09 June 2022

#बीपीएससी

BPSC पेपर लीक मामले में कुछ भी नया नहीं है ! पेपर पहले भी होते रहा है और सीटें बेची जाती रहीं हैं ! अब थोड़ा टेक्नॉलजी फ़ास्ट है whatsapp, टेलीग्राम से चंद सेकंड में सबकुछ वायरल हो जा रहा इसलिए बवाल मच रहा..
पैसे किसे अच्छे नहीं लगते ? राज्य लोक सेवा आयोग एक संवैधानिक संस्था है ! इस आयोग पर राज्य के अहम पदों पर काम करने वाले योग्य अधिकारियों की चयन की ज़िम्मेदारी होती है, वही राज्य की नीतियों को लागू कराने का माध्यम बनते हैं ! 
बिहार में परीक्षा घोटाले का पुराना इतिहास रहा है.. तो बीपीएससी क्यों पीछे रहे ! 
जब हज़ारों सेंटर बनेंगे.. दंडाधिकारी बनाकर भ्रष्ट निकम्मों के हवाले पेपर कर दिया तो लीक कैसे नहीं होंगे !
देश के तमाम परीक्षा एजेन्सी अपने इग्ज़ाम दनादन ऑनलाइन मोड में लेते जा रहे हैं वहाँ एक संवैधानिक आयोग वही पुराने आदिम काल वाले तरीक़ों से चलने की ऐंठ में दिख रहा.. 
एक तो reservation है चलिए लोगों की आदत हो गयी की आप सामाजिक न्याय कर रहे, फिर महिलाओं को सीधे आरक्षण दिया वह भी सह लिया.. अब तो सीटें बिकने लगी है !
इसी BPSC के सदस्य पच्चीस लाख में डीएसपी बनाते फँसे लेकिन किसने आज तक कोई कार्रवाई तक नहीं होने दी ?

इसके प्रश्न का स्तर कभी उठा कर देखिए.. पीटी में ये क्वेस्चन पेपर तक सेट नहीं कर पा रहे थे तो पाँच ऑप्शन छात्रों पर थोप दिया.. बिना किसी अनालिसिस के अपनी नाकामी को ढँका है इस आयोग ने ! 
मेंस के सवाल में हर बार वही घिसी पिटी और तोता रटंत टॉपिक ! सिलेबस में कोई innovation नहीं.. उर्दू मैथली अरबी पढ़कर आए लोगों को प्रशासनिक पदों पर बैठाए जाने की व्यवस्था है..
योग्यता पैमाना नहीं है बस मार्क्स मैटर है..
आपको एक कल्याणकारी राज्य के संचालन के लिए योग्य और नैतिक अफ़सरों की ज़रूरत है या परीक्षा में भाषा धर्म की राजनीति की ??

क्षेत्रीय दलों को दरअसल चुनावी फ़ंडिंग बहुत मुश्किल से मिलती है। केंद्र से मिले प्रोजेक्ट में सीएजी, utilisation आदि का लफड़ा है तो बात ज़्यादा बन नहीं पाती.. तो सबसे सॉफ़्ट टार्गेट है ट्रान्स्फ़र पोस्टिंग और नौकरियों में धांधली !
ये दोनों इतने सेफ़ सिस्टम हैं की राजनीतिक विवाद, क़ानूनी पचड़े, जाँच आदि की सम्भावना शून्य होती है ! 
हर राज्य की ये कहानी है.. पीसीएस की संरचना सही कैसे मानी जा सकती जब उसके अध्यक्ष व सदस्य पदों पर राज्य सरकार मनपसंद नियुक्तियाँ करती है ! 
क़ानून व्यवस्था सम्भालने वाले जब ऐसे स्तरहीन परीक्षा प्रणाली से चयनित होकर जाएँगे तो आम मुक़दर्शक जनता से अनंत काल तक लूट होती रहेगी.. हमें अयोग्य अधिकारियों से जलील होते रहने की आदत पाल लेनी चाहिए क्योंकि ये फ़ंगस के तरह लगातार सिस्टम के अंदर भर चुके हैं ! सौ बार इग्ज़ाम लो ये डंके की चोट पर सौ बार लीक करेंगे..
क्योंकि पैसा बहुत ताकतवर चीज़ है…..

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