07 April 2021

होली स्पेशल

 

ये हमारा नववर्ष है, हम यहां रंग खेलते...

और बड़े के पैरों में गुलाल रख नए साल की पावरी करते..

होली हमारी संस्कृति की बुनियाद है । हम प्रकृति की रंगों में रचे बसे होने का साक्षात प्रमाण देते ।

बचपन में वापस डूब जाने की खुशी ही तो है होली !

रंगों से अपनों को सराबोर कर देने की ललक ही तो है होली !

नववर्ष का पहला दिन और उसमें होली का त्योहार.. बचपन की यादें झकझोर देती । बिना कोई टेंशन भर मतलब रंग डालना और पिचकारी लेकर हफ्तों पहले से की जाने वाली शानदार युद्धाभ्यास.. कितनी मनमोहक थी वो होली...

आज भी बिना किसी की बकवास सुने अपनी पीढ़ियों को इस संस्कृति से सिंचित कीजिये । उन्हें पिचकारी दिलाइये, रंग दिलाइये और एकदम देशी अंदाज में होली खेलने दीजिये ।

उसे पालतू कुत्ते की तरह छत से देखने वाला गधा तो कम से कम मत बनाइये ।

इस संस्कृति को जीवंत रखने वाले वही मासूम तो हैं... जो हजारों सालों तक इसे इसी तरह बनाएं रखेंगे..

रास्ते में बच्चे पिचकारी मारे तो ठहर कर रंग डाल लेने दें उन्हें, उनकी मनमोहक खुशी का भरपूर आनंद लें । और गर्व कीजिये अपनी परंपरा पर की आप ऐसे शानदार त्योहार का अभिन्न हिस्सा बने ।

जितना हो सके बच्चों को पानी का भरपूर इस्तेमाल करने दें..

जल संरक्षण का ज्ञान पेलने वाले ठरकी टाइप लोगों को तुरंत गलिया दीजिये और कभी पाइप लगाकर कार धोते मिल जाएं तो तुरन्त शीशे फोड़ दिए जाएं । सारा ज्ञान अंदर घुस जाएगा ।

ये लोग न केवल हमारी परंपरा के दीमक है बल्कि अगर समाज इनके रास्ते चल पड़े तो ये हमारा आस्तित्व समाप्त कर देगा ।

ऐसे लोगों का बहिष्कार हो, किसी समाज-गांव-म्युनिसिपल तक किसी कुर्सी तक में कहीं भी घुसने तक न दिया जाए ।

कुछ लोग होली को फूहड़ता का नाम देकर जबरन घसीटते..

मतलब ऐसे लोगों का परिवार जब कमीना हो तो उसका एक्सपीरियंस भी तो वैसा ही होगा । बाकी होली जैसे पावन त्योहार की तुलना अपने यहाँ के कमीनेपन से सभी की की तो खैर नहीं ।

ये हमें हमारे समाज को एक दूसरे से जोड़ता है, जातीयता के बंधन से मुक्त करता है । ऐसे थोड़ी अपने नववर्ष पर बुजुर्गों के पैरों पर अबीर रख अपने माथे लगा लेते.. ऐसे थोड़ी यूँ ही उनके आशीर्वाद से हम खिल उठते...

सभी मित्रों को होली की हार्दिक शुभकामनाएं... ❤️❤️



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