15 September 2022

#BiharPolitics

इस बार की पलटी जेडीयू के लिए आत्मघातक होगी ! नीतीश कुमार तक ही शायद यह पार्टी अस्तित्व में रह पाए.. अगर नहीं तो दर्दनाक अंत से इनकार नहीं किया जाना चाहिए ! राजनीति में कुर्सी से ज़्यादा महत्वपूर्ण, जनता का इमोशन पाना और बरकरार रखना होता है.. 

जनता का इमोशन साथ है तो आज नहीं तो कल जातिवाद का चक्र टूटेगा ही ! आरजेडी को सम्भाले रखना तेजस्वी के वश का नहीं है.. वंशवाद का आरोप सीधे पार्टी में विद्रोह पैदा करेगा ! घोटाले का आरोप जनता ज़्यादा दिन बर्दाश्त नहीं करेगी.. ज़्यादा दूर तक सम्भावना नहीं दिखती..

राज्य में अयोग्य पार्टी लीडरशीप के बल पर बीजेपी बिहार में ज़्यादा दूर नहीं जा पाएगी ! बड़बोलेपन से चुनाव नहीं जीते जाते.. पिछलग्गु की तरह लदे रहना ही आज संकट का कारण है ! सीमांचल का demography अवैध प्रवासियों से एकदम बदल चुका है लेकिन सत्ता में बने रहना इनके लिए ज़्यादा ज़रूरी था.. जातीय जनगणना का कॉन्सेप्ट 21 वीं सदी में लाना और उस पर चुप्पी से स्वीकार करना सत्ता का लालच ही है.. इनके पास कोई चेहरा नहीं है सब अपनी अपनी जाति की राजनीति में लिप्त है, जनता का भरोसा लायक़ एक भी नेता नहीं पैदा कर पाए.. 

वैसे बिहार स्वयं को राजनीति का चाणक्य मानता है.. यही आत्मविश्वास इसकी दुर्दशा का कारण है और आगे भी बने रहने की पूरी सम्भावना है ! टाइटल देखकर नेता चुनने की आदत का अंजाम एंजोय करिये.. यही बिहार की नियति है..

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