20 July 2017

वेंकैया नायडू के मायने

उपराष्ट्रपति के रूप में भारतीय जनता पार्टी ने वेंकैया नायडू को उम्मीदवार बनाकर एक नया राजनीतिक चक्रव्यूह रचा है। हिंदुत्ववादी विचारधारा और संघ के एजेंडे पर देश के प्रमुख पदों का भगवाकरण लगभग किया जा चुका है। हिंदुत्ववादी जोश का जो नमूना मोदी लहर में दिखा था वह अब आगे निकल कर योगी आदित्यनाथ से होते हुए रामनाथ कोविंद और वेंकैया नायडू तक जा पहुंचा है। भले ही गौरक्षकों पर प्रधानमंत्री मोदी का बयान कट्टरपंथी युवाओं को रास ना आता हो उन्होंने समझना चाहिए कि संवैधानिक पदों पर बैठकर प्रत्यक्ष रुप से धर्माधारित एजेंडे को नहीं थोपा जा सकता।
हामिद अंसारी के पिछले 10 सालों के कार्यकाल में राज्यसभा सभापति होने के नाते उन्होंने हमेशा विपक्ष को दबाने की कोशिश की, भाजपा की आवाज को अनसुना करने की कोशिश करते रहे। इस दौरान राज्यसभा टीवी का लगभग इस्लामीकरण किया जा चुका था। भाजपा विरोध के बुनियादी पक्षधर पत्रकारों की फौज राज्यसभा टीवी पर डेरा जमाए हुए बैठी है, जिसका पूर्ण प्रभाव नायडू के सभापति होने के बाद देखा जा सकता है।
भारत में कई उप राष्ट्रपति हुए लेकिन हामिद अंसारी जैसा कोई नहीं हुआ उन्होंने खुद को इस्लामीयत का अगुआ साबित करते हुए विभिन्न धार्मिक आयोजनों में इस्लाम के इतर कई रीति रिवाजों से दूरी बनाए रखी। दूसरी तरफ अगर देखें तो वेंकैया नायडू के उपराष्ट्रपति बनाने के पीछे संघ परिवार का एक बड़ा फैक्टर निकलकर सामने आता है।
रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद पर आसीन करने का मोदी का फैसला जातिगत समीकरणों के आधार पर तो लिया ही गया है लेकिन उससे भी कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण आडवाणी का चुप रहना भविष्य में राष्ट्रपति पद का बड़ी कार्रवाई के लिए इस्तेमाल किए जाने का संकेत देता है। किसी साधारण से राजनेता को राष्ट्रपति बनाना और आडवाणी को दरकिनार करना भारतीय जनता पार्टी और मोदी का कोई बड़ा विजन इसके अंदर छिपा बैठा है।
भाजपा के सत्ता पक्ष में आने के बाद बार-बार राज्यसभा का पारित होना हंगामे को बढ़ावा देना कांग्रेस की चाल रही है। लेकिन सभापति के रूप में हामिद अंसारी का लगभग गैर-जिम्मेदाराना तौर तरीकों से उपराष्ट्रपति पद की गरिमा को ठेस पहुंची है वह वेंकैया नायडू के ऊपर सदन को चलाने के साथ साथ पिछले 10 सालों में लगभग गुमनाम से पड़े पद की गरिमा बढ़ाने की जिम्मेदारी होगी। सदन को चलाना वाकई मुश्किल होगा क्योंकि वामपंथी और कांग्रेस सदस्यों को संभाल पाना तब तक संभव नही होगा जब तक कि सभापति की तरफ से उद्दंड सांसदों पर कड़ा रुख न अपनाया जाए।
Image result for rajyasabha imageचोर दरवाजे से सांसद बंद कराने वाले नेताओं पर राज्यसभा जवाबदेही तय करें और उसे चुनाव आयोग के साथ मिलकर स्वच्छ व साफ छवि वाले नेताओं को लाने का नियम बनाना होगा। अरबपति, कारोबारी और चोर लुटेरे को संसद का अंग बनने से रोकना होगा। भारतीय जनता पार्टी कि लोकतंत्र पर भरोसे की बुनियाद से हम यह अपेक्षा कर सकते हैं की वह राज्यसभा सदस्यों के चुनावी पारदर्शिता को बढ़ावा दे और उनकी जवाबदेही तय करें।
उम्मीद है वैंकैया नायडू जैसे सूझबूझ से भरे नेता का उपराष्ट्रपति बनना न केवल लोकतंत्र के लिए सार्थक होगा बल्कि जनता के समय और पैसे की बर्बादी रोकने में उन्हें अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देना होगा...

अश्वनी ©


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