15 September 2022

महान गणतंत्र

आज द्रौपदी मुर्मू के रूप में भारत गणराज्य को उसका 15 वाँ राष्ट्रपति मिला ! 

यह बहुत साधारण बात नहीं है की एक ऐसे समाज से पली बढ़ी महिला ऐसे राष्ट्र के सर्वोच्य पद पर बैठी है जहां आज भी आदिवासी समुदाय वंचन और छुआछूत की शिकार है !

आप इन्हें रबड़ स्टाम्प कहकर अपने बड़बोले और क़ाबिल होने का नग्न परिचय देने के लिए स्वतंत्र हो ! आपको कोई नहीं रोकेगा लेकिन मेरा मानना है कि नरेंद्र मोदी के 3 बेहतरीन कदमों में मुर्मू को राष्ट्रपति बनाया जाना भी सम्मिलित है ! 370 हटाया और राम मंदिर का शंखनाद किया.. इन मुद्दों पर दिल से जुड़े लोग आज भी दोनों स्टेप के प्रति मोदी के क़र्ज़दार मानते हैं ! 

परंतु मुर्मू को इस गणराज्य के प्रथम नागरिक के तौर पर लाया जाना शानदार एहसास रहा.. जहां संसाधन रहित समाज से न जाने कितने संघर्षों से लड़कर बाहर निकल आज तीनों सेना की सलामी ली वह भी सर्वोच्य कमांडर के रूप में, यही व्यवस्था ही तो भारत को सदियों से महान बनाती चली आ रही है ! आदिवासी समुदाय आज भी हमारे चलन्त समाज से कहीं दूर चार पाँच दशक पूर्व काल की ज़िंदगी व्यतीत कर रहा है ! मेरे और आपकी तरह वह अक्लमंद नहीं मानते.. उनका अपना कल्चर है और सीधा प्रकृति से जुड़ा हुआ सिस्टम है !

आरक्षण उन्हें नहीं मिलता, क्योंकि इधर को उनका हक़ खा जाने वाले उनके समुदाय के नाम वाले गोड़ी चमड़ी के लोग उल्लू की तरह हर डाल पर मिलेगा.. आदिवासी जानते ही घृणा करने वाले लोगों से भरा पड़ा है अपना समाज ! महिला अधिकारों के लिए बिगुल फुंकती नारियाँ स्किन के रंग देख कर मुँह ही बिचकाती है.. ज़ुबान से राष्ट्र प्रेम नहीं टपकता, अपने कर्म मुर्मू टाइप करने पर ही शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है !

बड़ी बड़ी गाड़ियों में चलने वाले, फ़र्राटे से विदेशी भाषा गुर्राने वाले अंधों को इस मामले में देखने के लिए दिव्य दृष्टि चाहिए ! हमारा समाज उन्हें नहीं अपनाता.. हमारा सिस्टम आपके लक्ज़री के लिए उनके जंगल उजाड़ता है और अपने अस्तित्व के लिए लड़ने पर उसे जाहिल घोषित कर के रखा है ! सच्चाई है कि हमारी योजनाएँ उन तक नहीं पहुँचती है.. राशन वाले चोचले शहरी/ग्रामीण निकम्मों और अफ़सरों के पेट पालने को ही ज़्यादा काम आ रही..  बेचारे बोरे भर अनाज के लिए धर्म परिवर्तन के लालच में फँसने के अलावा क्या विकल्प है इनके पास !

मुर्मू की ज़िवटता उन्हें यहाँ तक लेकर आयी है.. महान लोकतंत्र आज साक्षी बना है जिसके सपने कभी ग़ुलाम भारत में देखे ज़ाया करते होंगे ! भारत के सर्वोच्य पद पर उनका कोई प्रतिनिधि आज बैठा है तो हमें अपने सिस्टम पर गर्व करना चाहिए.. पूरे आदिवासी समुदाय को कितना गर्व फ़ील हो रहा होगा ! ख़ासकर आदिवासी महिलाओं जिनका भविष्य तो दूर वर्तमान भी बड़ी कष्टदायक है उनके बीच की एक महिला पूरे 135 करोड़ नागरिकों का चेहरा बन गयी.. 

हर सरकारी कार्यालय में अब उनका फ़ोटो लगेगा ! तीनों सेना के समस्त बेड़ों की सलामी लेने वाली उनके बीच की एक अगर द्रौपदी मुर्मू बनती है तो सच में यह राष्ट्र और भी महान हो गया..

इसका पुरस्कार मिलेगा.. आने वाले वक्त में ये समुदाय क़र्ज़ ज़रूर चुकाएगा क्योंकि गरीब या वंचित कभी मक्कार नहीं होते.. निश्छल होते हैं ! आप एक ख़ुशी दोगे वो दुगनी रिटर्न करने की क्षमता रखता है.. 

अपनी राष्ट्रपति को ढेर सारी शुभकामनाएँ…

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