पर नगर निगम पूरा का पूरा फेल्यर है.
जिसे जहां मन है वहाँ सड़क खोद ले या आराम से वाटर सप्लाई लाइन काट के जा सकता है.
सुविधा नहीं है तो लोग भी म्युनिसिपल टैक्स गिराए बैठे हैं और यक़ीन भी है की माफ़ी का स्कीम कोई न कोई चुनावों तक लेकर आएगा ही.
हमारी जगह एयर क्वालिटी इंडेक्स में टॉप 3 में फिक्स्ड है. उधर को ही ऊपर नीचे होते रहते है.
शहर में पुलों का जाल बिछा दिया गया और अब देखिये पुल भी जाम और पुल के नीचे भी जाकर रेंगते रहिए, गाड़ियों का धुआँ सूंघते रहिए.
पब्लिक ट्रांसपोर्ट की हालत अब सुधारने की कोशिश हो रही है, जबकि ऑटो किराया में दिल्ली से मुक़ाबला कर सकते है.
शहर में कार लेकर निकलेंगे तो कम से कम एकाध बार स्क्रैच लगनी ही है, जितना तेल जलेगा उतना खून भी जलेगा.
पटना में ज़मीन की क़ीमत आसमान छू रही है और मेट्रो बनने के बाद तो जैसे लगता है मुंबई को यही शहर पीछे छोड़ेगा.
देर से ही सही मेट्रो चलेगी तो.. अंधेरे में कुछ उम्मीद की किरण ही सही.. मेट्रो से जंक्शन और एयरपोर्ट जाना आसान होगा क्योंकि पलायन बिहार का दुर्भाग्य था, है और आगे भी बहुत संभावना है की रहेगा.. और हाँ जाति का कोड याद रखियेगा बहुत इम्पोर्टेंट चीज है…

~ 08.03.2023




 

इज़राइल vs ईरान

विश्व राजनीति में पहले से ही दुनिया रुस-यूक्रेन युद्ध की वजह से संकट में घिरी है, जबकि इन दिनों मिडल ईस्ट एशिया में एक नया बारूद बिछ रहा है.

इज़राइल और ईरान के बीच जंग की संभावना बन रही है. नक़्शे पर कभी इज़राइल को गौर से देखिए, फिर आसपास के अन्य देशों को देखिए. देखिए वह बेहद ख़ूँख़ार और आतंक वाले देशों सीरिया, लेबनान, फ़िलिस्तीन आदि की बीच कैसे अस्तित्व में है.
इसके अलावे अन्य सारे मुस्लिम देश जिसमें सऊदी, जॉर्डन, मिस्र, ईरान जिनकी चाहत सिर्फ़ और सिर्फ़ इज़राइल की बर्बादी है.
अब अंदाज़ा लगाइए जरा इज़राइल के हिम्मत की..
जब से मैंने विश्व राजनीति को समझना शुरू किया है तब से कभी इज़राइल को किसी भी मामले में पीछे हटते या उसकी कम्युनिटी में डर नहीं देखा.
दुनिया भर में गिदड़भभकी देने वाले सैंकड़ों देश है लेकिन इतना आक्रामक देश और जीवटता से भरी यहूदी कम्युनिटी का कोई सानी नहीं है. कोई चुनौती दे यह भी इसे मंज़ूर नहीं..
इस बार इज़राइल ने ईरान से सीधे भिड़ने का अलर्ट जारी किया है. चूँकि ईरान और इज़राइल दोनों एक दूसरे के कट्टर दुश्मन हैं और बीते कुछ सालों में छद्म तरीक़े से दोनों ने एक दूसरे को नुक़सान पहुँचाया है. लेकिन जिसके पास मोसाद जैसी ख़ुफ़िया एजेंसी हो वह किसी पर भारी ही पड़ेगा.
ईरान लेबनान के आतंकी संगठन हिज़बुल्ला, फ़िलिस्तीन और सीरिया के कुछ संगठन को ट्रेनिंग-हथियार देकर इज़राइल को मिटाने की साज़िश रच रहा था. इज़राइल पर कई हमले के पीछे सीधे ईरान का हाथ हुआ करता था. फ़िलिस्तीन को जंग के दौरान ईरान ने बहुत मदद की थी और वह इज़राइल को ईरानी हथियारों से काफ़ी नुक़सान पहुँच था.
उधर इज़राइल तो चूँकि आँख के बदले आँख की रणनीति पर यक़ीन रखता है, इसलिए बदले में उसने ईरान के सर्वोच्य सैन्य कमांडर जनरल सुलेमानी को इतनी सफ़ाई से मारा की दुनिया आज भी आश्चर्य में है.
एक ट्रक में ऑटोमैटिक सैटेलाइट कंट्रोल गन लगी थी, एक दिन ट्रैफिक चौराहे पर सुलेमानी के कार का शीशा जैसे ही नीचे हुआ बंदूक़ ने सीधे हेड शॉट लगा दी. तफ़तीश में कोई सबूत नहीं मिला लेकिन दुनिया मोसाद की ओर बस देखती रह गई.
वैसे ही ईरान के परमाणु कार्यक्रम के वैज्ञानिक की रहस्यमयी मौत हो गई और कोई सबूत आज तक नहीं मिला.
हाल ही में ईरान के दो सैन्य अधिकारी जो सीरिया में आतंकवादियों की मदद को आये थे, इज़राइल ने तुरंत मिसाइल अटैक किया और दोनों मारे गये.
इस घटना से ईरान की जनता सड़कों पर है और ग़ुस्से में है.
इधर इज़राइल लेबनान, सीरिया और हमास के ऊपर भारी बमबारी भी कर रहा है और सीधे सीधे ईरान से युद्ध लड़ने की मंशा ज़ाहिर कर दी है…
देखने में यह खबर उतनी महत्वपूर्ण नहीं लगती लेकिन इसकी दुनिया को बड़ी गंभीर क़ीमत चुकानी पड़ सकती है.
इज़राइल अगर मरने मारने पर उतारू न हो तो उसका अस्तित्व मिट सकता है, उसके लिए तो युद्ध एकमात्र विकल्प है और उसकी अटैकिंग स्किल ही उसे बचाये हुए है.
ईरान बेमतलब की इस्लाम vs यहूदी की लड़ाई में चौधरी बनने चला था.. इज़राइल ने अगर ईरान पर अटैक किया तो भारत समेत कई देशों में तेल सप्लाई बाधित होगी. इराक़ बग़ल में है और इज़राइल किसी क़ीमत पर पीछे हटने वाला नहीं है.
क्योंकि इसका इतिहास बड़ा जीवट भरा है, सारे मुस्लिम कंट्री मिलकर भी उससे कई युद्ध हार चुके है..
लगता है अमेरिका की डेमोक्रेटिक बाईडेन सरकार अपनी गोटी ईरान को मोहरा बनाकर सेट करना चाहता है. यूक्रेन में मिली हार के बाद उसे एक नया जंग का मैदान चाहिये. यहाँ भी वह इज़राइल से सीधे नहीं भीड़ सकता, क्योंकि अमेरिका वह फट्टू है जो नार्थ कोरिया से डर जाता है..
सोचिए और समझिए की इन परिस्थितियों में भी भारत ने ख़ुद को कैसे बचा रखा है. अपनी शर्तों पर डिप्लोमेसी कर रहा है, अपने ज़रूरत की हिसाब से डिफेंस डील कर रहा है. दुनिया को जब मन तब उनके ही मंच पर खड़ी खोटी सुना रहा है.
रक्षा ख़रीद में आत्मनिर्भर होने का डंका दुनिया सुन रही है. ख़तरा भारत पर भी बहुत बड़ा है लेकिन यहाँ सत्ता में बैठे एक अकेले व्यक्ति के निःस्वार्थ के आगे किसी की कुछ भी नहीं चल पा रहा है.. 🇮🇳

~ 07.03.2023


रामनवमी 🚩🚩🚩

कभी भविष्य में जब आज के वर्तमान का सांस्कृतिक इतिहास लिखा जाएगा, तो उसके केंद्र बिंदु 'श्री राम' ही होंगे ।

श्री राम हिन्दू आस्था के अगुआ हैं । देश की राजनीति के अहम सूत्रधार और अपने नाम से सनातन परंपरा को जीवंत रखने वाले आराध्य देव हैं हमारे राम ।
हम कितने सौभाग्यशाली हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की कई पीढियां जिस राम मंदिर के लिए म्लेच्छों से बड़ी वीरता से लड़ी, परंतु अंतिम विजय हमने देखा...
हम इस भव्य राम मंदिर को पुनः भारतभूमि पर उठते देख रहे..
जब भी अयोध्या की चर्चा होती, हिन्दू आस्था का रोम रोम राम मंदिर के लिए सिहर उठता था..
TV के अभिनेता को राम मान पूजने वाले सनातनी विचारधारा और किस धर्म में मिलेगी ?
भारत वीरों की भूमि ऐसे थोड़ी कही जाती ! 600 साल की बर्बर लड़ाई के बाद हमनें अधर्मियों से विजय पायी है ।
कोई राम के आगे झुकने वाला राजा को हमने सत्ता पर बिठाया.. जो रामराज्य की परिकल्पना से शासन चलाता है...
श्री राम हमारे आदर्श हैं, वे समस्त मानव जाति को सदाचार और अनुशासन का मार्गदर्शन करने वाले मर्यादापुरुषोत्तम हैं ।
माता कौशल्या से प्राकट्य होने वाले श्रीराम, जिन्हें देखने साक्षात शिव आते और 'भय प्रकट कृपाला...' रचते ।
राजकुमार होकर भी जो गुरुकुल में पढ़ने जाते, जो सभी सुख सुविधाओं को त्याग वन को प्रस्थान कर जाते.. जो शबरी के जूठे बैर खाते.. नंगे पांव जंगल जंगल चल आगे समुद्र को भी थर्रा देते..
जिनके नाम से पत्थर तक तैर जाते..
हनुमान जिनके भक्त हों, लक्ष्मण जैसा सेवक - भरत जैसा भाई और सीता जैसी पतिव्रता पत्नी जो साक्षात माँ लक्ष्मी हो तो कुकर्मी रावण को मारा जाना निश्चित ही तो है...
जब तुलसीदास ने अवधी में रामचरितमानस को रचा तो उन्होंने हमारे राम का परिचय ऐसे कराया कि सीधे हमारे पूर्वजों के हृदय में उतार दिया...
अपने रघुनंदन के जन्मस्थली को पाने के लिए तब भी हम श्रीराम के दिखाए रास्ते पर ही चले । धैर्य और मर्यादा का पालन करते हुए हमने लक्ष्य को पाया है.. बर्बरता रहती तो राक्षसों का नरसंहार कब का हो जाता..
आज हमने ऐसा राजा सत्ता पर बिठाया है जो राम जन्मभूमि की नींव रखता है.. प्रभु के सामने साक्षात दंडवत हो जाता है..
एक आह्वान पर अरबों रुपये प्रभु के सामने हमनें डाल दिया ।
इतने सभ्य तरीके से राम मंदिर निर्माण होना हमारी सौम्यता को दिखाता है... कितना गर्व होता है हमें अपनी सनातन संस्कृति पर..
जहां स्वयं श्रीमन नारायण ने श्रीराम अवतार लेकर भारतभूमि को धन्य कर दिया...
सभी को रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं... 🚩🚩🚩
हरि अनंत हरि कथा अनन्ता...
~ 30.03.2023


कार्रवाई

एक ज़िम्मेदार सरकार वही है जो राष्ट्र और समाज के विरुद्ध जंग का एलान करने वाले के बैक में क्रांति घुसेड़ दे.

पंजाब में किसान आंदोलन के समय से हो रहा नंगा नाच अब रोकने की तैयारी है.
सरकार ने चैलेंज एक्सेप्ट कर लिया है और लगता है इस बार दौड़ा दौड़ा कर क़ानून का असली शासन सिखाने के मूड में है.
NIA की एंट्री हो चुकी है, पैरामिलीट्री पहले से घेरा डाल कर बैठे हैं.
ये जो भी ताक़तें उबाल मार रही हैं वो शायद कृषि क़ानून वापस लेने के पीछे की मंशा नहीं भाँप पायी.
उस सरकार को आप लुल्ल समझ बैठे जो कश्मीर से एक झटके में 370 उड़ा ले गई और आर्मी ने चूँ तक किसी को न करने दी.
कृषि क़ानून वापसी के बाद ही ख़ुफ़िया एजेंसियाँ मिशन पर लगी होंगी. एक एक ट्रांजैक्शंस, फंडिंग को ट्रेस किया गया होगा.
फिर अचानक से PFI के सैंकड़ों टॉप लीडर रात 2 बजे एक साथ अलग अलग लोकेशन से पकड़ लिए गए. सबूत इतने पुख़्ते हैं की अभी भी बाहर आना नामुमकिन है.
पंजाब सुलग रहा था.. राष्ट्र को गालियाँ दी जा रही थी, उस सरकार को देखने की चुनौती दी जा रही थी जिसके पास समस्त दुनिया की चौथी सबसे बड़ी सेना है,
कामयाब इंटेलिजेंस विंग है क़ाबिलियत इतनी की किस गली के नुक्कड़ पर कौन आदमी कितनी साँसें ले रहा यह भी सूचना इकट्ठा कर सकता है.
वहाँ आग मूतने से पहले सोंचना चाहिए. अमेरिका तक अब सोचता है तो तुम हज़ार भीड़ इकट्ठी कर लेने और सड़क घेर लेने को तोपची समझ भारी गलती कर बैठे.
एक के बाद एक तोपची निपटता जा रहा है, कोई गाड़ी के नीचे आ रहा तो कोई बेमौत भुना जा रहा..
पाकिस्तान तक में भारत विरोधी आतंकी गुमनाम मौत मारे जा रहे तो समझिये लेवल क्या हो चुका है.
अभी सारा देश यूपी में योगीजी का अवतार देख रहा है. जनता के मन में हर अपराधी के एनकाउंटर की खबरों के बाद एक संतोष का भाव आ जाता है.
बुलडोज़र से किसी माफिया का घर गिरता है तो कुत्ता भी पूछने नहीं आता, माफिया के समर्थन में प्रदर्शन करना दूर की बात है.
देश जब ऐसे शानदार पैटर्न पर चल रहा हो वहाँ राष्ट्र के विरुद्ध विद्रोह की बात छेड़ना बहुत भारी पड़ेगा ही..
राष्ट्र के सर्वोच्च्य सत्ता पर कोई संन्यासी या साधु बैठा हो तो दुराचारियों के मन में भय अपने आप उत्पन्न हो जाना चाहिए. अन्यथा वह हर तरह से न्याय करने में सक्षम होता है..
🇮🇳🇮🇳🇮🇳
~19.03.2023

GeoPolitics

रूस और यूक्रेन के मुद्दे पर ग्लोबल पॉलिटिक्स से हमने क्या सीखा ?
यह की आप कौन हैं, क्या हैं या कुछ भी रहें.. आपको शक्ति के दो धुरियों के मध्य अपने दम पर बैलेंस बनाकर रहना है वरना पीस जाएंगे !
अपने गाँव, समाज या जिस मुहल्ले में रह रहे हो वहां भी यही मैकेनिज्म है ! पृथ्वी के भी दो पोल हैं..
शांतिप्रिय, न्यायप्रिय होने की ओट में निष्क्रिय बने रहना चाहते हैं तो कभी आपका वजूद स्थापित नहीं हो पायेगा !
जंगल में शेर को या भेड़िये को दया भाव क्यों नहीं आती ? भूखे मर जायेंगे वे हमारे ज्ञान सीखकर !!
हर वक्त इस सारे संसार में श्रेष्ठता की जंग हो रही है.. जंग का हिस्सा बने रहना चाहिए !
कोई देश जरा भी कमजोर या पिलपिला हुआ तो वैश्विक धुरियाँ रखैल बना लेगी !
कोई राजनीति पार्टी थोड़ा भी सिद्धांत से चलने लगेगी तो तुरंत उसके सांसद विधायक तोड़ लिए जाते हैं !
जो जानवर हमला करना नहीं जानता, नुकीले दंत-नाखून नहीं होते वो सबका आसान चारा बना जाता है हिरन की तरह ! क्या नहीं है उसके पास ? मासूमियत, शांतिप्रिय और अहिंसक भी है.. बेचारा किसी को मारकर भी नहीं खाना जानता, घास ही खाता है.. फिर भी सबका चारा है..
घास खाकर खूब सारा प्रोटीन जमा करता.. फिर इकट्ठे सारे प्रोटीन को शेर अपने अंदर डाल लेता ! हो गया ट्रांसफर ऑफ एनर्जी..
दुनिया के देशों के बीच यही कांसेप्ट लागू होता है..
हमारी श्रेष्ठता सेना से है.. हमारा देश रक्षा क्षेत्र में जितनी प्रगति करेगा उतना ग्लोबल पॉलिटिक्स में भौकाल होगा !
भारत की इज्जत इसलिए नहीं है कि हम बहुत शांतिप्रिय हैं, कभी दूसरों को तकलीफ नहीं पहुंचाते आदि आदि ! बल्कि हम दुनिया का सबसे बड़ा बाजार हैं, अथाह सम्भावना है तरक्की की ! हमारी तीसरी सबसे बड़ी पैदल सेना है.. दुनिया में चौथी सबसे बड़ी एयरफोर्स ताकत है हमारे पास..
दुनिया में सबसे अधिक टॉप ब्रेन की प्रोडक्शन हमारी माताएं करती हैं..
इस नैरेटिव में हमें नहीं चलना है कि हम अटैकिंग नहीं हैं या चरखे से डफली बजा देंगें की बकलोली में फंस जाना है !
यह बात हमें भीरु बनाकर रख देगा.. बगल के दो भेड़िये तुरन्त नोच डालेंगे..
वर्ल्ड पॉलिटिक्स को समझने का प्रयास कीजिये !
हमारी कोशिश हो कि हम दुनिया के सर्वश्रेष्ठ हथियारों से सुसज्जित हों.. आत्मसुरक्षा में इजरायल से सीखने की जरूरत है, जिसके पास लड़ने के अलावा कोई विकल्प कभी नहीं रहा..
~ Repost (20.02.2023)

बागेश्वर धाम 🚩

एक थके हारे व्यक्ति को सिर्फ़ चमत्कार की आस अकेले उसे बचा लेता है. जीवन में असफलता से घबराये आदमी की मेंटल बैलेंस गर्त में होती है. माइंड उसके कंट्रोल से बाहर रहता है. जब उसके पास खोने को कुछ नहीं होता तब एक ही रास्ता बचता है स्वयं की समाप्ति का.. या तो किसी धर्म को माने, ईश्वर को माने और भरोसे के सहारे धीरे धीरे बाहर निकले..

पंडित धीरेंद्र शास्त्री जी बागेश्वर दरबार लगा रहे, लाखों लोग उनके पास जा रहे तो कुछ विशेष तो है ही उनमें. हमने भी काफ़ी पहले उनके वीडियो देखे, मस्त शैली है, स्मार्टनेस ग़ज़ब की और बोलने का अन्दाज़ ऐसा की श्रोता का खून उबाल मार दे.
सनातन का ताल ठोकते है, कहा जाता है की बुंदेलखंड जैसे इलाक़ों में अकेले दम पर धर्मांतरण रोक के रख दिया.
मिशनरियों की खटिया खड़ी करके रख दी है.
अब इनके पीछे लोग लगे हैं, मीडिया लगी है.. ये तो स्वाभाविक ही है. चींटी लगने ही हैं..
आज के इतने आधुनिक युग जहां बात 5G, AI और स्पेस की होती है वहाँ एक बाबा के दरबार में भीड़ का लगातार बढ़ना सचमुच साधारण बात नहीं है.
आज हर आदमी शातिर है, आसानी से नेटवर्क मार्केटिंग के चुंगल में भी नहीं फँसता, हर काम नाप तौल के कर रहा.
वहाँ करोड़ों लोग बाबा का यक़ीन कर रहे पर्चा बनवा रहे तो कुछ तो है.
आम आदमी के जीवन में हज़ार तरह की समस्यायें हैं, एक से निपटता है दूसरी मुँह फाड़कर सामने खड़ी मिलती है.
कोई एक दम घिर जाता है तो आदमी दौड़ता है सोल्यूशन पाने के लिए.. बेहताशा भागता है पीर फ़क़ीर जहां से भी रोशनी दिखे सब जगह सिर पटकता है.
सब उम्मीदें टूट जाती है तो आम भारतीय चमत्कार चाहता है..
दुनिया के हर धर्म में चमत्कार का कॉन्सेप्ट है. सनातन तो आपको प्रूफ करके देता है, सवाल पूछने की छूट देता है.
बाक़ी धर्म के बारे में डिटेल्स न पता हो तो पढ़ो मगर हँसना नहीं.
धीरेंद्र शास्त्री जी जो कर रहे हैं और जो लोग उन्हें मानते हैं ये दोनों पक्ष की स्वतंत्रता का मामला है. धार्मिक आज़ादी का मामला है. किसी की मानसिक पीड़ा वहाँ जाने से दूर हो रही है तो बेमतलब का अपना दिमाग़ घुसेड़ने की क्या ज़रूरत है.
मान लिया कोई झूठे चमत्कार के सहारे ही सही लेकिन वापस अपने जीवन को सामान्य कर ले रहा है इससे अच्छी बात क्या हो सकती है. इससे बढ़िया मोटिवेशन व्यक्ति कौन हो सकता है. यह चोरी तो नहीं सीखा रहे, समाज को बाँटने की बात तो नहीं कर रहे.. अपने सहिष्णु धर्म की जागरूकता फैला रहे तो क्या हो जायेगा..
राष्ट्र अभी वैसे भी ऑन फायर मॉड पर चल रहा है..
4th गियर में गाड़ी चल रही है, चारों तरफ़ एंटी सोशल तत्वों की लंका पब्लिक ख़ुद से लगा रही है.. और रिपोर्ट कहती है कि 2024 आम चुनाव के बाद राष्ट्र की दशा टॉप गियर की रफ़्तार में जाने वाली है.
अब लोग भी पहले जैसे झंडू नहीं रहे.. पंडित जी अलग ग़लत मिलेंगे तो राइट साइड वाले ही उनकी खटिया खड़ी कर देंगे. मामला धर्मांतरण रोकने से जुड़ा है इसलिए कोई भी आरोप टिक नहीं पाएगा. ज्योतिष विज्ञान में कॉन्सेप्ट है इतिहास निकालने का और निवारण बताने का इसलिए जिनकी आस्था है वो भरपूर उपयोग करते हैं..
बाक़ी हर व्यक्ति का ईश्वर के शरण में जाने का एकमात्र कारण यही है की ज़रूरत पर इन्हीं के भरोसे कल्याण होगा. मेरा आपका और हम सबका.. लाख चतुर और स्मार्ट बनें…
~ 20.01.2023


बजट@आयकर 💵

मोदी सरकार ने इस बार पर्सनल इनकम टैक्स में नई कर व्यवस्था को बढ़ावा दिया है.

चारों तरफ़ डंका पिट चुका है की 7 लाख तक की आमदनी टैक्स फ्री हो गई है. सरकारी कर्मी के आँखों में चमक तभी तक रही जब तक यह न पता चल गया की इस नई व्यवस्था में डिडक्शन का कॉन्सेप्ट नहीं है.

सरकार ने आयकर के मामले में बिलकुल बनिये से भी एक कदम आगे का बजट बनाया है.

इस बार 5% से 20% स्लैब को दिखने में इतना आसान बनाया है की मध्यम वर्ग नौकरीपेशा आदमी को राहत फील हो रहा है लेकिन बैकडोर से घुमा फिराकर पॉकेट से टैक्स निकाल लेने की पूरी व्यवस्था भी है.
नई कर व्यवस्था को बेहद आकर्षक बनाया गया है मगर PF, NPS, बीमा और होमलोन जैसे छूट का लुफ्त ख़त्म कर दिया गया है.
अब उनसे हाल पूछिए जो हज़ारों रुपये टैक्स बचाने के चक्कर में अपने और परिवार के लिए लाखों लाख की पॉलिसी ली हुई है.
उससे भी अव्वल दर्जे के स्मार्ट लोगों ने बिना ज़रूरत सिर्फ़ टैक्स बचाने के लिए होम लोन ले रखा है और भरपूर ब्याज के साथ मूलधन हर माह चुका रहे हैं.
उनके लिए यह नई व्यवस्था किस काम ही होगी वहीं जानेंगे.
बेचारे के पास पुरानी व्यवस्था में भारी टैक्स चुकाने की मजबूरी हो जाएगी.. न इधर को आ पायेंगे न उधर से छूट का मोह छोड़ पायेंगे.
चूँकि मेरे जैसा नया नया उभरता टैक्स पेयर आसानी से पुरानी और नई व्यवस्था के बीच शिफ्ट कर लेगा. फ़ायदा जिधर दिखेगा कूद पड़ेंगे.
पीपीएफ पर निर्भर लोगों की मौज हो गई.
पॉलिसी और फिक्स्ड टर्म निवेश से कोई वास्ता नहीं. जब मन करे पैसे को शिफ्ट करो और आराम से एक लेन/रेजिम से दूसरे लेन लहरिया कट टैक्स ड्राइविंग का मज़ा भी लो.
सरकार ने इस बजट के माध्यम से आगे का रोडमैप लगभग क्लियर कर दिया है.
नई कर प्रणाली का बढ़ावा दिया जाना स्पष्ट संकेत है की सरकार मध्यमवर्ग के हाथों में लिक्विडिटी यानी कैश फ्लो बढ़ाना चाहती है.
जितना सैलरी है स्लैब के अनुसार खाँचे में बैठ जाइये, सरकार टैक्स ख़ुद निर्धारित दरों पर वसूल लेगी.
टैक्स छूट के लिए जुगाड़, कूद फाँद, फर्जी बिल, एग्रीमेंट जुटाने की कोई ज़रूरत नहीं रहेगा.
स्पष्ट है सरकार लाँग टर्म निवेश में पैसे को मजबूरन लॉक रखने की पुरानी आदत छुड़ानी चाहती है. दूसरी तरफ़ ये सारे सेक्टर मंदी की तरफ़ बढ़ेंगे, आम आदमी को LIC लेने की फ़िक्र अपनी सुरक्षा के लिए नहीं होती थी बल्कि पहला लक्ष्य टैक्स में छूट प्राप्त करना ही था.
अब आप अपने हिसाब से पैसे को मैनेज करें, ख़र्च करें आपकी मर्ज़ी..
ये सही भी है की आज आपको पैसे की ज़रूरत है लेकिन साल का 1.5 से 2 लाख मजबूरन इन्वेस्ट कर दे रहे. लोग ज़रूरत के वक्त बैंक से लोन उठा रहे और ज़बरदस्त इंटरेस्ट चुका रहे हैं उनके लिए राहत हो सकती है.
सरकार को बेवकूफ मत समझिए की वो आपके ऊपर मेहरबान है या चुनाव से डरकर कोई तोहफ़ा लाया है.
बल्कि वो आपके हाथों में आपके ही पैसे को पकड़ाने का इंतज़ाम किया है.
चूँकि बाज़ार में जब भी ज़बरदस्त उछाल चाहिए वहाँ मध्यमवर्ग के मन बढ़ाने के उपाय किए जाते हैं. कैश फ्लो आया, मन बढ़ेगा.. बाज़ार निकलेंगे निश्चित है सुख सुविधा के लिए लक्ज़री आइटम ख़रीदेंगे. जैसे एसी लगायेंगे, कार ख़रीदेंगे.. सीधे 18-28% GST सरकार को पे कर देंगे.
इन सेक्टरों में ज़बरदस्त बूम होगा, रोज़गार बढ़ेंगे, सरकार को कॉर्पोरेट टैक्स अपने आप आएगा.
फिर आएगा मज़ा जब दुधारू गाय की तरफ़ उसके मेंटेनेंस पर खर्च करेंगे. पेट्रोल-डीज़ल पर जमकर एक्साइज़ ड्यूटी चुकायेंगे, सर्विसिंग करायेंगे, टूटा फूटा तो स्पेयर पार्ट्स इंडस्ट्री बूम में आ जायेगी.
एसी चलायेंगे, बिजली बिल GST के साथ वसूलने का उपाय पहले से फिक्स्ड है. हज़ारों उदाहरण हैं ऐसे ऐसे.
मतलब कुल मिलाकर यह समझ लीजिए देश को आप ही चला रहे.. जिधर जाइएगा उधर पे कीजिएगा वाला हिसाब है..
गर्व कीजिए टैक्स पेयर होने का सौभाग्य होने का.. राष्ट्र संचालक होने का गौरव है हमलोगों के पास.. 😃

~ 01.02.2023

13 January 2023

आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस

ChatGPT नामक ऑनलाइन AI टूल्स को लेकर सॉफ़्टवेयर मार्केट में ज़बरदस्त दहशत है. कई एक्सपर्ट्स बता रहे की ये पूरी तरह से सॉफ़्टवेयर फ़ील्ड की सामान्य निचले कर्मियों की छुट्टी कर देगा.

कोई प्रोग्राम बनानी हो, वेबसाइट बनाना हो.. इसे बेसिक कंटेंट के साथ यह बता दीजिए उसमें किस तरह की प्रोग्रामिंग चाहिए, ऑप्शन चाहिए, इंटरफ़ेस होना चाहिए.. सारी कोडिंग चुटकियों में लिखकर सामने हाज़िर कर देगा.
अभी कई टीम मिलकर सॉफ्टवेर में आये बग यानी दिक़्क़तों की पहचान करते हैं और बैकएंड से उसे ठीक करते हैं. मैनपावर का यूज़ हो रहा मतलब लाखों लोगों को इसमें रोज़गार मिला हुआ है. AI टूल्स सेकंड भर के अंदर कोडिंग की गलती निकाल कर दे देगा.
फ़िल्म की स्टोरी लिखवानी है, भाषण तैयार कराना है इसे बेसिक इनपुट दीजिए करैक्टर से परिचित कराइए देखिए हज़ार अलग अलग कहानियाँ लिखकर दे देगा. पसंद बताइए, राग बताइए बिलकुल नये गाने कंपोज़ कर देगा.

खबर यह भी है की अमेरिका में हेल्थ सेक्टर के अंदर AI का अलग भौकाल मचा हुआ है. ईसीजी हो, एक्सरे हो मशीन सीधे AI टूल्स की मदद से एक स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स से कहीं अधिक सटीक डायग्नोसिस करके बता देगा. AI का मतलब यह है की मशीन ख़ुद ही सीखता है. एक बार गलती कर दी तो दुबारा कभी नहीं करेगा, यह मेमोराइज़ कर लेगा. धीरे धीरे इतना विकसित हो जाता है कि हज़ार डॉक्टरों इंजीनियरों का एक्सपीरियंस अकेले एक AI सॉफ्टवेर के पास होगा.
ये प्राइमरी लेवल का स्वास्थ निश्चित ऑटोमेटेड सिस्टम पर ला देगा. ई-हॉस्पिटल प्रोजेक्ट सरकार ला रही है इंडिया में, यानी आपकी सारी हेल्थ रिकॉर्ड, कौन कौन सी दवा कब चली है, डायग्नोस्टिक रिपोर्ट में कब कौन सी बीमारी डिटेक्ट हुई सब एक ABHA आईडी पर रहनी है.
सोचिये सरकार एक चैटबोट ला दे, यानी AI टूल्स.. जैसे अभी फ्लिपकार्ट हेल्प, केंट, IOCL बुकिंग में इस्तेमाल हो रहा इसमें दूसरे एंड पर कोई इंसान नहीं बैठा होता बल्कि सॉफ्टवेर ख़ुद ही आपके सवालों का जबाब देता है आपकी मदद करता है..

वैसे ही नार्मल सर्दी खांसी हुई. सामान्य मौसमी बीमारी में झोला छाप डॉक्टरों के यहाँ जाने के बजाए चैटबोट ऑन कीजिए दिक़्क़त बताइए.. AI आपकी पूरी स्वास्थ कुण्डली जाँच लेगी और आपकी एलर्जी साइडइफ़ेक्ट आदि का इतिहास ध्यान में रखकर उस हिसाब से एक बेहतरीन दवा आपको प्रीस्क्राइब करके दे देगा. मन है तो वहीं ऑनलाइन ऑर्डर कीजिए और पास का मेडिसिन सेंटर दवा घर पर डिलीवर कर देगा.

समान डिलीवरी का कॉन्सेप्ट समझना हो तो भारत सरकार का ONDC प्रोजेक्ट को पढ़ लें, ऑनलाइन व्यापार में क्या क्रांति होने वाली है.
आपको भले ही यक़ीन न हो मगर ये जल्दी ही संभव होगा. हमें 5G को मज़ाक़ में नहीं लेना चाहिए. 5G ख़ासकर मेडिकल सेक्टर को बहुत हद तक ऑटोमेशन पर लेकर आएगा. अस्पताल की ज़रूरत इमरजेंसी और स्पेशलिटी के लिए होगी और उन्हीं डॉक्टर्स की पूछ होगी जो विशेषज्ञ होंगे और वह भी कई मामलों में AI से मदद लेते दिखेंगे. रोबोटिक सर्जरी, 3D विज़ुअल टेस्ट आदि की बातें तेज़ी से चल रही है और रिसर्च हो रहा..
सब कुछ बदलने वाला है.. हमें तैयार हो जाना चाहिए..

#DeCriminilization #जन_विश्वास_बिल

मोदी सरकार हाल ही में लोकसभा के अंदर जन विश्वास बिल लेकर आई है. ये अकेला बिल 42 अलग अलग क़ानूनों के विभिन्न प्रावधानों में संशोधन कर देगा. मतलब 42 बार संशोधन क़ानून लाने की कोई ज़रूरत नहीं.

सरकार ने एक शानदार शॉर्टकट तरीक़ा ढूँढा है लोकसुधार / व्यापार की रास्ते में आने वाली बेमतलब के क़ानूनों को आसानी से ख़ात्मे की.
मोदी सरकार की ये पूरी क़वायद ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस के लिए है.
हमारे आसपास के लोग जो हमेशा चीखते हैं की चीन के जैसे हमारे यहाँ निवेश क्यों नहीं आता, हम अमेरिका क्यों नहीं बन जाते.. वैसे लोगों की बातों पर सरकार गंभीर हो चली है.
चीन में फ़ैक्टरियाँ डाल कर बैठी विदेशी कंपनियाँ वहाँ की राजनीतिक अस्थिरता और निरंकुशता से डरकर भागने की फ़िराक़ में है.
इधर भारत ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस के लिए मंच ठोकता दिख रहा है.
जन विश्वास क़ानून के प्रथम चरण में 19 मंत्रालयों के अन्तर्गत 42 वैसे वैसे अधिनियमों के प्रावधानों को या तो डीक्रिमिनाइज़ (अपराध से बाहर) किया है या तो सीधे हटा डाला है जो अकेले सरकारी तंत्र द्वारा व्यापार को ऐसी तैसी करने की शक्ति देता था.

हाल ही में इसने जीएसटी में दो करोड़ तक के टैक्स चोरी के संभावित मामले को क्रिमिनल ऑफ़ेन्स से बाहर कर दिया. यानी मालिक को सीधे जेल में डालने का प्रावधान ही ख़त्म कर दिया. छोटी मोटी टैक्स चोरी के मैटर में जीएसटी अधिकारियों को सहयोग न करने पर पहले इसे अपराध माना जाता था और पुलिस सीधे अंदर कर देती थी, अब ये मोनोपॉली भी ख़त्म हो गई.
मतलब ऐसा नहीं है की व्यापारी अब खुलेआम लैस लूटेंगे और टैक्स चोरी करने की छूट सरकार ने दे दी है. जबकि इन सारे मामले को सिविल अपराध की श्रेणी में रखा गया है.
जाँच चलेगी और जो मूलधन समेत जुर्माना बनेगा सरकार निर्ममता से वसूल ही लेगी, लेकिन आप बिना मतलब व्यापारियों को जेल में डालकर उसके बिज़नेस की लंका अब नहीं लगा सकते. हाँ बड़े चोरी के मामले में सरकार अब भी सख़्त है और मनी लाउंड्रिंग में संलिप्त हुए तो पाई पाई ज़ब्त करने से नहीं चूकेगी..

चूँकि भारत में 10-15 करोड़ लोग सीधे सीधे ऑर्गनाइज़ सेक्टर यानी छोटी बड़ी फ़ैक्टरी कंपनियों में काम करते है. उनके परिवार समेत कुल मिलाकर देखें तो 40-50 करोड़ का जीवन यापन सीधे जुड़ा है. रोज़गार के लिए सीधे अपने मालिक पर निर्भर हैं..
केंद्र के अकेले 1305 क़ानून देश में लागू हैं. एक राज्य को भी जोड़े तो 200-300 उसके भी बने होंगे. अधिकांश अंग्रेजों वाले नियम लदे पड़े है, इसमें इंस्पेक्टर राज का इतना बोलबाला है की अगर सही से जाँच कर ले तो बड़ी से बड़ी कॉर्पोरेट कंपनियाँ भी हज़ार से ज़्यादा क़ानूनों का उल्लंघन करती रहती है.
प्रावधान इतने लेंथी, अतार्किक हैं की चाहकर कोई पालन नहीं कर सकता और अगर करेगा तो इतने कम्पटीशन के दौर में बिज़नेस बंद होने से कोई नहीं रोक सकता.
अब कोई अथॉरिटी ढंग से जाँच कर दे तो कम से कम चार पाँच सौ प्रावधान सीधे सीधे कंपनी के मेन गेट पर ताला मार देने की शक्ति ज़रूर देता है. हो गया व्यापार…

व्यापारी जीएसटी भरे, कॉर्पोरेट टैक्स भरे, फिर कुछ पर्सनल बचा तो इनकम टैक्स सेस के साथ भरे..
सैंकड़ों लाइसेंस राज की जटिल प्रक्रिया से निपटे इसके अतिरिक्त इंस्पेक्टरों को मैनेज करने में धन लुटाये..
अगर आपको यह सब नहीं पता या मज़ाक़ लगता है तो शायद आपको बिज़नस का कोई आईडिया नहीं है या आप वामपन्थ, शुतुरमुर्ग विचारधारा वाले आदमी है. सरकार का विरोध करना अलग बात है लेकिन राष्ट्र को सुधार के राह पर ले जाने वाली कदमों को तो निष्पक्षता से देखना चाहिए ये आपका मूल कर्तव्य भी है..

सरकार ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस यानी व्यापार की राह आसान करने को रनवे पर आ चुकी है. केंद्र सरकार सारी लाइसेंसिंग प्रक्रिया को National Singal Window System पोर्टल द्वारा एक जगह ला रही है. सारी सरकारी अप्रूवल निर्धारित टाइम लिमिट के अंदर ऑनलाइन होगी. सिर्फ़ एक जगह पोर्टल पर आवेदन करेंगे, आपके बिज़नेस खोलने के लिए क्या क्या ज़रूरी है सब डॉक्युमेंट्स अपलोड करें.. आगे का काम अपने अधिकारियों से सरकार चुटकियों में करा लेगी.

लेबर एक्ट रिफॉर्म्स को सरकार धीरे धीरे पटरी पर ले आएगी. क्योंकि लेबर का मामला बहुत सॉफ्ट टारगेट होता है, उन्हें सिखाना बहुत आसान है की सरकार तुम्हारी चमड़ी उधेड़ने के लिए मालिकों को छूट दे रही है, अब तुमसे बैल की तरह काम कराया जायेगा, सैलरी कम कर देगा..
जबकि दूसरा पक्ष यह है की अगर सरकार व्यापार के लिए नॉर्म्स को आसान ना करे तो विदेशी कंपनियाँ अपना धन यहाँ क्यों लगाएगी.
हड़ताल के लिए 14 दिन पहले नोटिस देना और समझौता कराने का नियम न लाया जाये तो छोटी छोटी डिमांड पर लेबर कंपनी का प्रोडक्शन बंद कर देगा और मालिक की लंका लगा देगा.
फिर भी सरकार किसी क़ानून उल्लंघन के लिए तगड़े जुर्माने का प्रावधान रख रही है. बार बार गलती के मामले में जेल का प्रावधान अब भी है.
सोशल सिक्योरिटी के लिए मालिकों पर दबाब बरकरार है.

स्पष्ट है कि भारत सिर्फ़ कृषि से आगे नहीं बढ़ने वाला.. हम सिर्फ़ अनाज फल और सब्ज़ी खाकर खेतों में दिन काटने गप्प लड़ाने वाली आबादी नहीं हैं. आज की पीढ़ी सरकारी नौकरी करना चाहती है, न मिला तो कॉर्पोरेट कंपनियों में सूट टाई वाले जॉब चाहते है, सोशल सिक्योरिटी चाहते हैं, मोबाइल इंटरनेट के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं है..
कपड़े विदेशी ब्रांड पहनने की शौक़ पाल रहे है.. रेस्टूरेंट कल्चर आम बात हो गई है.. बर्थडे मनाना ग़रीबों का भी शौक़ हो चला है.. मुफ़्त में राशन हर किसी को चाहिए, लेकिन टैक्स चोरी करेंगे.. ऐश के सारे साधन सरकार को उपलब्ध कराना चाहिए ये मानसिकता है हमारी.
रोज़गार के लिए सरकार को कोस रहे लेकिन आईडिया कोई नहीं देगा. सब हवा में बात करेंगे कुतर्क करेंगे…

व्यापारिक क़ानूनों को अपराध की श्रेणी से बाहर करना इस सरकार का रिवोल्यूशनरी कदम है.
इनका लक्ष्य है की विदेशी कंपनियों को किसी तरह स्थापित कराना है, come and Make in India का नारा साकार हो.. इनकी यही बात और राष्ट्र के लिए दूरदर्शी सोच जनता में विश्वास पैदा करता है न की ईवीएम हैक हो जाती है..
व्यापारी जानबूझकर टैक्स चोरी करे, प्रावधानों का उल्लंघन करे तो दस गुना जुर्माने ठोको. मगर उसे बिज़नेस चलाने दो.. दुधारू गाय की तरह टैक्स पर टैक्स देने वाले सेक्टर को चलने दो.
सोने की अंडा दे रही मुर्गी का पेट फाड़ देना मूर्खता है.. चालाकी इसमें है की मुर्गी गलती करे तो जुर्माने में दो अंडा अधिक वसूल लो लेकिन उसका अंडे देने यानी बिज़नेस चलाने में सहयोग करो…
~ Ashwani Kumar

शराबबंदी 🍷

बिहार में शराबबंदी है.. पूर्ण शराबबंदी ! सख़्ती इतनी की बिहार से होकर गुजरने वाली ट्रेन में अगर शराब मिल गई तो सीधे अंदर करने का नियम बना रखा है. राज्य का पर्यटन पहले से चौपट है, टूरिस्ट को पता है क़ानून व्यवस्था आज भी नहीं सुधरी, कब कहाँ लूट लिए जाएँगे नहीं पता. क्यों आँयेंगे बेवक़ूफ़ी करने ? कहीं गलती से शराब पिये पकड़े गये तो समझो सारी इज्जत मिट्टी में मिला देगी बिहार पुलिस.

ग्राउंड पर सच्चाई है की बिहार के अंदर दर्जनों ज़हरीली शराब से ग़रीबों के बेमौत मारे जाने की घटनायें लगातार हो रही है. इस बार भी 77 परिवारों की ज़िंदगी समाप्त हो गई. कौन दोषी है इस व्यवस्था का ? ज़िम्मेवारी तो लेनी ही होगी.. नहीं लेंगे तो भी जनता से कुछ नहीं उखड़ेगा. तभी आँखें तरेरी जा रही है..
बिहार चौपट आगे भी रहने वाला है, जातिवाद के अंधे लोगों का गढ़ है ये.. कोई उम्मीद भी पालना मूर्खता है इस स्टेट से..

शराब ने इस कदर बहार लाया की आज बिहार पुलिस में नौकरी लगना, दारोगा बन जाना भ्रष्ट समाज का सपना हो चला है. ज़मीन पर इतने पैसे इतना रौब है की पूछिए मत. नीचे से ऊपर तक सब भ्रष्ट हो चले हैं..
मुख्यमंत्री की एक ज़िद्द ने सिस्टम के अंदर सड़ाध पैदा करके रख दिया है.
पूरा का पूरा सिस्टम करप्ट और नंगा है. यहाँ के सरकारी कार्यालय में बैठे अधिकारी किसी से नहीं डरते. कोई कंप्लेन या नेता, मंत्री का तनिक भी भय नहीं..
सरकार के साथ अफ़सरशाही की एक पैरेलल व्यवस्था बन चुकी है. इंजीनियर इतने करप्ट हैं की नोटों के बंडल बेड के नीचे से निकल रहे, पुल बिना उद्द्घाटन गिर जा रहा.
ठेकेदारी में सत्ताधारी पार्टी नेताओं का वर्चस्व है. आईएएस आईपीएस तो छोड़िए बिहार सरकार के सामान्य कर्मियों के फ्लैट दिल्ली पुणे में मिलेंगे.

शराबबंदी हुई तो उसके राजस्व घाटा की भरपाई के लिए ज़मीन के दाम आसमान छुवा दिया ताकि भर भर के निबंधन शुल्क वसूल सके.
बिजली के रेट देश में सबसे ज़्यादा ठोक के रखा हुआ है.
कोई भी लाइसेंस बनाने जाओ तो जमकर स्टाम्प बेचने की व्यवस्था बनाई है और ऊपर से बाबुओं की नंगई से पाला अलग पड़ेगा.

बिहार सरकार में किसी काम के लिए बात बात पर एफिडेविट देना पड़ेगा. सिर्फ़ और सिर्फ़ सरकार का स्टाम्प बेचने का धंधा..
शराबबंदी के नाम पर सिर्फ़ और सिर्फ़ टैक्स की उगाही है.
शराब हर चौक चौराहे पर उपलब्ध है.
दुनिया की सारी वैरायटी और ब्रांड का स्टॉक मिलेगा.
बाक़ायदा कई खबरों में थाने की गाड़ी से ढुलाई की बात सामने आती है.
गाँव गाँव में शराब का निर्माण धड़ल्ले से जारी है.
ग्रामीण इलाक़ों में एक संगठित गिरोह पनप चुका है. महंगाई का दौर है ऊपर से बिहार में रोज़गार के कितने अपार साधन है सबको पता है.

कोई क्यों दुकान खोलेने का झमेला पालेगा. कॉमर्शियल बिजली बिल देगा, जीएसटी कंप्लायंस करेगा.. राज्य में इंस्पेक्टर राज अलग हावी है, बीस तरह के बाबू गाड़ी रोककर फ्री में समान पैक कराएगा..
विरोध करोगे सैंपल उठा लेगा और दर्जनों एक्ट ठोककर सारी बिज़नेस की लंका लगा देगा.
हो गया ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस…
डकैती आज भी खुलेआम हो रही है, बैंक तक को नहीं बख्शा जा रहा समझिए क़ानून व्यवस्था का क्या हाल है.

इसलिए शराब एक सॉफ्ट रोज़गार के रूप में समाज में जगह बना चुका है. कोई बड़ा इन्वेस्टमेंट नहीं, एक रुपया टैक्स देने का लफड़ा नहीं, शराब सेक्टर का मंदी में जाने का भी कोई ख़तरा नहीं..
औरत मर्द सब मिलकर इस बिज़नेस में लगे हुए हैं. पुलिस गाँव से ख़ुद पीटकर आती है.. कितनों को पकड़ोगे..
अधिकांश अनुसूचित जाति के लोग जमकर शराबबंदी का उपभोग कर रहे.. पुलिस भी भिड़ने से बचती है, सीधा SC ST अत्याचार का आरोप मामला बनता है.. इसलिए बिना लफड़ा पाले दोनों अपनी अपनी रोटी सेंक रहे हैं..

आम पब्लिक त्रस्त है.. कुल मिलाकर भुगत वही रहे हैं जो एक नंबर के बिज़नेस में लगे हैं. एक मात्र व्यक्ति के हठ की सजा निरीह जनता भुगत रही है. लोग बताते है की शराब माफिया की 25 हज़ार करोड़ का पैरेलल इकॉनोमी चल रही है.
आज का विपक्ष ख़ुद को जनता का हितैषी किस आधार पर बता रहा जो पिछलग्गू बनकर 3 टर्म लटका रहा.
बिहार अभी भी रैंकिंग में सबसे निचले स्टेट के रूप में अपनी जगह बनाए हुए है.
ऊधमी धीरे से बिहार छोड़ कर यूपी निकलने की सोचने लगा है.
एक अकेले व्यक्ति ने वहाँ सारी गुंडई अराजकता घुसेड़ कर रख दी है.. इधर वाले एक अकेले ने पर्सनल ईगो के लिए समूचे राज्य को ऑटोमैटिक मॉड पर लाकर खड़ा कर दिया है…
😇😇😇