प्रखर राष्ट्रवाद एवं हिन्दुत्व की विचारधारा से ओतप्रोत लेखन करना अपनी आदत है ! भगवान महाकाल का छोटा सा भक्त हूँ ! विद्या की आराधना प्राथमिकता है ! किताब, कलम और इंटरनेट साथी है मेरे ज्ञान की ! थोड़ा सा आलसी हूँ मगर जिम्मेदारियों से कभी पीछे नही हटता ! थोड़ा घमंड है पर विनम्रता भी अंदर में जीवित है ! राष्ट्र का सम्मान करता हूँ, सेना को सर आंखों पर रखता हूँ ! झूठ चाणक्य के कहे अनुसार ही बोलता ! बस कलम से राष्ट्रवाद को धार देने की कोशिश में लगा रहता... आपके ब्लॉग पर आते रहने की लत लगी रहे...
27 October 2015
अपना वोट किसे दूँ?
मेरे
लिए राजनीतिक दल के आधार पर वोट देना उलझन भरा है। कुत्ते-बिल्ली जैसी लड़ रही BJP-JDU-RJD तीनों ही गाली-गलौज और लोकलुभावन वादों
के अलावा जनता के समस्याओं के मुद्दे पर चुनाव लड़ने की जगह एक-दूसरे की कमियां
गिनाने में लगे हैं। नीतीश की विचारधारा
सेकुलरिज्म का तथाकथित मिसाल है, जो इस भय में जी रहे है की भारत में उनका राज तभी तक सुरक्षित रहेगा
जबतक इस्लाम की तलवार उसकी म्यान में हो, उन्हें मना कर चलेंगे तभी उनपर राज कर सकेंगे। उनका डर स्वाभाविक है
की सत्ता पर संघ परिवार काबिज है और दूसरा की युवा नौजवान फक्र से कहने लगा है की 'गर्व से कहो, हम हिन्दू हैं'। दूसरा उनका अहंकार व सत्ता में बने
रहने लालच उनकी सिर्फ सड़क-पुल बना देने की
विकासगाथा को लालू के लिए भुला देने को तैयार हैं। लालू का कथित जातिवाद राजनीतिक बेवकूफी का एक
उदहारण है। संसद में अल्हड़पन, बुड़बकपन लाने का श्रेय लालू को ही जाता
है। मंडल के सहारे राजनीतिक जमीन तलाशकर खुद को यादवों का नेता घोषित करके 15 साल में बिहार में शासन किया। इस
दौरान उन्होंने यादवों-पिछड़ों का कितना विकास किया ये समूचा राज्य जानता है। पर हाँ, भले ही गरीब अपना विकास न कर पाया हो, लेकिन इस दौरान लाठी, बन्दुक की नली के सहारे गरीबों का शोषण भी हुआ और भ्रष्टाचार-अपराध
का तेज़ गति से फला-फुला भी। सेक्युलर जमात में शामिल लालू को भी इस्लाम के नेक और
अनेक बन्दों को लेकर उतनी ही चिंता है जितना की नितीश को।
स्थान:patna
Patna, Bihar, India
एक युवा राष्ट्रवादी लेखक...
जिनकी रूचि लेखन के माध्यम से समाज की बेबाक तस्वीरों को सामने लाना है...
सीधी अंदाज में कहने की क्षमता इनके कलम की धार है...
लेखक महादेव के आगे नतमस्तक हो जाने वाले सनातनी हिन्दू हैं... जय हिन्द
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