07 April 2021

महाशिवरात्रि स्पेशल

 

शिव एक शाश्वत भक्ति का मार्ग हैं !

महादेव की आराधना स्वयंस्फूर्त रक्त में प्रवाहित होने लगती..

हमारे ऐसे भगवान की आराधना जिसके लिए मनुष्य सारी सुविधाओं के परे जाकर केदारनाथ में ध्यानमग्न हो जाना चाहता !

हिमालय पर जाकर बस कैलाश का हो जाना चाहता..

शिव की भक्ति में शांति हैं.. मस्तिष्क की उथल पुथल को शांत करने का एकमात्र रास्ता महादेव की चरणों से ही है !

हमारी आस्था शिव में समाहित शांति से हैं, उनकी अलौकिकता से है !

इस दुनिया में कोई अपना हो या न हो मगर महाकाल हमेशा साथ मिलते ! कुछ मिले न मिले मगर महादेव पर भरोसे से सबकुछ मिल जाने सा सुखद एहसास ही काफी है !

भोलेनाथ सबको शरण देते.. ये उनकी महानता है कि एक चोर भी चोरी से पहले महादेव पर भरोसा करता.. उन्हें कुछ हिस्सा भी समर्पित करता..

हम कितने भी आधुनिक हो जाएं मगर शिव अनन्त ही रहेंगे.. केदारनाथ में प्रकृति ने अपना परिचय दिया, शिव की लीला दुनिया ने देखी.. क्या हैसियत थी मानव की या अब भी है क्या !

कैलाश पर कोई क्यों नही जा पाता ! विज्ञान की कहानी जहां अंत होती हमारी शिव गाथा का शून्य बिंदु है वो !

महाकाल की भस्म आरती देख लेना कभी.. रूह कांप जाएगी शिव के होने के एहसास मात्र से ! झाल ढोलक के मध्य भस्म से ज्योतिर्लिंग की आरती.. वाह !!!

सोमनाथ आज भी उसी जगह खड़े रखा है भक्तों ने ! देवघर में लोग 100 KM पैदल चलकर अभिषेक करने जाते.. रामेश्वरम में स्वयं श्रीराम जी ने शिवलिंग की स्थापना की..

अनादि काल से रुद्र की पूजा का साक्ष्य हमें मिलता है.. जितनी भी ज्ञात पुरातन सभ्यता हैं उनमें शिव किसी न किसी रूप में विधमान हैं.. पशुपति के रूप में सिंधु सभ्यता के आराध्य देव तो हमारी महादेव ही हैं..

वैराग्य देखना है तो कुम्भ के दौरान भस्म लपेटे साधु को एकटक देखना ! भावुक इंसान हो तो अगर तो तुरंत निकल जाना वहां से, वरना दिमाग अशांत हो जाएगा..

ये महामानव होते जो शिव को समझने के लिए सैकड़ों वर्षों तक हिमालय की कंदराओं में रहते.. सोचो शिव को पाना कितना कठिन हो सकता !

ये अपने मष्तिष्क के थैलेमस को नियंत्रित करते ताकि इन्हें बाहरी तापमान, चोट, दर्द महसूस ही न हो ! फिर अगला चरण सबसे महत्वपूर्ण ह्यपोथैलमस को नियंत्रित करना होता.. भूख, प्यास क्रोध, प्यार ये सब से दूर वैराग्य पा लेना ही मोक्ष है !

इनकी कोई गतिविधि की जानकारी आम नागरिक छोड़िए, सरकार तक को नहीं होती.. ये हमारे धर्म के असली मिलिटेंट हैं..

DJ बजाकर, गांजा फूंककर शिव की भक्ति नहीं होती ! समर्पित होना पड़ता महादेव के लिए.. उनके आदर्शों पर चलना होता है, उनकी भक्ति के लिए स्वयं को तपाना पड़ता है..

लेकिन शिव तो ठहरे भोले.. आपकी मस्तिष्क शिव की चरणों की तरफ झुकी और भोले बाबा पिघल जाते..

नहीं तो देवों के देव महादेव होने के बाद भी कौन ऐसे भस्म, छाल लपेट कैलाश पर वैरागी की तरह ध्यानमग्न रहते.. कौन अपनी बाराती में औघर को ले चलता.. कौन तांडव कर दुनिया को विध्वंस करने की शक्ति रखता..

और कौन हमरे भोले बाबा कह देने मात्र से अपने भक्त की परेशानी दूर कर देते..

#हर_हर_महादेव 🚩🚩🚩



No comments:

Post a Comment